हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक ऐसा बादल खोजा,  जिसका नाम रखा है — Eos । और इसमे 5,000 से भी ज़्यादा सूरज समा सकते है ।

Eos को खोजने के लिए वैज्ञानिकों ने पहली बार पराबैंगनी फ्लोरेसेंस तकनीक का इस्तेमाल किया।

Eos एक ऐसा बादल है जो लाखों वर्षों में तारों के निर्माण का कारखाना बन सकता है।

वर्तमान में तो Eos पृथ्वी से सुरक्षित दूरी पर है, तो यह हमारी आकाशीय निगरानी को प्रभावित कर सकता है।

जब हम अंतरिक्षीय गैस बादलों की बात करते हैं, कि ये कैसे बनते हैं। Eos भी इसी प्रकृति की एक संरचना है, और इसका जन्म हुआ है

इस खोज का श्रेय अमेरिका स्थित Leiden University और University of Virginia के खगोलविदों को जाता है।

जब गैसीय बादलों में घनत्व और दाब एक सीमा पार करता तो न्यूक्लियर रिएक्शन शुरू हो सकते हैं। इससे नया तारा बन सकता है।