AI के खेल में भारत की एंट्री! मोदी की नई रणनीति से दुनिया हैरान,
परिचय
हाल ही मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में भारत की भूमिका को मजबूत करने और इसके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नैतिक उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए कई भारत सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
और उनकी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कूटनीति का उद्देश्य न केवल देश के तकनीकी दृश्य में क्रांति लाना है, और वैश्विक स्तर पर AI के जिम्मेदार उपयोग के लिए एक रूपरेखा तैयार करना भी है। Read more…
1. AI के नैतिक उपयोग के लिए वैश्विक ढांचे की आवश्यकता
भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सभी नैतिक उपयोगो के लिए एक वैश्विक ढांचा बनाने की आवश्यकता पर बल दिया है। इसीलिए उन्होंने कहा कि जैसे अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के लिए समझौते और प्रोटोकॉल रूल्स हैं,
वैसे ही AI के सभी नैतिक उपयोग के लिए भी एक वैश्विक आकार होना चाहिए। इसमें बड़े जोखिम वाले AI उपकरणों के परीक्षण और तैनाती के लिए प्रोटोकॉल भी शामिल होंगे।
प्रधानमंत्री मोदी का यह मानना है कि AI का अनैतिक उपयोग भी गंभीर खतरों को बड़ा जन्म दे सकता है, जैसे डीपफेक और डेटा चोरी तथा साइबर क्राइम और हथियारों का स्वचालन करना ।
इसलिए, उन्होंने AI के नैतिक उपयोग के लिए एक वैश्विक फ्रेमवर्क बनाने का आह्वान किया।
मोदी के मुख्य विचार:
AI का इंसानियत के भले के लिए उपयोग होना चाहिए, न कि इसका उपयोग विनाशकारी हथियार के रूप करना चाहिए |
AI विनियमन : ये बेहद जरूरी है ताकि किसी गलत हाथों में इसकी शक्ति न जाए।
इंटरनेशनल AI एग्रीमेंट की जरूरत, जैसे जलवायु परिवर्तन या परमाणु हथियारों के लिए होते हैं।
टेक कंपनियों की जिम्मेदारी: AI कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी टेक्नोलॉजी भ्रामक जानकारी और ये साइबर अपराध को बढ़ावा न दे।

2. AI के संभावित खतरों के प्रति सचेत
प्रधानमंत्री ने AI के संभावित खतरों, जैसे डीपफेक और साइबर सुरक्षा एवं डेटा चोरी होना और आतंकवादियों द्वारा AI के सभी उपकरणों का दुरुपयोग करना,आदि के प्रति आगाह किया है।
और उन्होंने कहा कि यदि AI से लैस सभी हथियारो को आतंकवादीयो के संगठनों तक पहुंच गए, तो हमारी वैश्विक सुरक्षा को एक बहुत बड़े खतरे का सामना करना पड़ सकता है । इसलिए, हमारा यह मानना है कि AI के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक ठोस योजना बनानी होगी।
3. भारत की AI के जिम्मेदार उपयोग के प्रति प्रतिबद्धता
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जिम्मेदार और नैतिक उपयोग के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि भारत में AI नवाचार की भावना देखी जा रही है, और आज भारत AI प्रतिभा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित नए विचारों में एक प्रमुख खिलाड़ी है।
युवा भारतीय तकनीकी विशेषज्ञ और शोधकर्ता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सीमाओं का पता लगा रहे हैं।
4. AI के लिए वैश्विक विनियमन का आह्वान
भारत के प्रधानमंत्री ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नकारात्मक उपयोग पर बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के वैश्विक विनियमन का आह्वान किया है। इसीलिए उन्होंने कहा कि हमें समाज और व्यक्तियों के लिए AI के डीपफेक से उत्पन्न खतरों को समझना चाहिए और अपने कदम को उठाने चाहिए।
5. AI के सामाजिक सशक्तिकरण के लिए प्रयास
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सामाजिक सशक्तिकरण के लिए जिम्मेदार उपयोग पर प्रधानमंत्री मोदी ने जोर दिया है। और उन्होंने कहा कि मनुष्य की जोड़ी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमारे इस ग्रह की सूरत बदल सकती है।
उन्होंने यह भी कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि AI का सभी उपयोग एक जिम्मेदारी से हो और इसके अलावा हथियारीकरण उपयोग के खिलाफ दुनिया की सुरक्षा करनी है।
6. भारत की AI विशेषज्ञता को साझा करने की पेशकश
प्रधानमंत्री ने लोगों के जीवन को और बेहतर बनाने के लिए एक नई डिजिटल प्रौद्योगिकी और साथ मे जुडी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शक्ति का उपयोग करने में हमारे भारत की प्रमुख विशेषज्ञता को सारी दुनिया के साथ साझा करने की नई पेशकश की है।
उन्होंने कहा कि डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, और डेटा-संचालित शासन समावेशी विकास हासिल करने और वैश्विक स्तर पर जीवन में बदलाव लाने की एक अच्छी कुंजी है।
7. AI के नैतिक उपयोग के लिए स्पष्ट निर्देशों की आवश्यकता
प्रधानमंत्री मोदी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के डिजिटल प्रौद्योगिकी के लिए वैश्विक स्तर पर एक ऐसी रूपरेखा तैयार करने की आवश्यकताओ पर जोर दिया है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और प्रौद्योगिकी के नैतिक उपयोग के लिए स्पष्ट निर्देश हों।
इसमें उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर प्रौद्योगिकी के लिए ‘क्या करें और क्या न करें’ इसको दिशा निर्देश बनाने की आवश्यकता है।
8. AI के लिए जिम्मेदार मानव-केंद्रित शासन ढांचे का प्रस्ताव
G20 की अध्यक्षता के दौरान, भारत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए एक जिम्मेदारी के दौरान मानव-केंद्रित शासन ढांचा तैयार करने का भी प्रस्ताव रखा था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि G20 नई दिल्ली घोषणा ने ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सभी सिद्धांतों’ के प्रति सभी सदस्य देशों की प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। सभी सदस्यों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग से जुड़े खतरों को लेकर एक समझ थी।
G20 के तहत भारत की पहल:
* आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिद्धांतों पर सहमति: G20 नेताओं ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए उत्तरदायित्व और पारदर्शिता को सुनिश्चित करने की भारत की अपील का समर्थन किया।
* आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विकासशील देशों में उपयोग: भारत यह चाहता है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग सिर्फ विकसित देशों तक सीमित न रहे, बल्कि विकासशील देशों में भी इसका सही उपयोग हो।
* आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जोखिमों को कम करने के उपाय: भारत ने एक वैश्विक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस निगरानी प्रणाली की भी सिफारिश की।
9. AI के नैतिक उपयोग के लिए वैश्विक सहयोग का आह्वान
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नई नैतिक उपयोग के लिए वैश्विक सहयोग का आह्वान किया है। इसीलिए उन्होंने कहा कि हमें मिलकर ऐसे कदम उठाने होंगे जिससे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जिम्मेदार उपयोग सुनिश्चित हो सके।
उन्होंने यह भी कहा कि हमें एक तय समय सीमा के भीतर वैश्विक ढांचे को पूरा करना होगा। मानवता की रक्षा के लिए यह किया जाना बहुत ही जरूरी है।
10. AI के नैतिक उपयोग के लिए सॉफ्टवेयर वॉटरमार्क की संभावना
प्रधानमंत्री मोदी ने सुझाव दिया कि क्या हम कोई सॉफ्टवेयर वॉटरमार्क पेश कर सकते हैं, जो यह बताए कि यह जानकारी या उत्पाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जनित है। इससे जो व्यक्ति आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जनित जानकारी का इस्तेमाल करेगा, उसे उसकी सीमाओं के बारे में पता रहेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कूटनीति का मुख्य उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जिम्मेदार और नैतिक उपयोग को सुनिश्चित करना, इसके संभावित खतरों से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना,
और भारत की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विशेषज्ञता को दुनिया के साथ साझा करना है। उनकी यह पहल न केवल भारत के तकनीकी परिदृश्य में क्रांति लाने की क्षमता रखती है |
11. भारत की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कूटनीति: वैश्विक AI सहयोग
प्रधानमंत्री मोदी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के वैश्विक नेतृत्व के लिए अमेरिका, यूरोप, जापान और अन्य देशों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
मुख्य साझेदार देश:
• अमेरिका: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसरिसर्च और साइबर सिक्योरिटी में सहयोग।
• यूरोपीय संघ (EU): आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एथिक्स और डेटा प्रोटेक्शन में भागीदारी।
• जापान: स्मार्ट रोबोटिक्स और ऑटोमेशन में साझेदारी।
• ऑस्ट्रेलिया: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित एजुकेशन और डिजिटल इनोवेशन में सहयोग।
प्रधानमंत्री मोदी ने Global Partnership on Artificial Intelligence (GPAI) जैसे मंचों पर भारत की भूमिका को और भी मजबूत किया है, ताकि ये भारत AI के भविष्य को आकार देने में एक अहम भूमिका निभा सके।
12. भारत के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का आर्थिक लाभ
भारत के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस केवल एक टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि आर्थिक विकास का एक बहुत बड़ा जरिया भी है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से 2035 तक भारत की GDP में 1 ट्रिलियन डॉलर जोड़ने की क्षमता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से भारत को कैसे फायदा होगा?
रोजगार सृजन: इससे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेक्टर में लाखों नई नौकरियां आएंगी और खासतौर पर डेटा साइंस तथा मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डेवलपमेंट में।
उद्योगों में क्रांति: मैन्युफैक्चरिंग, IT, हेल्थकेयर और फाइनेंस सेक्टर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग से उत्पादन मे क्षमता बढ़ेगी।
स्टार्टअप इकोसिस्टम: भारत में हजारों नए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिलेगा इसीलिए इससे नए इनोवेशन और तकनीकी विकास भी होंगे।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कूटनीति का मकसद भारत को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नवाचार में अग्रणी बनाना है, और AI का नैतिक और जिम्मेदार उपयोग सुनिश्चित भी करना है , और वैश्विक स्तर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस गवर्नेंस को मजबूत करना है। Click here
* भारत को वैश्विक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हब बनाना
* आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से रोजगार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना
* आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के खतरों से बचाव के लिए वैश्विक नीतियां बनाना
* आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और अन्य क्षेत्रों में करना
मोदी सरकार की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रणनीति भारत को तकनीकी महाशक्ति बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिससे आने वाले वर्षों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इनोवेशन और आर्थिक वृद्धि और वैश्विक नेतृत्व में भारत का योगदान और भी मजबूत होगा।