असम AMUL डेयरी प्लांट: कैसे बदलेगा पूर्वोत्तर का किसान भविष्य?
प्रस्तावना: दूध की धार से विकास की राह
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Toggleजब कोई सरकार किसानों, खासकर पशुपालकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए ठोस नीतियाँ अपनाती है, तो वह केवल एक उद्योग का विस्तार नहीं करती, बल्कि उस पूरे समाज के भविष्य को नई दिशा देती है।
असम सरकार का AMUL के साथ मिलकर राज्य में नया डेयरी प्लांट स्थापित करने का निर्णय इसी सोच की उपज है।
यह न केवल एक आर्थिक निवेश है, बल्कि यह निर्णय सामाजिक न्याय, आजीविका, महिला सशक्तिकरण और पोषण के क्षेत्र में भी दूरगामी प्रभाव छोड़ने वाला है।
भूमि आवंटन का निर्णय: कैबिनेट की मुहर
2025 की शुरुआत में असम की राज्य कैबिनेट ने एक अहम फैसला लिया—राज्य में एक बड़े डेयरी संयंत्र की स्थापना के लिए AMUL को जमीन आवंटित की जाएगी।
इस फैसले के तहत सरकार ने स्पष्ट किया कि इस डेयरी संयंत्र को गुवाहाटी के निकट ही रणनीतिक स्थान पर स्थापित किया जाएगा ताकि दूध का संग्रहण और वितरण दोनों सुविधाजनक रहें।
क्यों अहम है ये भूमि आवंटन?
असम में दुग्ध उत्पादन अभी तक छोटे स्तर पर था, जिसमें बहुत से किसान सीमित संसाधनों के कारण केवल आत्मनिर्भरता तक सीमित थे।
AMUL का आना एक संरचित और वैज्ञानिक डेयरी नेटवर्क लाएगा।
यह कदम स्थानीय किसानों को राष्ट्रीय बाजार से जोड़ने की दिशा में बहुत बड़ा पड़ाव है।
AMUL और असम: एक रणनीतिक साझेदारी
AMUL कौन है?
AMUL देश का सबसे बड़ा डेयरी ब्रांड है, जिसने गुजरात के आनंद शहर से शुरुआत कर भारतीय दुग्ध क्रांति की नींव रखी। आज यह ब्रांड करोड़ों किसानों की आजीविका का आधार है।
असम में AMUL का क्या योगदान होगा?
आधुनिक डेयरी प्लांट की स्थापना
दूध की शुद्ध प्रोसेसिंग तकनीक
किसानों के लिए प्रशिक्षण और पशु-पालन आधारित जानकारी
स्थानीय युवाओं को तकनीकी नौकरियाँ
आर्थिक निवेश और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास
₹2000 करोड़ से अधिक का संभावित निवेश
डेयरी प्लांट की स्थापना
कोल्ड चेन नेटवर्क
पशु चारा और टीकाकरण केंद्र
ग्रामीण क्षेत्रों में दूध संग्रहण केंद्र
इस निवेश से असम में सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों रोजगार उत्पन्न होंगे। खासकर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि होगी।
राज्य सरकार की भूमिका: जनकल्याण की नीति
असम सरकार केवल भूमि आवंटित करके नहीं रुक रही, बल्कि वह किसानों को ₹5 प्रति लीटर की सब्सिडी, पशु चारे पर अनुदान, और दूध संग्रहण केंद्रों की स्थापना में भी सहयोग दे रही है।
मुख्यमंत्री का दृष्टिकोण
मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने यह स्पष्ट किया है कि राज्य की आत्मनिर्भरता और पोषण सुरक्षा तभी संभव है जब ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत किया जाए। यह प्रोजेक्ट उसी सोच का एक ठोस परिणाम है।
स्थानीय किसानों को क्या मिलेगा?
1. स्थायी बाजार – AMUL का नेटवर्क किसानों को निश्चित दाम पर दूध बेचने का मंच देगा।
2. प्रशिक्षण और आधुनिक तकनीक – कैसे पशु पालन किया जाए, कैसे साफ-सफाई और गुणवत्ता बनाए रखी जाए।
3. बीमा और स्वास्थ्य सेवाएँ – पशुओं के लिए मुफ्त टीकाकरण और बीमा योजना का लाभ।
4. महिला सशक्तिकरण – महिलाओं की सहकारी समितियाँ बनेंगी जो दूध संग्रहण, प्रोसेसिंग और पैकेजिंग से जुड़ेंगी।
कृषि से परे: दूध से पोषण, बच्चों का भविष्य भी सुरक्षित
असम के कई जिलों में कुपोषण एक गंभीर समस्या रही है। राज्य सरकार और AMUL की यह साझेदारी स्कूल फीडिंग प्रोग्राम में दूध और दूध से बने उत्पादों की आपूर्ति को सुदृढ़ बनाएगी।
छोटे बच्चों को पौष्टिक आहार
स्कूलों में दूध वितरण
आदिवासी क्षेत्रों में विशेष पोषण कार्यक्रम
पर्यावरण और सतत विकास
डेयरी उद्योग से जुड़ी परियोजनाओं में आमतौर पर पानी और बिजली की खपत, कचरा प्रबंधन, और कार्बन उत्सर्जन जैसी चिंताएँ होती हैं। लेकिन AMUL ने अपने प्लांट्स में पहले से ही सोलर एनर्जी, जल पुनर्चक्रण, और बायोगैस प्लांट जैसे टिकाऊ विकल्पों को अपनाया है।
असम का प्लांट भी एक “ग्रीन डेयरी प्लांट” के रूप में स्थापित किया जाएगा।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था में क्रांति: दूध के बूंदों से जीवन की धार
एक बार प्लांट चालू हो जाए, तो अनुमान है कि:
प्रतिदिन 5-10 लाख लीटर दूध का संग्रहण होगा
1.5 लाख से अधिक डेयरी किसान सीधे लाभांवित होंगे
राज्य का डेयरी उत्पादन दोगुना से अधिक हो सकता है
युवाओं को तकनीकी, विपणन और सप्लाई चेन में रोजगार
भविष्य की योजनाएँ और विस्तार
AMUL और असम सरकार की यह साझेदारी केवल एक प्लांट तक सीमित नहीं है। योजना है कि:
राज्य के हर जिले में दूध संग्रहण केंद्र बनाए जाएं
दही, पनीर, मक्खन, आइसक्रीम जैसी विविध प्रोडक्ट्स पर काम हो
ऑर्गेनिक डेयरी प्रोडक्ट्स पर भी विशेष बल दिया जाए
राजनीतिक और सामाजिक संदेश
इस निर्णय के ज़रिए सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि वह:
सिर्फ उद्योगपतियों की नहीं, किसानों की सरकार बनना चाहती है
महिलाओं की भूमिका को केंद्रीय बनाना चाहती है
ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर और सम्मानजनक रोजगार देना चाहती है
स्थानीय संस्कृति और AMUL की समझदारी
असम न केवल एक भौगोलिक क्षेत्र है, बल्कि यह संस्कृति, लोककला, और सामाजिक ताने-बाने का एक अनूठा संगम है। जब कोई राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय कंपनी इस क्षेत्र में निवेश करती है, तो उसे वहां की स्थानीय भावनाओं और परंपराओं को समझना बेहद ज़रूरी होता है।
AMUL की रणनीति
AMUL ने पहले भी जिन राज्यों में प्रवेश किया है, वहाँ उसने स्थानीय किसानों और ग्रामीण महिलाओं के साथ एक सामुदायिक संबंध बनाया है। असम में भी उसकी यही रणनीति है:
स्थानीय भाषा में प्रशिक्षण देना
स्थानीय त्योहारों और रीति-रिवाज़ों के साथ समरसता रखना
स्थानीय कलाकारों और कारीगरों को उत्पाद ब्रांडिंग से जोड़ना
शिक्षा और तकनीक का मिलन
एक डेयरी प्लांट केवल दूध को प्रोसेस करने की मशीनों का केंद्र नहीं होता। वह तकनीकी प्रशिक्षण का स्कूल बन सकता है, खासकर जब वहां पर:
पशुपालन में बायो-टेक्नोलॉजी
स्मार्ट मिल्क ट्रैकिंग सिस्टम
डिजिटल पेमेंट और मोबाइल एप्स
ई-मार्केटप्लेस से जुड़ाव
जैसी व्यवस्थाएं लागू की जाएँ।
AMUL का डिजिटल मॉडल
AMUL किसानों को एक मोबाइल ऐप के ज़रिए:
दूध के रेट की जानकारी
भुगतान ट्रैकिंग
स्वास्थ्य जांच रिपोर्ट
पशु दवा और चारा उपलब्धता
जैसी सुविधाएं देने की योजना पर काम कर रहा है, जो असम के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
महिला सशक्तिकरण: निर्णय लेने की भूमिका में महिलाएँ
असम में ग्रामीण महिलाएं पारंपरिक रूप से दूध निकालने और पशुपालन में अहम भूमिका निभाती आई हैं, लेकिन आर्थिक फैसलों में उनकी भूमिका सीमित रही है। AMUL की महिला केंद्रित सहकारी समितियाँ इस चलन को तोड़ रही हैं।
महिलाओं की भागीदारी
दूध संग्रहण केंद्रों की प्रमुख महिलाएँ होंगी
प्रशिक्षण में महिलाओं को वरीयता
आत्मनिर्भर महिला समूहों को सीधी आमदनी
इससे महिलाएं सिर्फ श्रम नहीं, बल्कि निर्णय-निर्माता भी बनेंगी।
दुग्ध उत्पादों की विविधता: असमिया स्वाद के साथ
AMUL असम में केवल दूध नहीं बेचना चाहता, बल्कि वह यहां के लोकप्रिय पारंपरिक व्यंजनों को भी देशभर में ले जाना चाहता है।
उदाहरण:
“Mishing Doi” (लोकप्रिय जनजातीय दही)
“Assam Tea Ice Cream” – चाय-स्वाद वाली आइसक्रीम
“Axomiya Paneer” – स्थानीय स्वाद के साथ बना पनीर
इससे एक तरफ़ स्थानीय स्वाद को राष्ट्रीय पहचान मिलेगी, दूसरी ओर नवाचार आधारित व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा।
बाजार विस्तार और निर्यात की योजना
AMUL ने संकेत दिए हैं कि असम से डेयरी उत्पादों का बांग्लादेश और पूर्वोत्तर एशियाई देशों में निर्यात करने की योजना भी बनाई जा रही है।
क्या होगा लाभ?
विदेशी मुद्रा की प्राप्ति
स्थानीय डेयरी उद्योग की वैश्विक पहचान
अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों का प्रशिक्षण
संभावित चुनौतियाँ और समाधान
कोई भी परियोजना बिना चुनौतियों के नहीं होती। असम में AMUL के इस प्रोजेक्ट के लिए कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं:
1. बुनियादी ढांचा
ग्रामीण क्षेत्रों तक सड़क और बिजली की सुचारू उपलब्धता
बारिश और बाढ़ के समय लॉजिस्टिक्स प्रबंधन
समाधान: सरकार और AMUL दोनों मिलकर मॉडल गाँव विकसित करने पर काम कर रहे हैं, जहाँ यह सभी सुविधाएं दी जाएंगी।
2. पशुओं की नस्ल और स्वास्थ्य
स्थानीय नस्लों का दूध उत्पादन सीमित होता है।
पशुओं में बीमारियों की पहचान और इलाज देर से होता है।
समाधान: हाईब्रिड नस्लों का परिचय और नियमित स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन।
3. किसानों में भरोसा और संगठन
ग्रामीण किसान पहले निजी कंपनियों के शोषण से डरते हैं।
सहकारी मॉडल की जानकारी सीमित है।
समाधान: ग्राम स्तर पर संवाद, पायलट प्रोजेक्ट्स और किसानों की समितियों को सशक्त करना।
ग्राउंड रियलिटी: लोगों की प्रतिक्रिया
जब यह घोषणा की गई कि असम में AMUL को जमीन दी जा रही है, तो इस पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आईं:
सकारात्मक प्रतिक्रिया
किसानों ने इसे आर्थिक आज़ादी का मौका बताया
युवाओं ने इसे रोजगार और प्रशिक्षण का द्वार
महिलाओं ने कहा – “अब हमें घर में ही आमदनी का साधन मिलेगा”
आलोचनात्मक स्वर
कुछ स्थानीय संगठनों ने कहा कि कहीं यह स्थानीय ब्रांडों को पीछे न कर दे
भूमि के उपयोग पर पारदर्शिता की माँग की गई
सरकार ने आश्वासन दिया कि सभी प्रक्रियाएँ पारदर्शी और किसान-हितैषी होंगी।

राष्ट्रीय डेयरी मिशन से सामंजस्य
असम में AMUL की यह पहल राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की रणनीतियों के अनुरूप है। भारत सरकार भी:
“डबलिंग फार्मर्स इनकम मिशन”
“डेयरी एंटरप्राइज डेवलपमेंट स्कीम”
“गौशाला आधुनिककरण योजना”
जैसे कार्यक्रमों को बढ़ावा दे रही है। AMUL की भागीदारी इन योजनाओं को जमीनी स्तर पर और सशक्त बनाएगी।
स्थानीय कृषि के साथ एकीकृत डेयरी प्रणाली
असम एक कृषि प्रधान राज्य है, और डेयरी उद्योग का विस्तार यहाँ की कृषि अर्थव्यवस्था को नई दिशा दे सकता है। अमूल की योजना है कि वो किसानों को एक एकीकृत मॉडल प्रदान करे, जिसमें दूध उत्पादन और खेती एक-दूसरे को पूरक बनाएं।
कैसे होगा ये संभव?
पशुओं के लिए फसल अपशिष्ट (जैसे चावल का भूसा) चारे के रूप में उपयोग होगा
पशु अपशिष्ट से बायोगैस और जैविक खाद का उत्पादन किया जाएगा
किसानों को फसल विविधीकरण के लिए प्रेरित किया जाएगा, जैसे – नेपियर घास, मक्का, बाजरा आदि
इससे खेती और डेयरी दोनों की आय बढ़ेगी।
‘AMUL Dairy Hub’ मॉडल: एक केंद्र, अनेक सुविधाएँ
AMUL असम में केवल दूध प्रोसेसिंग प्लांट ही नहीं बना रहा, बल्कि वह एक ‘डेयरी हब’ बनाने की योजना पर काम कर रहा है। इस हब में निम्नलिखित प्रमुख इकाइयाँ होंगी:
- दूध संग्रहण केंद्र (Milk Collection Centers)
- प्रशिक्षण संस्थान (Training Institute)
- पशु चिकित्सालय (Veterinary Hospital)
- चारा उत्पादन इकाई (Fodder Farm)
- प्रसंस्करण संयंत्र (Processing Plant)
- पैकेजिंग और लॉजिस्टिक्स सेंटर
यह मॉडल असम को पूर्वोत्तर भारत का ‘डेयरी कैपिटल’ बनाने की क्षमता रखता है।
लॉजिस्टिक्स और कोल्ड चेन इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार
दूध एक नाशवान उत्पाद है और इसे तुरंत ठंडा करके संग्रहित करना होता है। इसके लिए AMUL असम में एक सशक्त कोल्ड चेन नेटवर्क तैयार कर रहा है।
इस नेटवर्क में क्या शामिल होगा?
गाँव स्तर पर Mini Bulk Milk Coolers
रीफ्रिजरेटेड वाहनों का बेड़ा
IoT आधारित मॉनिटरिंग सिस्टम
लाइव ट्रैकिंग और गुणवत्ता नियंत्रण
इससे दूध की गुणवत्ता बनी रहेगी और किसानों को उचित मूल्य मिल सकेगा।
पूर्वोत्तर राज्यों के लिए रोल मॉडल
AMUL की यह पहल केवल असम तक सीमित नहीं रहेगी। इसके सफल क्रियान्वयन के बाद यह मॉडल मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश जैसे अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के लिए रोल मॉडल बन सकता है।
संभावित लाभ
अंतर-राज्यीय डेयरी फेडरेशन की स्थापना
सीमा क्षेत्र के किसानों की भागीदारी
ट्राइबल बेल्ट में पशुपालन को प्रोत्साहन
पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की रणनीति
AMUL का प्लांट पूरी तरह से ईको-फ्रेंडली और ग्रीन एनर्जी बेस्ड होगा। इसकी कुछ खास पहलें:
सौर ऊर्जा से चलने वाले कूलिंग यूनिट्स
वॉटर रीसाइक्लिंग सिस्टम
प्लास्टिक-फ्री पैकेजिंग की ओर बढ़ता कदम
सस्टेनेबल डेयरी फार्मिंग के लिए प्रशिक्षण
यह परियोजना विकास के साथ-साथ पर्यावरणीय उत्तरदायित्व को भी बराबर निभा रही है।
स्थानीय युवाओं के लिए अपार संभावनाएँ
असम के ग्रामीण इलाकों में बेरोज़गारी बड़ी समस्या है। AMUL का यह प्रोजेक्ट युवाओं के लिए सीधा और अप्रत्यक्ष रूप से हज़ारों अवसर लेकर आ रहा है:
रोजगार के क्षेत्र:
डेयरी टेक्नीशियन
पशु स्वास्थ्य सहायक
सप्लाई चेन और डिलीवरी
पैकेजिंग और लेबलिंग
डिजिटल डेटा ऑपरेटर
Training + Job = Rural Empowerment
नवाचार आधारित किसान मॉडल
AMUL अब केवल दूध नहीं लेता, वह किसानों को सर्विस प्रोवाइडर बना रहा है। यानि कि किसान केवल सप्लायर नहीं, बल्कि शेयरधारक और निर्णायक भी होगा।
इसका असर:
किसान को लाभांश मिलेगा
निर्णय लेने में भागीदारी
स्थायी आय और सम्मान
निष्कर्ष:
असम सरकार द्वारा अमूल को डेयरी प्लांट हेतु भूमि प्रदान करना केवल एक आर्थिक निवेश नहीं, बल्कि राज्य के ग्रामीण और सामाजिक विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह पहल न केवल स्थानीय किसानों को सशक्त बनाएगी, बल्कि असम को पूर्वोत्तर भारत का डेयरी हब बनाने की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होगी।
AMUL की विशेषज्ञता और असम सरकार की प्रतिबद्धता मिलकर एक ऐसा मॉडल प्रस्तुत कर रहे हैं जो आत्मनिर्भर भारत, सतत विकास, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण रोजगार को एक साथ जोड़ता है। डेयरी उत्पादन से लेकर प्रसंस्करण, पैकेजिंग, लॉजिस्टिक्स और विपणन तक, हर स्तर पर स्थानीय लोगों को सीधा लाभ मिलेगा।
यह योजना केवल दूध तक सीमित नहीं, बल्कि यह एक व्यापक ग्रामीण क्रांति की नींव रख रही है – जिसमें परंपरा और नवाचार का मेल है, और जिसमें असम के किसान, युवा, महिलाएं और उद्यमी सभी एक नई उम्मीद के साथ शामिल हो रहे हैं।
इस तरह AMUL और असम सरकार की यह साझेदारी आने वाले वर्षों में पूरे भारत के लिए एक आदर्श मॉडल के रूप में उभरेगी – जहाँ विकास केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं, बल्कि हर गांव और हर परिवार तक पहुँचने वाली सच्ची समृद्धि बन सकेगा।
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