उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बड़ा बयान उत्तराखंड में जनवरी 2025 से लागू की जाएगी सामन नागरिक संहिता
उत्तराखंड होगा भारत का ऐसा पहला राज्य जिसमें जिसमें लागू की जाएगी समान नागरिक संहिता ( UCC ) उत्तराखंड में सामान नागरिक संहिता लागू होनी वाली है
उत्तराखंड में सामान नागरिक संहिता लागू होनी वाली है मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी ने कहा की २०२२ के विधान सभा चुनाव का लक्ष्या था

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड ( UCC ) अर्थात समान नागरिक संहिता?
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के इस बयान के अनुसार इसके अंतर्गत हर धर्म, जाति संप्रदाय वर्ग के लिए पूरे देश में एक ही नियम लागू होना अर्थात समान नागरिक संहिता का सीधा मतलब होता है
सभी के लिए एक ही कानून जैसे कि पूरे देश के लिए सभी धार्मिक संप्रदायों के लिए विवाह तलाक विरासत गोद लेने के नियम यह सभी इसी के अंतर्गत आते हैं और अथिक खबर के Click Here
क्या है अनुच्छेद 44
अनुच्छेद 44 भारत के संविधान का एक अनुच्छेद है जो कि संविधान के भाग 4 के अंतर्गत आता है संविधान के भाग 4 का
का तात्पर्य राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों से होता है
जिसके अंतर्गत राज्य नागरिक और कल्याण के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनाता है और उनको व्यवस्थित करता है इसी तरह अनुच्छेद 44 में बताया गया है कि राज्य पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता अर्थात यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा
अनुच्छेद 44 का उद्देश्य
1. कमजोर समूह के खिलाफ होने वाले भेदभाव को रोका जाए
2. अलग-अलग तरह की सांस्कृतिक परंपराओं के बीच सामंजस्य स्थापित करना और उनमें मेलजोल बनाए रखना
समान नागरिक संहिता का पहली बार जिक्र कब किया गया था
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बड़ा बयान समान नागरिक संहिता का पहली बार जिक्र 1835 में ब्रिटिश सरकार की एक रिपोर्ट में भी किया गया था इस रिपोर्ट में सामने आया था
कि अपराधों सबूतो और बढ़ रहे भेदभाव को नियंत्रित करने के लिए एक कानून लव करने की जरूरत हो सकती है हालांकि रिपोर्ट में हिंदू- मुसलमानो के धार्मिक कानूनो से छेड़छाड़ की कोई बात नहीं की गई थी |
हिंदू कानून संहिता का पहली बार जिक्र
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बड़ा बयान हिंदू कानून पर संहिता बनाने के लिए सबसे पहले बार 1941 में बी एन राव समिति का गठन किया गया था
इस समिति की सिफारिश पर 1956 में हिन्दुओं, बौद्ध, जैनियो और सिखों के उत्तराधिकार मामले को सुलझाने के लिए हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम को विधायक के रूप में अपनाया गया था
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बड़ा बयान हालांकि इसके अंतर्गत मुस्लिम, ईसाई और पारसियों के लोगों को इससे अलग रखा गया था |
समान नागरिक संहिता को लेकर डॉक्टर अंबेडकर की क्या प्रतिक्रिया रही
संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ अंबेडकर ने समान नागरिक संहिता को लेकर कहा था कि हमारे पास पूरे देश में एक समान और पूर्ण आपराधिक संहिता है.
इसके अंतर्गत दंड संहिता और आपराधिक प्रक्रिया शामिल है इसके अंतर्गत संपत्ति से जुड़े मामले पूरे देश में समान रूप से लागू किए गए हैं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी ने अम्बेडकर जी के लिखित सविधान के अनुछेद के अनुसार बयान लिया
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी ने अम्बेडकर जी के लिखित सविधान के अनुछेद के अनुसार यह बयान लिया है|
डॉ अंबेडकर ने अपनी प्रतिक्रिया में यह भी कहा कि मैं ऐसे के कानून का हवाला दे सकता हूं जिसे यह साबित होगा कि देश में व्यावहारिक रूप से समान नागरिक संहिता है और हर प्रकार से उनके मूल तत्व भी समान है
जो कई मुद्दों पर पूरे देश में लागू है इसमें डॉक्टर अंबेडकर ने कहा उत्तराधिकार कानून और सिविल कानून विवाह का उल्लंघन करने में सक्षम नहीं है|
भारत ऐसा राज्य जिसमें आजादी से पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड पहले से लागू है
गोवा भारत का पहला एकमात्र ऐसा राज्य है जिसमें संविधान के लागू होने से पहले ही समान नागरिक संहिता लागू है इसमें लागू होने का रहस्य यह है कि 1961 से पहले गोवा राज्य पुर्तगालियों के अंतर्गत आता था
जिसमें पहले से ही यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया गया था अगर आजाद भारत की बात करें तो उत्तराखंड भारत का से पहले राज्य होगा जिसमें यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होगा
गोवा में समान नागरिक संहिता लागू करने का उद्देश्य
इसका मुख्य उद्देश्य यह था कि गोवा को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था वहीं गोवा को पुर्तगालियों के द्वारा सिविल कोर्ट लव करने का अधिकार भी मिला हुआ था जिसके अंतर्गत राज्य सभी धर्म जातियों के लिए पूरी तरीके से समान लॉ लागू किया गया था
क्या भारत के किसी और राज्य में UCC लागू है
नोट : गोवा में सभी धर्म जाति संप्रदाय और वर्ग से जुड़े लोगों के लिए शादी तलाक जैसे मुद्दे सभी के लिए समान है तथा गोवा में कोई भी व्यक्ति ट्रिपल तलाक नहीं दे सकता तथा वहां पर रजिस्ट्रेशन कराये बिना शादी को मान्यता नहीं मिलती .
इसी के साथ वहां हिंदुओं के लिए दो शादी के करने की छूट भी दी गई है इसी के साथ मुस्लिम संप्रदाय के लोगों को चार शादी करने के लिए मान्यता नहीं दी गई है | अधिक जानकारी
भारत के ऐसे पड़ोसी देश जिनमे समान नागरिक संहिता पहले से लागू है
हमारे पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान और बांग्लादेश समान नागरिक संहिता लागू करने वाले देशों में शामिल है क्योंकि इन देशों में सभी धर्म और संप्रदाय के लोगों पर शरीयत पर आधारित कानून लागू होता है शरीयत शब्द का तात्पर्य मुस्लिम धर्म के कानून का पालन करना व लागू करना होता है|