आज की टॉप करंट अफेयर्स: यूपीएससी, बैंकिंग और रेलवे परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण!
RSETI (Rural Self Employment Training Institute) से संबंधित महत्वपूर्ण करंट अफेयर्स प्रश्न-उत्तर
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Toggleप्रश्न 1: RSETI (ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान) क्या है?
उत्तर:
RSETI (Rural Self Employment Training Institute) एक संस्थान है, जो ग्रामीण विकास मंत्रालय (Ministry of Rural Development) के तहत संचालित होता है। इसका उद्देश्य ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार एवं कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण देना है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।
प्रश्न 2: RSETI किस मॉडल पर कार्य करता है?
उत्तर:
RSETI “एक जिला, एक RSETI” मॉडल पर कार्य करता है, जिसके तहत प्रत्येक जिले में एक RSETI स्थापित किया जाता है।
प्रश्न 3: RSETI कार्यक्रम को कौन संचालित करता है?
उत्तर:
RSETI का संचालन राष्ट्रीयकृत बैंक (Public Sector Banks – PSBs) द्वारा किया जाता है, जो अपने-अपने जिलों में इन प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना और प्रबंधन करते हैं।
प्रश्न 4: RSETI का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार एवं उद्यमिता के लिए प्रशिक्षित करना।
बेरोजगारी को कम करना और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देना।
स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के लिए तकनीकी एवं प्रबंधन प्रशिक्षण प्रदान करना।
प्रश्न 5: RSETI के तहत कौन-कौन से प्रशिक्षण दिए जाते हैं?
उत्तर:
RSETI के तहत 56 से अधिक प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं, जिनमें शामिल हैं:
1. कृषि आधारित प्रशिक्षण – मुर्गी पालन, बकरी पालन, डेयरी फार्मिंग, मधुमक्खी पालन आदि।
2. उत्पादन आधारित प्रशिक्षण – अगरबत्ती बनाना, सिलाई-कढ़ाई, खाद्य प्रसंस्करण आदि।
3. सेवा आधारित प्रशिक्षण – मोबाइल रिपेयरिंग, ब्यूटी पार्लर, इलेक्ट्रीशियन कार्य आदि।
प्रश्न 6: RSETI की स्थापना कब की गई थी?
उत्तर:
RSETI की स्थापना 2009 में की गई थी और इसे ग्रामीण कौशल विकास योजना के तहत लागू किया गया था।
प्रश्न 7: कौन RSETI प्रशिक्षण प्राप्त कर सकता है?
उत्तर:
18 से 45 वर्ष की आयु के ग्रामीण युवा।
गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जीवनयापन करने वाले लोग।
स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के इच्छुक बेरोजगार युवा।
प्रश्न 8: क्या RSETI का प्रशिक्षण मुफ्त होता है?
उत्तर:
हाँ, RSETI द्वारा दिया जाने वाला प्रशिक्षण पूरी तरह निशुल्क होता है। इसके अलावा, प्रशिक्षण के दौरान आवास और भोजन की सुविधा भी दी जाती है।
प्रश्न 9: RSETI को किस योजना के तहत वित्त पोषित किया जाता है?
उत्तर:
RSETI को दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (DDU-GKY) और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत वित्तीय सहायता दी जाती है।
प्रश्न 10: RSETI का प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद क्या लाभ मिलता है?
उत्तर:
प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद व्यक्ति स्वरोजगार शुरू कर सकते हैं।
बैंक से लोन प्राप्त करने में आसानी होती है।
राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं में लाभ मिलता है।
प्रश्न 11: RSETI का वर्तमान में देश में कितना विस्तार है?
उत्तर:
वर्तमान में 600+ RSETI केंद्र भारत में कार्यरत हैं, जो विभिन्न जिलों में कौशल विकास और प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं।
प्रश्न 12: RSETI से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले कितने प्रतिशत लोग सफलतापूर्वक स्वरोजगार कर रहे हैं?
उत्तर:
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, RSETI से प्रशिक्षित होने वाले 70% से अधिक युवा सफलतापूर्वक स्वरोजगार कर रहे हैं या अपना खुद का व्यवसाय चला रहे हैं।
प्रश्न 13: RSETI के लिए आवेदन कैसे करें?
उत्तर:
इच्छुक उम्मीदवार RSETI के आधिकारिक पोर्टल (https://rseti.org) या नजदीकी RSETI केंद्र पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।
प्रश्न 14: हाल ही में RSETI से संबंधित कौन-सी नई पहल शुरू की गई है?
उत्तर:
डिजिटल ट्रेनिंग मॉडल – जिसमें ऑनलाइन स्वरोजगार प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
महिलाओं के लिए विशेष कार्यक्रम – महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रशिक्षण शुरू किए गए हैं।
प्रश्न 15: क्या RSETI के माध्यम से स्वरोजगार करने वाले लोगों को सरकारी सहायता मिलती है?
उत्तर:
हाँ, सरकार द्वारा मुद्रा योजना, स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) जैसी योजनाओं के तहत सहायता प्रदान की जाती है।
पीएम कुसुम योजना से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण करंट अफेयर्स प्रश्न और उनके विस्तृत उत्तर दिए गए हैं:
प्रश्न 1: पीएम कुसुम योजना क्या है और इसका उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM) योजना भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है, जिसे 2019 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना, किसानों की आय बढ़ाना और डीजल पर निर्भरता कम करना है।
इस योजना के तहत, किसानों को सब्सिडी पर सौर पंप उपलब्ध कराए जाते हैं और उन्हें अपनी अतिरिक्त सौर ऊर्जा ग्रिड को बेचने का अवसर मिलता है।
प्रश्न 2: पीएम कुसुम योजना के तहत किसानों को कितने प्रकार के लाभ दिए जाते हैं?
उत्तर:
इस योजना के अंतर्गत किसानों को चार प्रमुख लाभ मिलते हैं:
1. सौर पंप वितरण – किसानों को सब्सिडी पर सोलर पंप दिए जाते हैं ताकि वे सिंचाई के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग कर सकें।
2. सौर ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण – किसानों को सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की अनुमति दी जाती है, जिससे वे अतिरिक्त ऊर्जा ग्रिड को बेच सकते हैं।
3. ट्यूबवेल की स्थापना – योजना के तहत सौर ऊर्जा से चलने वाले ट्यूबवेल लगाए जाते हैं, जिससे जल आपूर्ति सुनिश्चित होती है।
4. वर्तमान पंपों का आधुनिकीकरण – पुराने और डीजल-आधारित पंपों को सौर ऊर्जा से चलने वाले पंपों में बदला जाता है।
प्रश्न 3: पीएम कुसुम योजना को लागू करने के पीछे सरकार का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
सरकार इस योजना के माध्यम से निम्नलिखित उद्देश्यों को पूरा करना चाहती है:
किसानों को सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करना
डीजल पर निर्भरता कम करना और ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ाना
ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना
सौर ऊर्जा उत्पादन बढ़ाकर ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करना
कृषि में स्थिरता और नवाचार को बढ़ावा देना
प्रश्न 4: इस योजना के तहत कितनी सब्सिडी दी जाती है?
उत्तर:
पीएम कुसुम योजना के तहत किसानों को सोलर पंप लगाने के लिए कुल लागत का 60% तक सब्सिडी दी जाती है। केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर इस सब्सिडी का भार उठाती हैं। इसके अतिरिक्त, किसान को महज 10% लागत का भुगतान करना होता है, जबकि शेष 30% राशि के लिए बैंक लोन की सुविधा दी जाती है।
प्रश्न 5: कौन-कौन से राज्य इस योजना में सबसे अधिक लाभ उठा रहे हैं?
उत्तर:
पीएम कुसुम योजना को सभी राज्यों में लागू किया गया है, लेकिन राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्य इस योजना से सबसे अधिक लाभान्वित हो रहे हैं क्योंकि यहां सौर ऊर्जा की संभावनाएं अधिक हैं और कृषि गतिविधियां बड़े पैमाने पर होती हैं।
प्रश्न 6: क्या पीएम कुसुम योजना के तहत किसान अतिरिक्त बिजली बेच सकते हैं?
उत्तर:
हाँ, पीएम कुसुम योजना के तहत किसान सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर सकते हैं और अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं। यह व्यवस्था किसानों के लिए अतिरिक्त आय स्रोत प्रदान करती है और ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा की स्थिरता सुनिश्चित करती है।
प्रश्न 7: क्या पीएम कुसुम योजना से किसानों की आय में वृद्धि होगी?
उत्तर:
बिल्कुल! यह योजना किसानों की आय बढ़ाने में सहायक है क्योंकि:
- डीजल की लागत खत्म हो जाती है, जिससे सिंचाई लागत कम होती है।
- सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने वाले किसान अतिरिक्त बिजली बेच सकते हैं, जिससे वे हर महीने अतिरिक्त आय कमा सकते हैं।
- सरकार सब्सिडी देती है, जिससे किसानों को कम खर्च में सोलर पंप मिलते हैं।
- कम लागत में सिंचाई संभव होने से फसल उत्पादन बढ़ता है, जिससे किसानों को अधिक लाभ होता है।
प्रश्न 8: पीएम कुसुम योजना में कौन-कौन से घटक (components) शामिल हैं?
उत्तर:
पीएम कुसुम योजना में तीन घटक शामिल हैं:
1. घटक-A: 10,000 मेगावाट की सौर ऊर्जा क्षमता वाले ग्रिड से जुड़े छोटे संयंत्रों की स्थापना।
2. घटक-B: 17.5 लाख स्टैंड-अलोन सोलर पंपों की स्थापना।
3. घटक-C: 10 लाख मौजूदा कृषि पंपों का सोलराइजेशन।
प्रश्न 9: पीएम कुसुम योजना में आवेदन करने की प्रक्रिया क्या है?
उत्तर:
इस योजना में आवेदन करने के लिए किसान राज्य सरकार की अधिकृत वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा, नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय या बैंक से संपर्क करके भी आवेदन किया जा सकता है।
आवश्यक दस्तावेज़:
आधार कार्ड
भूमि के स्वामित्व से संबंधित दस्तावेज
बैंक खाता विवरण
पासपोर्ट साइज फोटो
प्रश्न 10: क्या पीएम कुसुम योजना का कोई नकारात्मक पक्ष भी है?
उत्तर:
हालांकि यह योजना किसानों के लिए लाभकारी है, फिर भी कुछ चुनौतियाँ हैं:
- सोलर पैनल लगाने के लिए अधिक भूमि की आवश्यकता होती है, जो सभी किसानों के लिए संभव नहीं है।
- प्रारंभिक निवेश कुछ किसानों के लिए अधिक हो सकता है, भले ही सब्सिडी मिलती हो।
- रखरखाव और तकनीकी जानकारी की कमी के कारण कई किसान इसका सही उपयोग नहीं कर पाते।
- बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) के साथ समझौते में देरी हो सकती है, जिससे किसानों को बिजली बेचने में कठिनाई हो सकती है।

बोट रेस और ओणम से संबंधित महत्वपूर्ण करेंट अफेयर्स प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1: नौका दौड़ (Boat Race) किस भारतीय राज्य में सबसे प्रसिद्ध सांस्कृतिक आयोजन है?
उत्तर: केरल में नौका दौड़ (Boat Race) एक प्रसिद्ध सांस्कृतिक आयोजन है, जो विशेष रूप से ओणम महोत्सव के दौरान आयोजित किया जाता है।
प्रश्न 2: ओणम महोत्सव कब और क्यों मनाया जाता है?
उत्तर: ओणम भाद्रपद महीने (अगस्त-सितंबर) में मनाया जाता है।
यह त्योहार केरल के महान राजा महाबली की याद में मनाया जाता है, जिन्हें भगवान विष्णु के वामन अवतार ने पाताल लोक भेज दिया था।
मान्यता है कि इस दिन महाबली अपनी प्रजा से मिलने आते हैं।
प्रश्न 3: ओणम के दौरान कौन-कौन सी पारंपरिक खेल-कूद की गतिविधियाँ होती हैं?
उत्तर: ओणम के दौरान कई पारंपरिक खेल और सांस्कृतिक गतिविधियाँ होती हैं, जिनमें प्रमुख हैं –
1. नौका दौड़ (Vallamkali) – प्रसिद्ध ‘स्नेक बोट’ रेस
2. पुक्कलम – फूलों की रंगोली
3. कंबदी काली – पारंपरिक कुश्ती
4. तिरुवथिराकली – महिलाओं का पारंपरिक नृत्य
5. पुलीकली – बाघों की पोशाक पहनकर किया जाने वाला नृत्य
प्रश्न 4: केरल की सबसे प्रसिद्ध नौका दौड़ कौन-सी है?
उत्तर: केरल की सबसे प्रसिद्ध नौका दौड़ ‘नेहरू ट्रॉफी बोट रेस’ (Nehru Trophy Boat Race) है।
इसे अलप्पुझा (Alappuzha) के पन्नमड़ा झील (Punnamada Lake) में आयोजित किया जाता है।
इसकी शुरुआत 1952 में हुई थी, जब प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस रेस को देखा और विजेता टीम को ट्रॉफी दी।
प्रश्न 5: भारत में और किन राज्यों में नाव दौड़ का आयोजन किया जाता है?
उत्तर: केरल के अलावा, असम और पश्चिम बंगाल में भी पारंपरिक नाव दौड़ होती है –
1. असम – ब्रह्मपुत्र नदी पर ‘जोरहाट बोट रेस’
2. पश्चिम बंगाल – गंगा नदी पर पारंपरिक नाव दौड़
प्रश्न 6: ओणम से जुड़े कौन-कौन से पारंपरिक व्यंजन प्रसिद्ध हैं?
उत्तर: ओणम के दौरान तैयार किए जाने वाले पारंपरिक व्यंजन ‘सद्या’ (Sadya) कहलाते हैं। इनमें प्रमुख हैं –
1. अवियल – सब्जियों से बना व्यंजन
2. सांभर – दाल और सब्जियों का मिश्रण
- केले के चिप्स
4. पायसम – मीठा व्यंजन (खीर जैसी मिठाई)
प्रश्न 7: ओणम के दौरान कितने दिन का उत्सव मनाया जाता है?
उत्तर: ओणम 10 दिनों तक मनाया जाता है, और इसका मुख्य दिन थिरुवोणम कहलाता है।
प्रश्न 8: ओणम किस धर्म से जुड़ा हुआ है?
उत्तर: यह मुख्य रूप से हिंदू त्योहार है, लेकिन इसे सभी धर्मों के लोग समान उत्साह से मनाते हैं।
केरल में हिंदू, मुस्लिम और ईसाई समुदाय के लोग भी इसे बड़े हर्षोल्लास से मनाते हैं।
प्रश्न 9: क्या ओणम केवल भारत में ही मनाया जाता है?
उत्तर: नहीं, ओणम केवल भारत में ही नहीं, बल्कि यूएई, मलेशिया, सिंगापुर, अमेरिका जैसे देशों में भी मनाया जाता है।
विदेशों में बसे मलयाली समुदाय के लोग इसे पारंपरिक तरीके से मनाते हैं।
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) से जुड़े करेंट अफेयर्स प्रश्न-उत्तर
प्रश्न 1: किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना किस वर्ष शुरू की गई थी?
उत्तर: किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना 1998 में शुरू की गई थी।
प्रश्न 2: किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को कम ब्याज दर पर और आसान शर्तों पर ऋण उपलब्ध कराना है, जिससे वे बीज, उर्वरक, कृषि उपकरण और अन्य आवश्यक चीजें खरीद सकें।
प्रश्न 3: किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना किसके द्वारा संचालित की जाती है?
उत्तर: यह योजना भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और नाबार्ड (NABARD) के दिशा-निर्देशों के तहत संचालित की जाती है।
प्रश्न 4: प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-KISAN) के लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) कैसे दिया जाता है?
उत्तर: सरकार ने PM-KISAN योजना के लाभार्थियों को स्वचालित रूप से किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) प्रदान करने की पहल की है, जिससे उन्हें सस्ता और त्वरित ऋण मिल सके।
प्रश्न 5: किसान क्रेडिट कार्ड के तहत अधिकतम ऋण सीमा कितनी है?
उत्तर:
प्रारंभिक रूप से किसानों को ₹1.60 लाख तक बिना गारंटी के ऋण दिया जाता है।
यदि गारंटी दी जाए, तो यह सीमा ₹5 लाख या अधिक तक बढ़ सकती है।
प्रश्न 6: किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के तहत ब्याज दर कितनी होती है?
उत्तर: किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) पर ब्याज दर 7% प्रति वर्ष होती है, लेकिन सरकार 2% से 3% तक की ब्याज सब्सिडी भी प्रदान करती है, जिससे प्रभावी ब्याज दर घटकर 4% रह जाती है।

प्रश्न 7: किसान क्रेडिट कार्ड का उपयोग किन उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है?
उत्तर:
- कृषि से संबंधित खर्चों के लिए (बीज, उर्वरक, कीटनाशक आदि खरीदने के लिए)।
- कृषि उपकरणों और पशुपालन में निवेश के लिए।
- मत्स्य पालन और डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए।
प्रश्न 8: किसान क्रेडिट कार्ड के लिए कौन पात्र है?
उत्तर:
छोटे और सीमांत किसान
पट्टे पर खेती करने वाले किसान
बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन करने वाले किसान
प्रश्न 9: किसान क्रेडिट कार्ड कैसे प्राप्त किया जा सकता है?
उत्तर: किसान क्रेडिट कार्ड के लिए किसान किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक, सहकारी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB) या नाबार्ड के अधिकृत संस्थानों में आवेदन कर सकते हैं।
प्रश्न 10: सरकार ने 2024 में किसान क्रेडिट कार्ड योजना में कौन से नए बदलाव किए हैं?
उत्तर:
- डिजिटल किसान क्रेडिट कार्ड (e-KCC) की शुरुआत, जिससे किसान अपने मोबाइल के माध्यम से सीधे आवेदन कर सकते हैं।
- ब्याज सब्सिडी बढ़ाने और प्रक्रिया को और सरल बनाने की घोषणा।
- मत्स्य पालन और डेयरी किसानों को भी किसान क्रेडिट कार्ड योजना में शामिल किया गया है।
मधुक्रांति पोर्टल से संबंधित महत्वपूर्ण करेंट अफेयर्स प्रश्न-उत्तर
प्रश्न 1: मधुक्रांति पोर्टल क्या है, और इसे किस मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया है?
उत्तर: मधुक्रांति पोर्टल एक राष्ट्रीय ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो मधुमक्खी पालकों और अन्य हितधारकों के पंजीकरण और डेटा संग्रह के लिए विकसित किया गया है। इसे भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया है।
प्रश्न 2: मधुक्रांति पोर्टल का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: इसका मुख्य उद्देश्य मधुमक्खी पालन से संबंधित डेटा को डिजिटलीकृत करना, मधुमक्खी पालकों को समर्थन प्रदान करना, और शहद एवं अन्य मधुमक्खी उत्पादों की गुणवत्ता और उत्पादन को बढ़ावा देना है।
प्रश्न 3: मधुक्रांति पोर्टल किन प्रमुख सुविधाओं को प्रदान करता है?
उत्तर:
- मधुमक्खी पालकों का पंजीकरण और प्रमाणन
- शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों की ट्रेसबिलिटी
- बीमा और वित्तीय सहायता की उपलब्धता
- किसानों और स्टेकहोल्डर्स को सरकारी योजनाओं की जानकारी
प्रश्न 4: मधुक्रांति पोर्टल के माध्यम से मधुमक्खी पालकों को कौन-कौन से लाभ मिलते हैं?
उत्तर:
- ₹1 लाख तक का बीमा कवरेज
- सरल और परेशानी मुक्त ऋण सुविधा
- शहद उत्पादन और बिक्री की पूरी ट्रांसपेरेंसी
- सरकारी अनुदान और योजनाओं की जानकारी
प्रश्न 5: मधुक्रांति पोर्टल किस मिशन के अंतर्गत शुरू किया गया है?
उत्तर: यह “राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन” (National Beekeeping and Honey Mission – NBHM) के तहत शुरू किया गया है।
प्रश्न 6: मधुक्रांति पोर्टल किस डिजिटल प्लेटफॉर्म के सहयोग से विकसित किया गया है?
उत्तर: यह पोर्टल राष्ट्रीय कृषि और किसान कल्याण डिजिटल प्लेटफॉर्म के सहयोग से विकसित किया गया है।
प्रश्न 7: मधुक्रांति पोर्टल का उपयोग कौन-कौन कर सकता है?
उत्तर:
- मधुमक्खी पालक (Beekeepers)
- शहद उत्पादक कंपनियां
- कृषि वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्ता
- सरकारी एजेंसियां और निर्यातक
प्रश्न 8: मधुक्रांति पोर्टल के माध्यम से शहद की गुणवत्ता की निगरानी कैसे की जाती है?
उत्तर: पोर्टल में ट्रैसेबिलिटी सिस्टम (Traceability System) मौजूद है, जिससे शहद की उत्पत्ति, गुणवत्ता, और विक्रय प्रक्रिया को ट्रैक किया जा सकता है।
प्रश्न 9: मधुक्रांति पोर्टल से मधुमक्खी पालन उद्योग को किस प्रकार लाभ मिलेगा?
उत्तर:
शहद उत्पादकों को उचित बाजार मूल्य मिलेगा।
शहद की मिलावट और नकली उत्पादों पर रोक लगेगी।
मधुमक्खी पालकों को सरकारी योजनाओं और सब्सिडी का लाभ मिलेगा।
निर्यात में वृद्धि होगी जिससे भारत के शहद उद्योग को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी।
प्रश्न 10: मधुक्रांति पोर्टल से जुड़ने के लिए किसान और मधुमक्खी पालक कैसे पंजीकरण कर सकते हैं?
उत्तर: किसान और मधुमक्खी पालक मधुक्रांति पोर्टल की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर अपना पंजीकरण कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें अपने आधार कार्ड, बैंक विवरण, और मधुमक्खी पालन से संबंधित जानकारी दर्ज करनी होगी।
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