सुपर-वीनस’ एक्सोप्लैनेट की खोज: क्या यह बदल देगा ब्रह्मांड की समझ?
परिचय- एक्सोप्लैनेट वें ग्रह है जो हमारे सौरमंडल के बाहर स्थित होते हैं और किसी तारे के चारों ओर चक्कर लगाते रहते हैं. अब तक ब्रह्मांड में करीब 5000 से अधिक एक्सोप्लैनेट खोजे जा चुके हैं.
इनमें से कुछ ऐसे ग्रह होते हैं जो पृथ्वी से मिलते जुलते हैं जबकि कुछ ऐसे ग्रह होते हैं जो अद्वितीय और अप्रत्याशित विशेषताओं वाले होते हैं.
हाल ही में खगोलविदो एक नया सुपर प्लेनेट खोज है जिसका नाम सुपर वीनस एक्सोप्लैनेट है जिसने समस्त वैज्ञानिक समुदाय का ध्यान अपनी और आकर्षित किया है.
यह खोज ग्रहों की वर्तमान श्रेणियाे को चुनौती देती है और खगोल विज्ञान के लिए एक नई दिशा को तय करती है.

सुपर विनस क्या है?
सुपर विनस को इस तरह से परिभाषित किया गया है:
* यह एक ऐसा ग्रह है जो शुक्र (विनस ) ग्रह के आकार और संरचना से मेल खाता है. लेकिन यह खोजा गया सुपर वीनस एक्सोप्लैनेट उससे कहीं अधिक बड़ा और अधिक गर्म भी है.
* यह ग्रह अपनी कक्षा में अपने तारे के बहुत करीब है इसके कारण इसका तापमान बहुत अधिक गर्म हो जाता हैं.
* इसका बहुत घना वायुमंडल और उच्च दबाव इसे एक अद्वितीय श्रेणी में रखता है. Read more…
इस सुपर-वीनस एक्सोप्लैनेट की खोज कैसे की गई?
* ट्रांजिट मेथड: इस ग्रह की खोज के खगोलविदों ने ट्रांजिट मेथड को अपनाया है. इसमें ग्रह के अपने तारे के सामने से गुजरने के दौरान उसकी छाया के आधार पर मापन किया जाता है.
* डॉप्लर तकनीक: डॉप्लर तकनीक का उपयोग ग्रह की गति और उसके तारे पर गुरुत्वीय प्रभाव का अध्ययन करने के लिए किया जाता है.
* उपयोगी उपकरण: इस खोज में NASA के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप और यूरोपीय स्पेस एजेंसी के उपकरणों का सहयोग मिला है.
सुपर वीनस की विशेषताएं
1. वायुमंडल:
* इसका वायुमंडल बहुत ज्यादा घना है और इसमें बहुत ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड गैस का भंडार है.
* वायुमंडल में सल्फ्यूरिक एसिड के बादल बनने की संभावना बताई जा रही है जो शुक्र (वीनस) से भी कहीं अधिक तेज है.
2. सतह का तापमान:
* सुपर वीनस नामक एक्सोप्लैनेट की सतह का तापमान लगभग 500 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक है यह तापमान किसी भी ज्ञात ग्रह से कहीं ज्यादा है.
* ये सब स्थिति इसे जीव अयोग्य बनाती हैं.
3. आकार और घनत्व
* इसका आकार शुक्र से लगभग 1.5 गुना बड़ा है.
* इसका घनत्व और सतह पर दबाव पृथ्वी और शुक्र दोनों से ज्यादा है.
4. कक्षीय दूरी
* यह ग्रह अपने तारे से बहुत करीब है जिसके कारण इसकी कक्षा बहुत छोटी है.
* यह ग्रह अपनी पूरी परिक्रमा 1 साल और कुछ दिनों में पूरी कर लेता है.
ग्रहों के वर्गीकरण में बदलाव
ब्रह्मांड में ग्रहों को अब तक उनके आकार, तापमान और दूरी के आधार पर वर्गीकृत किया गया है उदाहरण:
* पृथ्वी जैसे ग्रह- पृथ्वी और मंगल
* गैस दानव ग्रह: बृहस्पति और शनि
* बर्फीले दानव ग्रह: अरुण और वरुण
सुपर वीनस नामक ग्रह इस वर्गीकरण में फिट नहीं बैठता क्योंकि,
* यह एक्सोप्लैनेट न तो पूरी तरह से चट्टानी हैं और न ही पूरी तरह से गैसीय ग्रह.
* इस एक्सोप्लैनेट का तापमान और संरचना इसे एक अलग श्रेणी में डालने की मांग करते हैं. Click here
खगोल विज्ञान और अंतरिक्ष अध्ययन में प्रभाव
* ब्रह्मांड में जीवन की खोज: इस खोज से यह निष्कर्ष निकाला गया है कि अन्य तारों के पास ग्रहों की विविधता को लेकर हमारी सोच कहीं अधिक आगे है. इससे यह भी संभावना बढ़ती है कि भविष्य में कुछ ग्रहो पर जीवन संभव हो सकता है. जो मानव जीवन के लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण होगा.
* नई गृह प्रणाली का अध्ययन: सुपर वीनस नामक एक्सोप्लैनेट की खोज से खगोल विद अब अन्य तारों के पास ऐसे ग्रहों की खोज कर सकते हैं जो सामान विशेषता वाले हो.