जन्म: 6 जून 1696, जिंजी किला।
पिता: राजाराम महाराज, माता: महारानी ताराबाई।
चार वर्ष की उम्र में गद्दी पर बैठाया गया।
शिवाजी द्वितीय के नाम पर शासन संभाला।
मुगलों के खिलाफ छापामार युद्ध नीतियों का उपयोग।
भारतीय इतिहास में “स्त्री नेतृत्व का स्वर्ण युग”।
लगातार युद्ध और छापामार रणनीति।
मराठा गौरव और स्वतंत्रता की रक्षा।
शाहू महाराज के लौटने के बाद मराठा साम्राज्य दो भागों में बंटा।
कोल्हापुर में शिवाजी द्वितीय, सतारा में शाहू।
ताराबाई ने पुत्र के शासन की वैधता बनाए रखी।
1714 में स्वतंत्र राज्य की नींव।
दक्षिण भारत में मराठा प्रभाव को मजबूत किया।
बाद में मराठा इतिहास का प्रमुख केंद्र बना।
शासनकाल: 1700–1726।
मराठा प्रशासन और सेना को संगठित किया।
पारंपरिक घुड़सवार और छापामार युद्धक रणनीति में सुधार।
सहिष्णु धार्मिक दृष्टि।
मंदिरों का निर्माण।
संगीत, नृत्य और लोककला का संरक्षण।
निधन: 14 मार्च 1726, पन्हाला किला।
केवल 29 वर्ष की आयु में मृत्यु।
कोल्हापुर राज्य, मातृसत्तात्मक नेतृत्व और मराठा गौरव की अमर विरासत।
दक्षिणी मराठा राज्य के संस्थापक।
मुगलों के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक।
हिंदवी स्वराज्य और मातृभूमि के प्रति निष्ठा।
शासन केवल वंश नहीं, धर्म और राष्ट्र सेवा का माध्यम।
पुनर्निर्माण काल का जीवंत प्रतीक।