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सियाराम बाबा : जीवनभर करते रहे रामायण का पाठ,110 वर्षीय प्रसिद्ध सिद्ध संत सिया राम बाबा का निधन “भक्ति और आस्था का प्रतीक”

 नहीं रहे संत सियाराम बाबा 11 दिसंबर 2024 को 6:10 मिनट पर ली उन्होंने अंतिम सांस

संत सिया राम बाबा : मध्य प्रदेश के खरगोन में संत सियाराम बाबा ने बुधवार सुबह 6:10 मिनट पर अपनी अंतिम साँस ली, कौन थे संत सियाराम बाबा जो हाथों से दीपक जला देते थे .   

सिया राम बाबा जीवनभर करते रहे रामायण का पाठ “भक्ति और आस्था का प्रतीक”थे| उनके जीवन और उनके उपदेशों पर आधारित है, और जो हमें शांति, भक्ति और सच्चे जीवन का रास्ता दिखाते हैं।

सिया राम बाबा के विचारों और उनके जीवन के आदर्शों ने न सिर्फ धार्मिक लोगों को प्रभावित किया, बल्कि आम जिंदगी में भी सकारात्मक बदलाव लाने में मदद की है।

आज सुबह 11 दिसंबर 2024 को 6:10 पर हनुमान जी के परमप्रिय बाबा संत सियाराम का मध्य प्रदेश के निमाड़ में देहांत हो गया है Read More…

 संत सिया राम बाबा
जीवनभर करते रहे रामायण का पाठ सिया राम बाबा: भारतीय संतों में उनकी विशेष पहचान”

कौन थे संत सियाराम बाबा जो हाथों से दीपक जला देते थे

संत सियाराम बाबा श्री राम जी के अनन्य भक्त थे जो की हनुमान जी को अपना परम आराध्य मानते थे उन्होंने अपना सारा जीवन रामचरितमानस के अध्ययन पाठ करने तथा माता नर्मदा की पूजा याचना में बिता दिया .

 मध्य प्रदेश के निमाड़ के निवासियों को एक नई दिशा देने का काम किया और जीवनभर करते रहे रामायण का पाठ

संत सियाराम बाबा की मृत्यु कैसे हुई

संत सियाराम बाबा का निधन मध्य प्रदेश के निमाड़ में मोक्षदा एकादशी के दिन सुबह के 6:10 पर हो गया उनके निधन का कारण यह बताया जा रहा है कि वे पिछले 10 दिनों से निमोनिया से ग्रसित थे जिससे उनका स्वास्थ्य खराब हो गया था.

जिस कारण उनकी मृत्यु हुई

संत सियाराम बाबा कितने वर्ष के हो गए थे

बाबा संत सियाराम मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में रहने वाले थे जिनकी उम्र 110 वर्ष बताई गई है जो भी भक्त उनसे मिलने या दर्शन के लिये जाते थे वह उनसे दान के रूप में केवल ₹10 लेते थे

बाबा संत सियाराम खाने में क्या खाते थे

ऐसा माना जाता है कि बाबा संत सियाराम हनुमान जी के प्रिय भक्त थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन रामायण के पाठ करने तथा नर्मदा नदी की पूजा करने में बिता दिया था.

अगर उनकी दिनचर्या को देखें तो सबसे अलग होती थी वह रोज सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नर्मदा नदी में स्नान करते थे तथा जो भी नर्मदा नदी की परिक्रमा करने आते थे वह खुद उन्हें अपने हाथों से खाना पका कर खिलाते थे

संत सियाराम बाबा को सियाराम क्यों कहा जाता है

संत सिया राम बाबा नहीं 12 वर्षों तक मौन रहकर कठिन साधना की थी जब उन्होंने अपना मन तोड़ा उनके मुख से पहले शब्द सियाराम निकला इसके बाद से उन्हें भक्ति सियाराम के नाम से पुकारने लगे. Click Here…

आखिर क्यों कहा जाता है सियाराम बाबा को चमत्कारी बाबा

संत सिया राम बाबा के चमत्कारी कहे जाने के बारे में कई तथ्य बहुत प्रचलित है ऐसा माना जाता है कि सियाराम बाबा 21 घंटे तक रामायण का पाठ करते थे .

पूरी ऊर्जा के साथ रामायण की सभी चौपाइयों का पाठ करते थे संत सिया राम बाबा के बारे में एक तथ्य काफी प्रचलित है राम बाबा के भक्त उन्हें चमत्कारी बाबा भी कहते थे.

ऐसा माना जाता है हर एक मौसम में एक लंगोट ही पहनते थे  संत सिया राम बाबा  ने लगातार 10 वर्षों तक खड़े होकर कठिन साधना की थी

संत सियाराम बाबा के जीवन में मोक्षदा एकादशी का क्या रहस्य रहा है

सिया राम बाबा आज सुबह 11 दिसंबर 2024 का दिन भारत के हिंदू कैलेंडर के मुताबिक मोक्षदा एकादशी के रूम में मनाया जा रहा है.

आज किसी महत्वपूर्ण दिवस पर भारत के प्रचलित और चमत्कारी संत कहे जाने वाले बाबा संत सियाराम का निधन हो गया है ऐसा माना जा रहा है कि सियाराम बाबा को प्रभु के परम चरणों में स्थान मिला है .

मोक्षदा एकादशी का ऐसा त्यौहार जो हिंदू धर्म में मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी माना जाता है इस एकादशी को लेकर यह भी मानता है कि इस दिन जिस व्यक्ति का निधन होता है उसे व्यक्ति को ईश्वर के चरणों में स्थान मिलता है

सियाराम बाबा के एक पैर में क्या हो गया था

सियाराम बाबा के बारे में ऐसा बताया जाता है कि उन्होंने 12 वर्ष तक एक पैर पर खड़े होकर कठिन साधना की थी तथा वह सभी मौसमों में एक ही लंगोट को धारण करते थे काम स्वयं करते थे.

मोक्षदा एकादशी मनाए जाने का उद्देश्य राजा वैखानस ने अपने माता-पिता को नरक की आत्माओं से मुक्ति दिलाकर उनका उद्धार किया था

सियाराम बाबा दान के रूप में ₹10 ही क्यों लेते थे

सिया राम बाबा तथ्य के बारे में ऐसा माना जाता है कि एक बार बाबा के पास विदेशी पर्यटक मिलने आए उन्होंने बाबा को दान के रूप में ₹500 दिए जिसे उन्होंने सिर्फ ₹10 लेकर ही उन्हें वापस किया तब से यह मान्यता प्रचलित है कि वेदन के रूप में सिर्फ ₹10 लेते थे

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