आज के डेली करंट अफेयर्स: 2 अप्रैल 2025 की ताजा खबरें!
जनवरी 2025 तक रेशम क्षेत्र से जुड़े करंट अफेयर्स पर विस्तृत प्रश्न-उत्तर
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Toggleप्रश्न 1: जनवरी 2025 तक भारत में कच्चे रेशम उत्पादन के अनुसार अनुमानित रोजगार सृजन कितना है?
उत्तर: जनवरी 2025 तक, भारत में कच्चे रेशम उत्पादन के अनुसार रेशम क्षेत्र में अनुमानित रोजगार सृजन 80.90 लाख व्यक्ति है।
प्रश्न 2: भारत में रेशम उद्योग में अंतर्राष्ट्रीय ग्रेड (3ए और 4ए) गुणवत्ता के रेशम उत्पादन को बढ़ाने के लिए कौन-से प्रयास किए गए हैं?
उत्तर: भारत में 109 स्वचालित रीलिंग मशीनों (AMR) की स्थापना और संचालन किया गया है, जिससे उच्च गुणवत्ता वाले अंतर्राष्ट्रीय ग्रेड (3A और 4A) रेशम का उत्पादन बढ़ा है।
प्रश्न 3: स्वचालित रीलिंग मशीन (AMR) क्या है और यह रेशम उत्पादन में कैसे सहायक होती है?
उत्तर: स्वचालित रीलिंग मशीन (AMR) एक आधुनिक मशीन है जो कच्चे रेशम को उच्च गुणवत्ता में बदलने में सहायता करती है। यह मशीनें उत्पादन दक्षता बढ़ाती हैं, श्रमशक्ति की बचत करती हैं, और बेहतर गुणवत्ता वाला रेशम प्रदान करती हैं, जिससे अंतर्राष्ट्रीय ग्रेड (3A और 4A) रेशम का उत्पादन संभव होता है।
प्रश्न 4: भारत में रेशम उत्पादन किन राज्यों में सबसे अधिक होता है?
उत्तर: भारत में रेशम उत्पादन मुख्य रूप से कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और असम में अधिक होता है।
प्रश्न 5: भारत में रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कौन-से सरकारी प्रयास किए गए हैं?
उत्तर: भारत सरकार ने रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित प्रयास किए हैं:
- सेंट्रल सिल्क बोर्ड (CSB) के माध्यम से अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा दिया गया।
- रेशम समग्र योजना (Silk Samagra Scheme) चलाई गई, जिससे किसानों और बुनकरों को वित्तीय सहायता दी गई।
- स्वचालित रीलिंग मशीनों (AMR) की स्थापना से उच्च गुणवत्ता वाले रेशम के उत्पादन को प्रोत्साहित किया गया।
प्रश्न 6: भारत रेशम उत्पादन में वैश्विक स्तर पर कौन-से स्थान पर है?
उत्तर: भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा रेशम उत्पादक देश है, जबकि पहला स्थान चीन का है।
प्रश्न 7: उच्च गुणवत्ता वाले रेशम उत्पादन से भारतीय अर्थव्यवस्था को क्या लाभ हो सकता है?
उत्तर: उच्च गुणवत्ता वाले रेशम उत्पादन से निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं:
- निर्यात में वृद्धि होगी, जिससे विदेशी मुद्रा प्राप्त होगी।
- रेशम उद्योग में रोजगार सृजन होगा, जिससे लाखों लोगों को लाभ मिलेगा।
- घरेलू बाजार में रेशम उद्योग को मजबूती मिलेगी और आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
प्रश्न 8: रेशम उद्योग में काम करने वाले लोगों के लिए कौन-सी चुनौतियाँ हैं?
उत्तर: रेशम उद्योग में काम करने वालों के लिए प्रमुख चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं:
- कच्चे माल की उपलब्धता में कमी।
- कीट एवं रोगों से रेशम उत्पादन पर प्रभाव।
- वैश्विक प्रतिस्पर्धा और आधुनिक तकनीकों का अभाव।
- उत्पादन लागत अधिक होने से बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता में कमी।
प्रश्न 9: भारत सरकार द्वारा शुरू की गई “रेशम समग्र योजना” क्या है?
उत्तर: “रेशम समग्र योजना” भारत सरकार की एक पहल है, जिसका उद्देश्य रेशम उत्पादन, अनुसंधान एवं विकास, और रेशम बुनकरों के जीवन स्तर को सुधारना है। इस योजना के तहत आधुनिक मशीनों की स्थापना और किसानों को वित्तीय सहायता दी जाती है।
प्रश्न 10: भारत में सिल्क उत्पादन के प्रमुख प्रकार कौन-कौन से हैं?
उत्तर: भारत में मुख्य रूप से चार प्रकार के रेशम का उत्पादन किया जाता है:
1. मलबरी सिल्क (Mulberry Silk) – सबसे अधिक उत्पादित होता है।
2. एरी सिल्क (Eri Silk) – मुख्य रूप से असम और पूर्वोत्तर भारत में।
3. तसर सिल्क (Tasar Silk) – जंगलों में प्राकृतिक रूप से तैयार किया जाता है।
4. मूगा सिल्क (Muga Silk) – यह केवल असम में पाया जाता है और अपनी सुनहरी चमक के लिए प्रसिद्ध है।
ओडिशा के GI टैग प्राप्त कृषि उत्पादों पर विस्तृत करेंट अफेयर्स आधारित प्रश्न-उत्तर
प्रश्न 1: GI टैग प्राप्त ‘कोरापुट काला जीरा चावल’ क्या है, और यह कहां उत्पादित होता है?
उत्तर: कोरापुट काला जीरा चावल एक सुगंधित और औषधीय गुणों से भरपूर धान की किस्म है, जिसे मुख्य रूप से ओडिशा के कोरापुट जिले में उगाया जाता है।
यह चावल अपनी हल्की सुगंध, छोटे दानों और गहरे काले रंग के कारण विशेष रूप से पहचाना जाता है। इसकी खेती जैविक तरीकों से की जाती है और यह स्वास्थ्यवर्धक होता है।
इसमें उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर पाए जाते हैं, जिससे यह मधुमेह और हृदय रोगों के लिए लाभकारी होता है।
प्रश्न 2: ‘गजपति खजूरी गुड़’ को GI टैग क्यों प्रदान किया गया है, और इसकी विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर: गजपति खजूरी गुड़, ओडिशा के गजपति जिले में उत्पादित एक प्राकृतिक गुड़ है, जिसे ताड़ (खजूर) के रस से बनाया जाता है। इसकी निम्नलिखित विशेषताएँ इसे अनोखा बनाती हैं:
1. शुद्धता: इसे बिना किसी रासायनिक प्रक्रिया के पारंपरिक विधियों से तैयार किया जाता है।
2. पोषण मूल्य: यह आयरन, कैल्शियम और अन्य खनिजों से भरपूर होता है, जिससे यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।
3. स्वाद और सुगंध: इसका प्राकृतिक मीठा स्वाद और सुगंध इसे अन्य प्रकार के गुड़ से अलग बनाते हैं।
4. पर्यावरणीय अनुकूलता: यह पूरी तरह से जैविक और प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित है, जिससे यह पर्यावरण के अनुकूल भी होता है।
प्रश्न 3: ‘कंधमाल हल्दी’ को वैश्विक स्तर पर पहचान कैसे मिली, और इसके औषधीय गुण क्या हैं?
उत्तर: कंधमाल हल्दी ओडिशा के कंधमाल जिले में उगाई जाने वाली एक विशिष्ट हल्दी किस्म है, जिसे वर्ष 2019 में GI टैग प्रदान किया गया। इसकी निम्नलिखित विशेषताएँ इसे अन्य हल्दी किस्मों से अलग बनाती हैं:
1. उच्च कर्क्यूमिन स्तर: इसमें सामान्य हल्दी की तुलना में अधिक कर्क्यूमिन (Curcumin) पाया जाता है, जो इसे अधिक औषधीय बनाता है।
2. जैविक उत्पादन: यह पूरी तरह से जैविक पद्धतियों से उगाई जाती है, जिससे यह स्वास्थ्य के लिए अधिक सुरक्षित होती है।
3. औषधीय लाभ: यह एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले गुणों से भरपूर होती है।
4. निर्यात में वृद्धि: इसकी गुणवत्ता और औषधीय गुणों के कारण इसे विदेशों में भी निर्यात किया जाता है, जिससे ओडिशा के किसानों की आय में वृद्धि हो रही है।
प्रश्न 4: ‘नयागढ़ कांटिमुंडी बैंगन’ की विशेषताएँ क्या हैं, और यह क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर: नयागढ़ कांटिमुंडी बैंगन ओडिशा के नयागढ़ जिले में उगाया जाने वाला एक विशेष प्रकार का बैंगन है, जिसे उसकी निम्नलिखित विशेषताओं के कारण GI टैग प्राप्त हुआ:
1. छोटा और लंबा आकार: यह बैंगन अन्य सामान्य बैंगनों की तुलना में छोटा और लंबा होता है।
2. कम बीज वाली किस्म: इसमें बीज बहुत कम होते हैं, जिससे इसका गूदा अधिक स्वादिष्ट और उपयोगी बनता है।
3. खास स्वाद: इसका स्वाद सामान्य बैंगनों की तुलना में अधिक तीव्र और स्वादिष्ट होता है।
4. पारंपरिक खेती: इसे जैविक और पारंपरिक तरीकों से उगाया जाता है, जिससे इसकी गुणवत्ता उच्च रहती है।

प्रश्न 5: ‘गंजाम केवड़ा फ्लावर’ क्या है, और इसका उपयोग किन-किन उद्योगों में किया जाता है?
उत्तर: गंजाम केवड़ा फ्लावर ओडिशा के गंजाम जिले में पाया जाने वाला एक सुगंधित फूल है, जो अपनी अनूठी खुशबू के लिए प्रसिद्ध है। इसके प्रमुख उपयोग इस प्रकार हैं:
1. इत्र उद्योग: इससे प्राप्त तेल और रस का उपयोग उच्च गुणवत्ता वाले इत्र बनाने में किया जाता है।
2. औषधीय उपयोग: आयुर्वेद में इसका उपयोग शीतलता प्रदान करने वाली औषधियों में किया जाता है।
3. खाद्य पदार्थों में उपयोग: इसकी सुगंध को कुछ पारंपरिक मिठाइयों और पेय पदार्थों में मिलाया जाता है।
4. सुगंधित उत्पाद: इससे साबुन, तेल, अगरबत्ती और अन्य सुगंधित उत्पाद बनाए जाते हैं।
प्रश्न 6: ‘गंजाम केवड़ा रूह’ किस प्रक्रिया द्वारा प्राप्त किया जाता है, और इसकी क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर: गंजाम केवड़ा रूह ‘गंजाम केवड़ा फ्लावर’ से प्राप्त किया जाने वाला एक शुद्ध सुगंधित तेल (एसेन्शियल ऑयल) है। इसे विशेष भाप आसवन (Steam Distillation) प्रक्रिया द्वारा निकाला जाता है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
1. शुद्ध और केंद्रित सुगंध: इसमें गहरी और मनमोहक खुशबू होती है, जो लंबे समय तक बनी रहती है।
2. औषधीय उपयोग: यह सुगंध चिकित्सा (Aromatherapy) में तनाव कम करने और मानसिक शांति प्रदान करने के लिए उपयोग किया जाता है।
3. सौंदर्य प्रसाधन उद्योग: इसका उपयोग परफ्यूम, फेस क्रीम और अन्य कॉस्मेटिक उत्पादों में किया जाता है।
4. महंगी और विशिष्टता: यह एक दुर्लभ और महंगा सुगंधित तेल है, जिसे विशेष रूप से उपयोग किया जाता है।
ओडिशा के GI टैग उत्पादों का महत्त्व
राज्य की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
1. किसानों की आय में वृद्धि: GI टैग प्राप्त इन उत्पादों की मांग बढ़ने से किसानों को अधिक लाभ मिलता है।
2. निर्यात को बढ़ावा: ये उत्पाद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी पहचान बना रहे हैं, जिससे विदेशी मुद्रा अर्जन होता है।
3. पर्यटन को बढ़ावा: विशिष्ट कृषि उत्पादों के कारण ओडिशा में कृषि पर्यटन (Agro-Tourism) को भी बढ़ावा मिल रहा है।
4. स्थानीय परंपराओं का संरक्षण: ये उत्पाद पारंपरिक कृषि विधियों और जैविक खेती को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे स्थानीय संस्कृति को मजबूती मिलती है।
कलाग्राम से संबंधित महत्वपूर्ण करेंट अफेयर्स प्रश्न-उत्तर
प्रश्न 1: महाकुंभ 2025 में कलाग्राम की सफलता का क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर: महाकुंभ 2025 में कलाग्राम की सफलता ने यह साबित कर दिया कि भारत की पारंपरिक कला और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के स्थायी कला केंद्रों की आवश्यकता है।
इस प्रभाव के चलते भारत सरकार ने देशभर में 20 नए कलाग्राम स्थापित करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय कलाकारों को प्रोत्साहित करेगा, सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देगा और भारत की कला और शिल्प को वैश्विक पहचान दिलाने में मदद करेगा।
प्रश्न 2: कलाग्राम का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: कलाग्राम का उद्देश्य भारत की पारंपरिक कलाओं को संरक्षित करना और उन्हें आधुनिक समय के साथ जोड़कर एक नया मंच प्रदान करना है। इसका उद्देश्य निम्नलिखित बिंदुओं पर केंद्रित है:
1. परंपरा और आधुनिकता का संगम: पारंपरिक कलाओं को नए विचारों के साथ जोड़ना।
2. स्थानीय शिल्पकारों और कलाकारों को मंच देना: जिससे उनकी कला को नई पहचान और बाजार मिल सके।
3. सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण: विलुप्त हो रही भारतीय कलाओं को पुनर्जीवित करना।
4. आर्थिक लाभ: कला से जुड़े लोगों को रोजगार के नए अवसर प्रदान करना।
5. पर्यटन को बढ़ावा देना: जिससे भारत का सांस्कृतिक पर्यटन वैश्विक स्तर पर मजबूत हो।
प्रश्न 3: नए कलाग्राम किस मंत्रालय द्वारा स्थापित किए जा रहे हैं?
उत्तर: नए कलाग्राम भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा स्थापित किए जा रहे हैं। इस परियोजना के तहत, सरकार स्थानीय शिल्पकारों, कलाकारों और सांस्कृतिक संगठनों के सहयोग से इन केंद्रों को विकसित करेगी।
प्रश्न 4: सरकार ने राज्यों से कलाग्राम के लिए क्या अनुरोध किया है?
उत्तर: संस्कृति मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों से अनुरोध किया है कि वे अपने-अपने राज्यों में कलाग्राम की स्थापना के लिए उपयुक्त भूमि चिन्हित करें।
इसका उद्देश्य हर राज्य में एक ऐसा केंद्र बनाना है, जहां उस क्षेत्र की अनूठी कला और संस्कृति को संरक्षित और प्रदर्शित किया जा सके।
प्रश्न 5: कलाग्राम में किन कलाओं को प्रमुख रूप से स्थान मिलेगा?
उत्तर: कलाग्राम में विभिन्न प्रकार की पारंपरिक और आधुनिक कलाओं को शामिल किया जाएगा, जिनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित कला रूप शामिल होंगे:
हथकरघा और हस्तशिल्प (जैसे बनारसी साड़ी, कश्मीरी शॉल, मधुबनी पेंटिंग)
लोककला और लोकनृत्य (जैसे कथक, भरतनाट्यम, ओडिसी, घूमर)
शास्त्रीय और आधुनिक ललित कला
संगीत और नाट्य कला
पारंपरिक मूर्तिकला और वास्तुकला
प्रश्न 6: कलाग्राम भारत की सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करेगा?
उत्तर: कलाग्राम भारत की सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा:
1. स्थानीय कारीगरों को आर्थिक लाभ: कलाग्राम के माध्यम से कारीगरों और शिल्पकारों को उनके उत्पादों की बिक्री और प्रदर्शन के लिए मंच मिलेगा।
2. नए रोजगार के अवसर: कला एवं शिल्प से जुड़े लोगों को नई नौकरियों और व्यापार के अवसर प्राप्त होंगे।
3. पर्यटन को बढ़ावा: ये केंद्र सांस्कृतिक पर्यटन का एक बड़ा केंद्र बनेंगे, जिससे देशी और विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी।
4. वैश्विक पहचान: भारत की पारंपरिक कलाओं और शिल्प को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी, जिससे विदेशी बाजारों में भी इनकी मांग बढ़ेगी।
प्रश्न 7: कलाग्राम की संकल्पना किस विचार पर आधारित है?
उत्तर: कलाग्राम की संकल्पना “Living Heritage” (जीवंत विरासत) के विचार पर आधारित है, जहां पारंपरिक और समकालीन कलाओं का मिलन होगा।
यह एक ऐसा स्थान होगा जहां कलाकार न केवल अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे बल्कि नवाचार और शोध के माध्यम से इसे और उन्नत भी करेंगे।
प्रश्न 8: क्या कलाग्राम केवल पारंपरिक कलाओं तक सीमित रहेगा?
उत्तर: नहीं, कलाग्राम न केवल पारंपरिक कलाओं को बढ़ावा देगा, बल्कि आधुनिक कला और डिज़ाइन, डिजिटल कला, और फ्यूजन आर्ट जैसी नई धाराओं को भी प्रोत्साहित करेगा।
प्रश्न 9: कलाग्राम की स्थापना से पर्यटन क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर: कलाग्राम से सांस्कृतिक पर्यटन को बहुत बड़ा बढ़ावा मिलेगा। भारत के विभिन्न राज्यों में स्थापित ये केंद्र देशी और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करेंगे। पर्यटक इन केंद्रों में भारतीय कला और संस्कृति को नजदीक से देख और समझ सकेंगे, जिससे भारत का पर्यटन उद्योग और मजबूत होगा।
प्रश्न 10: सरकार के इस निर्णय से भारत की सांस्कृतिक विरासत को कैसे लाभ मिलेगा?
उत्तर:
इस पहल से भारत की सांस्कृतिक विरासत को निम्नलिखित लाभ होंगे:
1. लुप्त होती कलाओं का पुनरुद्धार: कई पारंपरिक कलाएं जो लुप्त होने की कगार पर हैं, उन्हें नई पहचान मिलेगी।
2. युवा पीढ़ी को प्रेरणा: युवा कलाकारों और शिल्पकारों को अपने कौशल को विकसित करने का अवसर मिलेगा।
3. संरक्षण और डिजिटलाइजेशन: भारत की पारंपरिक कलाओं को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर डिजिटल प्लेटफार्मों पर भी प्रस्तुत किया जाएगा।
4. स्थानीय अर्थव्यवस्था का विकास: इससे स्थानीय बाजारों को बढ़ावा मिलेगा और हस्तशिल्प उद्योग को मजबूती मिलेगी।

प्रधान मंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह योजना (PM-MKSSY) से संबंधित विस्तृत करेंट अफेयर्स प्रश्न-उत्तर
1. प्रधान मंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह योजना (PM-MKSSY) किस योजना के तहत शुरू की गई है?
उत्तर: प्रधान मंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह योजना (PM-MKSSY) प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत शुरू की गई एक केंद्रीय क्षेत्र उप-योजना है। इसका उद्देश्य जलीय कृषि किसानों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना और मत्स्य पालन को बढ़ावा देना है।
2. यह योजना कितने वर्षों के लिए लागू की गई है?
उत्तर: यह योजना चार वर्षों (2023-24 से 2026-27) की अवधि के लिए लागू की गई है। इस दौरान केंद्र सरकार मत्स्य किसानों को बीमा सुरक्षा प्रदान करेगी।
3. इस योजना के लिए केंद्र सरकार ने कितना बजट आवंटित किया है?
उत्तर: इस योजना के लिए ₹6000 करोड़ का अनुमानित परिव्यय रखा गया है, जो कि केंद्र सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्तपोषित होगा।
4. इस योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: इस योजना का मुख्य उद्देश्य मत्स्य पालन और जलीय कृषि से जुड़े किसानों को बीमा सुरक्षा प्रदान करना है, जिससे वे प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तन, मछली रोगों और अन्य जोखिमों से बच सकें।
5. इस योजना का लाभ किन्हें मिलेगा?
उत्तर: इस योजना का लाभ जलीय कृषि किसान, मत्स्य पालक, मत्स्य सहकारी समितियां, मत्स्य पालन उद्यमी और मछली व्यवसाय से जुड़े लोग उठा सकते हैं।
6. PM-MKSSY योजना के तहत घटक 1-ख (Component 1B) क्या है?
उत्तर: इस योजना के घटक 1-ख के अंतर्गत 4 हेक्टेयर तक के जल विस्तार क्षेत्र वाले जलीय कृषि किसानों को बीमा खरीदने के लिए एकमुश्त वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
7. इस योजना का क्रियान्वयन किस मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है?
उत्तर: इस योजना का क्रियान्वयन मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (Ministry of Fisheries, Animal Husbandry & Dairying, Government of India) द्वारा किया जा रहा है।
8. प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) और प्रधान मंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह योजना (PM-MKSSY) में क्या अंतर है?
उत्तर:
प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) का उद्देश्य मत्स्य पालन और जलीय कृषि का समग्र विकास करना है, जबकि प्रधान मंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह योजना (PM-MKSSY) विशेष रूप से जलीय कृषि किसानों को बीमा सुरक्षा प्रदान करने पर केंद्रित है।
9. इस योजना की जरूरत क्यों पड़ी?
उत्तर:
भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता है। प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तन और मछली रोगों से मत्स्य किसानों को भारी नुकसान होता है।
इस योजना के माध्यम से किसानों को वित्तीय सुरक्षा और बीमा कवरेज प्रदान किया जाएगा, जिससे नीली अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
10. भारत में मत्स्य पालन का क्या महत्व है?
उत्तर:
भारत विश्व में तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है और दूसरा सबसे बड़ा जलीय कृषि उत्पादक देश है। मत्स्य पालन का भारत की जीडीपी में 1.07% योगदान है और यह लगभग 2.8 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देता है।
11. इस योजना से किन प्रमुख समस्याओं का समाधान होगा?
उत्तर:
यह योजना मत्स्य किसानों को वित्तीय अस्थिरता से बचाएगी, बीमारियों और प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई करेगी, मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत विकास को सुनिश्चित करेगी और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देगी।
12. इस योजना के तहत किसानों को किस प्रकार की बीमा सुरक्षा दी जाएगी?
उत्तर:
इस योजना के तहत मछलियों की बीमारी से होने वाले नुकसान, प्राकृतिक आपदाओं (बाढ़, चक्रवात, सूखा) से नुकसान, मत्स्य पालन उपकरणों के नुकसान और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न जोखिमों की सुरक्षा दी जाएगी।
13. इस योजना में वित्तपोषण कैसे किया जाएगा?
उत्तर:
इस योजना का संपूर्ण वित्तपोषण केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा। केंद्र सरकार लाभार्थियों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से सहायता राशि प्रदान करेगी।
14. इस योजना का आवेदन कैसे किया जा सकता है?
उत्तर:
इस योजना का लाभ उठाने के लिए PMMSY योजना के पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा। आवेदनकर्ता को आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने होंगे और आवेदन सत्यापन के बाद उन्हें बीमा योजना में नामांकित किया जाएगा।
15. यह योजना भारत की अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करेगी?
उत्तर:
इस योजना से मत्स्य पालन क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा, मत्स्य किसानों को वित्तीय स्थिरता मिलेगी, मत्स्य निर्यात को बढ़ावा मिलेगा, रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे और भारत की नीली अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
नाविका सागर परिक्रमा II अभियान – विस्तार से प्रश्न और उत्तर
1. प्रश्न: “नाविका सागर परिक्रमा II अभियान” का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
उत्तर: नाविका सागर परिक्रमा II अभियान का मुख्य उद्देश्य भारतीय नौसेना के महिला अधिकारियों द्वारा समुद्र में नौकायन के क्षेत्र में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करना और दुनिया की समुद्री यात्रा को पूरा करने का एक ऐतिहासिक कार्य करना है।
इस अभियान का लक्ष्य है कि महिला अधिकारी आठ महीनों में 23,400 समुद्री मील (लगभग 43,300 किलोमीटर) की दूरी तय करें। इस दौरान, उन्हें विभिन्न महाद्वीपों और समुद्रों को पार करते हुए कठिनाइयों का सामना करना होगा।
अभियान का समापन मई 2025 में गोवा में होगा, जहां से यह यात्रा शुरू हुई थी।
2. प्रश्न: आईएनएसवी तारिणी ने अभियान के चौथे चरण में कहां प्रवेश किया है?
उत्तर: आईएनएसवी तारिणी ने नाविका सागर परिक्रमा II अभियान के चौथे चरण को पूरा करते हुए दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन में प्रवेश किया है।
केप टाउन एक महत्वपूर्ण समुद्री बंदरगाह है, जहां यह अभियान दल ने विश्राम लिया और अपनी यात्रा के अगले चरण की तैयारी की। केप टाउन में प्रवेश करना एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि यह लंबी समुद्री यात्रा का एक प्रमुख पड़ाव है।
3. प्रश्न: नाविका सागर परिक्रमा II अभियान का संचालन कौन कर रहा है?
उत्तर: इस अभियान का संचालन भारतीय नौसेना की दो महिला अधिकारियों, लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए द्वारा किया जा रहा है।
ये दोनों अधिकारी भारतीय नौसेना में उच्च पदों पर हैं और यह अभियान उनके नेतृत्व में चल रहा है। उनका नेतृत्व और साहस न केवल भारतीय नौसेना के लिए गर्व का कारण है, बल्कि यह महिला सशक्तिकरण के प्रतीक के रूप में भी देखा जा रहा है।
4. प्रश्न: इस अभियान के अब तक के पड़ावों में कौन-कौन से स्थान शामिल हैं?
उत्तर: अब तक इस अभियान दल ने तीन महत्वपूर्ण पड़ावों पर रुकने का कार्य किया है। ये स्थान हैं:
1. फ्रेमैंटल (ऑस्ट्रेलिया): यह पहले पड़ाव के रूप में था, जहां दल ने अपने पहले चरण की यात्रा को पूरा किया।
2. लिटलटन (न्यूजीलैंड): दूसरे पड़ाव के रूप में, यहां दल ने अपनी यात्रा के दौरान आवश्यक सहायता और विश्राम लिया।
3. पोर्ट स्टेनली, फॉकलैंड्स (ब्रिटेन): यह तीसरा पड़ाव था, जहां दल ने यात्रा की एक बड़ी और चुनौतीपूर्ण दूरी पूरी की। इन तीन स्थानों पर रुकने के दौरान, दल ने अपने मार्ग में आने वाली विभिन्न चुनौतियों का सामना किया और यात्रा को सफलतापूर्वक जारी रखा।
5. आईएनएसवी तारिणी के बारे में क्या जानकारी है?
उत्तर: आईएनएसवी तारिणी एक स्वदेशी रूप से निर्मित 56 फुट लंबा नौकायन पोत है, जिसे भारतीय नौसेना द्वारा 2018 में सेवा में लिया गया था।
इस पोत को विशेष रूप से लंबी समुद्री यात्राओं के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह उच्च तकनीकी विशेषताओं से लैस है। इस पोत का निर्माण भारतीय नौसेना के लिए किया गया है, और इसका उद्देश्य भारतीय नौसेना की नौवहन क्षमताओं को बढ़ाना और महिलाओं को समुद्र में नौकायन के क्षेत्र में और अधिक अवसर प्रदान करना है।
आईएनएसवी तारिणी की डिजाइन और निर्माण पूरी तरह से भारतीय है, जो स्वदेशी निर्माण के प्रति भारतीय नौसेना के प्रयासों का एक उदाहरण है।
6. प्रश्न: नाविका सागर परिक्रमा II अभियान की योजना के अनुसार गोवा में कब लौटने का लक्ष्य है?
उत्तर: इस अभियान का लक्ष्य मई 2025 में गोवा वापस लौटना है। अभियान का समापन गोवा में होगा, जो भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है।
इस यात्रा का समापन गोवा में एक ऐतिहासिक घटना के रूप में होगा, जो भारतीय नौसेना और भारतीय महिला अधिकारियों के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण होगा। इस दौरान, अभियान की सफलता का जश्न मनाया जाएगा और यह भारतीय नौसेना की महिला अधिकारियों की शक्तियों का प्रतीक बनेगा।
7. प्रश्न: “नाविका सागर परिक्रमा II” अभियान की महत्वता क्यों है?
उत्तर: यह अभियान भारतीय नौसेना की महिला अधिकारियों की क्षमताओं का प्रदर्शनी है। इसमें भाग लेने वाली महिलाएं समुद्र में नौकायन करते हुए एक ऐतिहासिक यात्रा पूरी कर रही हैं, जो भारतीय महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है।
यह अभियान महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है और यह दर्शाता है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं।
साथ ही, यह अभियान स्वदेशी नौवहन तकनीकी क्षमताओं को भी प्रदर्शित करता है, जो भारतीय नौसेना द्वारा विकसित की गई हैं। इस अभियान के द्वारा भारत के स्वदेशी निर्माण और महिलाओं की समानता के प्रति प्रतिबद्धता को भी उजागर किया जा रहा है।
8. प्रश्न: आईएनएसवी तारिणी का निर्माण कब हुआ था और किसके द्वारा किया गया था?
उत्तर: आईएनएसवी तारिणी का निर्माण 2018 में किया गया था और इसे भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। यह एक स्वदेशी नौकायन पोत है, जिसे भारतीय नौसेना के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया था।
इसे भारतीय नौसेना के विभिन्न शिपबिल्डरों द्वारा निर्मित किया गया और यह भारतीय नौसेना के स्वदेशी निर्माण के प्रयासों का एक उदाहरण है। इस पोत का उद्देश्य लंबी समुद्री यात्राओं को अंजाम देना और भारतीय नौसेना की समुद्री क्षमताओं को बढ़ाना है।
Current Affairs Question and Answer in Hindi:
प्रश्न 1: DRDO (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) किस प्रमुख रक्षा प्रदर्शनी में भारत की अत्याधुनिक रक्षा नवाचारों का प्रदर्शन कर रहा है?
उत्तर: DRDO (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) लैटिन अमेरिका की प्रमुख रक्षा प्रदर्शनी “LAAD 2025” में भारत की अत्याधुनिक रक्षा नवाचारों का प्रदर्शन कर रहा है। यह प्रदर्शनी रियो डी जनेरियो, ब्राजील में 1-4 अप्रैल 2025 के बीच आयोजित हो रही है।
प्रश्न 2: LAAD 2025 क्या है और यह कहाँ आयोजित किया जा रहा है?
उत्तर: LAAD 2025 (Latin America Aero and Defense Expo 2025) लैटिन अमेरिका का प्रमुख रक्षा प्रदर्शनी है। इसे रियो डी जनेरियो, ब्राजील में 1-4 अप्रैल 2025 तक आयोजित किया जा रहा है।
प्रश्न 3: DRDO के किस उद्देश्य से LAAD 2025 प्रदर्शनी में भाग लेने की योजना है?
उत्तर: DRDO का उद्देश्य भारत के रक्षा क्षेत्र में हो रही नवीनतम और अत्याधुनिक नवाचारों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत करना है। इसके द्वारा भारत की रक्षा प्रौद्योगिकियों को वैश्विक स्तर पर पहचान मिल सकेगी और अन्य देशों के साथ सहयोग बढ़ाने का अवसर मिलेगा।
प्रश्न 4: LAAD 2025 प्रदर्शनी में DRDO किस प्रकार के उत्पादों का प्रदर्शन करेगा?
उत्तर: DRDO प्रदर्शनी में भारत की अत्याधुनिक रक्षा प्रणालियों, मिसाइलों, एयर डिफेंस सिस्टम्स, नेवी उपकरणों, ड्रोन टेक्नोलॉजी और अन्य उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करेगा। इसका उद्देश्य भारत के रक्षा उत्पादों को वैश्विक बाजार में बढ़ावा देना है।
प्रश्न 5: LAAD 2025 के दौरान भारत और किस देश के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने की संभावना है?
उत्तर: LAAD 2025 प्रदर्शनी के दौरान भारत और ब्राजील के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की संभावना है, खासकर सैन्य उपकरणों और प्रौद्योगिकियों के आदान-प्रदान में।
प्रश्न 6: DRDO के किस प्रमुख रक्षा प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित करने की संभावना है?
उत्तर: DRDO के प्रमुख ध्यान का केंद्र आधुनिक मिसाइल प्रणालियाँ, स्वदेशी युद्धक विमान, ड्रोन और उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम्स पर होगा, जो भारतीय रक्षा को और मजबूत करेंगे और अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाएंगे।9. इस योजना की जरूरत क्यों पड़ी?
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