सूर्य ग्रहण 2025: कब, कहाँ और कैसे देखें? पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें!
सूर्य ग्रहण 2025 (Solar Eclipse) एक अद्भुत खगोलीय घटना है, जिसमें चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आकर सूर्य के प्रकाश को आंशिक या पूर्ण रूप से अवरुद्ध कर देता है।
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Toggleयह घटना तब होती है जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में होते हैं और चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है। वर्ष 2025 में दो सूर्य ग्रहण होंगे – पहला 29 मार्च को और दूसरा 21 सितंबर को।
यहाँ हम 2025 के दोनों सूर्य ग्रहणों की पूरी जानकारी देंगे, जिसमें उनकी तिथियाँ, समय, दृश्यता, वैज्ञानिक महत्व, धार्मिक मान्यताएँ, और सुरक्षा उपाय शामिल होंगे।
सूर्य ग्रहण कैसे होता है?
जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच आकर सूर्य के प्रकाश को रोक लेता है, तब सूर्य ग्रहण होता है। यह मुख्य रूप से तीन प्रकार का हो सकता है:
1. पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse) – जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है और कुछ समय के लिए दिन में अंधकार छा जाता है।
2. आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial Solar Eclipse) – जब चंद्रमा सूर्य के कुछ हिस्से को ही ढकता है और सूर्य का एक भाग ही अदृश्य होता है।
3. वलयाकार सूर्य ग्रहण (Annular Solar Eclipse) – जब चंद्रमा सूर्य के केंद्र को ढकता है लेकिन किनारे से सूर्य दिखाई देता है, जिससे एक अग्नि-वृत्त (Ring of Fire) बनता है।
2025 का पहला सूर्य ग्रहण: 29 मार्च
ग्रहण की तिथि और समय
पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च 2025 को होगा। यह आंशिक सूर्य ग्रहण 2025 (Partial Solar Eclipse) होगा। भारतीय समयानुसार इसकी अवधि इस प्रकार होगी:
ग्रहण प्रारंभ: दोपहर 2:20 बजे
ग्रहण चरम बिंदु: शाम 4:17 बजे
ग्रहण समाप्त: शाम 6:16 बजे
दृश्यता (Visibility)
सूर्य ग्रहण 2025 ग्रहण मुख्य रूप से यूरोप, उत्तरी अमेरिका, ग्रीनलैंड, उत्तर-पश्चिमी अफ्रीका और रूस के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। भारत में यह ग्रहण नहीं दिखाई देगा, इसलिए यहाँ सूतक काल मान्य नहीं होगा।
वैज्ञानिक महत्व
इस प्रकार के आंशिक ग्रहण से वैज्ञानिकों को सूर्य के बाहरी परत (Corona) के अध्ययन में मदद मिलती है।
यह घटना पृथ्वी और चंद्रमा की कक्षीय चाल को समझने में सहायक होती है।
विभिन्न वेधशालाएँ (Observatories) इस अवसर पर सौर गतिविधियों पर शोध करेंगी।
धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताएँ
हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण का विशेष महत्व है। भारत में यह ग्रहण दृश्य नहीं होगा, इसलिए यहाँ सूतक काल मान्य नहीं होगा। फिर भी, कई धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के दौरान कुछ नियमों का पालन किया जाता है, जैसे:
भोजन ग्रहण न करना
मंत्र जाप और ध्यान करना
ग्रहण के बाद स्नान कर पवित्र जल का छिड़काव करना
सुरक्षा उपाय
नग्न आँखों से सूर्य ग्रहण को देखना खतरनाक हो सकता है, इसलिए सौर फिल्टर चश्मे का उपयोग करें।
दूरबीन या टेलीस्कोप से देखने से पहले सौर फिल्टर का प्रयोग करें, अन्यथा आँखों की रोशनी स्थायी रूप से खराब हो सकती है।
पिनहोल कैमरा तकनीक का उपयोग करके ग्रहण को सुरक्षित रूप से देखा जा सकता है।

2025 का दूसरा सूर्य ग्रहण: 21 सितंबर
ग्रहण की तिथि और समय
दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025 को होगा। यह एक पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse) होगा। इस ग्रहण की अवधि इस प्रकार होगी:
ग्रहण प्रारंभ: अभी तक सटीक समय की पुष्टि नहीं हुई है
ग्रहण चरम बिंदु: अभी तक सटीक समय की पुष्टि नहीं हुई है
ग्रहण समाप्त: अभी तक सटीक समय की पुष्टि नहीं हुई है
दृश्यता (Visibility)
सूर्य ग्रहण 2025 मुख्य रूप से दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक महासागर और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। भारत में इसकी दृश्यता को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।
वैज्ञानिक महत्व
यह पूर्ण सूर्य ग्रहण खगोलविदों को सूर्य के वायुमंडल (Atmosphere) का अध्ययन करने का एक अनूठा अवसर देगा।
वैज्ञानिक इस दौरान सूर्य की पराबैंगनी और एक्स-रे किरणों का अध्ययन कर सकते हैं।
इससे पृथ्वी पर सूर्य के प्रभाव और जलवायु परिवर्तनों की समझ को भी विकसित किया जाता है।
धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताएँ
यदि सूर्य ग्रहण 2025 भारत में दृश्य होगा, तो यहाँ सूतक काल मान्य होगा। धार्मिक दृष्टिकोण से, इस दौरान:
गर्भवती महिलाओं को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान कर पवित्र जल का छिड़काव किया जाता है।
इस दौरान मंदिरों के द्वार बंद रहते हैं।
सुरक्षा उपाय
पूर्ण सूर्य ग्रहण को नग्न आँखों से देखना बहुत ही खतरनाक हो सकता है।
ग्रहण देखने के लिए सौर फिल्टर वाले चश्मों का ही उपयोग करें।
अगर सौर चश्मे उपलब्ध नहीं हैं, तो पिनहोल प्रोजेक्टर तकनीक का उपयोग करें।
सूर्य ग्रहण 2025 से जुड़ी रोचक बातें
पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान दिन में अंधेरा छा जाता है और तापमान कुछ डिग्री तक गिर सकता है।
सूर्य ग्रहण से जुड़े कई मिथक और अंधविश्वास विभिन्न संस्कृतियों में प्रचलित हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार, लगभग 375 साल बाद किसी एक ही स्थान पर पुनः पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है।
नासा (NASA) और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियाँ सूर्य ग्रहण के दौरान विस्तृत अध्ययन करती हैं।
सूर्य ग्रहण 2025 से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर
सूर्य ग्रहण 2025 के विषय में कई जिज्ञासाएँ होती हैं, विशेष रूप से 2025 में होने वाले ग्रहणों को लेकर। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं, जो आपको इस विषय को और बेहतर समझने में मदद करेंगे।
2025 में कितने सूर्य ग्रहण होंगे?
2025 में कुल दो सूर्य ग्रहण होंगे। पहला 29 मार्च 2025 को होगा, जो आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। दूसरा 21 सितंबर 2025 को होगा, जो पूर्ण सूर्य ग्रहण हो सकता है।
भारत में सूर्य ग्रहण 2025 दिखाई देंगे या नहीं?
29 मार्च 2025 का सूर्य ग्रहण 2025 भारत में नहीं दिखाई देगा, क्योंकि यह यूरोप, उत्तरी अमेरिका और उत्तरी रूस के कुछ हिस्सों तक सीमित रहेगा। 21 सितंबर 2025 के ग्रहण की दृश्यता अभी स्पष्ट नहीं है। यदि यह भारत में दृश्य होगा, तो इसका सूतक काल मान्य होगा।
सूर्य ग्रहण 2025 देखने के लिए कौन-कौन से उपकरण उपयोग किए जा सकते हैं?
सूर्य ग्रहण 2025 को देखने के लिए विशेष सुरक्षा उपकरणों का उपयोग किया जाना चाहिए। इनमें सौर फिल्टर वाले चश्मे, वेल्डिंग ग्लास नंबर 14, पिनहोल प्रोजेक्टर और सोलर फिल्टर से लैस टेलीस्कोप या दूरबीन शामिल हैं।
नग्न आँखों से सूर्य ग्रहण देखना खतरनाक हो सकता है और इससे आँखों की रोशनी स्थायी रूप से खराब हो सकती है।
सूर्य ग्रहण के दौरान सूतक काल क्या होता है?
हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण के दौरान सूतक काल माना जाता है, जो ग्रहण से 12 घंटे पहले शुरू होता है और ग्रहण समाप्त होने के बाद समाप्त होता है।
सूर्य ग्रहण 2025 के दौरान भोजन ग्रहण नहीं किया जाता, गर्भवती महिलाओं को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है, मंत्र जाप और ईश्वर का स्मरण करने को शुभ माना जाता है और सूर्य ग्रहण 2025 समाप्त होने के बाद स्नान कर घर और मंदिर में गंगाजल का छिड़काव किया जाता है।
हालांकि, सूतक काल केवल तभी मान्य होता है जब ग्रहण भारत में दृश्य हो। यदि ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, तो सूतक मान्य नहीं होगा।

सूर्य ग्रहण क्यों और कैसे होता है?
सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है और सूर्य का कुछ या पूरा भाग ढक जाता है। चंद्रमा और पृथ्वी की कक्षीय गति के कारण ग्रहण की अवधि सीमित होती है।
सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण में क्या अंतर है?
सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, जबकि चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है।
सूर्य ग्रहण 2025 केवल कुछ स्थानों से ही दिखाई देता है, जबकि चंद्र ग्रहण पूरी पृथ्वी पर रात वाले हिस्से में दिखता है। सूर्य ग्रहण के तीन प्रकार होते हैं – पूर्ण, आंशिक और वलयाकार, जबकि चंद्र ग्रहण के तीन प्रकार होते हैं – पूर्ण, आंशिक और उपच्छाया। सूर्य ग्रहण दिन में होता है, जबकि चंद्र ग्रहण रात में होता है।
क्या सूर्य ग्रहण के दौरान खाने-पीने से बचना चाहिए?
वैज्ञानिक रूप से, सूर्य ग्रहण के दौरान भोजन करने में कोई समस्या नहीं होती, लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के समय भोजन न करने की परंपरा है।
ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के दौरान वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है, जिससे भोजन दूषित हो सकता है। हालांकि, इस पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं।
सूर्य ग्रहण से जुड़ी कुछ रोचक बातें
पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान दिन में अंधेरा छा जाता है और तापमान कुछ डिग्री तक गिर सकता है। सूर्य ग्रहण से जुड़े कई मिथक और अंधविश्वास विभिन्न संस्कृतियों में प्रचलित हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार, लगभग 375 साल बाद किसी एक ही स्थान पर पुनः पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है। नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियाँ सूर्य ग्रहण के दौरान विस्तृत अध्ययन करती हैं।
निष्कर्ष
सूर्य ग्रहण 2025 एक अद्भुत खगोलीय घटना है, जो न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होती है।
वर्ष 2025 में 29 मार्च और 21 सितंबर को दो सूर्य ग्रहण होंगे। पहला ग्रहण आंशिक होगा और भारत में नहीं दिखाई देगा, जबकि दूसरे ग्रहण की पूरी जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है।
सूर्य ग्रहण 2025 के दौरान सुरक्षा उपायों का पालन करना आवश्यक है, क्योंकि इसकी किरणें आँखों के लिए खतरनाक हो सकती हैं। खगोल विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए यह एक सुनहरा अवसर है, जिसे वैज्ञानिक उपकरणों की सहायता से देखा जा सकता है।
क्या आपने पहले कभी सूर्य ग्रहण देखा है? अपने अनुभव हमें ज़रूर बताइए!
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