भारत का गिनी सूचकांक 2025: कैसे बना भारत दुनिया का चौथा सबसे समानता वाला देश?
भूमिका: बदलते भारत की नई पहचान
आज जब पूरी दुनिया आर्थिक विषमता, संपत्ति का केंद्रीकरण और सामाजिक असंतुलन से जूझ रही है, तब भारत ने वैश्विक मंच पर एक ऐसी उपलब्धि हासिल की है जो न सिर्फ आकड़ों में बड़ी बात है, बल्कि यह विकास और समावेशन की नई मिसाल भी है।
वर्ल्ड बैंक की नवीनतम Spring 2025 Poverty & Equity Brief रिपोर्ट के अनुसार, भारत का गिनी सूचकांक 25.5 दर्ज किया गया है, जो उसे विश्व का चौथा सबसे समानता वाला देश बनाता है।
यह बदलाव अचानक नहीं हुआ—यह एक लंबी नीतिगत यात्रा, मजबूत सामाजिक ढांचे और डिजिटल परिवर्तन की देन है।
गिनी सूचकांक क्या है? — असमानता का वैज्ञानिक पैमाना
गिनी सूचकांक (Gini Index) वह मापक है जो किसी देश में आय या संपत्ति की असमानता को मापता है।
इसका स्केल 0 से 100 तक होता है।
0 का अर्थ है पूर्ण समानता (हर व्यक्ति की आय एक जैसी)।
100 का अर्थ है पूर्ण असमानता (सारी आय एक व्यक्ति के पास)।
उदाहरण:
अगर एक देश में 10 लोग हैं और सभी की आय ₹10,000 है, तो गिनी = 0 (पूर्ण समानता)।
अगर एक ही व्यक्ति के पास पूरी आय है और बाकी के पास कुछ नहीं, तो गिनी = 100।
भारत की स्थिति: 25.5 पर पहुँचा गिनी, बना चौथा सबसे समान देश
भारत ने गिनी सूचकांक में ऐतिहासिक सुधार करते हुए 2025 की रिपोर्ट में 25.5 का स्कोर हासिल किया। यह आंकड़ा भारत को वैश्विक रैंकिंग में चौथे स्थान पर रखता है, जहाँ उससे आगे हैं:
- स्लोवाक गणराज्य (24.1)
- स्लोवेनिया (24.3)
- बेलारूस (24.4)
यह क्यों ऐतिहासिक है?
भारत की जनसंख्या > 140 करोड़
विशाल आर्थिक विविधता
बहुस्तरीय सामाजिक संरचना
इन सबके बावजूद इतना कम गिनी सूचकांक यह दर्शाता है कि भारत ने विकास के लाभों को समाज के सभी तबकों तक पहुँचाया है।
भारत में गिनी सूचकांक में गिरावट कैसे आई?
पिछले एक दशक में भारत ने सामाजिक कल्याण, डिजिटलीकरण और वित्तीय समावेशन में जो क्रांतिकारी कदम उठाए, उन्होंने गिनी सूचकांक को प्रभावित किया। आइए उन कारणों पर नज़र डालते हैं:
गरीबी में भारी कमी
2011-12 में गरीबी दर (₹180/दिन से नीचे की आय): 16.2%
2022-23 में: 2.3%
घटाव: लगभग 14 प्रतिशत बिंदु
भारत ने करोड़ों लोगों को गरीब रेखा से ऊपर उठाया।
जन-धन क्रांति
PM Jan-Dhan Yojana के अंतर्गत 55+ करोड़ बैंक खाते
बैंकिंग नेटवर्क ने समाज के सबसे निचले स्तर को औपचारिक वित्तीय व्यवस्था से जोड़ा
महिलाओं के नाम खाते, मोबाइल से लिंक और सीधा लाभ हस्तांतरण (DBT)
DBT और डिजिटल इंडिया
LPG सब्सिडी, स्कॉलरशिप, वृद्धावस्था पेंशन, किसान सहायता—सब कुछ सीधे खातों में
Aadhaar आधारित भुगतान व्यवस्था ने बिचौलियों और भ्रष्टाचार को किया कम
₹3 लाख करोड़ से अधिक की बचत सिर्फ DBT के कारण
स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा
आयुष्मान भारत योजना: 50 करोड़ से अधिक नागरिकों को मुफ्त स्वास्थ्य बीमा
PM गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY): कोविड काल में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन
स्वच्छ भारत, उज्ज्वला योजना, मिशन इंद्रधनुष जैसी योजनाएं सामाजिक ढांचे को मजबूत करती रहीं

भारत में आर्थिक समानता के अन्य संकेतक
आय का वितरण
2014 में टॉप 10% लोगों के पास कुल आय का 57% था
2023 तक यह आंकड़ा घटकर लगभग 48% आ गया
ग्रामीण-शहरी खाई
मनरेगा और डिजिटल ग्राम योजनाओं के कारण ग्रामीण भारत में भी क्रयशक्ति बढ़ी
आज भारत में मोबाइल आधारित ई-कॉमर्स और डिजिटल भुगतान गाँव-गाँव तक पहुँचे हैं
भारत बनाम दुनिया: तुलनात्मक विश्लेषण
देश गिनी सूचकांक रैंक
स्लोवाक गणराज्य 24.1 1
स्लोवेनिया 24.3 2
बेलारूस 24.4 3
भारत 25.5 4
फ्रांस 32.4 ~20
अमेरिका 41.8 ~60
दक्षिण अफ्रीका 63.0 100+
> अमेरिका जैसे विकसित देश भी इस मामले में भारत से पीछे हैं।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
> “भारत का गिनी स्कोर गिरना केवल एक आंकड़ा नहीं, यह दशकों की योजनाबद्ध नीतियों का फल है।”
— डॉ. रघुराम राजन, अर्थशास्त्री
> “गरीबों तक योजनाओं की सीधी पहुंच भारत की असमानता को घटाने का सबसे बड़ा कारण है।”
— नीति आयोग रिपोर्ट, 2024
भारत की उपलब्धि के मायने
समतावादी विकास का मॉडल
भारत ने यह दिखाया कि विकास और समानता विरोधी तत्व नहीं, बल्कि साथी हैं
डिजिटलीकरण, जन भागीदारी, और जवाबदेही से समानता संभव है
वैश्विक मंच पर प्रभाव
भारत की यह छवि निवेशकों, वैश्विक संगठनों और संस्थानों को आकर्षित करेगी
वैश्विक दक्षिण (Global South) के लिए नेतृत्व मॉडल बनकर उभरेगा
राज्यवार सामाजिक समानता: क्या सभी राज्य समान रूप से आगे बढ़े?
हालाँकि भारत का राष्ट्रीय गिनी स्कोर 25.5 तक पहुँच गया है, लेकिन अगर हम राज्यवार विश्लेषण करें तो कुछ राज्यों ने समानता की दिशा में असाधारण प्रदर्शन किया है, जबकि कुछ अब भी पीछे हैं।
अग्रणी राज्य:
1. केरल
उच्च साक्षरता
बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली
सामाजिक न्याय की नीतियाँ
2. तमिलनाडु
मुफ्त भोजन योजना (मिड-डे मील)
मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं
3. हिमाचल प्रदेश
गाँवों तक पहुंच
महिलाओं की सहभागिता में वृद्धि
पिछड़े राज्य:
1. बिहार
बुनियादी ढाँचे की कमी
कम प्रति व्यक्ति आय
2. झारखंड
आदिवासी क्षेत्रों में सुविधाओं का अभाव
3. उत्तर प्रदेश (पूर्वी क्षेत्र)
असमान विकास दर
> इसलिए, भारत का समग्र प्रदर्शन अच्छा है, लेकिन राज्य स्तर पर समावेशन में भिन्नता बनी हुई है।
डिजिटल समावेशन और सामाजिक समानता का संबंध
भारत में डिजिटल क्रांति ने असमानता को कम करने में अनोखा योगदान दिया है:
1. UPI भुगतान प्रणाली
छोटे दुकानदार, सब्जी विक्रेता, और ग्रामीण व्यापारियों को नकदी पर निर्भरता से मुक्ति मिली
2024 में प्रतिदिन ₹45,000 करोड़ से अधिक UPI ट्रांजेक्शन
2. Aadhaar–Mobile–Jan Dhan त्रिशक्ति
लाभार्थी की पहचान, मोबाइल पर सूचना और सीधे बैंक ट्रांसफर
3. DigiLocker, BHIM, CoWIN जैसी सेवाएँ
आम लोगों को डिजिटल पहचान, स्वास्थ्य प्रमाण पत्र, और शासन से जुड़ाव प्रदान करती हैं
नतीजा: डिजिटल सशक्तिकरण = सामाजिक समावेशन
भारत का नया विज़न: “Inclusive Economy”
भारत अब केवल GDP आधारित ग्रोथ मॉडल पर नहीं, बल्कि “समानता के साथ विकास” की ओर बढ़ रहा है।
विशेषता पारंपरिक मॉडल भारत का नया मॉडल
ध्यान सिर्फ विकास दर विकास + समानता
फोकस उद्योगों पर अंतिम नागरिक पर
माध्यम निजी निवेश सरकारी हस्तक्षेप + डिजिटल
यह बदलाव भारत को 21वीं सदी की आर्थिक और नैतिक शक्ति बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।
गिनी सूचकांक से परे: अन्य सामाजिक संकेतक
भारत के सामाजिक उत्थान को समझने के लिए केवल गिनी सूचकांक देखना पर्याप्त नहीं है। अन्य भी कई सूचकांक हैं जो इस दिशा में भारत की प्रगति को दर्शाते हैं:
1. HDI (मानव विकास सूचकांक)
शिक्षा, जीवन प्रत्याशा और आय का संयोजन
भारत की रैंकिंग: 134वां (2023)
सुधार की दिशा में प्रयास जारी
2. IHDI (समता-समायोजित मानव विकास सूचकांक)
जब असमानता को शामिल किया जाता है, तब भारत की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर हो जाती है
3. MPI (बहुआयामी गरीबी सूचकांक)
शिक्षा, स्वास्थ्य, जीवन स्तर
भारत में MPI में पिछले 10 वर्षों में 40 करोड़ लोग बाहर निकले

FAQs: भारत का गिनी सूचकांक और वैश्विक समानता में स्थान
Q1: गिनी सूचकांक क्या होता है?
उत्तर:
गिनी सूचकांक एक आर्थिक मापदंड है जो किसी देश में आय या संपत्ति की असमानता को दर्शाता है। इसका स्केल 0 (पूर्ण समानता) से लेकर 100 (पूर्ण असमानता) तक होता है। जितना कम यह स्कोर होता है, उतनी अधिक समानता मानी जाती है।
Q2: भारत का गिनी सूचकांक 2025 में क्या है?
उत्तर:
वर्ल्ड बैंक की Spring 2025 रिपोर्ट के अनुसार, भारत का गिनी सूचकांक 25.5 है, जो इसे दुनिया का चौथा सबसे समतावादी देश बनाता है।
Q3: भारत से ज्यादा समानता किन देशों में है?
उत्तर:
भारत से अधिक समानता सिर्फ तीन देशों में दर्ज की गई है:
1. स्लोवाक गणराज्य – 24.1
2. स्लोवेनिया – 24.3
3. बेलारूस – 24.4
भारत चौथे स्थान पर है।
Q4: भारत में गिनी सूचकांक में इतनी गिरावट कैसे आई?
उत्तर:
भारत में गिनी सूचकांक में गिरावट के प्रमुख कारण हैं:
गरीबी में गिरावट (16% से 2.3%)
जन-धन योजना और वित्तीय समावेशन
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT)
आयुष्मान भारत और फूड सब्सिडी
डिजिटल इंडिया और UPI का ग्रामीण विस्तार
Q5: क्या भारत अभी भी पूरी तरह समान देश है?
उत्तर:
नहीं, भारत समग्र रूप से समानता की दिशा में आगे बढ़ रहा है लेकिन अभी भी:
कुछ राज्यों में विषमता है
संपत्ति का केंद्रीकरण जारी है
डिजिटल डिवाइड मौजूद है
हालांकि, औसत के अनुसार भारत अब कम असमानता वाले देशों की श्रेणी में आता है।
Q6: गिनी सूचकांक और HDI में क्या फर्क होता है?
उत्तर:
गिनी सूचकांक केवल आय या संपत्ति की असमानता को मापता है।
HDI (Human Development Index) में शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर को जोड़ा जाता है।
IHDI, HDI का ऐसा संस्करण है जिसमें असमानता को शामिल किया गया है।
Q7: क्या भारत का यह गिनी स्कोर स्थायी रहेगा?
उत्तर:
अगर भारत:
डिजिटलीकरण को गहराई से बढ़ाता है
सभी राज्यों में समान विकास सुनिश्चित करता है
निजी क्षेत्र को जवाबदेह बनाता है
तो यह स्कोर स्थायी रह सकता है और और बेहतर भी हो सकता है।
Q8: क्या यह रिपोर्ट वर्ल्ड बैंक ने ही प्रकाशित की है?
उत्तर:
हाँ, यह जानकारी वर्ल्ड बैंक की Spring 2025 Poverty and Equity Brief रिपोर्ट से ली गई है, जो कि वैश्विक स्तर पर समानता और गरीबी के आंकड़े प्रदान करती है।
Q9: भारत का प्रदर्शन अन्य विकासशील देशों के लिए क्यों खास है?
उत्तर:
भारत ने जिस प्रकार:
विशाल जनसंख्या
सांस्कृतिक विविधता
सीमित संसाधनों
के बावजूद समानता हासिल की है, वह अन्य विकासशील देशों के लिए मॉडल की तरह है।
Q10: क्या आम नागरिक भी इस सुधार का असर महसूस करते हैं?
उत्तर:
जी हाँ, योजनाओं के माध्यम से अब ग्रामीण और गरीब वर्ग भी:
बैंकिंग सेवाओं
स्वास्थ्य बीमा
फ्री राशन
डिजिटल पेमेंट
का लाभ उठा रहे हैं। यह सुधार केवल कागज़ों तक सीमित नहीं है।
निष्कर्ष: भारत की समानता यात्रा — आँकड़ों से हकीकत तक
वर्ल्ड बैंक द्वारा प्रकाशित Spring 2025 Poverty & Equity Brief में भारत को गिनी सूचकांक 25.5 के साथ विश्व का चौथा सबसे समतावादी देश घोषित किया जाना सिर्फ एक सांख्यिकीय जीत नहीं, बल्कि एक सामाजिक, आर्थिक और नैतिक विजय है।
इस आंकड़े के पीछे वह विकासशील भारत है जिसने डिजिटल सशक्तिकरण, वित्तीय समावेशन, स्वास्थ्य-सुरक्षा, और महिला भागीदारी जैसे आयामों को साथ लेकर एक समावेशी व्यवस्था खड़ी की है।
जहाँ कई विकसित देश आज भी गिनी स्कोर में भारत से पीछे हैं, वहीं भारत की यह सफलता यह दिखाती है कि यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति, जन सहभागिता, और नीतिगत स्पष्टता हो — तो विकास और समानता दोनों साथ चल सकते हैं।
यह उपलब्धि हमें याद दिलाती है:
कि आर्थिक प्रगति सिर्फ अमीरों तक सीमित न रहे
कि हर गाँव, हर बच्चा और हर परिवार “विकास” शब्द का अनुभव करे
और यह कि भारत की आत्मा तभी पूर्ण होगी जब अंतिम नागरिक भी सशक्त होगा
भविष्य की राह:
अब भारत के लिए अगला चरण है:
समानता को गहराई तक ले जाना
राज्यीय विषमताओं को पाटना
शिक्षा, स्वास्थ्य और तकनीकी पहुँच में एकरूपता लाना
और डिजिटल क्रांति को सामाजिक समावेशन का माध्यम बनाना
> यह सिर्फ गिनी सूचकांक की रैंकिंग नहीं है — यह भारत की जनता की मेहनत, आकांक्षा और लोकतंत्र की विजयगाथा है।
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