भारत के बंदरगाह विकास 2021-24: 75 प्रमुख परियोजनाओं से व्यापार, लॉजिस्टिक्स और हरित ऊर्जा का विस्तार
भारत में समुद्री परिवहन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, और प्रमुख बंदरगाहों का आधुनिकीकरण देश की अर्थव्यवस्था के विकास में एक अहम भूमिका निभा रहा है।
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Toggleहाल के वर्षों में, सरकार ने Port इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने और उसे वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू की हैं।
इस लेख में, हम 2021-22 से 2023-24 तक की प्रमुख Port विकास परियोजनाओं, इनकी वित्तीय स्थिति और Port को हरित व कार्बन-मुक्त बनाने की दिशा में उठाए गए कदमों का विस्तृत विश्लेषण करेंगे।
बंदरगाह विकास की नई उड़ान: 75 प्रमुख परियोजनाएं आवंटित
Port क्षेत्र को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस करने के लिए सरकार ने पिछले तीन वर्षों में कुल 75 परियोजनाओं को स्वीकृति दी है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य न केवल Port की क्षमता और दक्षता बढ़ाना है, बल्कि उन्हें आधुनिक लॉजिस्टिक्स हब के रूप में भी विकसित करना है।
इन परियोजनाओं को देशभर के विभिन्न राज्यों में वितरित किया गया है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। ये पहल न केवल व्यापार को सुगम बनाएंगी, बल्कि भारत को वैश्विक शिपिंग नेटवर्क में एक मजबूत स्थिति भी प्रदान करेंगी।
बंदरगाह आधुनिकीकरण पर निवेश: 11,083 करोड़ रुपये की लागत
पिछले तीन वर्षों में 11,083 करोड़ रुपये की लागत वाली कई प्रमुख परियोजनाएं बंदरगाहों के आधुनिकीकरण के लिए आवंटित की गई हैं। इन परियोजनाओं में से 5,741 करोड़ रुपये का उपयोग पहले ही हो चुका है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इन योजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है।
प्रमुख आधुनिकीकरण कार्यों में शामिल हैं:
नए टर्मिनल और बर्थ (Berths) का निर्माण
कंटेनर और कार्गो हैंडलिंग क्षमताओं में वृद्धि
गहरे पानी के जहाजों के लिए ड्रेजिंग कार्य
डिजिटलीकरण और स्वचालित प्रक्रियाओं का विस्तार
सरकार का उद्देश्य भारतीय बंदरगाहों को विश्व स्तरीय बनाना है ताकि वे अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा का सामना कर सकें और अधिक कार्गो हैंडलिंग क्षमता विकसित कर सकें।
हरित बंदरगाह: कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में कदम
आज के समय में पर्यावरण संरक्षण एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है। समुद्री परिवहन से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए सरकार ने 12 प्रमुख बंदरगाहों में हरित प्रौद्योगिकियों (Green Technologies) को अपनाने की पहल की है।
हरित प्रौद्योगिकी के तहत अपनाई जा रही प्रमुख पहलें:
1. अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाना
बंदरगाहों में सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों का अधिक से अधिक उपयोग किया जा रहा है। इससे पारंपरिक ईंधन पर निर्भरता कम होगी और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव भी घटेगा।
2. तट से जहाज तक बिजली आपूर्ति (Shore-to-Ship Power Supply)
अब बंदरगाहों पर खड़े जहाजों को बिजली की आपूर्ति सीधे तट से की जा रही है। इससे जहाजों को ईंधन जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।
2021-22 से 2023-24 तक बंदरगाह परियोजनाओं की राज्यवार सूची
भारत सरकार ने 2021-22 से 2023-24 तक प्रमुख बंदरगाहों के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए कुल 75 परियोजनाएं आवंटित की हैं।
इन परियोजनाओं का उद्देश्य बंदरगाहों की क्षमता को बढ़ाना, व्यापार को सुगम बनाना और भारत को वैश्विक लॉजिस्टिक्स हब के रूप में स्थापित करना है। विभिन्न राज्यों में इन परियोजनाओं का वितरण निम्नानुसार किया गया है:
1. आंध्र प्रदेश: 9 परियोजनाएं
आंध्र प्रदेश को कुल 9 बंदरगाह विकास परियोजनाएं आवंटित की गई हैं। राज्य का समुद्री व्यापार में महत्वपूर्ण योगदान है, और ये परियोजनाएं जहाजरानी, लॉजिस्टिक्स और निर्यात को बढ़ावा देंगी।
2. गोवा: 2 परियोजनाएं
गोवा में 2 प्रमुख परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। ये परियोजनाएं मुख्य रूप से तटीय व्यापार, पर्यटन और जहाजरानी उद्योग को बेहतर बनाने के लिए बनाई गई हैं।
3. गुजरात: 6 परियोजनाएं
गुजरात को 6 बंदरगाह आधुनिकीकरण परियोजनाएं आवंटित की गई हैं। गुजरात का कांडला और मुंद्रा बंदरगाह देश के सबसे व्यस्त बंदरगाहों में से एक हैं, और इन परियोजनाओं से राज्य की समुद्री परिवहन क्षमता में और वृद्धि होगी।
4. कर्नाटक: 18 परियोजनाएं
कर्नाटक को 18 परियोजनाएं मिली हैं, जो किसी भी अन्य राज्य की तुलना में सबसे अधिक हैं। यह इंगित करता है कि राज्य में समुद्री इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर बड़े पैमाने पर निवेश किया जा रहा है।
इन परियोजनाओं का उद्देश्य बंदरगाह लॉजिस्टिक्स, गहरे समुद्र में ड्रेजिंग और कार्गो क्षमता बढ़ाने पर केंद्रित है।
5. केरल: 5 परियोजनाएं
केरल को 5 परियोजनाएं आवंटित की गई हैं। यह राज्य अपनी तटीय भौगोलिक स्थिति के कारण समुद्री व्यापार और पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र है। इन परियोजनाओं के जरिए बंदरगाह सुविधाओं का आधुनिकीकरण किया जाएगा।

6. महाराष्ट्र: 14 परियोजनाएं
महाराष्ट्र में 14 बंदरगाह विकास परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। मुंबई और जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (JNPT) जैसे प्रमुख बंदरगाहों को देखते हुए, यह निवेश राज्य के लॉजिस्टिक्स और अंतरराष्ट्रीय व्यापार को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
7. ओडिशा: 4 परियोजनाएं
ओडिशा को 4 प्रमुख बंदरगाह परियोजनाएं मिली हैं। यह राज्य खनिज निर्यात के लिए प्रसिद्ध है, और इन परियोजनाओं के तहत बंदरगाहों में नए टर्मिनल और लॉजिस्टिक्स सुधार किए जाएंगे।
8. तमिलनाडु: 13 परियोजनाएं
तमिलनाडु को 13 बंदरगाह परियोजनाएं आवंटित की गई हैं। यह राज्य दक्षिण भारत का एक प्रमुख समुद्री व्यापार केंद्र है, और इन परियोजनाओं से इसकी बंदरगाह सुविधाएं और अधिक आधुनिक बनेंगी।
9. पश्चिम बंगाल: 4 परियोजनाएं
पश्चिम बंगाल में 4 बंदरगाह परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। ये परियोजनाएं मुख्य रूप से कोलकाता और हल्दिया बंदरगाह के आधुनिकीकरण और संचालन क्षमता बढ़ाने पर केंद्रित हैं।
बंदरगाह आधुनिकीकरण और निवेश
पिछले तीन वर्षों (2021-22 से 2023-24) में भारत सरकार ने प्रमुख Port के आधुनिकीकरण के लिए 11,083 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाएं आवंटित की हैं।
इन परियोजनाओं के तहत बंदरगाहों की दक्षता बढ़ाने, परिचालन को स्वचालित करने और वैश्विक मानकों के अनुरूप बुनियादी ढांचे को विकसित करने पर जोर दिया गया है।
अब तक खर्च की गई राशि
इन परियोजनाओं में से अब तक 5,741 करोड़ रुपये का उपयोग किया जा चुका है। इस राशि का उपयोग मुख्य रूप से निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए किया गया है:
नए टर्मिनलों और गोदामों का निर्माण
ड्रेजिंग कार्यों के माध्यम से गहराई बढ़ाना
बंदरगाहों में कंटेनर संचालन को स्वचालित करना
नई क्रेन और आधुनिक लोडिंग सुविधाओं की स्थापना
इस निवेश से बंदरगाहों की कार्गो हैंडलिंग क्षमता में वृद्धि हुई है और व्यापार प्रक्रिया को सुगम बनाने में मदद मिली है।
पर्यावरण अनुकूल (ग्रीन) बंदरगाहों की दिशा में कदम
Port से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए सरकार ने ग्रीन पोर्ट इनिशिएटिव की शुरुआत की है। इसके तहत सभी 12 प्रमुख Port में विभिन्न हरित प्रौद्योगिकियों को अपनाया जा रहा है।
इन प्रयासों से न केवल पर्यावरण की रक्षा होगी, बल्कि भारत के Port वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी भी बनेंगे।
प्रमुख हरित पहलें
1. अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाना
Port पर सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं।
कई Port पर पहले से ही सौर पैनल लगाए गए हैं, जिससे उनका विद्युत व्यय कम हुआ है।
2. तट से जहाज तक बिजली आपूर्ति (Shore to Ship Power)
पारंपरिक ईंधन (डीजल) की जगह सीधे तट से बिजली आपूर्ति की व्यवस्था की जा रही है।
इससे जहाजों के चलते समय होने वाले प्रदूषण में कमी आएगी।
3. Port उपकरणों और वाहनों का विद्युतीकरण
डीजल से चलने वाले क्रेनों और वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदला जा रहा है।
इससे ईंधन की खपत कम होगी और प्रदूषण में कमी आएगी।
4. ऊर्जा-कुशल उपकरणों की स्थापना
उच्च दक्षता वाले LED लाइट्स, ऊर्जा-बचत करने वाले उपकरण और स्मार्ट ग्रिड तकनीक लागू की जा रही है।
इससे Port की ऊर्जा खपत में भारी कमी आएगी।-
भविष्य की योजनाएं और संभावनाएं
सरकार का लक्ष्य भारत के Port को विश्वस्तरीय स्मार्ट पोर्ट में बदलना है। इसके लिए कुछ प्रमुख योजनाएं लागू की जा रही हैं:
Port डिजिटलीकरण: सभी प्रमुख बंदरगाहों पर डिजिटल लॉजिस्टिक्स प्लेटफॉर्म विकसित किया जा रहा है।
स्वचालित कार्गो हैंडलिंग: कंटेनर संचालन में रोबोटिक्स और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग किया जाएगा।
हरित हाइड्रोजन ईंधन: भविष्य में कुछ Port पर हाइड्रोजन-आधारित ईंधन के उपयोग की योजना बनाई जा रही है।
कार्गो क्षमता में वृद्धि: 2030 तक भारत के सभी प्रमुख Port की कार्गो हैंडलिंग क्षमता दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया है।
बंदरगाह विकास के प्रभाव और संभावित लाभ
भारत में Port के आधुनिकीकरण और ग्रीन पोर्ट पहल से न केवल व्यापार और लॉजिस्टिक्स में सुधार होगा, बल्कि इससे देश की अर्थव्यवस्था और पर्यावरणीय संतुलन पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन से निम्नलिखित लाभ मिलेंगे:
1. व्यापार और निर्यात में वृद्धि
नए और आधुनिक Port के निर्माण से निर्यात प्रक्रिया तेज होगी, जिससे भारत वैश्विक बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनेगा।
कंटेनर और कार्गो संचालन की क्षमता में वृद्धि से विदेशी निवेश को आकर्षित करने में मदद मिलेगी।
मेगा पोर्ट्स के विकास से भारत का समुद्री व्यापार इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा।
2. रसद (लॉजिस्टिक्स) में सुधार
डिजिटल लॉजिस्टिक्स प्लेटफॉर्म और स्वचालित कार्गो संचालन से बंदरगाहों पर ट्रांजिट टाइम घटेगा।
आधुनिक ट्रैकिंग सिस्टम से शिपमेंट की निगरानी आसान होगी, जिससे व्यापारियों को सुविधा मिलेगी।
Port की ड्रेजिंग और गहराई बढ़ाने से बड़े जहाजों को डॉक करने की सुविधा मिलेगी।
3. पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव
ग्रीन पोर्ट पहल के तहत अक्षय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग बढ़ाया जाएगा, जिससे बंदरगाहों की कार्बन फुटप्रिंट कम होगी।
तट से जहाज तक बिजली आपूर्ति (Shore to Ship Power) से जहाजों से होने वाले वायु प्रदूषण में भारी कमी आएगी।
इलेक्ट्रिक वाहनों और उपकरणों का उपयोग डीजल और पेट्रोल की खपत कम करेगा, जिससे वायु प्रदूषण घटेगा।
ऊर्जा कुशल उपकरणों और LED लाइट्स के इस्तेमाल से Port का ऊर्जा व्यय घटेगा और हरित ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा।
4. रोजगार के नए अवसर
नई Port परियोजनाओं के तहत निर्माण, लॉजिस्टिक्स, मैनेजमेंट और टेक्नोलॉजी क्षेत्रों में लाखों रोजगार के अवसर सृजित होंगे।
डिजिटल और स्मार्ट पोर्ट्स के विकास से तकनीकी क्षेत्र में कुशल पेशेवरों की मांग बढ़ेगी।
स्थानीय स्तर पर Port से जुड़े उद्योग, छोटे व्यवसाय और परिवहन सेवाओं को बढ़ावा मिलेगा।
5. वैश्विक समुद्री नेटवर्क में भारत की मजबूती
आधुनिक और स्मार्ट पोर्ट्स के निर्माण से भारत को वैश्विक समुद्री व्यापार नेटवर्क में एक प्रमुख स्थान मिलेगा।
बेहतर लॉजिस्टिक्स और तेज कार्गो ट्रांसपोर्टेशन से भारत एशियाई और यूरोपीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होगा।
नए Port से अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी, जिससे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में वृद्धि होगी।

भविष्य की योजनाएं और रोडमैप
भारत सरकार आने वाले वर्षों में बंदरगाहों को और अधिक विकसित करने की योजना बना रही है। इसके तहत निम्नलिखित प्रमुख कदम उठाए जाएंगे:
1. पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल के तहत बंदरगाह विकास को बढ़ावा देना।
2. हरित ऊर्जा (Green Energy) का उपयोग बढ़ाना और सभी बंदरगाहों को कार्बन-न्यूट्रल बनाना।
3. डिजिटल और स्वचालित लॉजिस्टिक्स प्लेटफॉर्म का विकास, जिससे व्यापार प्रक्रिया अधिक तेज और पारदर्शी होगी।
4. मेगा पोर्ट्स और ट्रांसशिपमेंट हब का निर्माण, जिससे भारत वैश्विक समुद्री व्यापार का केंद्र बन सके।
5. नई टेक्नोलॉजी जैसे AI, IoT और Big Data के उपयोग से Port को स्मार्ट पोर्ट्स में बदला जाएगा।
निष्कर्ष: भारत के बंदरगाहों का सुनहरा भविष्य
भारत में 2021-22 से 2023-24 तक 75 प्रमुख Port परियोजनाएं आवंटित की गई हैं, जो देश के समुद्री व्यापार और लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढांचे को नया रूप देने के लिए एक बड़ा कदम है।
11,083 करोड़ रुपये की लागत वाली इन परियोजनाओं से देश के सभी प्रमुख Port का आधुनिकीकरण होगा, जिससे न केवल व्यापारिक प्रक्रियाएं तेज होंगी बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
इसके अलावा, ग्रीन पोर्ट पहल और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के तहत बंदरगाहों को पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा-कुशल बनाया जा रहा है। यह पहल भारत को वैश्विक समुद्री लॉजिस्टिक्स हब के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
भविष्य में, इन परियोजनाओं के माध्यम से भारत की वैश्विक व्यापार प्रतिस्पर्धा में वृद्धि होगी, नए रोजगार सृजित होंगे और पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा।
इस तरह, भारत के बंदरगाहों का यह नया युग देश को एक समृद्ध, आत्मनिर्भर और सस्टेनेबल (टिकाऊ) अर्थव्यवस्था की ओर ले जाएगा।
बंदरगाह उपकरणों और वाहनों का विद्युतीकरण
बंदरगाहों पर उपयोग किए जाने वाले भारी उपकरण और वाहन अब इलेक्ट्रिक या हाइब्रिड तकनीक से संचालित किए जा रहे हैं। इससे ईंधन खपत कम होगी और प्रदूषण भी घटेगा।
ऊर्जा-कुशल उपकरणों की स्थापना
बंदरगाहों पर नई तकनीकों का इस्तेमाल कर ऊर्जा-कुशल उपकरण लगाए जा रहे हैं, जिससे बिजली की खपत कम होगी और संचालन अधिक प्रभावी होगा।
बंदरगाहों के आधुनिकीकरण और हरित पहल के लाभ
1. व्यापार में वृद्धि
नए और अत्याधुनिक बंदरगाह सुविधाओं के कारण व्यापार अधिक सुगम हो जाएगा। बड़ी कंपनियां और वैश्विक शिपिंग लाइनें भारतीय बंदरगाहों को प्राथमिकता देंगी, जिससे आर्थिक लाभ बढ़ेगा।
2. परिवहन लागत में कमी
बंदरगाहों पर नई तकनीक और बेहतर लॉजिस्टिक्स समाधान अपनाने से माल ढुलाई की लागत कम होगी, जिससे व्यापारियों और उद्योगों को फायदा होगा।
3. पर्यावरण संरक्षण
हरित प्रौद्योगिकियों के अपनाने से प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। यह जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में सहायक होगा।
4. रोजगार के नए अवसर
नए बुनियादी ढांचे और परियोजनाओं के कारण स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
5. आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम
आधुनिक और हरित बंदरगाह भारत को वैश्विक लॉजिस्टिक्स हब के रूप में विकसित करेंगे, जिससे देश को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी।
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