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भारत बनाम मालदीव: क्या चीन बना दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट की वजह?

भारत बनाम मालदीव : क्यों आज यह देश दुनिया में सुर्खियों में है?

परिचय

हाल ही में मालदीव भारत के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों के कारण आज चर्चा में बने हुए है। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की इस भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं, ये हस्ताक्षर दोनों देशों के संबंधों कें बीच एक ओर नया अध्याय जोड़ते हैं।

भारत बनाम मालदीव
मालदीव

मालदीव की भारत यात्रा: प्रमुख घटनाक्रम

राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने अपनी इस यात्रा के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस बैठक में दोनों देशों के बीच 400 मिलियन डॉलर की मुद्रा विनिमय (करेंसी स्वैप) की घोषणा की गई,

ये आर्थिक स्थिरता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही , भारत ने  700 से ज्यादा सामाजिक आवास की इकाइयाँ भी सौंपी हैं, ये सामाजिक विकास करने में योगदान देंगी। Read more…

भारत बनाम मालदीव संबंधों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

मालदीव और भारत के बीच संबंध सदियों पहले से हैं। भौगोलिक निकटता के कारण दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक एवं आर्थिक, और सामाजिक आदान-प्रदान भी होता रहा है।

जो मालदीव की संस्कृति, भाषा, और व्यापार पर भारत का बहुत गहरा प्रभाव रहा है, ये दोनों देशों के बीच बहुत गहरे संबंधों का प्रतीक है। भारत बनाम मालदीव

(i) रक्षा और सुरक्षा सहयोग

* भारतीय नौसेना और वायुसेना अक्सर मालदीव को मानवीय और आपदा राहत सहायता प्रदान करते हैं।

* भारत ने मालदीव को गश्ती जहाज और अन्य रक्षा उपकरण दिए हैं।

(ii) व्यापार और पर्यटन में भागीदारी

* भारत, का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।

* भारत से हजारों पर्यटक हर साल मालदीव जाते हैं, जिससे वहाँ की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है।

भारत बनाम मालदीव की रणनीतिक महत्ता

हिंद महासागर में स्थित मालदीव की भौगोलिक स्थिति इसे भारत के लिए रणनीतिक रूप से अधिक महत्वपूर्ण बनाती है। इसके आसपास के समुद्री मार्ग ओर वैश्विक व्यापार के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं,

और भारत का लगभग 50% बाहरी व्यापार और 80% ऊर्जा आयात इन्हीं मार्गों से होकर गुजरता है। इसलिए, इसके साथ मजबूत संबंध भारत की कड़ी समुद्री सुरक्षा और साथ ही व्यापारिक हितों के लिए अति आवश्यक हैं।

चीन का बढ़ता प्रभाव और भारत की चिंताएँ

हाल के वर्षों में, चीन ने मालदीव में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए कई परियोजनाओं में अधिक निवेश किया है।  पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के कार्यकाल में चीन के साथ संबंध बहुत मजबूत थे,

जिससे भारत की चिंताएँ बढ़ी हुई थीं। राष्ट्रपति महोम्मद मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद, अब भारत को बड़ी उम्मीद है कि मालदीव के साथ उसके संबंध आगे – आगे ओर मजबूत होंगे, जिससे सभी क्षेत्रो में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम किया जा सकेगा।

आर्थिक सहयोग और मुद्रा विनिमय समझौता

भारत ने अब इसकी आर्थिक स्थिति को ओर मजबूत करने के लिए 400 मिलियन डॉलर की मुद्रा विनिमय सुविधा प्रदान की है। दोनों देशों कें बीच हुआ यह समझौता मालदीव के विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने में अधिक मदद करेगा |

और उसकी आर्थिक स्थिरता में भी योगदान देगा। इसके अलावा, भारत ने 700 से अधिक सामाजिक आवास इकाइयाँ भी सौंपी हैं, जो इसके सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगी।

पर्यटन क्षेत्र में सहयोग

इसकी अर्थव्यवस्था वो मुख्य रूप से पर्यटनो पर निर्भर करती है, और भारत से बड़ी संख्या में पर्यटक  घूमने कें लिए जाते हैं। राष्ट्रपति महोम्मद मुइज्जू ने भारतीय पर्यटकों से आने की अपील की है,

इससे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध ओर भी मजबूत होंगे और साथ ही इसकी अर्थव्यवस्था को भी बड़ा लाभ प्राप्त होगा ।

मालदीव

क्या भारत को मालदीव के बजाय लक्षद्वीप को बढ़ावा देना चाहिए?

मालदीव विवादो के बाद कई लोग सुझाव दे रहे हैं कि भारत अपने लक्षद्वीप द्वीपसमूह को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करे।

(i) लक्षद्वीप की खासियतें

* मालदीव की तरह ये भी बहुत खूबसूरत द्वीप और समुद्र तट भी है ।

* भारतीयों के लिए घरेलू पर्यटन स्थल, जिससे पैसा देश में ही रहेगा।

(ii) सरकार की पहल

* प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में लक्षद्वीप का दौरा किया था और इसे पर्यटनो के लिए विकसित करने की योजना बनाई।

* अगर लक्षद्वीप का सही ढंग से प्रचार किया जाए, तो यह मालदीव का एक बेहतरीन विकल्प बन सकता है।

निष्कर्ष

राष्ट्रपति महोम्मद मुइज्जू भारत की इस यात्रा कें दौरान और दोनों देशों के बीच हुए समझौतों से यह स्पष्ट है कि दोनों देश अपने संबंधों को ओर भी अधिक मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। Click here

मालदीव की रणनीतिक स्थिति, आर्थिक सहयोग, और सांस्कृतिक संबंधों को देखते हुए, भारत के लिए मालदीव का महत्व ओर भी अधिक बढ़ गया है।

हाल ही में आने वाले समय में,  दोनों देशों के बीच सहयोग के और नए आयाम खुलने की उम्मीद है, जो क्षेत्रीय स्थिरता और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे।

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