BIMSTEC 2025 20वीं मंत्रिस्तरीय बैठक: क्षेत्रीय सहयोग, चुनौतियाँ और भारत की भूमिका
बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग उपक्रम (बिम्सटेक) एक क्षेत्रीय संगठन है, जो दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों को आपस में जोड़ता है। इसका उद्देश्य आर्थिक विकास, व्यापार, सुरक्षा, और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देना है। 3 अप्रैल 2025 को बैंकॉक, थाईलैंड में आयोजित 20वीं बिम्सटेक मंत्रिस्तरीय बैठक में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने भाग लिया और संगठन के भविष्य को लेकर महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए।
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ToggleBIMSTEC 2025 20वीं बैठक में बिम्सटेक देशों के बीच कनेक्टिविटी, व्यापारिक संबंध, आपदा प्रबंधन, ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक सहयोग को लेकर चर्चा की गई। डॉ. जयशंकर ने इस दौरान यह स्पष्ट किया कि वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में क्षेत्रीय संगठनों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है, और बिम्सटेक को नई चुनौतियों से निपटने के लिए अधिक प्रभावी रूप से कार्य करना होगा।
BIMSTEC 2025
बिम्सटेक (BIMSTEC – Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) 1997 में स्थापित किया गया एक बहुपक्षीय संगठन है, जिसमें सात सदस्य देश शामिल हैं:
1. भारत
2. बांग्लादेश
3. भूटान
4. म्यांमार
5. नेपाल
6. श्रीलंका
7. थाईलैंड
इस संगठन का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना, व्यापार एवं निवेश को प्रोत्साहित करना, और आपसी समझ व समन्वय को मजबूत करना है।
20वीं BIMSTEC 2025 मंत्रिस्तरीय बैठक के प्रमुख बिंदु
इस बैठक में बिम्सटेक देशों ने विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की, जिनमें निम्नलिखित मुख्य मुद्दे शामिल रहे:
1. बिम्सटेक सहयोग को और प्रभावी बनाने की रणनीति
डॉ. जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि बिम्सटेक को अधिक क्षेत्रीय और एजेंडा-विशिष्ट बनाना जरूरी है। इसके तहत:
आपसी व्यापार बढ़ाने के लिए नए समझौतों पर विचार किया गया।
सदस्य देशों के बीच कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर चर्चा हुई।
डिजिटल तकनीक के माध्यम से सहयोग को बढ़ावा देने के उपाय सुझाए गए।
2. आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को बढ़ावा
बैठक में व्यापार और निवेश को सुगम बनाने के लिए बिम्सटेक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को लागू करने की योजना पर जोर दिया गया।
सदस्य देशों ने व्यापार बाधाओं को कम करने और कस्टम प्रक्रियाओं को सरल बनाने पर सहमति जताई।
बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में आर्थिक गलियारों के विकास पर भी चर्चा हुई।
3. क्षेत्रीय सुरक्षा और आपदा प्रबंधन
बिम्सटेक क्षेत्र में साइबर सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी रणनीति, और संगठित अपराध नियंत्रण पर गहन चर्चा हुई।
भारत में बिम्सटेक आपदा प्रबंधन केंद्र की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया।
प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए सदस्य देशों के बीच जानकारी साझा करने की व्यवस्था को मजबूत करने का निर्णय लिया गया।
4. ऊर्जा और पर्यावरण सहयोग
बिम्सटेक क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के लिए भारत ने सौर ऊर्जा ग्रिड स्थापित करने का प्रस्ताव रखा।
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए साझा नीति विकसित करने की जरूरत पर बल दिया गया।
5. बिम्सटेक कनेक्टिविटी मास्टर प्लान
भारत, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान के बीच सड़क एवं रेल नेटवर्क को बेहतर बनाने के लिए योजनाएँ बनाई गईं।
क्षेत्रीय हवाई और समुद्री संपर्क को मजबूत करने के लिए बंगाल की खाड़ी में बंदरगाह विकास परियोजनाओं पर चर्चा हुई।
डॉ. जयशंकर का संबोधन: नई दिशा की ओर
बैठक में बोलते हुए विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि:
बिम्सटेक की नई व्यवस्था अधिक क्षेत्रीय और एजेंडा-विशिष्ट होगी, जिससे यह संगठन अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सके।
भारत “नेबरहुड फर्स्ट” और “एक्ट ईस्ट” नीतियों के तहत बिम्सटेक को प्राथमिकता देता रहेगा।
बिम्सटेक देशों के बीच संस्थागत ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता है, ताकि यह संगठन केवल चर्चाओं तक सीमित न रहकर ठोस परिणाम दे सके।
उन्होंने डिजिटल और आर्थिक एकीकरण की आवश्यकता पर भी बल दिया।

भारत की भूमिका और योगदान
भारत बिम्सटेक का एक प्रमुख सदस्य है और संगठन के विकास में उसकी भूमिका अहम रही है। इस बैठक में भारत ने निम्नलिखित पहल की:
1. बिम्सटेक आपदा प्रबंधन केंद्र की स्थापना का प्रस्ताव दिया।
2. नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सौर ऊर्जा कार्यक्रम की शुरुआत करने की योजना बनाई।
3. डिजिटल और साइबर सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए विशेष कार्यबल गठित करने का सुझाव दिया।
4. बिम्सटेक कनेक्टिविटी मास्टर प्लान को लागू करने में प्रमुख भूमिका निभाने की प्रतिबद्धता जताई।
भविष्य की योजनाएँ और चुनौतियाँ
1. बिम्सटेक का विस्तार और संस्थागत सुधार
सदस्य देशों के बीच नीतिगत समन्वय बढ़ाने की जरूरत है।
संगठन के भीतर अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी।
2. व्यापार और निवेश में सहयोग
बिम्सटेक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को शीघ्र लागू करना आवश्यक है।
क्षेत्रीय लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ाना होगा।
3. जलवायु परिवर्तन और सतत विकास
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए साझा नीतियाँ और कार्यक्रम विकसित किए जाने चाहिए।
हरित ऊर्जा परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
4. सुरक्षा और रणनीतिक सहयोग
आतंकवाद, साइबर सुरक्षा और संगठित अपराध के खिलाफ एक सामूहिक रणनीति बनानी होगी।
रक्षा और खुफिया साझेदारी को और मजबूत करने की जरूरत है।
BIMSTEC 2025 की संभावनाएँ
20वीं बिम्सटेक मंत्रिस्तरीय बैठक में लिए गए निर्णयों से यह स्पष्ट हो गया कि संगठन को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए संस्थागत सुधार, व्यापारिक समझौते, कनेक्टिविटी, सुरक्षा सहयोग, और पर्यावरणीय संतुलन पर विशेष ध्यान देना होगा।
BIMSTEC 2025 को अधिक प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक कदम
(i) सदस्य देशों के बीच बेहतर समन्वय
बिम्सटेक को केवल चर्चा मंच तक सीमित न रखकर ठोस निर्णय लेने और लागू करने वाले संगठन के रूप में विकसित करना होगा।
निर्णय लेने की प्रक्रिया को तेज और अधिक प्रभावी बनाना आवश्यक है।
सदस्य देशों के बीच नीतिगत सामंजस्य को बढ़ाने के लिए एक स्थायी सचिवालय को और सशक्त बनाया जाना चाहिए।
(ii) व्यापार और निवेश में बढ़ोतरी
BIMSTEC 2025 फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को जल्द लागू किया जाना चाहिए, जिससे व्यापारिक बाधाओं को कम किया जा सके।
सीमा शुल्क प्रक्रिया को सरल बनाया जाए, जिससे वस्तुओं और सेवाओं का मुक्त प्रवाह संभव हो।
छोटे और मध्यम उद्योगों (MSMEs) को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक सहयोग कार्यक्रम चलाए जाएँ।
(iii) बिम्सटेक कनेक्टिविटी मास्टर प्लान को लागू करना
भारत-बांग्लादेश-नेपाल-भूटान सड़क और रेल संपर्क को मजबूत किया जाए।
समुद्री व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नई पोर्ट परियोजनाएँ विकसित की जाएँ।
डिजिटल कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क का विस्तार किया जाए।
(iv) सुरक्षा और रणनीतिक सहयोग को मजबूत करना
आतंकवाद, संगठित अपराध, और साइबर सुरक्षा पर सामूहिक कार्य योजना तैयार करनी होगी।
बिम्सटेक काउंटर-टेररिज्म सेंटर की स्थापना से सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला किया जा सकता है।
समुद्री सुरक्षा के लिए संयुक्त नौसेना अभ्यास और गश्त को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
(v) जलवायु परिवर्तन और सतत विकास
BIMSTEC 2025 को हरित ऊर्जा परियोजनाओं पर अधिक ध्यान देना चाहिए, जिसमें सौर और पवन ऊर्जा प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।
कार्बन उत्सर्जन कम करने और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाएँ।
जल संसाधन प्रबंधन में सहयोग बढ़ाने के लिए संयुक्त जल प्रबंधन नीति बनाई जाए।
BIMSTEC 2025 और भारत: एक रणनीतिक साझेदारी
भारत बिम्सटेक का सबसे बड़ा और सबसे प्रभावशाली सदस्य है। इस संगठन को मजबूत करने में भारत की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी।
भारत द्वारा बिम्सटेक के लिए प्रस्तावित पहल
साइबर सुरक्षा और डिजिटल सहयोग के लिए एक बिम्सटेक डिजिटल नेटवर्क की स्थापना।
अंतर-देशीय रेलवे और सड़क नेटवर्क को मजबूत करने के लिए वित्तीय सहायता।
सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए तकनीकी साझेदारी।
आपदा प्रबंधन केंद्र की स्थापना, जिससे प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए आपसी सहयोग बढ़ाया जा सके।
संयुक्त सैन्य अभ्यास और खुफिया साझेदारी को बढ़ाने के लिए पहल।
1. बिम्सटेक को एक मजबूत संगठन बनाने की रणनीति
(i) संस्थागत ढांचे को मजबूत बनाना
बिम्सटेक के निर्णय लेने की प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाया जाए।
सचिवालय को अधिक शक्तियाँ और संसाधन दिए जाएँ, जिससे वह नीतियों को लागू करने में सक्षम हो।
सदस्य देशों के बीच आर्थिक योगदान को अनिवार्य किया जाए, ताकि संगठन के पास वित्तीय स्थिरता बनी रहे।

(ii) व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा
BIMSTEC 2025 में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को जल्द से जल्द लागू करना।
व्यापार मार्गों को सुगम बनाने के लिए सीमा शुल्क नीतियों को सरल बनाया जाए।
भारत, थाईलैंड और बांग्लादेश के बीच इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स और डिजिटल व्यापार को प्रोत्साहित किया जाए।
(iii) परिवहन और कनेक्टिविटी में सुधार
भारत, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यांमार और थाईलैंड के बीच सड़क और रेल नेटवर्क को मजबूत किया जाए।
“बिम्सटेक समुद्री राजमार्ग” परियोजना को लागू किया जाए, जिससे सदस्य देशों के बंदरगाहों के बीच तेज व्यापार संभव हो।
डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क और 5G इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जाए।
(iv) ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन पर सहयोग
नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ, जैसे सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा में संयुक्त निवेश।
“बिम्सटेक हरित ऊर्जा कोष” की स्थापना, जिससे सदस्य देश जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करें।
जल संसाधन प्रबंधन और आपदा प्रबंधन के लिए सामूहिक रणनीति बनाई जाए।
(v) सुरक्षा और आतंकवाद निरोधक सहयोग
BIMSTEC 2025 आतंकवाद-निरोधक केंद्र की स्थापना।
साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए डिजिटल इंटेलिजेंस साझेदारी की शुरुआत।
संगठित अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी, और मानव तस्करी पर संयुक्त अभियान चलाना।
3. बिम्सटेक की मुख्य चुनौतियाँ
(i) आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता
कई सदस्य देशों में राजनीतिक अस्थिरता और नीतिगत अनिश्चितता बिम्सटेक के विकास को बाधित कर सकती है।
उदाहरण के लिए, म्यांमार में सैन्य शासन और श्रीलंका में आर्थिक संकट संगठन के समन्वय को प्रभावित कर सकते हैं।
(ii) सदस्य देशों के बीच मतभेद
भारत और नेपाल के बीच जल संसाधन संबंधी विवाद,
म्यांमार और बांग्लादेश के बीच रोहिंग्या शरणार्थी मुद्दा,
श्रीलंका और भारत के बीच मछली पकड़ने से संबंधित विवाद, आदि।
(iii) आर्थिक और वित्तीय संसाधनों की कमी
BIMSTEC 2025 को प्रभावी रूप से कार्य करने के लिए अधिक वित्तीय संसाधनों की जरूरत होगी।
भारत जैसे बड़े देशों को आगे बढ़कर वित्तीय सहायता प्रदान करनी होगी।
(iv) चीन और अन्य बाहरी शक्तियों का प्रभाव
BIMSTEC 2025एक क्षेत्रीय संगठन है, लेकिन इसमें बाहरी देशों के प्रभाव को कम रखना जरूरी होगा।
चीन, अमेरिका, और अन्य शक्तियाँ इस क्षेत्र में अपनी रणनीतिक और आर्थिक पकड़ बनाना चाहती हैं, जिससे बिम्सटेक के उद्देश्यों पर असर पड़ सकता है।
निष्कर्ष: BIMSTEC 2025- 20वीं मंत्रिस्तरीय बैठक
20वीं BIMSTEC 2025 मंत्रिस्तरीय बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया कि क्षेत्रीय सहयोग और सामूहिक विकास के लिए यह संगठन बहुत महत्वपूर्ण है। अगर सही दिशा में प्रयास किए जाएँ, तो बिम्सटेक एक मजबूत, प्रभावी और परिणामोन्मुख संगठन बन सकता है।
संभावनाएँ
बेहतर कनेक्टिविटी से व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
सुरक्षा और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में बेहतर सहयोग से सदस्य देशों को लाभ मिलेगा।
सौर ऊर्जा और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में संयुक्त प्रयासों से आर्थिक वृद्धि संभव होगी।
जरूरी सुधार
BIMSTEC 2025 सचिवालय को अधिक शक्तिशाली और प्रभावी बनाना।
व्यापार समझौतों को तेजी से लागू करना।
सभी सदस्य देशों के बीच राजनीतिक और कूटनीतिक समन्वय को बढ़ाना।
भारत की भूमिका
भारत, BIMSTEC 2025 में “प्राकृतिक नेता” के रूप में उभर सकता है, क्योंकि इसके पास मजबूत आर्थिक, राजनीतिक और रणनीतिक संसाधन हैं। अगर भारत सक्रिय नेतृत्व करता है, तो यह संगठन दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच सबसे मजबूत क्षेत्रीय गठबंधन बन सकता है।
अंततः, बिम्सटेक का भविष्य इसके सदस्य देशों की इच्छाशक्ति और सहयोग पर निर्भर करेगा। अगर सही दिशा में प्रयास किए जाएँ, तो यह संगठन वैश्विक मंच पर एक शक्तिशाली क्षेत्रीय इकाई के रूप में उभर सकता है।
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