श्वेत क्रांति 2.0: दूध उत्पादन में भारत की सबसे बड़ी क्रांति की शुरुआत?
श्वेत क्रांति 2.0: भारत, जो विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है, अब अपने डेयरी क्षेत्र को और अधिक संगठित और सशक्त बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। सहकारिता मंत्रालय द्वारा शुरू की गई “श्वेत क्रांति 2.0” इसी लक्ष्य की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
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Toggleइसका उद्देश्य डेयरी सहकारी समितियों का विस्तार करना, दूध उत्पादन और खरीद को बढ़ाना, रोजगार के नए अवसर पैदा करना और महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाना है।
इस योजना के तहत अगले पांच वर्षों में दुग्ध क्रय की वर्तमान मात्रा में 50% तक की वृद्धि करने का लक्ष्य रखा गया है। इसका सीधा लाभ उन किसानों को मिलेगा जो अभी तक संगठित बाजार से नहीं जुड़े हैं।
यह क्रांति केवल दूध उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने और सहकारिता आंदोलन को एक नई दिशा देने का प्रयास भी है।
श्वेत क्रांति 2.0 की आवश्यकता क्यों पड़ी?
1. असंगठित डेयरी क्षेत्र
भारत में अधिकांश दुग्ध उत्पादन असंगठित क्षेत्र से आता है। लाखों किसान अपनी गाय-भैंसों से दूध निकालते हैं, लेकिन उन्हें उचित बाजार नहीं मिल पाता। इस कारण से बिचौलियों का लाभ बढ़ता है और किसानों को उनका वास्तविक मूल्य नहीं मिल पाता।
2. संगठित बाजार तक पहुंच की कमी
ग्रामीण क्षेत्रों में कई दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों से नहीं जुड़े हैं। इससे उनका दूध उचित दरों पर बिक नहीं पाता और वे निजी डेयरी कंपनियों पर निर्भर हो जाते हैं। श्वेत क्रांति 2.0 इस समस्या को दूर करने के लिए सहकारी समितियों का व्यापक नेटवर्क तैयार करेगी।
3. महिला किसानों की स्थिति
भारत के डेयरी क्षेत्र में लगभग 70% कार्यबल महिलाएं हैं, लेकिन उनके योगदान को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। इस योजना के तहत महिलाओं को संगठित करके उन्हें डेयरी सहकारी समितियों का नेतृत्व करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
4. बढ़ती मांग और निर्यात की संभावनाएं
भारत में दूध और दुग्ध उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है। साथ ही, वैश्विक स्तर पर भी भारतीय दुग्ध उत्पादों की मांग में वृद्धि हो रही है। ऐसे में, संगठित उत्पादन और वितरण से देश के किसानों को लाभ होगा और भारत दुग्ध निर्यात में भी आगे बढ़ सकेगा।
श्वेत क्रांति 2.0 के प्रमुख लक्ष्य
श्वेत क्रांति 2.0 के तहत सरकार ने 2028-29 तक निम्नलिखित लक्ष्य निर्धारित किए हैं:
1. 1007 लाख किलोग्राम प्रतिदिन दूध की खरीद
वर्तमान की तुलना में दुग्ध संग्रहण में 50% तक की वृद्धि होगी।
2. 75,000 नई डेयरी सहकारी समितियों (DCS) की स्थापना
इन समितियों के माध्यम से छोटे किसानों और पशुपालकों को संगठित किया जाएगा।
3. 46,422 मौजूदा डेयरी सहकारी समितियों को मजबूत करना
तकनीकी और संरचनात्मक सहायता देकर इन समितियों को और अधिक सक्षम बनाया जाएगा।
4. महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना
महिला डेयरी सहकारी समितियों को बढ़ावा देकर उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा।
5. दूध के वितरण नेटवर्क का विस्तार
नए दूध मार्ग बनाकर किसानों को सीधा बाजार से जोड़ा जाएगा।

श्वेत क्रांति 2.0 के तहत अपनाई जाने वाली रणनीतियाँ
इस योजना को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए सरकार ने द्विआयामी रणनीति बनाई है:
1. डेयरी सहकारी समितियों का विस्तार
देश के उन क्षेत्रों में, जहां डेयरी सहकारी समितियाँ अभी तक नहीं पहुँची हैं, वहाँ नई समितियाँ बनाई जाएँगी। विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में इस पर जोर दिया जाएगा।
2. मौजूदा डेयरी सहकारी समितियों को सशक्त बनाना
जो समितियाँ पहले से कार्यरत हैं, उन्हें वित्तीय और तकनीकी सहायता दी जाएगी, ताकि वे अधिक दूध संग्रहण कर सकें और अपने सदस्यों को बेहतर सेवाएँ दे सकें।
3. डिजिटल और तकनीकी सुधार
डेयरी उद्योग को आधुनिक तकनीक से जोड़ा जाएगा। दूध संग्रहण के लिए डिजिटल भुगतान प्रणाली, गुणवत्ता जांच उपकरण, और ब्लॉकचेन तकनीक जैसी नई तकनीकों को अपनाया जाएगा।
4. महिलाओं के लिए विशेष योजनाएँ
महिलाओं द्वारा संचालित सहकारी समितियों को प्राथमिकता दी जाएगी।
ग्रामीण क्षेत्रों में महिला दुग्ध उत्पादक समूह बनाए जाएंगे।
स्वयं सहायता समूह (SHGs) को भी इस योजना से जोड़ा जाएगा।
श्वेत क्रांति 2.0 का ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
1. रोजगार में वृद्धि
डेयरी सहकारी समितियों के विस्तार से ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।
2. किसानों की आय में वृद्धि
दूध की खरीद सुनिश्चित होने से किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी।
3. गुणवत्तायुक्त दुग्ध उत्पादन
सहकारी समितियों के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाला दूध बाजार में पहुँचेगा, जिससे उपभोक्ताओं को भी लाभ मिलेगा।
4. महिला सशक्तिकरण
इस योजना के तहत महिलाएँ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनेंगी और उनके नेतृत्व में सहकारी समितियाँ बेहतर कार्य करेंगी।
श्वेत क्रांति 2.0 के अंतर्गत पंजाब में डेयरी विकास
पंजाब, जो कि भारत के प्रमुख डेयरी उत्पादक राज्यों में से एक है, इस योजना का एक महत्वपूर्ण केंद्र होगा।
2,378 नई डेयरी सहकारी समितियाँ स्थापित की जाएंगी।
2,440 मौजूदा समितियों को सुदृढ़ किया जाएगा।
87 समितियों का पंजीकरण पहले ही हो चुका है।
यह पंजाब के डेयरी किसानों के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी और राज्य की अर्थव्यवस्था को और मजबूत बनाएगी।
श्वेत क्रांति 2.0: भारत के डेयरी क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव
श्वेत क्रांति 2.0 केवल दूध उत्पादन बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे दुग्ध मूल्य श्रृंखला (dairy value chain) को मजबूत करने का एक व्यापक प्रयास है। यह योजना किसानों की आय दोगुनी करने, गुणवत्तायुक्त दूध उत्पादन और निर्यात क्षमता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
डेयरी क्षेत्र में सरकारी नीतियों और योजनाओं का योगदान
भारत सरकार ने श्वेत क्रांति 2.0 को सफल बनाने के लिए कई अन्य योजनाओं के साथ इसे जोड़ा है।
1. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की भूमिका
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) इस योजना का मुख्य कार्यान्वयन एजेंसी है। NDDB सुनिश्चित करेगा कि:
नए डेयरी सहकारी समितियों का गठन सुचारु रूप से हो।
किसानों को तकनीकी और वित्तीय सहायता मिले।
गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली लागू की जाए ताकि बाजार में उच्च गुणवत्ता वाला दूध पहुंचे।
2. राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM)
इस योजना के तहत डेयरी किसानों को उनकी पशुओं की देखभाल और पोषण संबंधी आवश्यकताओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
पशु स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए मोबाइल वेटरनरी क्लीनिक स्थापित किए गए हैं।
3. डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास कोष (DIDF)
इस योजना के तहत दूध प्रसंस्करण संयंत्रों और शीत श्रृंखला (Cold Chain) अवसंरचना को मजबूत किया जाता है।
इससे किसानों को अपने दूध को लंबे समय तक संरक्षित करने और उचित मूल्य पर बेचने का अवसर मिलता है।
4. महिला डेयरी किसान सशक्तिकरण योजना
महिलाओं के नेतृत्व वाली डेयरी सहकारी समितियों को विशेष वित्तीय प्रोत्साहन और तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा।
महिला स्वयं सहायता समूह (SHGs) को इस योजना में शामिल किया जाएगा।
श्वेत क्रांति 2.0 के आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
श्वेत क्रांति 2.0 का प्रभाव ग्रामीण अर्थव्यवस्था, रोजगार, महिला सशक्तिकरण और भारतीय कृषि प्रणाली पर दूरगामी होगा।
1. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार
ग्रामीण क्षेत्रों में डेयरी किसानों को स्थायी आय स्रोत मिलेगा।
सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को दूध का उचित मूल्य मिलेगा, जिससे उनका जीवन स्तर सुधरेगा।
2. रोजगार के अवसरों में वृद्धि
नई डेयरी सहकारी समितियों की स्थापना से लाखों ग्रामीण युवाओं को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।
दूध प्रसंस्करण, पैकेजिंग और विपणन क्षेत्र में भी नए अवसर पैदा होंगे।
3. महिला सशक्तिकरण
महिलाएँ डेयरी क्षेत्र में पहले से ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, लेकिन अब उन्हें नेतृत्व की भूमिकाएँ भी दी जाएंगी।
महिला किसानों को स्व-निर्भर बनने और आर्थिक स्वतंत्रता हासिल करने का अवसर मिलेगा।
4. भारतीय डेयरी उत्पादों की वैश्विक पहचान
श्वेत क्रांति 2.0 के तहत गुणवत्तायुक्त दूध उत्पादन और प्रसंस्करण तकनीक में सुधार से भारतीय डेयरी उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय मांग बढ़ेगी।
निर्यात क्षमता बढ़ने से किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त होगी।
श्वेत क्रांति 2.0 से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ
यद्यपि श्वेत क्रांति 2.0 एक क्रांतिकारी योजना है, लेकिन इसे सफलतापूर्वक लागू करने में कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियाँ भी हैं।
1. बुनियादी ढांचे की कमी
कई ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस डेयरी अवसंरचना (जैसे कि चिलिंग प्लांट, प्रसंस्करण इकाइयाँ) की कमी है।
इन सुविधाओं को विकसित किए बिना संगठित डेयरी उत्पादन संभव नहीं होगा।
2. वित्तीय सहायता और ऋण की उपलब्धता
छोटे किसानों और महिलाओं को डेयरी व्यवसाय शुरू करने के लिए बैंकों से ऋण प्राप्त करने में कठिनाई होती है।
सरकार को सहज ऋण योजनाएँ शुरू करनी होंगी, ताकि किसान इस योजना का अधिकतम लाभ उठा सकें।
3. पशुओं की नस्ल सुधार और पोषण
उच्च गुणवत्ता वाले दूध उत्पादन के लिए बेहतर नस्लों की गाय-भैंसों की आवश्यकता होगी।
पशुओं के उचित पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी इस योजना को प्रभावित कर सकती है।
4. बाजार प्रतिस्पर्धा और निजी कंपनियों की भूमिका
सहकारी समितियों को बाजार में निजी डेयरी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी।
यदि संगठित क्षेत्र में निजी कंपनियों का वर्चस्व बढ़ा, तो यह सहकारी समितियों के लिए चुनौती बन सकता है।
श्वेत क्रांति 2.0 को सफल बनाने के लिए संभावित समाधान
इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार और संबंधित एजेंसियों को कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे।
1. मजबूत अवसंरचना विकास
गाँवों में दूध चिलिंग सेंटर, प्रसंस्करण इकाइयाँ और आधुनिक डेयरी फार्म विकसित किए जाएँ।
गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाएँ स्थापित की जाएँ, ताकि किसान शुद्ध दूध की आपूर्ति कर सकें।
2. वित्तीय सहायता और अनुदान योजना
डेयरी किसानों और महिलाओं के लिए ब्याज मुक्त या रियायती दरों पर ऋण उपलब्ध कराया जाए।
सरकार द्वारा सब्सिडी योजनाओं को और प्रभावी बनाया जाए।
3. पशुधन सुधार और अनुसंधान
उन्नत गाय-भैंस की नस्लों को बढ़ावा दिया जाए।
पशुओं के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए निःशुल्क टीकाकरण और पोषण योजनाएँ लागू की जाएँ।
4. निजी और सार्वजनिक क्षेत्र का सहयोग
सहकारी समितियों और निजी डेयरी कंपनियों के बीच तालमेल स्थापित किया जाए।
किसानों को नए बाजारों तक पहुँच दिलाने के लिए डिजिटल प्लेटफार्मों का विकास किया जाए।

श्वेत क्रांति 2.0: भारत की डेयरी अर्थव्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव
श्वेत क्रांति 2.0 भारत की डेयरी सहकारी समितियों को मजबूत करने और उन्हें अधिक सशक्त बनाने की एक दूरगामी योजना है। यह केवल दुग्ध उत्पादन बढ़ाने का प्रयास नहीं है, बल्कि यह डेयरी उद्योग को संगठित, आधुनिक और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने का एक मिशन है।
इस योजना के प्रभाव न केवल किसानों की आय में वृद्धि, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में नए रोजगार, महिला सशक्तिकरण, और भारत की वैश्विक दुग्ध बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने तक फैले हुए हैं।
भारत में डेयरी उद्योग की वर्तमान स्थिति
भारत दुनिया में सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है, लेकिन इसके बावजूद डेयरी उद्योग की अधिकांश गतिविधियाँ असंगठित हैं।
लगभग 80% से अधिक दूध छोटे और सीमांत किसानों द्वारा उत्पादित किया जाता है।
संगठित डेयरी क्षेत्र में सहकारी समितियों की भागीदारी अब भी सीमित है।
किसानों को दूध के उचित मूल्य नहीं मिल पाते, जिससे उनकी आय प्रभावित होती है।
श्वेत क्रांति 2.0 के माध्यम से सरकार इन सभी समस्याओं का समाधान करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपना रही है।
श्वेत क्रांति 2.0 के प्रमुख घटक
यह योजना डेयरी उद्योग के संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र (ecosystem) को पुनः संगठित और उन्नत करने के लिए तैयार की गई है।
1. डेयरी सहकारी समितियों का विस्तार
75,000 नई डेयरी सहकारी समितियों (DCS) की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है।
46,422 मौजूदा समितियों को तकनीकी और वित्तीय रूप से सशक्त बनाया जाएगा।
नई समितियाँ विशेष रूप से ऐसे गाँवों और पंचायतों में बनाई जाएंगी, जहाँ अभी तक डेयरी सहकारिता नहीं है।
2. दुग्ध उत्पादन और खरीद में वृद्धि
वर्तमान में सहकारी समितियों द्वारा रोजाना लगभग 670 लाख किलोग्राम दूध की खरीद की जाती है।
इस योजना के तहत, इसे 1007 लाख किलोग्राम प्रतिदिन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।
इससे किसानों को स्थिर और लाभदायक बाज़ार उपलब्ध होगा।
3. महिला सशक्तिकरण और समावेशी विकास
महिलाओं की भागीदारी को संगठित डेयरी व्यवसाय में बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएँ लाई जाएंगी।
प्रत्येक पंचायत में महिलाओं के नेतृत्व वाली नवीनतम डेयरी सहकारी समितियों का गठन किया जाएगा।
महिलाओं को तकनीकी प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और नेतृत्व विकास के अवसर दिए जाएंगे।
4. दूध संग्रह, भंडारण और प्रसंस्करण सुविधाओं का विकास
नए चिलिंग प्लांट और दूध प्रसंस्करण इकाइयाँ स्थापित की जाएंगी।
कोल्ड चेन (Cold Chain) प्रणाली का विस्तार किया जाएगा ताकि दूध की गुणवत्ता बरकरार रहे।
प्रसंस्करण क्षमताएँ बढ़ने से भारत के डेयरी उत्पादों का वैश्विक निर्यात बढ़ेगा।
5. बाज़ार से सीधा संपर्क और मूल्य स्थिरता
किसान अब प्रत्यक्ष डिजिटल मंचों के माध्यम से अपने दूध का व्यापार कर सकेंगे।
इससे बिचौलियों की भूमिका कम होगी और किसानों को सीधे बाज़ार में प्रतिस्पर्धी मूल्य मिल सकेगा।
दूध की कीमतों में स्थिरता लाने के लिए सरकार कीमत समर्थन योजना पर भी विचार कर रही है।
श्वेत क्रांति 2.0: राज्यवार प्रगति और लक्ष्यों की समीक्षा
इस योजना के तहत प्रत्येक राज्य में स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार लक्ष्यों को निर्धारित किया गया है।
1. पंजाब में श्वेत क्रांति 2.0
2,378 नई डेयरी सहकारी समितियों की स्थापना की योजना।
2,440 मौजूदा समितियों को आधुनिक बनाया जाएगा।
अब तक 87 समितियाँ पंजीकृत की जा चुकी हैं, और यह संख्या निरंतर बढ़ रही है।
2. उत्तर प्रदेश में डेयरी विस्तार
भारत में दूध उत्पादन में सबसे बड़ा योगदान देने वाले राज्यों में से एक।
यहाँ 10,000 से अधिक नई समितियों के गठन का लक्ष्य है।
स्व-रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए महिलाओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
3. राजस्थान और गुजरात: सहकारी मॉडल का विस्तार
गुजरात और राजस्थान में पहले से मजबूत सहकारी डेयरी मॉडल मौजूद है।
यहाँ नए उत्पाद आधारित डेयरी उद्यमों को उन्नत तकनीकों से सशक्त किया जाएगा।
“गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम” के तहत डेयरी उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
श्वेत क्रांति 2.0 को सफल बनाने के लिए आवश्यक रणनीतियाँ
1. डिजिटल तकनीकों का उपयोग
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) का प्रयोग करके दूध की गुणवत्ता और उत्पादन की निगरानी की जाएगी।
किसानों को मोबाइल ऐप्स के माध्यम से बाज़ार, कीमतें, और पशुपालन की उन्नत तकनीकों की जानकारी दी जाएगी।
2. आधुनिक प्रशिक्षण और शिक्षा
डेयरी किसानों को पशुपालन, दुग्ध उत्पादन, विपणन और व्यापार प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
डेयरी सहकारी समितियों में काम करने वाले लोगों को फाइनेंशियल लिटरेसी और मैनेजमेंट स्किल्स सिखाई जाएंगी।
3. नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा
डेयरी क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए शोध एवं विकास (R&D) केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
बायोटेक्नोलॉजी और जेनेटिक इंजीनियरिंग के माध्यम से उच्च दुग्ध उत्पादन करने वाली नस्लों का विकास किया जाएगा।
4. वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए भारत को तैयार करना
डेयरी उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने के लिए “मेक इन इंडिया” पहल के तहत विशेष अभियान चलाए जाएंगे।
भारतीय डेयरी ब्रांड्स को अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए प्रमोशन और गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम लागू किए जाएंगे।
श्वेत क्रांति 2.0 का दूरगामी प्रभाव
1. भारत का डेयरी क्षेत्र संगठित और मजबूत बनेगा
सहकारी समितियाँ किसानों को एकजुट करेंगी, जिससे उनका बाजार पर अधिक नियंत्रण होगा।
स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर डेयरी उद्योग अधिक प्रतिस्पर्धी और लाभदायक बनेगा।
2. ग्रामीण भारत में व्यापक आर्थिक सुधार
यह योजना ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी।
कृषि पर निर्भरता घटेगी और लोगों को वैकल्पिक आय स्रोत मिलेंगे।
3. महिला उद्यमिता को नई ऊँचाइयाँ मिलेंगी
महिलाएँ डेयरी व्यवसाय की मालिक और प्रबंधक बनने की दिशा में आगे बढ़ेंगी।
महिला स्वयं सहायता समूहों को अधिक मजबूत किया जाएगा, जिससे वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र बन सकें।
निष्कर्ष: श्वेत क्रांति 2.0 केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि भारत में डेयरी क्रांति का दूसरा चरण है। यह किसानों, खासकर महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगी और देश के डेयरी क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगी।
इस योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इसे नीति निर्माण से लेकर जमीनी स्तर तक कितनी कुशलता से लागू किया जाता है। यदि इसे सही ढंग से कार्यान्वित किया गया, तो भारत न केवल दुग्ध उत्पादन में नंबर 1 बना रहेगा, बल्कि दुनिया के प्रमुख दुग्ध निर्यातकों में भी शामिल हो सकता है।
श्वेत क्रांति 2.0 से भारत के लाखों डेयरी किसानों को एक नया अवसर, नई पहचान और आर्थिक मजबूती मिलेगी। यह योजना भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नया जीवन देने के लिए तैयार है।
श्वेत क्रांति 2.0 भारत के डेयरी उद्योग के लिए एक नया युग शुरू करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
यह योजना किसानों की आय बढ़ाने, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन करने और भारत को डेयरी उद्योग में वैश्विक नेता बनाने की नींव रखेगी।
यदि इसे सही तरीके से लागू किया गया, तो भारत 2030 तक न केवल दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बल्कि सबसे बड़ा दुग्ध उत्पाद निर्यातक भी बन सकता है।
श्वेत क्रांति 2.0, भारत के डेयरी किसानों के सपनों को साकार करने और एक आत्मनिर्भर भारत की दिशा में उठाया गया ऐतिहासिक कदम है।
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