26वें एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 में गुलवीर सिंह ने दो गोल्ड और एक रिकॉर्ड जीतकर रचा इतिहास
भूमिका: एशिया की धरती पर तिरंगा शान से लहराया
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Toggle2025 की गर्मियों में, जब दक्षिण कोरिया के गुमी शहर में एशिया के सर्वश्रेष्ठ एथलीट्स अपनी ताकत और तकनीक का प्रदर्शन कर रहे थे, तब भारत ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई — और वो भी कुछ ऐसे कि पूरी दुनिया देखती रह गई।
इस चमकदार प्रदर्शन की सबसे बड़ी वजह बने भारतीय सेना के नायब सूबेदार गुलवीर सिंह, जिन्होंने ना सिर्फ दो स्वर्ण पदक जीते, बल्कि एक एशियाई रिकॉर्ड भी तोड़ दिया।
भारतीय सेना ने यह दिखा दिया कि देश की रक्षा के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय खेलों में भी वे देश का नाम रौशन कर सकते हैं।
आइए जानते हैं इस ऐतिहासिक चैंपियनशिप की पूरी कहानी, नायब सूबेदार गुलवीर सिंह की मेहनत, उनकी प्रेरणादायक यात्रा और भारतीय सेना के गौरवशाली योगदान के बारे में।
नायब सूबेदार गुलवीर सिंह: दो गोल्ड मेडल और एक रिकॉर्ड, अद्भुत प्रदर्शन
1. 10,000 मीटर दौड़ में गोल्ड: धैर्य और शक्ति का संगम
10,000 मीटर दौड़, यानी धीरज, रणनीति और लगातार ऊर्जा की मांग करने वाली रेस। गुलवीर सिंह ने इस इवेंट में ऐसा प्रदर्शन किया कि दर्शकों की तालियाँ थमने का नाम ही नहीं ले रही थीं।
उन्होंने दौड़ की शुरुआत से ही लय पकड़ ली और फिर उसे अंत तक बनाए रखा। अंत में, उन्होंने बाकी सभी धावकों को पीछे छोड़ते हुए पहला गोल्ड मेडल जीता।
यह जीत सिर्फ एक मैडल नहीं थी — यह एक संदेश था कि भारत अब लंबी दूरी की रेस में भी एशिया का नेतृत्व कर सकता है।
2. 5,000 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक और रिकॉर्ड ब्रेक
इससे भी बड़ी उपलब्धि रही 5,000 मीटर दौड़। इस इवेंट में उन्होंने 13:24.77 मिनट में रेस पूरी की, जो कि इस चैंपियनशिप का नया रिकॉर्ड बन गया। इससे पहले यह रिकॉर्ड जापान के धावक के नाम था, लेकिन गुलवीर सिंह ने उस रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया।
इस दौड़ में उनकी रणनीति बिल्कुल साफ थी — शुरुआत में तेज़ नहीं भागना, बीच में अपनी रफ्तार बढ़ाना और अंत में विस्फोटक अंदाज़ में फिनिश करना।
यह रिकॉर्ड न केवल भारत के लिए गर्व का विषय बना, बल्कि गुलवीर सिंह को एशिया के सर्वश्रेष्ठ एथलीट्स में भी गिनाया जाने लगा।
नायब सूबेदार गुलवीर सिंह की प्रेरक यात्रा: गाँव से अंतरराष्ट्रीय मंच तक
साधारण शुरुआत, असाधारण इरादे
गुलवीर सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में हुआ था। सामान्य किसान परिवार से आने वाले गुलवीर के लिए सुविधाओं की कमी हमेशा रही, लेकिन सपनों की कोई कमी नहीं थी।
स्कूली दिनों में ही उन्होंने दौड़ में रुचि दिखाना शुरू कर दिया था। उनके गांव में न ट्रैक था, न कोच — सिर्फ मिट्टी के रास्ते और दौड़ने का जुनून।
भारतीय सेना में भर्ती: खेल को मिली दिशा
गुलवीर सिंह ने भारतीय सेना जॉइन की, जहाँ उन्हें न केवल एक देशभक्त सिपाही बनने का मौका मिला, बल्कि एक पेशेवर एथलीट बनने का भी मंच। आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट, पुणे में उन्हें प्रशिक्षण मिला और वहीं से उनकी एथलेटिक यात्रा ने रफ्तार पकड़ी।
पहला ब्रेक और राष्ट्रीय रिकॉर्ड
गुलवीर ने साल 2022 में अपना पहला बड़ा प्रदर्शन दिया और 10,000 मीटर में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाते हुए सबका ध्यान खींचा।
उन्होंने लगातार मेहनत और समर्पण से खुद को सुधारते हुए 2023 और 2024 में भी अपने ही रिकॉर्ड तोड़े। 2024 में उन्होंने जापान में 27:14.88 मिनट में 10,000 मीटर दौड़ पूरी कर नया कीर्तिमान रचा।

भारतीय सेना और एथलेटिक्स: अनुशासन, परिश्रम और प्रेरणा का संगम
खेलों में सेना की भूमिका
भारतीय सेना सिर्फ बॉर्डर की रक्षा नहीं करती, बल्कि देश के लिए खेलों में भी ढाल बनकर खड़ी रहती है। आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट जैसे संस्थान खिलाड़ियों को वैश्विक स्तर की ट्रेनिंग, डाइट और एक्सपोजर देते हैं।
गुलवीर जैसे कई खिलाड़ी — नीरज चोपड़ा, अविनाश साबले, और लवलीना बोरगोहेन — ने भी सेना से प्रशिक्षण लेकर भारत को पदक दिलाए हैं।
अनुशासन बनाम तकनीक
सेना का अनुशासन, नियमित दिनचर्या, मानसिक मजबूती और ‘कभी न हार मानने’ का जज़्बा ही सेना के खिलाड़ियों को बाकी से अलग बनाता है। गुलवीर सिंह की सफलता का रहस्य भी यही था — हर दिन खुद को बेहतर बनाने की लगन।
भारतीय दल का प्रदर्शन: सिर्फ गुलवीर नहीं, पूरी टीम थी कमाल
26वीं एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 में भारत ने कुल 18 पदक जीते:
8 स्वर्ण
7 रजत
3 कांस्य
महिला खिलाड़ियों का प्रदर्शन भी शानदार
नंदिनी अगासरा ने हेप्टाथलॉन में गोल्ड जीतकर भारत को गौरवान्वित किया।
पूजा सिंह ने 400 मीटर बाधा दौड़ में शानदार प्रदर्शन कर स्वर्ण पदक हासिल किया।
इन सभी खिलाड़ियों की जीत में भारतीय खेल प्राधिकरण, कोचिंग स्टाफ, और सेना के समर्थन की अहम भूमिका रही।
एशियाई रिकॉर्ड: गुलवीर सिंह की जीत का विश्लेषण
5,000 मीटर में नया रिकॉर्ड – 13:24.77 मिनट
गुलवीर सिंह ने 2025 की इस चैंपियनशिप में जो नया कीर्तिमान रचा, वह सिर्फ एक समय या आँकड़ा नहीं है। यह उस अथक परिश्रम, रणनीति और इच्छाशक्ति की कहानी है, जो सालों की मेहनत के बाद फल देती है।
इससे पहले यह रिकॉर्ड जापान के धावक के नाम था, जिन्होंने लगभग 13:29 मिनट में रेस पूरी की थी।
गुलवीर ने न केवल यह समय पीछे छोड़ा, बल्कि एक ऐसा लयबद्ध रन पेश किया, जिसमें प्रत्येक लैप का समय लगभग एक समान था, यह किसी भी प्रोफेशनल धावक के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।
क्यों है यह रिकॉर्ड ऐतिहासिक?
यह प्रदर्शन समुद्र तल से ऊपर स्थित कठिन ट्रैक पर हुआ।
तेज़ हवाओं और गर्म मौसम के बावजूद, गुलवीर ने अपने प्रदर्शन में गिरावट नहीं आने दी।
उन्होंने यूरोपीय एथलीट्स की तरह नकारात्मक स्प्लिट्स (दूसरे हाफ में तेज दौड़ना) की तकनीक अपनाई, जिससे दौड़ के अंतिम क्षणों में उनकी स्पीड और तेज़ हुई।
गुलवीर सिंह की ट्रेनिंग और डाइट प्लान: सफलता के पीछे का विज्ञान
दैनिक ट्रेनिंग शेड्यूल
सुबह 5:00 AM – 15 किमी रनिंग (long run/interval training)
10:00 AM – Strength & conditioning (जैसे deadlift, squats, lunges)
4:00 PM – Speed drills और Tempo running
8:00 PM – स्ट्रेचिंग और रिकवरी सेशन
डाइट चार्ट (High Altitude Athlete के लिए)
सुबह: ओट्स, केला, अंडे और बादाम
दोपहर: ब्राउन राइस, चिकन/पनीर, सलाद
शाम: फल और प्रोटीन शेक
रात: हल्की दलिया और सूप

Hydration: इलेक्ट्रोलाइट्स और नींबू पानी पूरे दिन
यह पूरी ट्रेनिंग भारतीय सेना के आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट, पुणे में सुपरवाइज़ की जाती है, जहाँ इंटरनेशनल कोच, फिजियोथैरेपिस्ट और स्पोर्ट्स साइकोलॉजिस्ट भी तैनात हैं।
भविष्य की योजनाएँ: ओलंपिक 2028 की ओर
अब गुलवीर सिंह की नजरें टिकी हैं लॉस एंजेलेस ओलंपिक 2028 पर। वे इस वक्त World Athletics के टॉप 10 एशियन मिड-लॉन्ग डिस्टेंस रनर्स में शामिल हो चुके हैं।
तैयारियाँ शुरू
यूरोप में Altitude ट्रेनिंग कैंप
इंटरनेशनल डाइमंड लीग में भागीदारी
स्पोर्ट्स साइंस बेस्ड परफॉर्मेंस मैनेजमेंट
भारतीय एथलेटिक्स फेडरेशन और भारतीय सेना मिलकर गुलवीर की ओलंपिक यात्रा के हर मोड़ पर साथ हैं।
युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा: गुलवीर सिंह का संदेश
“अगर आप सच्चे दिल से मेहनत करते हैं, तो संसाधनों की कमी भी आपको नहीं रोक सकती। भारतीय सेना मेरे लिए सिर्फ नौकरी नहीं, एक मिशन है। खेल भी देशभक्ति का एक रूप है।”
गुलवीर सिंह का यह संदेश हर उस युवा के लिए है, जो खेलों में कुछ बड़ा करना चाहता है लेकिन संसाधनों या गाइडेंस की कमी महसूस करता है। संघर्ष ही सफलता का बीज है, और गुलवीर इस बात के सबसे जीवंत उदाहरण हैं।
निष्कर्ष: खेल में राष्ट्रभक्ति की मिसाल बना भारतीय सेना का सपूत
26वीं एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025, गुमी (कोरिया) में नायब सूबेदार गुलवीर सिंह का प्रदर्शन केवल पदकों की दृष्टि से नहीं, बल्कि भारत की खेल-क्षमता, अनुशासन और आत्मविश्वास का प्रतीक बनकर उभरा है।
गुलवीर सिंह ने 10,000 मीटर और 5,000 मीटर दोनों रेसों में स्वर्ण जीतकर देश का मान बढ़ाया, और 5,000 मीटर में एशियाई रिकॉर्ड तोड़कर यह सिद्ध किया कि भारतीय धावक अब सिर्फ भाग नहीं ले रहे – वो इतिहास लिख रहे हैं।
उनकी जीत यह भी दर्शाती है कि जब सेना जैसे संगठनों से खिलाड़ियों को समुचित संसाधन, वैज्ञानिक ट्रेनिंग, और मानसिक समर्थन मिलता है, तो वे किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश के लिए गौरव हासिल कर सकते हैं।
यह प्रदर्शन युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणास्त्रोत है, जो खेलों में करियर बनाना चाहते हैं। गुलवीर का यह संदेश कि “खेल भी देशभक्ति है”, देश के हर कोने में गूंजना चाहिए।
अंततः, यह सिर्फ एक खेल समाचार नहीं, बल्कि एक राष्ट्र की जीत है – उस राष्ट्र की, जो हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए तैयार है – मैदान में भी, और मन में भी।
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