Exercise Dustlik 2025: भारत और उज़्बेकिस्तान का Powerful Military Alliance का शानदार प्रदर्शन
भूमिका: सैन्य कूटनीति की दिशा में मज़बूत कदम
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Toggle21वीं सदी में अंतरराष्ट्रीय सहयोग केवल आर्थिक या सांस्कृतिक सीमाओं तक सीमित नहीं रह गया है। अब राष्ट्रों के बीच की साझेदारियाँ सामरिक स्तर पर भी गहराई से जुड़ रही हैं।
भारत और उज्बेकिस्तान के बीच ‘डस्टलिक’ नामक संयुक्त सैन्य अभ्यास इसी कड़ी का महत्वपूर्ण हिस्सा है। 2025 में यह अभ्यास अपने छठे संस्करण में प्रवेश कर चुका है, जो यह दर्शाता है कि दोनों देशों के बीच सैन्य समझ और विश्वास निरंतर प्रगाढ़ हो रहा है।
डस्टलिक 2025: क्या है यह अभ्यास?
‘डस्टलिक’ एक उज़्बेक शब्द है, जिसका अर्थ होता है – “मित्रता”। यह नाम ही इस अभ्यास के मूल उद्देश्य को स्पष्ट करता है: भारत और उज्बेकिस्तान के बीच मित्रता और सामरिक तालमेल को मज़बूत करना।
Exercise Dustlik 2025 का उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच संयुक्त अभियानों की समझ, अंतर-संचालन (interoperability) और आतंकवाद विरोधी अभियानों में समन्वय को बढ़ाना है।
2025 का यह छठा संस्करण 15 अप्रैल से 28 अप्रैल तक आयोजित हो रहा है और इसका आयोजन स्थल है – Foreign Training Node, औंध, पुणे।
इतिहास: कैसे शुरू हुआ डस्टलिक अभ्यास
डस्टलिक अभ्यास की शुरुआत वर्ष 2019 में हुई थी, जब भारत और उज्बेकिस्तान ने पहली बार इस तरह के द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास की आवश्यकता को महसूस किया।
दोनों देशों को मध्य एशिया में उभरते सुरक्षा खतरों, आतंकवाद और कट्टरवाद से निपटने की रणनीति पर विचार करने की जरूरत थी। तभी से हर साल यह अभ्यास अलग-अलग संस्करणों में आयोजित होता रहा है।
अब तक के संस्करण: एक झलक
1. 2019 – उज्बेकिस्तान के तरमेज़ में पहला संस्करण
2. 2021 – भारत में रानीखेड़, उत्तराखंड
3. 2022 – उज्बेकिस्तान में
4. 2023 – औंध, पुणे में
5. 2024 – उज्बेकिस्तान
6. 2025 – फिर से भारत में, औंध, पुणे
Exercise Dustlik 2025 की थीम: आतंकवाद के विरुद्ध एकजुटता
इस वर्ष के Exercise Dustlik 2025 की मुख्य थीम है: “Counter-Terrorism in Semi-Urban Terrain”
भारत और उज्बेकिस्तान दोनों ही उन क्षेत्रों में आते हैं जहाँ आतंकवाद एक प्रमुख सुरक्षा चुनौती रहा है। ऐसे में इस अभ्यास का उद्देश्य है कि दोनों सेनाओं के जवान आतंकवाद से निपटने की संयुक्त रणनीति सीखें और अपनाएँ।
स्थान विशेष: क्यों चुना गया औंध, पुणे?
औंध, पुणे स्थित Foreign Training Node (FTN) एक अत्याधुनिक सैन्य प्रशिक्षण केंद्र है जहाँ अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। यहां का इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रेनिंग सेटअप और सिमुलेटेड युद्धक्षेत्र अभ्यास को रियलिस्टिक बनाते हैं।

प्रशिक्षण के प्रमुख पहलू: क्या-क्या शामिल होगा अभ्यास में?
Exercise Dustlik 2025 में कई स्तरों पर साझा अभ्यास किए जा रहे हैं, जो मुख्यतः निम्नलिखित हैं:
1. काउंटर टेरर ऑपरेशंस (Anti-Terrorist Operations)
दोनों सेनाओं के विशेष दस्ते, शहरी एवं अर्ध-शहरी इलाकों में आतंकवादियों के विरुद्ध ऑपरेशन की रणनीतियाँ साझा कर रहे हैं।
2. हॉस्टेज रेस्क्यू ऑपरेशन
कैसे बंधकों को छुड़ाया जाए, इस पर एक संयुक्त अभ्यास। इस दौरान भारतीय और उज्बेक सैनिक मिलकर रणनीति बनाते और उसका कार्यान्वयन करते हैं।
3. क्लोज क्वार्टर बैटल (CQB)
यह युद्ध की वह शैली है जिसमें सैनिक बहुत ही नजदीक से दुश्मनों से लड़ते हैं। यह आधुनिक आतंकवाद के विरुद्ध अत्यंत आवश्यक तकनीक मानी जाती है।
4. जंगल वारफेयर और रूम इंटरवेंशन
सेनाएं जंगल जैसे जटिल इलाकों में लड़ाई का अभ्यास करती हैं, साथ ही यह भी सीखती हैं कि किसी इमारत या कमरे में घुसकर कैसे दुश्मन का सामना किया जाए।
5. इंटेलिजेंस और कम्युनिकेशन सिस्टम का प्रयोग
Exercise Dustlik 2025 में आधुनिक तकनीक, जैसे ड्रोन, GPS, रियल टाइम मैपिंग, साइबर कम्युनिकेशन आदि का प्रयोग किया जा रहा है।
भारत और उज्बेकिस्तान: सामरिक संबंधों का गहराता दायरा
Exercise Dustlik 2025 केवल एक सैन्य कवायद नहीं है, बल्कि यह भारत और उज्बेकिस्तान के बीच बढ़ते सामरिक, कूटनीतिक और रणनीतिक संबंधों की प्रतीक हैदोनों देशों ने पिछले कुछ वर्षों में रक्षा उपकरणों की खरीद, अफगानिस्तान मसले पर सामंजस्य, और मध्य एशिया में भारत की भूमिका जैसे कई मुद्दों पर सकारात्मक पहल की है।
सेना के जवानों के लिए इसका क्या महत्व है?
Exercise Dustlik 2025 जैसे अभ्यासों का सीधा प्रभाव सैनिकों की तैयारी, अनुशासन और आधुनिक युद्ध कौशल पर पड़ता है। जब दो देशों के सैनिक साथ काम करते हैं, तो वे एक-दूसरे की रणनीतियों, तकनीकों और सोच को समझते हैं, जिससे उनका दृष्टिकोण वैश्विक बनता है।
भविष्य की रणनीति: डस्टलिक से आगे क्या?
Exercise Dustlik 2025 भारत की ‘Look Central Asia Policy’ का अहम हिस्सा बनता जा रहा है। भारत चाहता है कि वह मध्य एशिया में एक मज़बूत और भरोसेमंद सुरक्षा साझेदार के रूप में उभरे। डस्टलिक के ज़रिए भारत उज्बेकिस्तान के साथ मिलकर क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान दे रहा है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डस्टलिक का प्रभाव
यह अभ्यास केवल द्विपक्षीय नहीं है, बल्कि इसका संदेश पूरे क्षेत्र को जाता है। भारत और उज्बेकिस्तान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे किसी भी प्रकार के आतंकवाद, अलगाववाद और कट्टरपंथ के विरुद्ध एक साथ खड़े हैं।
यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी प्रेरणा देता है कि सैन्य सहयोग और साझा अभ्यासों से वैश्विक शांति का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।
भारत के लिए रणनीतिक लाभ
1. मध्य एशिया में प्रभाव
डस्टलिक के ज़रिए भारत मध्य एशिया में अपनी मज़बूत उपस्थिति बनाए रखता है, खासकर तब जब चीन और रूस भी इस क्षेत्र में सक्रिय हैं।
2. आतंकवाद से निपटने की तैयारी
अभ्यासों के ज़रिए भारतीय सेना को आतंकवाद से लड़ने के लिए और अधिक कुशल बनाया जा रहा है।
3. रक्षा निर्यात और तकनीकी सहयोग
डस्टलिक जैसे अभ्यासों से भारत को रक्षा उपकरणों के निर्यात और तकनीकी साझा सहयोग के नए अवसर प्राप्त होते हैं।
सांस्कृतिक सहभागिता: सिर्फ हथियार नहीं, रिश्ते भी गहराते हैं
इस अभ्यास के दौरान न केवल सैन्य गतिविधियाँ होती हैं, बल्कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान, पारंपरिक नृत्य, संगीत, खेल और स्थानीय भ्रमण भी किया जाता है। इससे सैनिकों के बीच भाईचारा और समझ का एक मानवीय संबंध बनता है।
डस्टलिक 2025 का समापन समारोह: एकता का उत्सव
28 अप्रैल 2025 को होने वाला समापन समारोह एक ऐतिहासिक क्षण होगा। दोनों देशों के शीर्ष सैन्य अधिकारी, राजनयिक और मीडिया प्रतिनिधि इस आयोजन में भाग लेंगे। इसमें दोनों देशों के झंडे, सलामी परेड, संयुक्त युद्धाभ्यास का प्रदर्शन और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।
भारतीय सेना की भूमिका: आत्मनिर्भर भारत की झलक
Exercise Dustlik 2025 के ज़रिए भारतीय सेना ने यह दिखा दिया कि वह सिर्फ रक्षा के मोर्चे पर ही नहीं, बल्कि रणनीतिक सोच, तकनीकी आत्मनिर्भरता और वैश्विक सैन्य कूटनीति में भी अग्रणी भूमिका निभा रही है। इस अभ्यास में भारत द्वारा विकसित कुछ प्रमुख उपकरणों और तकनीकों का भी प्रदर्शन किया गया:
1. स्वदेशी ड्रोन टेक्नोलॉजी
भारतीय सेना ने DRDO द्वारा विकसित सर्विलांस ड्रोन का प्रयोग किया, जिससे शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों में दुश्मन की गतिविधियों की निगरानी की गई।
2. इंटीग्रेटेड बैटल गियर
भारतीय सैनिकों ने अत्याधुनिक संचार व्यवस्था, नाइट विजन गॉगल्स, GPS सिस्टम, और स्वदेशी असॉल्ट राइफल्स का प्रदर्शन किया।
3. कमांड एंड कंट्रोल सेंटर
इस संस्करण में पहली बार एक डिजिटल कमांड सेंटर के ज़रिए ऑपरेशन्स का लाइव मॉनिटरिंग और विश्लेषण किया गया, जिससे रियल टाइम निर्णय क्षमता में वृद्धि हुई।
उज़्बेक सेना की भागीदारी: संगठन और अनुशासन का उदाहरण
उज़्बेकिस्तान की सेना ने भी इस अभ्यास में गहरी रुचि और शानदार भागीदारी दिखाई। उनके सैनिकों ने अर्ध-शहरी युद्ध कौशल, बचाव कार्य, और विस्फोटकों को निष्क्रिय करने की तकनीकों का अभ्यास साझा किया।
उन्होंने अपने पारंपरिक “Speznaz” शैली की तेजी और सटीकता से भारतीय सैनिकों को प्रभावित किया।
भाषा की दीवार नहीं बनी बाधा
हालांकि भाषा अलग-अलग थी, लेकिन सैन्य संकेत, तकनीकी टर्मिनोलॉजी और अभ्यास के माध्यम से दोनों सेनाओं ने एक-दूसरे के साथ गहरा तालमेल बना लिया। इससे यह साबित होता है कि “कौशल और उद्देश्य” भाषा की सीमाओं से कहीं ऊपर होता है।
डस्टलिक 2025 और युवाओं के लिए प्रेरणा
भारत में युवा वर्ग, विशेष रूप से NDA और CDS की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए Dustlik 2025 एक बड़ा उदाहरण है। यह दिखाता है कि भारतीय सेना किस तरह से वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका निभा रही है।
यह युवाओं में देशभक्ति, अनुशासन और रक्षा क्षेत्र में करियर की भावना को और प्रबल करता है।
मीडिया और जन-प्रतिनिधियों की भागीदारी
इस अभ्यास को विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने कवर किया, जिससे यह कार्यक्रम न केवल सैन्य जगत में बल्कि आम जनमानस तक भी पहुँचा। समापन समारोह में रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, महाराष्ट्र सरकार और पुणे प्रशासन के अधिकारी भी उपस्थित रहे।
सांस्कृतिक संगम: भारत और उज़्बेकिस्तान का मेल
इस अभ्यास के दौरान एक विशेष ‘Friendship Night’ का आयोजन किया गया, जिसमें दोनों देशों के सैनिकों ने पारंपरिक वेशभूषा में एक-दूसरे की सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ देखीं। इसमें भारतीय लोकनृत्य, उज्बेक धुनों पर आधारित संगीत, और पारंपरिक व्यंजनों का आदान-प्रदान भी हुआ।
भारत की Look Central Asia नीति को मजबूती
डस्टलिक 2025 इस बात का प्रमाण है कि भारत अपनी ‘Look Central Asia’ नीति को लेकर गंभीर है। यह नीति केवल कूटनीति तक सीमित नहीं, बल्कि सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, संस्कृति और रणनीति के स्तर पर भी भारत को मध्य एशिया में स्थायी भागीदार बनाती है।
रणनीतिक संदेश: भारत की संतुलित विदेश नीति
भारत इस अभ्यास के ज़रिए यह संदेश भी देता है कि वह किसी ब्लॉक पॉलिटिक्स में नहीं, बल्कि बहुपक्षीय और संतुलित कूटनीति में विश्वास रखता है। रूस और चीन के प्रभाव वाले क्षेत्र में उज्बेकिस्तान के साथ गहरा सैन्य सहयोग स्थापित करना, भारत की स्वतंत्र विदेश नीति को दर्शाता है।
डस्टलिक 2025: एक नई शुरुआत का संकेत
डस्टलिक का छठा संस्करण केवल एक अभ्यास नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत का संकेत है—जहाँ भारत मध्य एशिया में सक्रिय भूमिका निभाएगा और वैश्विक शांति, सहयोग और सामरिक संतुलन का अग्रदूत बनेगा।
आगे का रास्ता: क्या-क्या हो सकता है भविष्य में?
- ट्राइ-नेशन अभ्यास: भविष्य में भारत, उज्बेकिस्तान और अन्य मध्य एशियाई देशों के साथ मिलकर बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास कर सकता है।
- डिफेंस इंडस्ट्री सहयोग: भारत की रक्षा निर्माण कंपनियाँ उज्बेकिस्तान में निवेश या साझेदारी कर सकती हैं।
- साझा आतंकवाद विरोधी इकाई: एक स्थायी संयुक्त आतंकवाद विरोधी टास्क फोर्स की स्थापना की जा सकती है।
Exercise Dustlik 2025: भारत की रक्षा नीति का विस्तार
भारत की रक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य है – देश की सुरक्षा, सीमाओं की रक्षा, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग को बढ़ावा देना। Exercise Dustlik 2025 इसी उद्देश्य की पूर्ति का सशक्त उदाहरण है।
Exercise Dustlik 2025 बताता है कि भारत अब केवल अपने क्षेत्रीय हितों तक सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक साझेदारी में विश्वास करता है।
1. सुरक्षा नीति में विविधता
डस्टलिक जैसे अभ्यास यह सुनिश्चित करते हैं कि भारत की सुरक्षा नीति एकपक्षीय नहीं है। भारत हर क्षेत्र और भू-राजनीतिक समूह के साथ सामरिक जुड़ाव चाहता है – चाहे वह क्वाड समूह हो या मध्य एशियाई देश।
2. सीमाओं के पार रणनीतिक गहराई
मध्य एशिया के साथ भारत के संबंध पाकिस्तान और अफगानिस्तान के घटनाक्रम को संतुलित करने में भी मदद करते हैं। उज्बेकिस्तान, एक स्थिर लेकिन सामरिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र में स्थित है, जहाँ भारत की उपस्थिति चीन की बढ़ती पहुँच का जवाब भी है।
भारत-उज़्बेकिस्तान: रक्षा उद्योग में संभावनाएं
Exercise Dustlik के माध्यम से रक्षा उद्योग के स्तर पर भी सहयोग के द्वार खुलते हैं। भारत की तेज़ी से विकसित होती रक्षा निर्माण क्षमता उज्बेकिस्तान जैसे देशों को आत्मनिर्भर बनने में सहयोग कर सकती है।
संभावनाओं के क्षेत्र:
उज्बेकिस्तान को हल्के वाहन, बुलेट प्रूफ जैकेट्स, संचार प्रणाली, और ड्रोन सप्लाई कर सकता है।
दोनों देशों के बीच रक्षा R&D में सहयोग हो सकता है।
उज्बेकिस्तान में भारत के रक्षा उद्योग की यूनिट्स लग सकती हैं।

भारत के लिए रणनीतिक लाभ:
1. चाबहार पोर्ट तक पहुँच
डस्टलिक जैसे अभ्यास उज्बेकिस्तान जैसे लैंडलॉक्ड देशों के साथ मजबूत रिश्ते बनाते हैं, जिससे भारत की चाबहार पोर्ट के माध्यम से मध्य एशिया तक पहुँच आसान होती है।
2. आतंकवाद विरोध में सहयोग
मध्य एशिया में आतंकवाद, कट्टरपंथ और नशा तस्करी जैसी समस्याएँ मौजूद हैं। भारत और उज्बेकिस्तान मिलकर सूचना आदान-प्रदान, सीमा सुरक्षा और खुफिया सहयोग को मज़बूत कर सकते हैं।
Exercise Dustlik 2025 और बहुपक्षीय कूटनीति
Exercise Dustlik 2025 दर्शाता है कि भारत सिर्फ अमेरिका, रूस या चीन जैसे बड़े खिलाड़ियों के साथ ही नहीं, बल्कि मध्यम आकार के, उभरते हुए राष्ट्रों के साथ भी कूटनीतिक और सामरिक रिश्ते मजबूत करना चाहता है।
भारत का यह रुख अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक “संतुलित शक्ति” के रूप में उसकी छवि को और मज़बूत करता है।
शांति और स्थायित्व की दिशा में कदम
Exercise Dustlik 2025 केवल युद्ध कौशल का अभ्यास नहीं है – यह एक संकेत है कि दोनों देश अपने-अपने क्षेत्रों में शांति, सुरक्षा और स्थायित्व को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह अभ्यास सहयोग, संवाद और मानवता को भी केंद्र में रखता है।
जनता के लिए संदेश: सेना का बदलता स्वरूप
Exercise Dustlik जैसे अभ्यास भारतीय जनता को यह विश्वास दिलाते हैं कि हमारी सेना बदलते समय के अनुरूप तैयार है:
नई तकनीक अपनाने के लिए तत्पर
वैश्विक मंचों पर नेतृत्व करने में सक्षम
मानवीय और कूटनीतिक दृष्टिकोण को अपनाने वाली
नवाचार और प्रशिक्षण: एक सीखने का मंच
Exercise Dustlik 2025 ने दोनों देशों को नई तकनीक, उपकरण, विचार और युद्ध रणनीति के आदान-प्रदान का अवसर दिया।
कुछ प्रमुख क्षेत्रों में नवाचार:
AI आधारित नकली हमले से बचाव
बायोमेट्रिक सैनिक पहचान प्रणाली
मल्टी-लेयर डिफेंस सिस्टम की समन्वित ट्रेनिंग
Exercise Dustlik 2025 की चुनौतियाँ और समाधान
1. भौगोलिक परिस्थितियाँ
भारत की गर्म जलवायु और उज्बेकिस्तान की ठंडी जलवायु में प्रशिक्षण का सामंजस्य बनाना चुनौतीपूर्ण था, लेकिन दोनों सेनाओं ने सामूहिक अभ्यास के माध्यम से इसे कुशलता से संभाला।
2. भाषा और कम्युनिकेशन गैप
हालाँकि दोनों देशों की भाषाएँ अलग हैं, लेकिन अभ्यास के दौरान संकेत, डिजिटल कमांड सिस्टम और तकनीकी संप्रेषण ने इस बाधा को हटाया।
सैनिकों की भावना: भाईचारे का अनुभव
Exercise Dustlik 2025 में भाग लेने वाले सैनिकों ने साझा किया कि:
“इस Exercise Dustlik 2025 ने हमें यह सिखाया कि एक वर्दी भले ही अलग हो, पर जब उद्देश्य एक हो – तो दिल भी एक हो जाते हैं।”
Exercise Dustlik 2025 सैनिकों में अंतरराष्ट्रीय भाईचारे की भावना को और मज़बूत करता है, जो वैश्विक शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान है।
निष्कर्ष: Exercise Dustlik 2025 एक गौरवशाली अध्याय
Exercise Dustlik 2025 ने यह प्रमाणित कर दिया है कि सैन्य अभ्यास केवल युद्ध की तैयारी नहीं होते, बल्कि यह दोस्ती, भरोसे, तकनीकी सहयोग, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और वैश्विक स्थिरता के वाहक भी होते हैं।
Exercise Dustlik 2025 आने वाले वर्षों के लिए भारत और उज्बेकिस्तान के बीच भरोसे की नींव को और मज़बूत करेगा। और साथ ही यह भारत के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और सैन्य कूटनीति की परिपक्वता का भी प्रतीक है।
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