कश्मीर में 6 फरवरी को कुछ बड़ा हुआ, जानिए पूरी सच्चाई
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Toggle6 फरवरी 2025 को धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला कश्मीर कई महत्वपूर्ण कारणों से चर्चा में है। यहाँ पर हम इन मुद्दों का विस्तार पूर्वक से विश्लेषण करेंगे, जो कश्मीर की राजनीति, प्रशासनिक व्यवस्था, सामाजिक विवाद, अंतरराष्ट्रीय संबंध और सुरक्षा से जुड़े हैं।
विषय सूची:
1. जम्मू-कश्मीर में उपचुनावों का स्थगन
2. चुनी हुई सरकार की सीमित शक्तियाँ
3. सरकारी छुट्टियों पर विवाद
4. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) और कश्मीर
5. जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा और आतंकवाद
6. कश्मीरी पंडितों की समस्याएँ
7. पर्यटन और कश्मीर की अर्थव्यवस्था
8. निष्कर्ष

1. जम्मू-कश्मीर में उपचुनावों का स्थगन प्रस्ताव हुआ पारित
2024 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद कुछ सीटें खाली हो गई थीं, जिन पर उपचुनाव होने तय थे। बडगाम और नगरोटा विधानसभा सीटों के लिए 6 फरवरी 2025 को उपचुनाव निर्धारित थे,
लेकिन चल रही भारी बर्फबारी और प्रतिकूल मौसम को देखते हुए भारतीय चुनाव आयोग ने इन्हें स्थगित कर दिया हैं. Read more…
मुख्य बिंदु:
* बडगाम सीट: मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के दो सीटों से चुनाव लड़ने और एक सीट छोड़ने के कारण यह सीट खाली हुई थी।
नगरोटा सीट: भाजपा विधायक रहे देविंदर सिंह के निधन के कारण यह सीट खाली हुई थी।
भारतीय चुनाव आयोग का चुनाव स्थगन को लेकर बड़ा अहम फैसला: कश्मीर के कुछ इलाकों में हो रही भारी बर्फबारी और सुरक्षा कारणों के चलते चुनाव स्थगित कर दिए गए हैं.
विपक्ष की प्रतिक्रिया: नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने इस फैसले को सरकार की एक नई “रणनीतिक देरी बताया हैं, जबकि भाजपा सरकार के सत्ता पक्ष ने अपने बयान में इसे “व्यावहारिक निर्णय” करार दिया हैं.
2. चुनी हुई सरकार की सीमित शक्तियाँ
केंद्र शासित राज्य बन जाने के बाद 2019 के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने जीत हासिल की।
हालांकि, 2019 के पुनर्गठन अधिनियम के तहत प्रदेश की विधानसभा की कई शक्तियाँ उपराज्यपाल (LG) को हस्तांतरित कर दी गई हैं। जिस कारण वहां की विधानसभा शक्तियों में कई बदलाव हुए हैं.
मुख्य मुद्दे:
पुलिस और कानून व्यवस्था: राज्य सरकार का पुलिस और सुरक्षा पर नियंत्रण सीमित रखा गया है।
भूमि नीति: औद्योगिक और अन्य उद्देश्यों के लिए भूमि अधिग्रहण की शक्तियों पर राज्य सरकार का पूरा नियंत्रण नहीं रखा गया है।
नए कानून लागू करने की प्रक्रिया: केंद्र सरकार के द्वारा बनाए गए कई कानून सीधे लागू होते हैं, जिस पर राज्य सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होता है.
3. सरकारी छुट्टियों पर विवाद
हाल में जम्मू सरकार ने 2025 के सरकारी अवकाशों की सूची जारी की हैं, जिसमें दो महत्वपूर्ण तिथियों को हटाए जाने पर विवाद खड़ा हो गया हैं.
विवादित छुट्टियाँ:
1. 13 जुलाई (शहीद दिवस): 1931 के कश्मीरी स्वतंत्रता संग्राम में हुए शहीदों की याद में प्रत्येक 13 जुलाई को शहीद दिवस मनाया जाता हैं.
2. 5 दिसंबर (शेख अब्दुल्ला जयंती): नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक और जम्मू के पहले प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला की जयंती।
प्रतिक्रियाएँ:
* नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और पीडीपी ने भाजपा सरकार के इस कदम की बड़ी आलोचना की.
* भाजपा सरकार ने इसे ” इन विवादास्पद छुट्टियों को समाप्त करने की दिशा में सही कदम” बताया हैं.
* सिविल सोसाइटी विशेषज्ञ और इतिहासकारों ने इसके इतिहास को मिटाने की कोशिश बताया.
4. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) और कश्मीर मुद्दा
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) से होकर गुजरता है, जिससे भारत की संप्रभुता पर सवाल उठते दिख रहे हैं।
भारत की चिंताएँ:
* CPEC के तहत चीन POK में भारी निवेश कर रहा है, जिसके चलते आने वाले समय में यहाँ पर पाकिस्तान का नियंत्रण बढ़ सकता है।
* CPEC में कई सुरक्षा चुनौतियाँ हैं, क्योंकि यह मुद्दा भारत के रणनीतिक हितों के खिलाफ जाता है।
* भारत ने CPEC का विरोध करते हुए इस मुद्दे को अवैध और संप्रभुता का उल्लंघन बताया है।
5. जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा और आतंकवाद
6 फरवरी 2025 को आतंकवाद से जुड़े कुछ प्रमुख घटनाक्रम देखने को मिले हैं.
* भारतीय सुरक्षा बलों ने अनंतनाग और पुलवामा में तीन आतंकवादियों को मार गिराया।
* खुफिया एजेंसी की रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों द्वारा सीमा पार से घुसपैठ की गतिविधियाँ लगातार बढ़ती दिख रही हैं।
* स्थानीय युवाओं की भर्ती में भी तेजी देखी जा रही है।

भारत सरकार के कदम:
* इससे निपटने के लिए भारत सरकार के द्वारा सख्त आतंकवाद विरोधी नीति अपनाई जा रही है।
* राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा आतंकवादियों और उनके समर्थकों पर लगातार कार्रवाई की जा रही हैं.
6. कश्मीरी पंडितों की समस्याएँ
* पंडित समुदायों की स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है।
* पंडित समुदायों के पुनर्वास योजनाओं में देरी देखी जा रही है।
* 1990 में विस्थापित हुए कश्मीरी पंडितों की घर वापसी अभी भी अधूरी है।
* सुरक्षा चिंताओं के कारण कई कश्मीरी पंडित अभी भी इस लौटने से डरते हैं।
7. पर्यटन और कश्मीर की अर्थव्यवस्था
* 2025 में पर्यटन क्षेत्र में तेजी देखी गई, पिछले कुछ सालों में इसका पर्यटन काफ़ी बढ़ा हैं.
* हिमालयन विंटर फेस्टिवल में रिकॉर्ड संख्या में पर्यटक आए।
• सरकार ने साल 2025 को ‘कश्मीर टूरिज्म ईयर’ घोषित किया।
* पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए श्रीनगर एयरपोर्ट से सीधी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू की गईं।
8. निष्कर्ष
6 फरवरी 2025 को कश्मीर कई अहम कारणों से चर्चा में रहा।
राजनीतिक अस्थिरता,
प्रशासनिक विवाद,
सुरक्षा संबंधी चिंताएँ,
और कई अंतरराष्ट्रीय महत्वपूर्ण मुद्दे को भारत के लिए संवेदनशील क्षेत्र बनाए हुए हैं। Click here
आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि स्थिरता और विकास की दिशा में कौन से नए कदम उठाए जाते हैं।
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