ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025: नवीकरणीय ऊर्जा, खपत और उत्पादन का गहन विश्लेषण!

ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025: नवीकरणीय ऊर्जा, खपत और उत्पादन का गहन विश्लेषण!

Facebook
WhatsApp
LinkedIn
Reddit
X

ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025: कोयला, गैस, अक्षय ऊर्जा और बिजली खपत का विश्लेषण!

ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025: भारत के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने हाल ही में “ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025” रिपोर्ट जारी की है।

ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025 रिपोर्ट भारत की ऊर्जा परिदृश्य का एक समग्र विश्लेषण प्रस्तुत करती है और इसमें सभी प्रमुख ऊर्जा स्रोतों—कोयला, लिग्नाइट, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, नवीकरणीय ऊर्जा आदि के भंडार, उत्पादन, खपत और व्यापार पर विस्तृत आंकड़े शामिल हैं।

ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025 रिपोर्ट का उद्देश्य भारत की ऊर्जा नीतियों को एक दिशा देना और भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य में योगदान करना है।

इसमें अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार विभिन्न तालिकाएँ, ऊर्जा संतुलन, सैंकी आरेख और सतत ऊर्जा संकेतक भी शामिल हैं। साथ ही, इसमें पर्यावरण आर्थिक लेखांकन प्रणाली (एसईईए), 2012 प्रारूप के अनुसार ऊर्जा खाता भी जोड़ा गया है।

ऊर्जा संसाधनों का भंडार और उत्पादन

भारत में ऊर्जा उत्पादन और उसके स्रोतों को विस्तार से समझने के लिए यह प्रकाशन विभिन्न ऊर्जा स्रोतों जैसे कोयला, लिग्नाइट, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, नवीकरणीय ऊर्जा, जलविद्युत और परमाणु ऊर्जा के भंडार और उत्पादन का व्यापक विश्लेषण करता है।

इसमें भारत में ऊर्जा उत्पादन की प्रवृत्तियों को दर्शाने वाले ऐतिहासिक डेटा भी शामिल किए गए हैं।

ऊर्जा आपूर्ति और खपत में वृद्धि

वित्त वर्ष 2023-24 में, भारत ने वैश्विक महामारी के प्रभावों से उबरते हुए ऊर्जा आपूर्ति और खपत में स्थिर और स्वस्थ वृद्धि दर्ज की है।

कुल प्राथमिक ऊर्जा आपूर्ति (Total Primary Energy Supply – TPES) में पिछले वर्ष की तुलना में 7.8% की वृद्धि हुई और यह 9,03,158 किलो टन तेल समतुल्य (KTOE) तक पहुँच गई।

भारत का ऊर्जा क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और इसकी बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए विभिन्न स्रोतों से ऊर्जा उत्पादन पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

सरकार के सक्रिय प्रयासों और नीतिगत सुधारों के कारण, भारत में ऊर्जा उत्पादन और आपूर्ति में लगातार सुधार देखा जा रहा है।

ऊर्जा का आयात और निर्यात

भारत ऊर्जा संसाधनों का एक महत्वपूर्ण आयातक है। ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025 रिपोर्ट ऊर्जा उत्पादों के आयात और निर्यात के आंकड़ों को दर्शाती है, जिससे यह समझने में मदद मिलती है कि भारत किस हद तक विदेशी ऊर्जा संसाधनों पर निर्भर है।

इसमें कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस और कोयले के आयात-निर्यात की प्रवृत्तियों को दर्शाने वाले नवीनतम आंकड़े शामिल हैं।

अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार ऊर्जा संतुलन तालिकाएं और ग्राफ़

इस प्रकाशन में विभिन्न प्रकार की तालिकाओं और ग्राफ़ का समावेश किया गया है, जो अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार ऊर्जा प्रवाह को चित्रित करते हैं।

सैंकी आरेख (Sankey Diagram) के माध्यम से ऊर्जा के प्रवाह को दृश्यात्मक रूप से समझाया गया है, जिससे यह पता चलता है कि ऊर्जा के विभिन्न स्रोत कैसे उपयोग में लाए जाते हैं।

सतत विकास और ऊर्जा संकेतक
ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025 रिपोर्ट भारत की सतत ऊर्जा नीतियों पर भी प्रकाश डालती है। इसमें नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के विकास, ऊर्जा दक्षता में सुधार और भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं की प्रगति को दर्शाया गया है।

ऊर्जा तीव्रता, कार्बन फुटप्रिंट और अक्षय ऊर्जा उत्पादन से जुड़े संकेतकों को भी ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025 रिपोर्ट में शामिल किया गया है।

ऊर्जा लेखांकन: पर्यावरणीय और आर्थिक दृष्टिकोण

इस बार के प्रकाशन में पर्यावरण आर्थिक लेखांकन प्रणाली (SEEA), 2012 प्रारूप के अनुसार एक नया अध्याय जोड़ा गया है। यह अध्याय भारत में ऊर्जा संसाधनों के भंडार, आपूर्ति और उपयोग को आर्थिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है।

वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 के लिए परिसंपत्ति खाते और भौतिक आपूर्ति एवं उपयोग तालिका का समावेश किया गया है, जिससे नीति निर्माण में पारदर्शिता और प्रभावशीलता बढ़ेगी।

ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025: नवीकरणीय ऊर्जा, खपत और उत्पादन का गहन विश्लेषण!
ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025: नवीकरणीय ऊर्जा, खपत और उत्पादन का गहन विश्लेषण!

ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025: मुख्य विशेषताएं

1. परिचय: ऊर्जा क्षेत्र में भारत की प्रगति

भारत ऊर्जा संसाधनों के क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान, देश ने ऊर्जा आपूर्ति और खपत में स्थिरता और वृद्धि दर्ज की है।

ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025 रिपोर्ट भारत की ऊर्जा स्थिति, अक्षय ऊर्जा संसाधनों, उपभोग की प्रवृत्तियों और ऊर्जा सुरक्षा को विस्तार से प्रस्तुत करती है।

2. विकसित भारत 2047 की ओर कदम

भारत ने 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। वैश्विक महामारी के आघात से उबरते हुए, ऊर्जा क्षेत्र में सुधार और स्थिरता लाने के लिए ठोस प्रयास किए गए हैं।

ऊर्जा उत्पादन, उपभोग और ट्रांसमिशन के क्षेत्रों में किए गए सुधारों से भारत की आत्मनिर्भरता में वृद्धि हुई है।

3. प्राथमिक ऊर्जा आपूर्ति में वृद्धि

वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल प्राथमिक ऊर्जा आपूर्ति (Total Primary Energy Supply – TPES) में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे यह 9,03,158 केटीओई (किलो टन तेल समतुल्य) तक पहुँच गई।

यह वृद्धि दर्शाती है कि भारत की ऊर्जा मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए ठोस प्रयास किए गए हैं।

4. अक्षय ऊर्जा उत्पादन की अपार संभावनाएँ

भारत में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन की असीम संभावनाएँ हैं। 31 मार्च 2024 तक, भारत की नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता 21,09,655 मेगावाट तक पहुँच गई है।

इसमें सबसे अधिक योगदान पवन ऊर्जा का है, जिसकी क्षमता 11,63,856 मेगावाट (कुल क्षमता का लगभग 55 प्रतिशत) है। इसके बाद सौर ऊर्जा (7,48,990 मेगावाट) और बड़ी पनबिजली (1,33,410 मेगावाट) का स्थान आता है।

5. नवीकरणीय ऊर्जा का भौगोलिक वितरण

भारत के चार प्रमुख राज्यों में अक्षय ऊर्जा उत्पादन की आधे से अधिक क्षमता केंद्रित है:

राजस्थान: 20.3 प्रतिशत

महाराष्ट्र: 11.8 प्रतिशत

गुजरात: 10.5 प्रतिशत

कर्नाटक: 9.8 प्रतिशत

इन राज्यों में अनुकूल जलवायु परिस्थितियाँ और सरकार की अनुकूल नीतियाँ नवीकरणीय ऊर्जा के विस्तार में सहायक रही हैं।

नवीकरणीय संसाधनों से बिजली उत्पादन में वृद्धि

पिछले कुछ वर्षों में नवीकरणीय संसाधनों से बिजली उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि हुई है। 31 मार्च 2015 को यह 81,593 मेगावाट थी, जो 31 मार्च 2024 तक बढ़कर 1,98,213 मेगावाट हो गई है। यह दर्शाता है कि भारत में अक्षय ऊर्जा के प्रति रुचि और निवेश लगातार बढ़ रहा है।

नवीकरणीय ऊर्जा का सकल उत्पादन

वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान नवीकरणीय संसाधनों से कुल 2,05,608 GWh बिजली का उत्पादन हुआ था, जो वित्त वर्ष 2023-24 तक बढ़कर 3,70,320 GWh हो गया है।

यह 6.76 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) को दर्शाता है, जो इस क्षेत्र में हो रहे तीव्र विकास को दर्शाता है।

ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025: नवीकरणीय ऊर्जा, खपत और उत्पादन का गहन विश्लेषण!
ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025: नवीकरणीय ऊर्जा, खपत और उत्पादन का गहन विश्लेषण!

ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025: प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत में वृद्धि

भारत में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। वित्त वर्ष 2014-15 में प्रति व्यक्ति खपत 14,682 मेगाजूल थी, जो 2023-24 में बढ़कर 18,410 मेगाजूल हो गई।

यह 2.55 प्रतिशत की CAGR दर से बढ़ रही है, जो दर्शाता है कि भारत में ऊर्जा उपलब्धता और उपयोग में सुधार हुआ है।

ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025: ऊर्जा ट्रांसमिशन और वितरण में सुधार

पिछले कुछ वर्षों में ट्रांसमिशन और वितरण में होने वाले नुकसान को काफी कम किया गया है। वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान यह नुकसान 23 प्रतिशत था, जो वित्त वर्ष 2023-24 में घटकर 17 प्रतिशत रह गया है। इसका श्रेय सरकार द्वारा किए गए संरचनात्मक सुधारों और ऊर्जा दक्षता उपायों को जाता है।

औद्योगिक क्षेत्र में ऊर्जा खपत का विस्तार

ऊर्जा खपत के सभी प्रमुख क्षेत्रों में से, औद्योगिक क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2023-24 में अधिकतम विस्तार देखा है।

वित्त वर्ष 2014-15 में औद्योगिक क्षेत्र की ऊर्जा खपत 2,42,418 केटीओई थी, जो 2023-24 में बढ़कर 3,11,822 केटीओई हो गई।

वाणिज्यिक और सार्वजनिक सेवा, आवासीय, कृषि और वानिकी क्षेत्रों में भी इस अवधि में निरंतर वृद्धि देखी गई।

ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता भारत

भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए न केवल आयात पर निर्भर है, बल्कि आत्मनिर्भर बनने के लिए भी प्रयास कर रहा है।

अक्षय ऊर्जा स्रोतों के विकास और ऊर्जा दक्षता में सुधार से भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को घरेलू स्तर पर पूरा करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

ऊर्जा संतुलन और पर्यावरणीय प्रभाव

ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025 रिपोर्ट में सैंकी आरेख (Sankey Diagram) के माध्यम से भारत में ऊर्जा प्रवाह को चित्रित किया गया है।

यह आरेख दर्शाता है कि विभिन्न ऊर्जा स्रोतों का उत्पादन, खपत और हानि कैसे हो रही है। इसके अलावा, पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने के लिए अक्षय ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

पर्यावरण आर्थिक लेखांकन प्रणाली (SEEA) का समावेश

वर्ष 2023-24 की रिपोर्ट में पहली बार पर्यावरण आर्थिक लेखांकन प्रणाली (System of Environmental-Economic Accounting – SEEA), 2012 प्रारूप के अनुसार एक नया अध्याय जोड़ा गया है।

यह अध्याय भारत के ऊर्जा संसाधनों के भंडार, आपूर्ति और उपयोग को आर्थिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है। इसमें वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 के परिसंपत्ति खाते और भौतिक आपूर्ति एवं उपयोग तालिकाएँ शामिल हैं।

ऊर्जा क्षेत्र में आगे की राह

भारत की ऊर्जा नीति का प्रमुख उद्देश्य ऊर्जा सुरक्षा, दक्षता और सतत विकास को सुनिश्चित करना है। ऊर्जा के क्षेत्र में निरंतर सुधार और प्रौद्योगिकी के प्रयोग से भारत न केवल अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है, बल्कि वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा सकता है।

निष्कर्ष: ऊर्जा क्षेत्र में भारत का भविष्य

ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025 रिपोर्ट दर्शाती है कि देश ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है। अक्षय ऊर्जा संसाधनों का विस्तार, ऊर्जा खपत में वृद्धि और ट्रांसमिशन में सुधार इस क्षेत्र की मजबूती को दर्शाते हैं।

आने वाले वर्षों में, भारत ऊर्जा दक्षता में और अधिक सुधार कर सकता है, जिससे सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।


Discover more from News & Current Affairs ,Technology

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment

Trending now

Discover more from News & Current Affairs ,Technology

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading