Arctic Ocean : बर्फ के नीचे छुपी सच्चाई ,आर्कटिक महासागर की लवणता का रहस्य”
परिचय-
आर्कटिक महासागर दुनिया का सबसे छोटा और सबसे ठंडा महासागर है | जो उत्तरी ध्रुव के चारों ओर फैला है। इसकी जलवायु अत्यधिक ठंडी होती है,क्योंकि ये महासागर सालभर बर्फ से ढ़का रहता है |
जिससे इसकी लवणता (salinity) और महासागरों की तुलना में काफी कम होती है। इसकी जलवायु, पारिस्थितिकी, और महासागरीय धाराएँ इसे ओर महासागरों से अलग बनाती हैं।
हम आर्कटिक महासागर की लवणता, इसके कारण, प्रभाव और जलवायु परिवर्तन के साथ इसके संबंध, हम विस्तार से चर्चा करेंगे | Read more…
Arctic Ocean
1. आर्कटिक महासागर का परिचय
भौगोलिक स्थिति :
* आर्कटिक महासागर उत्तरी ध्रुव के चारों ओर फैला हुआ है।
* यह कनाडा, रूस, नॉर्वे, ग्रीनलैंड और अलास्का से घिरा हुआ है।
* इसकी सतह का अधिकांश भाग वर्षभर बर्फ से ढका रहता है।

आर्कटिक महासागर का क्षेत्रफल :
* यह दुनिया का सबसे छोटा महासागर है, जिसका क्षेत्रफल 14.06 मिलियन वर्ग किलोमीटर का है।
• प्रशांत महासागर का क्षेत्रफल 168 मिलियन वर्ग किलोमीटर है, जो आर्कटिक महासागर से लगभग 12 गुना बड़ा है।
प्रमुख जल निकाय और जलमार्ग:
* ब्युफोर्ट सागर (Beaufort Sea)
* चुकची सागर (Chukchi Sea)
* लापतेव सागर (Laptev Sea)
•बेरिंग जलडमरूमध्य (Bering Strait) – ये इसे प्रशांत महासागर से जोड़ता है।
* फ़्रेम जलडमरूमध्य (Fram Strait) – ये इसे अटलांटिक महासागर से जोड़ता है।
Arctic Ocean विशेषताएँ :
* यह पृथ्वी का सबसे ठंडा महासागर है।
* इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 14 मिलियन वर्ग किलोमीटर है।
इस महासागर मे मीठे पानी का प्रवाह अधिक होने के कारण इसकी लवणता कम होती है।
2. आर्कटिक महासागर में लवणता क्या है?
लवणता (Salinity) किसी जल निकाय में घुले हुए नमक की मात्रा को मापने की इकाई है। इसे प्रायः प्रैक्टिकल सालिनिटी यूनिट (PSU) में मापा जाता है।
आर्कटिक महासागर की औसत लवणता :
* आर्कटिक महासागर की औसत लवणता 30-34 PSU होती है, और अन्य महासागरों की तुलना में काफी कम है।
* सामान्य महासागरों की औसत लवणता 35 PSU तक होती है।
लवणता में भिन्नता :
* सतही जल की लवणता: 30-32 PSU मीठे पानी के प्रभाव के कारण कम होती है |
* गहरे जल की लवणता: 34-35 PSU , अटलांटिक और प्रशांत महासागर से आने वाले नमकीन पानी के कारण अधिक होती है |
3. आर्कटिक महासागर की लवणता को प्रभावित करने वाले कारक
मीठे पानी का प्रवाह:
* आर्कटिक महासागर में कई सारी नदियाँ अपना जल गिरती हैं, जैसे येनिसी, ओब, लीना और मैकेंजी, जोकि ये इसमें मीठा पानी बड़ी मात्रा में लाती हैं।
* ये लवणता को कम करता है।
समुद्री बर्फ का पिघलना और बनना
* जब महासागर पर समुद्री बर्फ बनती है, तो अपने आप नमक बाहर निकल जाता है, इससे इर्द – गिर्द के पानी की लवणता काफी बढ़ जाती है।
* लेकिन जब बर्फ पिघलती है, तब ये ताजे पानी को छोड़ देती है, इससे सतह की लवणता ओर भी कम हो जाती है।
वर्षा और हिमपात:
* हिमपात ओर वर्षा मीठे पानी की मात्रा को बढ़ाते हैं, जिससे लवणता कम होती है।
महासागरीय धाराएँ
* आर्कटिक महासागर मे अटलांटिक महासागर की गर्म और नमकीन धाराएँ ( जैसे Gulf Strimb ) प्रवेश करती हैं, जिससे गहरे पानी की लवणता भी बढ़ती है।
* प्रशांत महासागर से कम लवणता वाली धारा भी इसमें मिलती है।
4. जलवायु परिवर्तन और लवणता पर प्रभाव
ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव
* बर्फ तेजी से पिघलने लगती है, इसी कारण मीठे पानी की मात्रा बढ़ रही है और लवणता भी कम हो रही है।
* आर्कटिक महासागर में 20वीं शताब्दी के अंत से लवणता में गिरावट दर्ज की गई है।
* आर्कटिक महासागर की समुद्री बर्फ तेज़ी से पिघल रही है।
* 1979 से 2023 तक, समुद्री बर्फ का क्षेत्रफल 40% तक घट चुका है।
समुद्री बर्फ
* सर्दियों में समुद्री बर्फ का क्षेत्रफल 14-16 मिलियन वर्ग किमी तक हो सकता है।
* गर्मियों में यह घटकर 6-8 मिलियन वर्ग किमी रह जाता है।
* पिछले 50 वर्षों में ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्री बर्फ तेजी से पिघल रही है।
मीठे पानी की परत का गाढ़ा होना :
•वैज्ञानिकों ने 21वीं सदी में पाया है कि मीठे पानी की परत ओर भी मोटी होती जा रही है, इसी कारण लवणता में कमी आ रही है।
समुद्री धाराओं पर प्रभाव :
* महासागरीय धाराएँ कम लवणता के कारण प्रभावित हो रही हैं, इससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
5. आर्कटिक महासागर की लवणता को मापने के तरीके
CTD सेंसर
वैज्ञानिक समुद्री पानी की लवणता को Conductivity, Temperature, and Depth (CTD) सेंसर का उपयोग करके मापते हैं।
सैटेलाइट मॉनिटरिंग
• ESA और NASA के उपग्रह महासागरों की लवणता को मॉनिटर करते हैं।
अंडरवाटर रोबोट्स
* वैज्ञानिक अंडरवाटर रोबोट्स और ड्रोन से आधुनिक युग में उपयोग करके लवणता के स्तर की निगरानी करते हैं।
Arctic ocean Map
6. आर्कटिक महासागर की लवणता के प्रभाव
समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव:
* कम लवणता वाले पानी में प्लवक की वृद्धि प्रभावित होती है, जिससे खाद्य श्रृंखला पर भी असर पड़ता है।
* कुछ समुद्री जीव उच्च लवणता के अनुकूल होते हैं, जिससे वे कम लवणता के कारण संघर्ष करते हैं।
महासागरीय धाराओं पर प्रभाव:
* लवणता में कमी से महासागरीय धाराओं की गति और दिशा में बदलाव हो सकता है।
* यह ग्लोबल थर्मोहेलाइन सर्कुलेशन को प्रभावित कर सकता है।
जलवायु पर प्रभाव :
* आर्कटिक महासागर की कम लवणता के कारण इसकी सतह बहुत ठंडी रहती है, जिससे वायुमंडलीय परिसंचरण भी बदल सकता है।
* यह यूरोप और उत्तरी अमेरिका के मौसम पैटर्न को भी प्रभावित कर सकता है।
प्राकृतिक संसाधन:
* आर्कटिक महासागर में तेल, गैस और खनिज प्रचुर मात्रा में मौजूद हैं।
* रूस, कनाडा, अमेरिका, और नॉर्वे यहाँ तेल और गैस की खोज कर रहे हैं।
Where to Find Arctic Char Fish In the Ocean
7. निष्कर्ष
आर्कटिक महासागर की लवणता जलवायु परिवर्तन तथा समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र और महासागरीय धाराओं को भी प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है। ग्लोबल वार्मिंग और बर्फ के पिघलने से लवणता में भी कमी आती है ,
ये समुद्री पर्यावरण में भी महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते है। वैज्ञानिकों द्वारा किए जा रहे शोध और मॉनिटरिंग प्रयासों से हमें बेहतर समझ मिलेगी कि भविष्य में आर्कटिक महासागर और वैश्विक जलवायु प्रणाली पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।
अंतिम शब्द
आर्कटिक महासागर की लवणता में बदलाव वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। इसको समझने और मॉनिटर करने के लिए तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।
How Cold is the Arctic Ocean
भविष्य में, जलवायु परिवर्तन से जुड़ी नीतियों में वैज्ञानिक इस पर अधिक ध्यान दे रहे है महासागरों और पृथ्वी की जलवायु संतुलन मे रखा जा सके। Click here