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E-NAM 2.0: किसानों के लिए क्रांतिकारी बदलाव या सिर्फ एक और वादा?

“ई-नाम से खेती में बदलाव: जानें कैसे मिलेगा फसल का सही दाम!

भारत में कृषि क्षेत्र की रीढ़ छोटे और सीमांत किसान हैं, जिनकी संख्या देश के कुल किसानों में लगभग 86% है। लेकिन इन किसानों को अक्सर उनकी फसलों के लिए उचित मूल्य नहीं मिल पाता, बिचौलियों पर निर्भरता अधिक होती है, और वे बाजार से सीधे जुड़ने में असमर्थ होते हैं।

इन्हीं चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) की स्थापना की गई थी, ताकि किसान अपनी उपज को डिजिटल माध्यम से देशभर में कहीं भी बेच सकें। ई-नाम की सफलता को देखते हुए अब इसे ई-नाम 2.0 में अपग्रेड किया जा रहा है, जिससे यह और अधिक प्रभावी, पारदर्शी, और उपयोगकर्ता-अनुकूल बन सके।

इस रिपोर्ट में हम विस्तार से जानेंगे कि ई-नाम 2.0 छोटे और सीमांत किसानों के लिए कैसे फायदेमंद होगा, इसमें कौन-कौन सी नई सुविधाएँ जोड़ी गई हैं, और यह कृषि क्षेत्र को कैसे बदल सकता है।

1. E-NAM 2.0: किसानों के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव

क्या है E-NAM 2.0 ?

राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM) एक पैन-इंडिया इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है, जिसे 14 अप्रैल 2016 को लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य किसानों, व्यापारियों और कृषि बाजारों को एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जोड़ना है, ताकि वे बिना किसी बाधा के आपस में व्यापार कर सकें।

E-NAM 2.0 के माध्यम से किसान ऑनलाइन अपनी उपज की बोली लगा सकते हैं, बेहतर मूल्य प्राप्त कर सकते हैं, और पारदर्शी तरीके से लेन-देन कर सकते हैं। यह प्लेटफॉर्म अंतर-राज्यीय और अंतर-मंडी व्यापार को भी प्रोत्साहित करता है, जिससे किसानों को अधिक बाजार उपलब्ध होते हैं।

2. छोटे और सीमांत किसानों के लिए E-NAM 2.0 के लाभ

छोटे और सीमांत किसानों को पारंपरिक मंडी प्रणाली में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे—

बिचौलियों की अधिकता, जिससे उन्हें कम कीमत मिलती है।

मंडी तक परिवहन की समस्या, जिससे उनकी उपज का खर्च बढ़ जाता है।

मंडी में स्थानीय व्यापारियों की मनमानी, जिससे किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य नहीं मिल पाता।

सूचना का अभाव, जिससे किसान सही समय पर निर्णय नहीं ले पाते।

E-NAM 2.0 इन सभी समस्याओं का समाधान प्रदान करता है। E-NAM 2.0 के माध्यम से—

किसान अपनी उपज का सीधा व्यापार कर सकते हैं।

मंडी में जाए बिना भी फसल की बिक्री संभव है (फार्म गेट मॉड्यूल)।

ऑनलाइन नीलामी के जरिए पारदर्शी और प्रतिस्पर्धात्मक कीमत मिलती है।

किसान उत्पादक संगठन (FPOs) के माध्यम से छोटे किसान अपनी उपज को एकत्र कर उच्च दाम प्राप्त कर सकते हैं।

रियल-टाइम मार्केट डेटा के माध्यम से किसान सही निर्णय ले सकते हैं।

E-NAM 2.0: किसानों के लिए क्रांतिकारी बदलाव या सिर्फ एक और वादा?
E-NAM 2.0: किसानों के लिए क्रांतिकारी बदलाव या सिर्फ एक और वादा?

3. किसान उत्पादक संगठन (FPOs) का योगदान

छोटे और सीमांत किसानों के लिए एफपीओ (FPO – Farmer Producer Organization) एक बड़ी मदद साबित हो रहे हैं। व्यक्तिगत रूप से किसानों के पास कम मात्रा में फसल होती है, जिससे वे बाजार में अच्छी कीमत प्राप्त नहीं कर पाते।

एफपीओ किसानों को संगठित कर उनकी उपज को एकत्रित करके थोक में बेचने की सुविधा देता है। इससे—

बिचौलियों की भूमिका कम होती है और किसानों को सही दाम मिलता है।

किसान सीधे बड़े खरीदारों (थोक व्यापारी, सुपरमार्केट, निर्यातक आदि) से जुड़ सकते हैं।

लॉजिस्टिक्स लागत कम होती है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होती है।

28 फरवरी 2025 तक 4392 एफपीओ ई-नाम से जुड़ चुके हैं, जो लाखों किसानों को लाभ पहुँचा रहे हैं।

4. E-NAM 2.0: उन्नत सुविधाओं की ओर बढ़ता कदम

ई-नाम प्लेटफॉर्म को अब ई-नाम 2.0 में अपग्रेड किया जा रहा है, जिससे यह और अधिक कुशल और उपयोगकर्ता-अनुकूल बने।

E-NAM 2.0 की प्रमुख विशेषताएँ:

बैंक खाता सत्यापन और ई-केवाईसी – किसानों की पहचान और भुगतान प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित और सरल बनाया जाएगा।
 फार्म गेट मॉड्यूल – किसान अपने खेत से ही सीधे व्यापार कर सकते हैं, जिससे मंडी तक जाने की जरूरत नहीं होगी।

लॉजिस्टिक्स सेवा प्रदाता – किसानों की उपज के परिवहन और भंडारण की समस्याओं को हल करने के लिए नई लॉजिस्टिक सुविधाएँ जोड़ी जाएंगी।

अंतर-राज्यीय व्यापार में सुधार – विभिन्न राज्यों के व्यापार नियमों को एकीकृत किया जाएगा, जिससे किसान आसानी से अपनी उपज देशभर में बेच सकें।

मूल्यांकन और ग्रेडिंग सेवाएँ – किसान अपनी उपज की गुणवत्ता का ऑनलाइन मूल्यांकन करवा सकेंगे, जिससे उन्हें सही मूल्य मिल सके।

मोबाइल ऐप अपडेट – किसानों के लिए मोबाइल ऐप को और अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाया जाएगा, जिससे वे आसानी से व्यापार कर सकें।

5. लॉजिस्टिक्स की चुनौतियाँ और समाधान

लॉजिस्टिक्स (परिवहन और भंडारण) की समस्याएँ ई-नाम के सफल कार्यान्वयन में एक बड़ी बाधा रही हैं। किसानों को अपनी फसल मंडी तक पहुँचाने और सही खरीदार तक भेजने में कठिनाई होती है।

ई-नाम 2.0 के तहत—

निजी लॉजिस्टिक सेवा प्रदाताओं को जोड़ा जाएगा, ताकि किसानों को आसानी से ट्रांसपोर्ट सुविधा मिले।

कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउसिंग की सुविधा बढ़ाई जाएगी, जिससे किसानों को अपनी उपज स्टोर करने का विकल्प मिलेगा।

ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग कर पारदर्शी सप्लाई चेन बनाई जाएगी, जिससे ट्रांसपोर्ट और भुगतान प्रक्रिया अधिक सुरक्षित होगी।

6. डिजिटल क्रांति और कृषि क्षेत्र में नवाचार

E-NAM 2.0 डिजिटल इंडिया अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। डिजिटल क्रांति के माध्यम से—

किसानों को मार्केट से रियल-टाइम डेटा मिलेगा।

मोबाइल ऐप के जरिए पूरी प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा।

डिजिटल भुगतान प्रणाली (UPI, बैंक ट्रांसफर, आदि) को बढ़ावा दिया जाएगा।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) का उपयोग कर मूल्य भविष्यवाणी और व्यापार विश्लेषण किया जाएगा।

7. E-NAM 2.0: किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में कदम

सरकार का लक्ष्य किसानों की आय दोगुनी करना है, और ई-नाम 2.0 इस दिशा में एक बड़ा कदम है।

उच्च प्रतिस्पर्धा से बेहतर मूल्य मिलेगा।

डिजिटल भुगतान से पारदर्शिता बढ़ेगी।

लॉजिस्टिक्स सुधार से समय और लागत की बचत होगी।

एफपीओ के माध्यम से छोटे किसानों की शक्ति बढ़ेगी।

राष्ट्रीय कृषि बाजार (E-NAM 2.0) से जुड़े टॉप 10 सबसे अधिक सर्च किए गए प्रश्न और उनके विस्तृत उत्तर

1. ई-नाम (E-NAM) क्या है और इसका उद्देश्य क्या है?

उत्तर: राष्ट्रीय कृषि बाजार (E-NAM) भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक पैन-इंडिया इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है, जिसका उद्देश्य किसानों, व्यापारियों और कृषि उत्पाद बाजार समितियों (APMC) को एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लाना है। यह किसानों को अंतर-राज्यीय और अंतर-मंडी व्यापार की सुविधा प्रदान करता है, जिससे उन्हें अपनी उपज का उचित मूल्य मिल सके।

2. E-NAM 2.0 क्या है और इसमें क्या नई सुविधाएँ जोड़ी गई हैं?

उत्तर: ई-नाम 2.0, E-NAM प्लेटफॉर्म का अपग्रेडेड वर्जन है, जो किसानों के लिए और अधिक सुविधाजनक और उपयोगी बनाया गया है। इसमें निम्नलिखित नई सुविधाएँ जोड़ी गई हैं:

बैंक खाता सत्यापन और ई-केवाईसी (आधार आधारित)।

फार्म गेट ट्रेडिंग मॉड्यूल, जिससे किसान घर से ही व्यापार कर सकते हैं।

लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग सुविधा।

ऑनलाइन भुगतान प्रणाली (UPI, बैंक ट्रांसफर, आदि)।

AI और ब्लॉकचेन आधारित मूल्य भविष्यवाणी और व्यापार विश्लेषण।

E-NAM 2.0: किसानों के लिए क्रांतिकारी बदलाव या सिर्फ एक और वादा?

3. किसान E-NAM पर कैसे पंजीकरण कर सकते हैं?

उत्तर: किसानE-NAM 2.0 पोर्टल (www.enam.gov.in) या मोबाइल ऐप (Android और iOS) के माध्यम से ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते हैं। पंजीकरण के लिए निम्नलिखित दस्तावेज आवश्यक होते हैं:

आधार कार्ड

बैंक पासबुक की कॉपी

भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र

मोबाइल नंबर

इसके अलावा, किसानों को पंजीकरण में सहायता के लिए टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 18002700224 भी उपलब्ध है।

4. E-NAM 2.0 से जुड़ने के लिए कौन-कौन पात्र हैं?

उत्तर: E-NAM 2.0 प्लेटफॉर्म से जुड़ने के लिए निम्नलिखित लोग पात्र हैं:

किसान (व्यक्तिगत और किसान उत्पादक संगठन – FPOs)

आढ़तिए और व्यापारी (APMC लाइसेंस धारक)

कृषि उत्पाद बाजार समितियाँ (APMCs)

खरीदार और निर्यातक

5. E-NAM 2.0 पर किसान को अपनी उपज बेचने की प्रक्रिया क्या है?
उत्तर: E-NAM 2.0 पर अपनी उपज बेचने के लिए किसान को निम्नलिखित प्रक्रिया अपनानी होती है:

  1. E-NAM 2.0 पर पंजीकरण करें।
  2. उपज की गुणवत्ता ग्रेडिंग और मूल्यांकन कराएं।
  3. ऑनलाइन नीलामी में भाग लें।
  4. उच्चतम बोली लगाने वाले को उपज बेचें।
  5. डिजिटल भुगतान प्राप्त करें।

6. ई-नाम के माध्यम से व्यापार करने के क्या लाभ हैं?

उत्तर: ई-नाम किसानों को निम्नलिखित प्रमुख लाभ प्रदान करता है:

बिचौलियों की भूमिका कम होती है।

बेहतर मूल्य खोज तंत्र उपलब्ध होता है।

ऑनलाइन और पारदर्शी व्यापार संभव होता है।

सीधे भुगतान की सुविधा होती है।

देशभर में मंडियों से जुड़ने का अवसर मिलता है।

7. ई-नाम पर कौन-कौन सी फसलें बेची जा सकती हैं?

उत्तर: ई-नाम पर अब तक 231 कृषि वस्तुओं के व्यापार योग्य मापदंड निर्धारित किए गए हैं, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:

अनाज (गेहूं, चावल, मक्का, ज्वार)

दलहन (चना, मूंग, अरहर, मसूर)

तिलहन (सरसों, मूंगफली, सूरजमुखी)

फल एवं सब्जियाँ (आलू, प्याज, टमाटर, केला, आम)

मसाले (हल्दी, धनिया, जीरा)

8. किसान उत्पादक संगठन (FPO) क्या है और यह ई-नाम में कैसे मदद करता है?

उत्तर: FPO (Farmer Producer Organization) किसानों का एक संगठित समूह होता है, जो सामूहिक रूप से कृषि व्यापार करता है। चूंकि छोटे किसानों की उत्पादन क्षमता सीमित होती है, FPO उन्हें एकजुट कर थोक में व्यापार करने और बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद करता है।

ई-नाम प्लेटफॉर्म पर अब तक 4392 FPOs को जोड़ा गया है।

9. क्या ई-नाम पर अंतर-राज्यीय व्यापार संभव है?

उत्तर: हाँ, ई-नाम पर अंतर-राज्यीय व्यापार संभव है। हालांकि, इसके लिए राज्यों को APMC अधिनियम में बदलाव करने की आवश्यकता होती है, जिससे वे अन्य राज्यों के व्यापार लाइसेंस को मान्यता दे सकें। ई-नाम 2.0 के माध्यम से इस प्रक्रिया को और अधिक सरल बनाया जा रहा है।

10. ई-नाम में लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग सुविधाएँ कैसे काम करेंगी?

उत्तर: ई-नाम 2.0 में निजी लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग कंपनियों को शामिल किया जाएगा, जिससे किसानों को अपनी उपज को आसानी से भंडारण और परिवहन करने की सुविधा मिलेगी। इसके तहत:

किसान अपनी फसल को कोल्ड स्टोरेज या वेयरहाउस में स्टोर कर सकेंगे।

लॉजिस्टिक्स कंपनियाँ सीधे खेत से उपज उठाने की सुविधा प्रदान करेंगी।

ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करके आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) को अधिक पारदर्शी बनाया जाएगा।

निष्कर्ष

ई-नाम 2.0 छोटे और सीमांत किसानों के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकता है। डिजिटल प्लेटफॉर्म, लॉजिस्टिक्स सुधार, ई-केवाईसी, और मूल्यांकन सेवाओं के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसान अपनी उपज का अधिकतम मूल्य प्राप्त करें।

इस पहल से न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि भारत का कृषि क्षेत्र भी अधिक आधुनिक, पारदर्शी और प्रतिस्पर्धात्मक बनेगा। ई-नाम 2.0 वास्तव में किसानों के लिए एक डिजिटल क्रांति है!

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