टॉप करेंट अफेयर्स 2024: UPSC, SSC, Railway, Banking परीक्षा के लिए जरूरी जानकारी!
भारत में चीनी उद्योग और गन्ना उत्पादन से संबंधित करंट अफेयर्स पर विस्तृत प्रश्न-उत्तर
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!प्रश्न 1: भारत में गन्ना उत्पादन के प्रमुख राज्य कौन-कौन से हैं, और कौन सा राज्य शीर्ष पर है?
विस्तृत उत्तर:
भारत में गन्ना उत्पादन मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और बिहार में होता है।
उत्तर प्रदेश भारत में गन्ना उत्पादन में प्रथम स्थान पर है और इसे “भारत की गन्ना बेल्ट” भी कहा जाता है।
महाराष्ट्र दूसरा सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य है और यहां की चीनी मिलें सहकारी मॉडल पर आधारित हैं।
कर्नाटक तीसरे स्थान पर है और यहां चीनी उद्योग दक्षिण भारत की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
प्रश्न 2: भारत में चीनी उद्योग का आर्थिक महत्व क्या है?
विस्तृत उत्तर:
1. कृषि क्षेत्र को सहयोग: गन्ना भारत की महत्वपूर्ण नकदी फसलों में से एक है, जो लाखों किसानों को रोजगार देती है।
2. उद्योग एवं व्यापार: भारत में लगभग 500 से अधिक चीनी मिलें कार्यरत हैं, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करोड़ों लोगों को रोजगार देती हैं।
3. विदेशी व्यापार: भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक और निर्यातक है, जिससे विदेशी मुद्रा अर्जित होती है।
4. ऊर्जा उत्पादन: गन्ने के उप-उत्पादों जैसे कि बैगास (गन्ने का अवशेष) से बिजली उत्पन्न की जाती है, जिससे चीनी मिलों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा किया जाता है।
5. इथेनॉल उत्पादन: इथेनॉल एक जैव-ईंधन है, जो पेट्रोल में मिलाया जाता है। इससे कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम होती है।
प्रश्न 3: भारत में इथेनॉल उत्पादन और इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार कौन-कौन सी योजनाएं चला रही है?
विस्तृत उत्तर:
भारत सरकार इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम (EBP) चला रही है, जिसके तहत पेट्रोल में 20% तक इथेनॉल मिश्रण करने का लक्ष्य रखा गया है।
इथेनॉल उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम:
1. 2025 तक 20% इथेनॉल मिश्रण (E20) का लक्ष्य: इससे पेट्रोल की खपत घटेगी और विदेशी मुद्रा बचेगी।
- इथेनॉल उत्पादन के लिए चीनी मिलों को सब्सिडी और सस्ती दरों पर ऋण उपलब्ध कराना।
गन्ने के रस और शीरे (molasses) से इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देना।
इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (E10, E20) को बढ़ावा देने के लिए पेट्रोल पंपों पर अलग से उपलब्ध कराना।
प्राकृतिक गैस और अन्य हरित ऊर्जा स्रोतों की तरह इथेनॉल को भी वैकल्पिक ईंधन के रूप में अपनाना।
प्रश्न 4: भारत के चीनी उद्योग से संबंधित हाल ही में कौन-कौन से प्रमुख निर्णय लिए गए हैं?
विस्तृत उत्तर:
1. चीनी निर्यात पर प्रतिबंध: 2023 में सरकार ने घरेलू आपूर्ति बनाए रखने के लिए चीनी निर्यात पर आंशिक प्रतिबंध लगाया था।
2. इथेनॉल उत्पादन में बढ़ोतरी: सरकार ने 2024 तक इथेनॉल उत्पादन क्षमता को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है।
3. चीनी उद्योग में स्थिरता: सरकार ने चीनी मिलों को वित्तीय सहायता प्रदान करने और गन्ना किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए नई नीतियां बनाई हैं।
4. बायोफ्यूल मिशन: प्रधानमंत्री ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए बायोफ्यूल उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना बना रहे हैं।
प्रश्न 5: भारत के चीनी उद्योग को किन प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?
विस्तृत उत्तर:
1. अत्यधिक पानी की खपत: गन्ने की खेती के लिए बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है, जिससे जल संकट बढ़ सकता है।
2. अतिरिक्त उत्पादन और कीमतों में अस्थिरता: कई बार चीनी का अत्यधिक उत्पादन होने से बाजार में कीमतें गिर जाती हैं, जिससे किसानों और मिलों को नुकसान होता है।
3. गन्ना भुगतान में देरी: कई राज्यों में गन्ना किसानों को समय पर भुगतान नहीं मिलता, जिससे वे कर्ज में डूब जाते हैं।
4. जलवायु परिवर्तन: अनियमित वर्षा और जलवायु परिवर्तन से गन्ने की फसल प्रभावित होती है।
5. इथेनॉल उत्पादन में सीमित बुनियादी ढांचा: भारत में अभी भी इथेनॉल उत्पादन के लिए आवश्यक सुविधाओं की कमी है।
प्रश्न 6: भारत के चीनी उद्योग को कैसे और अधिक मजबूत बनाया जा सकता है?
विस्तृत उत्तर:
1. सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देना: गन्ने की खेती के लिए ड्रिप इरिगेशन को अपनाकर जल की खपत को कम किया जा सकता है।
2. चीनी मिलों का आधुनिकीकरण: पुरानी तकनीकों को बदलकर नई तकनीकों को अपनाना जरूरी है।
3. इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि: चीनी के बजाय अधिक इथेनॉल उत्पादन करने पर ध्यान देना चाहिए, जिससे ऊर्जा सुरक्षा भी बढ़ेगी।
4. निर्यात नीति को स्थिर बनाना: सरकार को चीनी निर्यात के लिए एक स्थायी नीति बनानी चाहिए, ताकि किसानों और उद्योग को नुकसान न हो।
5. गन्ना किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करना: सरकार को सख्त नियम बनाकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसानों को समय पर उनका भुगतान मिले।
भारत में इलायची की खेती से जुड़े करंट अफेयर्स: विस्तृत प्रश्न-उत्तर
भारत विश्व में इलायची (Cardamom) के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। इसे “मसालों की रानी” (Queen of Spices) कहा जाता है। मुख्य रूप से यह केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में उगाई जाती है।
इलायची की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु, उच्च वर्षा और उपजाऊ मिट्टी आवश्यक होती है। आइए, इससे जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्नों को विस्तार से समझते हैं:
1. भारत में इलायची को “मसालों की रानी” क्यों कहा जाता है?
विस्तृत उत्तर:
इलायची को उसके अद्वितीय स्वाद, सुगंध और औषधीय गुणों के कारण “मसालों की रानी” कहा जाता है। इसमें प्राकृतिक तेल होते हैं जो इसे एक खास महक और स्वाद प्रदान करते हैं।
इसका उपयोग भारतीय व्यंजनों, मिठाइयों, पेय पदार्थों, आयुर्वेदिक दवाओं और सुगंधित उत्पादों में किया जाता है। इसके अलावा, यह एक महंगी मसाला फसल है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी भारी मांग रहती है।
2. भारत में इलायची के प्रमुख उत्पादक राज्य कौन-कौन से हैं?
विस्तृत उत्तर:
भारत में इलायची मुख्य रूप से तीन राज्यों में उगाई जाती है:
1. केरल – यहाँ की ऊँचाई वाली पहाड़ियाँ (जैसे इडुक्की जिला) इलायची की खेती के लिए आदर्श मानी जाती हैं।
2. कर्नाटक – विशेष रूप से कोडागु और चिक्कमगलुरु जिलों में इलायची की खेती होती है।
3. तमिलनाडु – पश्चिमी घाट के इलाकों में इलायची उगाई जाती है।
ये तीनों राज्य भारत की कुल इलायची उत्पादन का लगभग 85% से अधिक योगदान देते हैं।

3. भारत में इलायची की खेती के लिए कौन-सा जलवायु और मिट्टी उपयुक्त होती है?
विस्तृत उत्तर:
जलवायु:
इलायची की खेती उष्णकटिबंधीय जलवायु में होती है।
इसे 1500-4000 मिमी वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है।
15-30°C तापमान इसकी वृद्धि के लिए आदर्श होता है।
मिट्टी:
इलायची की खेती के लिए जैविक पदार्थों से भरपूर दोमट और बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी इसकी पैदावार को बढ़ाती है।
4. भारत में इलायची उत्पादन की वैश्विक स्थिति क्या है?
विस्तृत उत्तर:
भारत ग्वाटेमाला के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इलायची उत्पादक देश है।
भारतीय इलायची की वैश्विक बाजार में बड़ी मांग है, खासकर मध्य पूर्व (UAE, सऊदी अरब, कुवैत), यूरोप और अमेरिका में।
भारत हर साल हजारों टन इलायची निर्यात करता है, जिससे विदेशी मुद्रा अर्जित होती है।
5. भारत में इलायची की खेती से किसानों को क्या लाभ होते हैं?
विस्तृत उत्तर:
इलायची एक नकदी फसल (Cash Crop) है, जिससे किसानों को अच्छी आमदनी होती है।
इसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक होती है, जिससे निर्यात के अवसर बढ़ते हैं।
इलायची की खेती से जुड़े किसान सरकार की “मसाला विकास योजना” (Spice Development Scheme) और “राष्ट्रीय बागवानी मिशन” (National Horticulture Mission) जैसी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।
इसे जैविक खेती के रूप में भी उगाया जा सकता है, जिससे अधिक मुनाफा मिलता है।
6. भारत सरकार द्वारा इलायची किसानों के लिए कौन-कौन सी योजनाएँ चलाई जा रही हैं?
विस्तृत उत्तर:
भारत सरकार ने इलायची किसानों की सहायता के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं, जैसे:
1. मसाला विकास योजना (Spice Development Scheme):
यह योजना भारतीय मसाला बोर्ड (Spice Board of India) द्वारा चलाई जाती है।
किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली इलायची किस्मों और आधुनिक खेती तकनीकों की जानकारी दी जाती है।
2. राष्ट्रीय बागवानी मिशन (National Horticulture Mission – NHM):
इस योजना के तहत किसानों को वित्तीय सहायता, सिंचाई सुविधाएँ और जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाता है।
3. एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH – Mission for Integrated Development of Horticulture):
इसमें किसानों को नई कृषि तकनीकों और गुणवत्ता सुधार कार्यक्रमों का प्रशिक्षण दिया जाता है।
7. भारत में इलायची उत्पादन को किन प्रमुख समस्याओं का सामना करना पड़ता है?
विस्तृत उत्तर:
हालांकि भारत इलायची उत्पादन में अग्रणी है, लेकिन कुछ समस्याएँ भी हैं:
1. जलवायु परिवर्तन:
अनियमित वर्षा और बढ़ते तापमान से इलायची की फसल प्रभावित होती है।
2. कीट और रोग:
इलायची की फसल को इलायची शूट बोरर, फंगस और वायरल रोगों से खतरा रहता है।
3. उच्च उत्पादन लागत:
उर्वरकों, कीटनाशकों और मजदूरी की बढ़ती लागत से किसानों को दिक्कत होती है।
4. ग्वाटेमाला से प्रतिस्पर्धा:
ग्वाटेमाला विश्व का सबसे बड़ा इलायची निर्यातक देश है, जिससे भारतीय बाजार पर असर पड़ता है।
8. भारत में इलायची की खेती को बढ़ावा देने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?
विस्तृत उत्तर:
1. जैविक खेती को बढ़ावा: रासायनिक उर्वरकों की बजाय जैविक खादों का उपयोग करके किसानों को अधिक लाभ मिल सकता है।
2. नई किस्मों का विकास: उच्च उपज देने वाली और कीट प्रतिरोधी किस्में विकसित की जानी चाहिए।
3. सरकारी सहायता: सरकार को किसानों को सब्सिडी, उन्नत बीज और प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए।
4. बाजार तक सीधी पहुँच: किसानों को ई-मार्केट प्लेटफॉर्म (E-NAM) के माध्यम से सीधा बाजार से जोड़ना चाहिए।
कंब रामायण फेस्टिवल (Kamba Ramayana Festival) से संबंधित विस्तृत करंट अफेयर्स प्रश्न-उत्तर
कंब रामायण फेस्टिवल दक्षिण भारत के महत्वपूर्ण सांस्कृतिक आयोजनों में से एक है। यह उत्सव तमिल कवि कंबन द्वारा रचित कंब रामायण के सम्मान में मनाया जाता है। हाल ही में, तमिलनाडु के राज्यपाल आर. एन. रवि ने कम्बर मेडु, तमिलनाडु में इस सप्ताह भर चलने वाले फेस्टिवल का उद्घाटन किया।
प्रश्न 1: कंब रामायण फेस्टिवल (Kamba Ramayana Festival) क्या है और यह कहाँ मनाया जाता है?
विस्तृत उत्तर:
कंब रामायण फेस्टिवल तमिल साहित्य और भक्ति परंपरा का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो तमिलनाडु में मनाया जाता है। यह उत्सव महाकवि कंबन के सम्मान में आयोजित किया जाता है, जिन्होंने 12वीं शताब्दी में तमिल भाषा में रामायण की रचना की थी। इस महाकाव्य को “रामावतारम” भी कहा जाता है।
यह उत्सव तमिलनाडु के कम्बर मेडु (Kamber Medu) में मनाया जाता है, जो कि कंबन का जन्मस्थान माना जाता है।
प्रश्न 2: कंब रामायण फेस्टिवल का उद्घाटन किसके द्वारा किया गया?
विस्तृत उत्तर:
2025 में आयोजित कंब रामायण फेस्टिवल का उद्घाटन तमिलनाडु के माननीय राज्यपाल, थिरु आर. एन. रवि (Thiru R. N. Ravi) द्वारा किया गया।
उन्होंने इस अवसर पर कहा कि कंबन की रामायण भारतीय संस्कृति और तमिल साहित्य की अनमोल धरोहर है, जो रामायण के आदर्शों को तमिल समाज में गहराई से स्थापित करती है।
प्रश्न 3: कंब रामायण क्या है और इसे किसने लिखा था?
विस्तृत उत्तर:
कंब रामायण एक तमिल महाकाव्य है, जिसे महान कवि कंबन (Kamban) ने लिखा था।
यह वाल्मीकि रामायण का सीधा अनुवाद नहीं है, बल्कि एक स्वतंत्र रचना है।
इसमें राम कथा को तमिल समाज के सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है।
इसे “रामावतारम” भी कहा जाता है और इसमें वाल्मीकि रामायण की तुलना में कई नए पात्र और घटनाएँ जोड़ी गई हैं।
प्रश्न 4: कंब रामायण की रचना किस युग में हुई थी?
विस्तृत उत्तर:
कंब रामायण की रचना 12वीं शताब्दी में हुई थी।
यह चोल वंश के समय में लिखा गया था, जब तमिल साहित्य और भक्ति आंदोलन अपने चरम पर था।
कंबन ने इस ग्रंथ को भगवान विष्णु को समर्पित किया, और इसमें भक्ति एवं आदर्श जीवन मूल्यों का विशेष उल्लेख किया गया है।
प्रश्न 5: कंब रामायण फेस्टिवल का उद्देश्य क्या है?
विस्तृत उत्तर:
कंब रामायण फेस्टिवल का मुख्य उद्देश्य तमिल साहित्य और भक्ति परंपरा को बढ़ावा देना है।
इसके तहत—
- कंब रामायण के महत्व को उजागर करना
तमिल साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देना
रामायण से जुड़े नैतिक मूल्यों का प्रचार-प्रसार करना
युवाओं को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ना
प्रश्न 6: कंबन कौन थे और उनका योगदान क्या था?
विस्तृत उत्तर:
कंबन 12वीं शताब्दी के एक महान तमिल कवि थे। उनका जन्म तमिलनाडु के कम्बर मेडु में हुआ था।
उन्होंने वाल्मीकि रामायण को तमिल साहित्य की शैली में प्रस्तुत किया।
उनकी कृति “रामावतारम” तमिल भाषा की सबसे महत्वपूर्ण काव्य रचनाओं में से एक मानी जाती है।
कंबन की भाषा अलंकारिक, गूढ़ और भक्तिपूर्ण है, जिससे उनकी रचना तमिल समाज में अत्यधिक लोकप्रिय हुई।
प्रश्न 7: कंब रामायण फेस्टिवल कितने दिनों तक मनाया जाता है?
विस्तृत उत्तर:
यह फेस्टिवल एक सप्ताह (7 दिन) तक चलता है।
इस दौरान काव्य पाठ, नृत्य, संगीत, नाट्य मंचन और चर्चा सत्र आयोजित किए जाते हैं।
इसमें विद्वानों, साहित्यकारों और रामायण प्रेमियों की भागीदारी होती है।
कंब रामायण और वाल्मीकि रामायण में अंतर
रामायण भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण महाकाव्य है, जिसकी मूल रचना महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत में की थी। बाद में इसे विभिन्न भारतीय भाषाओं में पुनर्लिखित किया गया। तमिल भाषा में लिखित कंब रामायण इसका एक प्रसिद्ध संस्करण है, जिसे कवि कंबन ने रचा। दोनों रामायणों में कई महत्वपूर्ण अंतर पाए जाते हैं।
1. रचनाकार और भाषा
वाल्मीकि रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि हैं, जिन्होंने इसे संस्कृत भाषा में लिखा था। दूसरी ओर, कंब रामायण के रचयिता तमिल कवि कंबन थे, जिन्होंने इसे तमिल भाषा में रचा।
2. छंद और शैली
वाल्मीकि रामायण संस्कृत के अनुष्टुप छंद में लिखी गई है, जबकि कंब रामायण तमिल साहित्य की शैली में लिखी गई है और इसमें वीर रस तथा भक्ति भाव का अधिक प्रभाव दिखता है।
3. कथा और घटनाक्रम में भिन्नता: वाल्मीकि रामायण में राम को एक आदर्श पुरुष के रूप में चित्रित किया गया है, जो अपनी मानव सीमाओं में रहते हुए धर्म का पालन करते हैं। लेकिन कंब रामायण में राम को स्पष्ट रूप से विष्णु के अवतार के रूप में प्रस्तुत किया गया है और उनका चमत्कारी स्वरूप अधिक दर्शाया गया है।
4. हनुमान और रावण का चरित्र चित्रण
वाल्मीकि रामायण में हनुमान को एक बुद्धिमान और बलशाली सेवक के रूप में दिखाया गया है, जबकि कंब रामायण में उन्हें और भी अधिक महिमा मंडित किया गया है।
रावण के चरित्र में भी अंतर है—वाल्मीकि रामायण में रावण एक महान योद्धा और विद्वान होते हुए भी अहंकारी और अधर्मी दिखाया गया है, जबकि कंब रामायण में उसके कुछ और गुणों को भी उभारा गया है।
5. सीता स्वयंवर का विवरण
वाल्मीकि रामायण में राम शिव धनुष को केवल उठाकर तोड़ते हैं, जबकि कंब रामायण में यह बताया गया है कि राम पहले धनुष को उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ाते हैं और फिर उसे तोड़ देते हैं।
6. विभीषण की भूमिका
वाल्मीकि रामायण में विभीषण को धर्मनिष्ठ दिखाया गया है, लेकिन कंब रामायण में उनके चरित्र को और अधिक विस्तार दिया गया है, जिससे वे अधिक प्रभावशाली प्रतीत होते हैं।
7. उत्तर कांड की भिन्नता
वाल्मीकि रामायण में उत्तर कांड महत्वपूर्ण है, जिसमें राम के अयोध्या लौटने, सीता के वनवास और उनके पुत्र लव-कुश का वर्णन मिलता है। कंब रामायण में इस भाग को अपेक्षाकृत संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है।
प्रश्न 9: कंब रामायण का सबसे प्रसिद्ध भाग कौन-सा है?
विस्तृत उत्तर:
कंब रामायण का “सुंदरकांड” सबसे प्रसिद्ध भाग है।
इसमें हनुमान जी की लंका यात्रा और सीता माता से उनकी भेंट का वर्णन किया गया है।
यह भाग तमिल समाज में अत्यधिक भक्ति भावना से पढ़ा और गाया जाता है।
प्रश्न 10: कंब रामायण फेस्टिवल में कौन-कौन सी गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं?
विस्तृत उत्तर:
फेस्टिवल के दौरान निम्नलिखित कार्यक्रम होते हैं—
- रामायण पर आधारित नाट्य मंचन
संगीत और नृत्य कार्यक्रम
विद्वानों द्वारा कंब रामायण पर व्याख्यान
काव्य पाठ और भजन संध्या
बालकों के लिए रामायण आधारित प्रतियोगिताएँ

प्रश्न 11: कंब रामायण तमिल संस्कृति में इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
विस्तृत उत्तर:
कंब रामायण—
- तमिल भक्ति आंदोलन का आधार है।
साहित्यिक दृष्टि से अद्वितीय है।
रामायण के नैतिक मूल्यों को तमिल समाज में स्थापित करने में सहायक है।
आकांक्षी जिला और ब्लॉक कार्यक्रम
1. आकांक्षी जिला कार्यक्रम (Aspirational Districts Programme – ADP)
परिचय:
जनवरी 2018 में भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश के सबसे कम विकसित 112 जिलों में समग्र विकास को तेज़ करना है।
नीति आयोग इस कार्यक्रम का संचालन करता है।
उद्देश्य:
स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, कृषि और जल संसाधन, वित्तीय समावेशन, कौशल विकास और बुनियादी ढांचे में सुधार।
‘सबका साथ, सबका विकास’ के दृष्टिकोण से सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को कम करना।
प्रतिस्पर्धात्मक संघवाद के आधार पर जिलों की रैंकिंग करना।
मुख्य विशेषताएँ:
49 प्रमुख संकेतकों पर जिलों की निगरानी की जाती है।
United Nations Development Programme (UNDP) की रिपोर्ट के अनुसार, इस कार्यक्रम ने शासन और प्रतिस्पर्धी संघवाद में उल्लेखनीय सुधार किया है।
जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों को उनकी प्रगति के आधार पर पुरस्कृत किया जाता है।
2. आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम (Aspirational Blocks Programme – ABP)
परिचय:
7 जनवरी 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया।
इसमें 500 सबसे कठिन और अपेक्षाकृत अविकसित ब्लॉक्स को 329 जिलों से शामिल किया गया है।
उद्देश्य:
ब्लॉक स्तर पर विकास को गति देना और सामाजिक-आर्थिक असमानता को कम करना।
प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और सेवाओं में सुधार करना।
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम
परिचय:
2023 में शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य उत्तरी सीमा से सटे 5 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्थित 46 ब्लॉकों के चुनिंदा गांवों का विकास करना है।
मुख्य विशेषताएँ:
4,800 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया।
2,400 करोड़ रुपये सड़क और पुलों के निर्माण के लिए दिए गए।
626 इंफ्रास्ट्रक्चर और 901 रोजगार संबंधी परियोजनाएं शुरू की गईं।
362 गांवों में जून 2025 तक 4G कनेक्टिविटी उपलब्ध होगी।
474 गांवों में पहले ही बिजली पहुंचाई जा चुकी है।
पीएम विश्वकर्मा योजना
परिचय:
पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए 17 सितंबर 2023 को शुरू किया गया।
इसमें लकड़ी, धातु, मिट्टी और अन्य पारंपरिक उद्योगों में कार्यरत 18 व्यवसायों को शामिल किया गया है।
मुख्य विशेषताएँ:
10 फरवरी 2024 तक 27.25 लाख लाभार्थियों का पंजीकरण हो चुका है।
5% ब्याज दर पर आर्थिक सहायता दी जाती है।
1 लाख रुपये का लोन (18 महीने पुनर्भुगतान अवधि)।
2 लाख रुपये का लोन (30 महीने पुनर्भुगतान अवधि)।
12.40 लाख से अधिक लाभार्थियों ने नवंबर 2024 तक प्रशिक्षण पूरा किया।
1.49 लाख लाभार्थियों को 1,190 करोड़ रुपये का लोन दिया गया।
अल्पसंख्यक समुदायों के लिए अंब्रेला कार्यक्रम
परिचय:
भारत में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी 19.3% आबादी का हिस्सा हैं।
90 अल्पसंख्यक सघनता वाले जिले, 710 ब्लॉक और 66 कस्बों की पहचान की गई।
महत्वपूर्ण योजनाएँ:
1. सीखो और कमाओ योजना:
468 लाख लाभार्थियों को प्रशिक्षण दिया गया।
2. नई मंज़िल योजना:
1.20 लाख लाभार्थियों को प्रशिक्षित किया गया।
3. उस्ताद योजना:
कारीगरों को विशेष प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान की गई।
4. कुल बजट:
पिछले 5 वर्षों में 14,660 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
महिला और सामाजिक सशक्तिकरण
महत्वपूर्ण आँकड़े:
पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं की सीटें: 45.61%
विधान सभा में अनुसूचित जाति/जनजाति प्रतिनिधित्व: 28.57%
पेशेवर और तकनीकी कर्मचारी के रूप में महिला-पुरुष श्रमिक अनुपात: 50.40%
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