‘रैट माइनर्स’: हाल मे तेलंगाना राज्य के जयशंकर भूपालपल्ली जिले में एक निर्माणाधीन सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए चल रहे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है।
निर्माणाधीन सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित ‘रेट माइनर्स’ बचावकर्मियों की एक टीम ने सुरंग में प्रवेश किया, लेकिन गंभीर सुरक्षा चिंताओं के कारण उन्हें बीच रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा। यह घटना बचाव अभियान की जटिलताओं और चुनौतियों को उजागर करती है। आइये पूरे मामले को जानने का प्रयास करते हैं |
“Telangana टनल रेस्क्यू: ‘रैट माइनर्स’ ने किया प्रवेश, लेकिन फिर जो हुआ चौंकाने वाला था!”
घटना का पृष्ठभूमि
तेलंगाना राज्य के जयशंकर भूपालपल्ली जिले में एक महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजना के तहत सुरंग का निर्माण कार्य चल रहा था। 24 फरवरी 2025 को, सोमवार के दिन अचानक सुरंग का एक हिस्सा ध्वस्त हो गया, जिससे कई श्रमिक अंदर फंस गए। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार पता चला हैं कि लगभग 15 श्रमिक सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं, जिनसे संपर्क स्थापित करना बहुत मुश्किल हो रहा है।

श्रमिक बचाव अभियान की शुरुआत
घटना के तुरंत बाद, राज्य सरकार ने राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीमों को मौके पर तैनात किया।
भारी मशीनरी और विशेष उपकरणों की मदद से मलबा हटाने और सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के प्रयास शुरू किए गए। बचाव कार्य अभी भी जारी हैं. ‘रैट माइनर्स’
‘रेट माइनर्स’ बचावकर्मियों की भूमिका
‘रेट माइनर्स’ बचावकर्मी विशेष रूप से प्रशिक्षित छोटे कद के बचावकर्मी होते हैं, जो संकीर्ण और कठिन स्थानों में प्रवेश करने में पूरी तरह सक्षम होते हैं। इनका उपयोग विशेष रूप से उन स्थितियों में किया जाता है जहां पारंपरिक बचाव उपकरण और बड़े आकार के बचावकर्मी पहुंच नहीं बना सकते। Read more..
सुरंग में प्रवेश और वापसी
26 फरवरी 2025 को, बुधवार के दिन ‘रेट माइनर्स’ बचावकर्मियों की एक टीम ने सुरंग में प्रवेश किया। इसमें उनका उद्देश्य सुरंग मे फंसे हुए श्रमिकों का पता लगाना, उनकी स्थिति का आकलन करना और उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान करना था।
हालांकि, सुरंग के अंदर की स्थिति अत्यंत अस्थिर और खतरनाक पाई गई। मिट्टी और मलबे के लगातार गिरने, ऑक्सीजन की कमी, और संरचनात्मक अस्थिरता के कारण, टीम को अपनी सुरक्षा के मद्देनजर वापस लौटना पड़ा। श्रमिको को बचाने हेतु निरंतर प्रयास जारी हैं |
सुरक्षा चिंताएँ
बचाव अभियान के दौरान निम्नलिखित प्रमुख सुरक्षा चिंताएँ सामने आईं:
संरचनात्मक अस्थिरता: सुरंग का ध्वस्त हिस्सा और आसपास का क्षेत्र अत्यधिक अस्थिर है, जिससे किसी भी समय और ध्वस्त होने का खतरा बना हुआ है।
ऑक्सीजन की कमी: सुरंग के अंदर ऑक्सीजन का स्तर सामान्य स्तर से काफी कम है, जिससे बचावकर्मियों और फंसे हुए श्रमिकों दोनों के लिए सांस लेना मुश्किल हो रहा है।
मलबे का गिरना: सुरंग के अंदर लगातार मलबा गिर रहा है, जिससे बचाव कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही है और बचावकर्मियों की सुरक्षा खतरे में है।
आगे की रणनीति
‘रेट माइनर्स’ बचावकर्मियों की वापसी के बाद, बचाव दल ने अपनी रणनीति में बदलाव करने का निर्णय लिया है। भारी मशीनरी की सहायता से सुरंग के अस्थिर हिस्सों को स्थिर करने, ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने,
और मलबा हटाने के लिए अतिरिक्त संसाधनों को जुटाया जा रहा है। इसके अलावा, भू-तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम को बुलाया गया है, जो सुरंग की संरचनात्मक स्थिति का मूल्यांकन करेगी और सुरक्षित बचाव मार्गों की पहचान करेगी।
परिवारों की चिंता और प्रशासन की प्रतिक्रिया
फंसे हुए श्रमिकों के परिवारजन घटनास्थल पर एकत्रित हो गए हैं, जो अपने प्रियजनों की सुरक्षा को लेकर अत्यंत चिंतित हैं। राज्य सरकार ने उन्हें आश्वासन दिया है कि बचाव कार्य तेजी से और सुरक्षित रूप से किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से स्थिति की निगरानी करते हुए अधिकारियों को हर संभव सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए हैं।Click here..
निष्कर्ष
तेलंगाना के जयशंकर भूपालपल्ली जिले में चल रहा सुरंग बचाव अभियान कई चुनौतियों से घिरा है। ‘रेट माइनर्स’ बचावकर्मियों की वापसी ने सुरक्षा चिंताओं को और भी उजागर किया है।
हालांकि, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न एजेंसियों के संयुक्त प्रयासों से उम्मीद है कि फंसे हुए श्रमिकों को जल्द से जल्द सुरक्षित बाहर निकाला जाएगा।
इस घटना ने निर्माण परियोजनाओं में सुरक्षा मानकों के पालन की आवश्यकता पर भी जोर दिया है, ताकि भविष्य में ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से बचा जा सके। ‘रैट माइनर्स’