PMGSY-IV: उपलब्धियाँ, चुनौतियाँ और नीतिगत सुधार , सफलता और भविष्य की संभावनाएँ!
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY-IV) भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका उद्देश्य देश के ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क संपर्क को बढ़ावा देना है।
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TogglePMGSY-IV योजना के तहत, विशेष रूप से पिछड़े और दूरदराज के इलाकों को ऑल-वेदर सड़कों से जोड़ने का प्रयास किया जाता है। अच्छी सड़कें ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में सहायक होती हैं, जिससे कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और व्यापारिक गतिविधियों में सुधार होता है।
PMGSY-IV का संक्षिप्त परिचय
PMGSY-IV योजना की शुरुआत 25 दिसंबर 2000 को की गई थी। इस योजना को ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जाता है और यह केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित कार्यक्रम है।
इसका मुख्य उद्देश्य उन गाँवों को सड़क सुविधा से जोड़ना था, जहाँ अभी तक सड़क संपर्क उपलब्ध नहीं था। योजना के पहले चरण में 500 से अधिक आबादी वाले गाँवों (विशेष श्रेणी के राज्यों में 250 की जनसंख्या) को सड़क से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था।
PMGSY-IV योजना के विभिन्न चरणों में लक्ष्य बढ़ाए गए और अब चौथे चरण के अंतर्गत और अधिक गाँवों को जोड़ा जाएगा।
2022 से 2025 तक की प्रगति
वर्ष 2022 से फरवरी 2025 तक इस योजना के अंतर्गत देश भर में कुल 69,666.09 किलोमीटर लंबाई की सड़कों का निर्माण किया जा चुका है।
यह आंकड़ा ग्रामीण बुनियादी ढांचे के विकास में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस अवधि में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में बड़ी संख्या में सड़क परियोजनाएँ पूरी की गईं।
सड़क निर्माण से ग्रामीण क्षेत्रों में यातायात की सुविधा में सुधार हुआ है, जिससे सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है।
PMGSY का चौथा चरण (PMGSY-IV)
भारत सरकार ने 11 सितंबर 2024 को PMGSY योजना के चौथे चरण को मंजूरी दी। इस चरण के तहत 2011 की जनगणना के आधार पर निम्नलिखित मानदंडों के अनुसार बस्तियों को सड़क संपर्क प्रदान किया जाएगा:
- मैदानी इलाके: 500 से अधिक आबादी वाली बस्तियाँ।
- पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश: 250 से अधिक आबादी वाली बस्तियाँ।
- विशेष श्रेणी क्षेत्र: आदिवासी अनुसूचित क्षेत्र (अनुसूची V), आकांक्षी जिले और ब्लॉक, रेगिस्तानी क्षेत्र – 250 से अधिक आबादी वाली बस्तियाँ।
- वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र: गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचित नौ राज्यों में 100 से अधिक आबादी वाली बस्तियाँ।
इस चरण में मुख्य रूप से उन दूरदराज और पिछड़े क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जा रही है, जो अब तक सड़क सुविधा से वंचित थे। PMGSY-IV योजना न केवल आवागमन को सरल बनाएगी बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन स्तर को भी सुधारेगी।
PMGSY-IV का वित्तीय प्रावधान
PMGSY-IV के तहत, वर्ष 2024-25 से 2028-29 की अवधि के दौरान कुल 62,500 किलोमीटर लंबाई की सड़क का निर्माण करने का प्रस्ताव है।
इसके लिए सरकार ने 70,125 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। इस धनराशि का उपयोग निम्नलिखित कार्यों के लिए किया जाएगा:
- नए सड़क निर्माण: पूरी तरह नई सड़कें बनाई जाएँगी।
- पुरानी सड़कों का उन्नयन: जिन सड़कों की हालत खराब हो चुकी है, उन्हें मजबूत और टिकाऊ बनाया जाएगा।
- पुल और पुलियों का निर्माण: बेहतर कनेक्टिविटी के लिए नदियों और जल धाराओं पर पुल और पुलियाँ बनाई जाएँगी।
योजना का क्रियान्वयन और निगरानी
PMGSY-IV योजना के तहत, राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश पात्र बस्तियों की पहचान कर रहे हैं। केंद्र सरकार इस प्रक्रिया में राज्यों के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि प्रस्तावित परियोजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।
योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:

- डिजिटल मॉनिटरिंग: सड़कों के निर्माण की निगरानी के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म और जीआईएस मैपिंग तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
- स्थानीय भागीदारी: ग्राम पंचायतों और स्थानीय प्रशासन की भागीदारी से योजना को अधिक प्रभावी बनाया जा रहा है।
- गुणवत्ता नियंत्रण: सड़क निर्माण की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नियमित निरीक्षण किए जा रहे हैं।
- वित्तीय पारदर्शिता: बजट आवंटन और व्यय की निगरानी के लिए पारदर्शी प्रणाली लागू की गई है।
राज्यवार PMGSY-IV की प्रगति
उत्तर प्रदेश: यहाँ अब तक 10,000 किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण हो चुका है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और व्यापार को बढ़ावा मिला है। पूर्वांचल और बुंदेलखंड में विशेष रूप से सड़क संपर्क बेहतर हुआ है।
बिहार: बिहार के लगभग सभी जिलों में सड़क परियोजनाएँ लागू की गई हैं। सहरसा, कटिहार, मधेपुरा और अन्य पिछड़े जिलों में सड़क संपर्क बढ़ने से स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं तक पहुँच आसान हुई है।
मध्य प्रदेश: राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों और आदिवासी बहुल इलाकों में सड़कों का विस्तार किया गया है। बस्तर और महाकौशल क्षेत्र में सड़क संपर्क से स्थानीय रोजगार और व्यापार को सहायता मिली है।
राजस्थान: मरुस्थलीय क्षेत्रों में सड़क निर्माण से यातायात सुगम हुआ है। जैसलमेर, बाड़मेर और जोधपुर जिलों में नई सड़कें बनी हैं, जिससे परिवहन और पर्यटन को बढ़ावा मिला है।
पश्चिम बंगाल: राज्य के सीमावर्ती जिलों और ग्रामीण इलाकों में सड़क संपर्क बेहतर हुआ है। उत्तर और दक्षिण 24 परगना, मुर्शिदाबाद और पुरुलिया में विकास कार्य तेजी से चल रहे हैं।
ओडिशा: यहाँ वन क्षेत्र और आदिवासी बहुल इलाकों में सड़कें बनाकर सामाजिक और आर्थिक विकास को गति दी गई है। खासकर कालाहांडी और मयूरभंज जिलों में सड़क संपर्क का विस्तार हुआ है।
महाराष्ट्र: विदर्भ और मराठवाड़ा के ग्रामीण इलाकों में सड़क निर्माण कार्य हुआ है। इससे किसानों को बाजारों तक बेहतर पहुँच मिली है।
छत्तीसगढ़: नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़क निर्माण से सुरक्षा बलों और नागरिकों के आवागमन में सुधार हुआ है। दंतेवाड़ा और सुकमा जिलों में विशेष परियोजनाएँ चलाई जा रही हैं।
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश: पहाड़ी इलाकों में सड़क निर्माण से पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा मिला है। उत्तरकाशी, चमोली, किन्नौर और कुल्लू में नई सड़कें बनी हैं।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना: इन राज्यों में ग्रामीण इलाकों में सड़कें बनाकर कृषि और सूचना प्रौद्योगिकी हब से जुड़ने में सहायता मिली है।
तमिलनाडु: यहाँ ग्रामीण और तटीय इलाकों में सड़क संपर्क को प्राथमिकता दी गई है।
केरल: बैकवाटर क्षेत्रों और हिल स्टेशनों में सड़कों का उन्नयन किया गया है।
नॉर्थ ईस्ट राज्यों (असम, मणिपुर, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम, सिक्किम): पूर्वोत्तर राज्यों में सड़क निर्माण से संपर्क बढ़ा है। अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में विशेष रूप से सड़क परियोजनाएँ चल रही हैं।
PMGSY-IV में अपनाई गई तकनीकी विशेषताएँ
PMGSY-IV के तहत सड़क निर्माण में आधुनिक तकनीकों और नवाचारों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे टिकाऊ और कुशल बुनियादी ढाँचा तैयार किया जा सके।
- जियो-सिंथेटिक्स और ग्रीन टेक्नोलॉजी
- कमजोर मिट्टी वाले इलाकों में सड़क की मजबूती बढ़ाने के लिए जियो-सिंथेटिक्स (Geo-synthetics) का उपयोग किया जाता है।
- पर्यावरण के अनुकूल निर्माण के लिए ग्रीन टेक्नोलॉजी को अपनाया जा रहा है, जिसमें प्लास्टिक कचरे से सड़क निर्माण और सौर ऊर्जा से चलने वाली स्ट्रीट लाइट शामिल हैं।
- कोल्ड मिक्स टेक्नोलॉजी
- ठंडे मिश्रण (Cold Mix) तकनीक का उपयोग किया जाता है, जिससे पारंपरिक गर्म मिश्रण की तुलना में ऊर्जा की बचत होती है और कार्बन उत्सर्जन कम होता है।
- यह तकनीक विशेष रूप से उन इलाकों में उपयोगी होती है जहाँ तापमान बहुत कम रहता है, जैसे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्य।
- डिजिटल और जीआईएस मैपिंग तकनीक
- प्रत्येक सड़क परियोजना की निगरानी के लिए GIS (Geographic Information System) और रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
- इससे पारदर्शिता और प्रभावशीलता में वृद्धि हुई है और ग्रामीण सड़कों की गुणवत्ता की निगरानी करना आसान हुआ है।
- सीमेंट-कंक्रीट सड़कों का विस्तार
- दलदली, रेगिस्तानी और अधिक भार सहने वाली सड़कों के लिए पारंपरिक डामर सड़कों की तुलना में सीमेंट-कंक्रीट सड़कों का निर्माण किया जा रहा है।
- राजस्थान, गुजरात और केरल के कुछ हिस्सों में यह तकनीक अपनाई गई है।
- ड्रेनेज और जल संरक्षण उपाय
- बारिश और बाढ़ प्रभावित इलाकों में जल निकासी की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए उन्नत ड्रेनेज प्रणाली विकसित की गई है।
- जल संरक्षण के लिए सड़कों के किनारे वर्षा जल संचयन की संरचनाएँ बनाई जा रही हैं।
- प्री-फैब्रिकेटेड ब्रिज निर्माण
- छोटे नदियों और नालों के ऊपर शीघ्र निर्माण के लिए प्री-फैब्रिकेटेड ब्रिज तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
- इससे निर्माण लागत और समय दोनों की बचत होती है।
- स्थानीय सामग्री का उपयोग
- सड़क निर्माण में स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्री का उपयोग कर लागत कम करने और क्षेत्रीय संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा रहा है।
- इससे स्थानीय रोजगार को भी बढ़ावा मिलता है।
PMGSY-IV (2024-29): भारत के गांवों में 62,500 किमी सड़क निर्माण का लक्ष्य! विकास, चुनौतियाँ और समाधान!
PMGSY-IV के लाभ
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से ग्रामीण भारत में कई सकारात्मक बदलाव आए हैं। इसके प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
- सामाजिक विकास: स्कूल, अस्पताल और अन्य बुनियादी सेवाओं तक पहुँच आसान हुई है।
- आर्थिक सुधार: किसानों और छोटे व्यापारियों के लिए बाजारों तक पहुँच आसान होने से उनकी आय में वृद्धि हुई है।
- रोज़गार के अवसर: सड़क निर्माण के दौरान स्थानीय लोगों को रोजगार मिला है।
- आपातकालीन सेवाएँ: आपातकालीन स्थितियों में, जैसे स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता होने पर, गाँवों तक तेजी से पहुँचना संभव हुआ है।
- महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा: बेहतर सड़क संपर्क से स्कूल जाने वाले बच्चों और कामकाजी महिलाओं के लिए अधिक सुरक्षा सुनिश्चित हुई है।
- पर्यटन को बढ़ावा: कई ग्रामीण इलाकों में पर्यटन स्थलों तक पहुँच में सुधार हुआ है।
PMGSY-IV में आने वाली चुनौतियाँ
PMGSY-IV योजना के सफल कार्यान्वयन में कई प्रकार की चुनौतियाँ सामने आती हैं। ये चुनौतियाँ विभिन्न कारकों जैसे भूगोल, जलवायु, वित्तीय संसाधन, तकनीकी बाधाएँ और प्रशासनिक समस्याओं से जुड़ी हुई हैं।
- भौगोलिक बाधाएँ
- पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में सड़क निर्माण करना कठिन होता है।
- पूर्वोत्तर भारत और हिमालयी राज्यों में भूस्खलन और बर्फबारी सड़क निर्माण को प्रभावित करते हैं।
- घने जंगलों और वन्यजीव अभयारण्यों के कारण सड़क मार्ग निर्धारित करने में बाधाएँ आती हैं।
- जलवायु और पर्यावरणीय चुनौतियाँ
- भारी वर्षा वाले क्षेत्रों (असम, मेघालय, केरल) में सड़कें जल्दी खराब हो जाती हैं।
- रेगिस्तानी इलाकों में (राजस्थान) रेत के कारण सड़कें स्थिर नहीं रहतीं।
- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से सड़क निर्माण सामग्री की गुणवत्ता और टिकाऊपन प्रभावित होता है।
- वित्तीय समस्याएँ
- कुछ राज्यों में परियोजनाओं के लिए पर्याप्त धन आवंटन में देरी होती है।
- बजट के सीमित होने के कारण कई क्षेत्रों में धीमी प्रगति होती है।
- सड़क रखरखाव के लिए उचित धन आवंटित न होने से पहले से बनी सड़कों की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
- तकनीकी चुनौतियाँ
- ग्रामीण क्षेत्रों में उपयुक्त निर्माण सामग्री की उपलब्धता की समस्या रहती है।
- कई परियोजनाओं में कुशल इंजीनियरों और तकनीकी कर्मियों की कमी होती है।
- नई तकनीकों को अपनाने में धीमापन, जिससे निर्माण की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
- क्वालिटी कंट्रोल और रखरखाव
- कई परियोजनाओं में घटिया निर्माण सामग्री के कारण सड़कें जल्दी खराब हो जाती हैं।
- नियमित गुणवत्ता निरीक्षण और रखरखाव कार्य में अनियमितता बनी रहती है।
- सड़कों के रखरखाव के लिए स्थानीय प्रशासन और पंचायत स्तर पर उचित व्यवस्था नहीं होती।
- प्रशासनिक और नीति से जुड़ी समस्याएँ
- भूमि अधिग्रहण में देरी के कारण कई परियोजनाएँ लंबित रह जाती हैं।
- विभिन्न सरकारी विभागों के बीच समन्वय की कमी के कारण परियोजनाओं में देरी होती है।
- कुछ क्षेत्रों में भ्रष्टाचार और ठेकेदारों की लापरवाही के कारण निर्माण की गति धीमी रहती है।
समाधान और सुधार के उपाय
- स्थानीय सामग्री और टिकाऊ तकनीक: निर्माण में स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्री का उपयोग करना और ग्रीन टेक्नोलॉजी अपनाना।
- डिजिटल निगरानी: GIS, GPS और ड्रोन सर्वेक्षण का उपयोग कर परियोजनाओं की रीयल-टाइम निगरानी।
- नवाचार और अनुसंधान: सड़क निर्माण की नई तकनीकों को अपनाने और सरकारी इंजीनियरों को नई तकनीकों का प्रशिक्षण देने पर बल देना।
- स्थानीय भागीदारी और समुदाय की भागीदारी: सड़क निर्माण और रखरखाव में ग्रामीण समुदाय की भागीदारी बढ़ाना।
- वित्तीय पारदर्शिता और बजट सुधार: सड़क निर्माण और रखरखाव के लिए पर्याप्त और नियमित वित्तीय संसाधन सुनिश्चित करना।
भविष्य की संभावनाएँ
PMGSY-IV के तहत, आने वाले वर्षों में और अधिक बस्तियों को सड़क नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। सरकार इस योजना को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए नई तकनीकों का उपयोग कर रही है, जैसे:
- हरित प्रौद्योगिकी: पर्यावरण अनुकूल सड़क निर्माण सामग्री का उपयोग।
- स्मार्ट सड़कें: जिनमें जल निकासी, रोशनी और साइनेज जैसी आधुनिक सुविधाएँ होंगी।
- स्थायी मरम्मत नीति: ताकि सड़कों का रखरखाव लंबे समय तक किया जा सके।
- सरकार अगले चरणों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ड्रोन तकनीक का उपयोग कर सड़क निरीक्षण और रखरखाव को और बेहतर बनाने की योजना बना रही है।
- सस्टेनेबल इंफ्रास्ट्रक्चर के तहत अधिक से अधिक हरित प्रौद्योगिकी अपनाने पर जोर दिया जा रहा है।
- स्मार्ट सड़कों के रूप में सोलर पैनल वाली सड़कों का पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है, जिससे सड़कों के किनारे ऊर्जा उत्पादन किया जा सके।
PMGSY-IV योजना भारत के ग्रामीण विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। चौथे चरण के तहत होने वाला सड़क निर्माण लाखों ग्रामीण नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाएगा और देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान देगा।
निष्कर्ष
PMGSY-IV की शुरुआत 2000 में ग्रामीण क्षेत्रों को बुनियादी सड़क संपर्क प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। पिछले दो दशकों में इस योजना के माध्यम से लाखों किलोमीटर लंबी सड़कें बनाई गई हैं, जिससे कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और व्यापार में सुधार हुआ है।
2022 से 2025 तक 69,666.09 किलोमीटर सड़क निर्माण किया गया, जबकि PMGSY-IV के तहत 2024-29 के दौरान 62,500 किलोमीटर सड़क निर्माण का लक्ष्य रखा गया है।
PMGSY-IV योजना की सफलता के बावजूद कई चुनौतियाँ भी बनी हुई हैं। भूगोल और जलवायु संबंधी बाधाएँ, जैसे पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में निर्माण की कठिनाइयाँ, भारी बारिश, बर्फबारी और रेगिस्तानी इलाकों में टिकाऊ सड़कों का निर्माण, अभी भी बड़ी समस्याएँ हैं।
इसके अलावा, वित्तीय संसाधनों की कमी, निर्माण की गुणवत्ता और रखरखाव में लापरवाही, भूमि अधिग्रहण में देरी, और विभिन्न सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी भी परियोजनाओं को प्रभावित करती है।
तकनीकी नवाचार और डिजिटल निगरानी जैसे GIS, GPS और ड्रोन सर्वेक्षण के उपयोग से कार्यान्वयन की दक्षता बढ़ाई जा सकती है। स्थानीय निर्माण सामग्री और ग्रीन टेक्नोलॉजी के उपयोग से टिकाऊ सड़कें बनाई जा सकती हैं।
साथ ही, पारदर्शिता, वित्तीय सुधार, और सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना आवश्यक है ताकि सड़कों की गुणवत्ता बनी रहे और ग्रामीण विकास को और गति मिले।
PMGSY-IV का प्रभाव व्यापक रहा है, लेकिन इसे और प्रभावी बनाने के लिए नीति निर्माताओं, तकनीकी विशेषज्ञों और स्थानीय प्रशासन को मिलकर कार्य करना होगा।
यदि इन चुनौतियों का समाधान किया जाता है, तो यह योजना न केवल ग्रामीण भारत के बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगी, बल्कि आर्थिक और सामाजिक विकास को भी नए आयाम देगी।
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