गौरैया गायब हो रही है! जानिए कारण और इसे बचाने के उपाय!
गौरैया… वह नन्हीं चहकती चिड़िया, जिसने बरसों तक हमारे घर-आंगन, छतों और बगीचों को अपनी मधुर चहचहाहट से संगीतमय बनाया। लेकिन अब, जब हम विश्व गौरैया दिवस मना रहे हैं, तो दिल में एक कसक उठती है—कहां खो गई हमारी ये नन्हीं दोस्त? खासतौर पर केरल के तिरुवनंतपुरम जैसे शहरों में, जहां कभी इनकी भरमार थी, अब ये गिनती की रह गई हैं।
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Toggleगौरैया न सिर्फ हमारे घरों की पहचान थी, बल्कि यह हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी थी। यह पक्षी हमें यह बताने का काम करता है कि हमारा पर्यावरण कितना स्वस्थ है। लेकिन अब, जब इसकी संख्या लगातार घट रही है, तो यह हमारे लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।
गौरैया दिवस क्यों मनाया जाता है?
विश्व गौरैया दिवस (World Sparrow Day) हर साल 20 मार्च को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत भारतीय पर्यावरणविद् मो. दिलावर द्वारा की गई थी, जिन्होंने गौरैया संरक्षण के लिए “नेचर फॉरएवर सोसाइटी” नामक संस्था की स्थापना की। इस दिन का उद्देश्य लोगों को गौरैया की घटती संख्या और उसके संरक्षण के लिए जागरूक करना है।
क्या आपको पता है?
2012 में, Sparrow को दिल्ली का राज्य पक्षी घोषित किया गया था।
IUCN (International Union for Conservation of Nature) ने गौरैया को “Least Concern” श्रेणी में रखा है, लेकिन इसके बावजूद, भारत और अन्य देशों में इसकी आबादी तेजी से घट रही है।
गौरैया की घटती आबादी: चिंता की घंटी
Sparrow सिर्फ एक पक्षी नहीं, बल्कि हमारे पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ये नन्हीं चिड़ियां कीट-पतंगों को खाकर प्राकृतिक संतुलन बनाए रखती हैं और जैव विविधता को समृद्ध करती हैं। लेकिन बीते कुछ वर्षों में इनकी संख्या में खतरनाक गिरावट आई है।
विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों का मानना है कि इसके पीछे कई प्रमुख कारण हैं—
1. शहरीकरण और आधुनिक जीवनशैली
शहरों के विस्तार और बहुमंजिला इमारतों के बढ़ते जाल ने Sparrow के पारंपरिक घोंसले बनाने की जगहें छीन ली हैं। पहले घरों की दीवारों में छोटे-छोटे सुराख, छज्जे और पुराने मकानों की खपरैल इनका ठिकाना होते थे, लेकिन अब कंक्रीट के आधुनिक घरों में इनके लिए कोई जगह नहीं बची।
2. मोबाइल टावर और रेडिएशन का असर
मोबाइल टावरों से निकलने वाली विद्युतचुंबकीय तरंगें (Electromagnetic Radiation) भी गौरैया के लिए खतरनाक साबित हो रही हैं। शोध बताते हैं कि ये तरंगें छोटे पक्षियों के नेविगेशन सिस्टम को प्रभावित करती हैं, जिससे वे सही दिशा में उड़ने में असमर्थ हो जाती हैं और धीरे-धीरे विलुप्ति की कगार पर पहुंच रही हैं।
3. कीटनाशकों और प्रदूषण की मार
खेती और बागवानी में कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग ने गौरैया के लिए भोजन के प्राकृतिक स्रोत खत्म कर दिए हैं। Sparrow ज्यादातर कीट-पतंगों और अनाज के छोटे-छोटे दानों पर निर्भर रहती है, लेकिन रासायनिक खादों और कीटनाशकों ने इनकी उपलब्धता को सीमित कर दिया है।
4. प्लास्टिक और कचरे की समस्या
Sparrow अक्सर छोटे-छोटे दाने और पानी के स्रोत खोजने के लिए गलियों और सड़कों पर आती है, लेकिन प्लास्टिक कचरे और गंदगी की अधिकता ने इसे मुश्किल बना दिया है। कई बार वे गलती से प्लास्टिक या जहरीला खाना खा लेती हैं, जिससे उनकी जान तक चली जाती है।
गौरैया बचाने के लिए हम क्या कर सकते हैं?
Sparrow को बचाना सिर्फ पर्यावरणविदों या सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है। हम कुछ छोटे लेकिन प्रभावी कदम उठाकर इन नन्हीं चिड़ियों की वापसी सुनिश्चित कर सकते हैं—
घोंसले के लिए जगह दें
अपने घरों की छतों, बालकनी और दीवारों पर छोटी लकड़ी की बर्ड हाउस (Nest Box) लगाएं ताकि गौरैया को घोंसला बनाने के लिए सुरक्षित स्थान मिले।
पानी और दाने का इंतजाम करें
गर्मी के मौसम में छतों और बगीचों में छोटे मिट्टी के कटोरे में पानी और अनाज रखें ताकि Sparrow को खाने-पीने की सुविधा मिले।
कीटनाशकों का कम उपयोग करें
जैविक खेती को बढ़ावा दें और रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग को कम करें ताकि Sparrow को प्राकृतिक भोजन मिल सके।
बागवानी को प्रोत्साहित करें
घरों में छोटे बगीचे बनाएं, जिसमें फूल और पेड़-पौधे लगाएं। इससे गौरैया को रहने और खाने के लिए उपयुक्त माहौल मिलेगा।
मोबाइल रेडिएशन पर नियंत्रण
सरकार और तकनीकी कंपनियों को चाहिए कि वे मोबाइल टावरों से निकलने वाले रेडिएशन को नियंत्रित करने के लिए बेहतर उपाय करें।

गौरैया संरक्षण के लिए सरकारी प्रयास
सरकार और विभिन्न पर्यावरण संगठनों ने Sparrow संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख पहलें इस प्रकार हैं—
1. दिल्ली सरकार की ‘गौरैया संरक्षण योजना’
दिल्ली सरकार ने 2012 में Sparrow को राज्य पक्षी घोषित करने के बाद कई जागरूकता अभियान चलाए।
2. नेचर फॉरएवर सोसाइटी
यह संस्था पर्यावरणविद् मो. दिलावर द्वारा चलाई जा रही है और Sparrow के संरक्षण के लिए नेस्ट बॉक्स वितरित कर रही है।
3. ‘राइज फॉर स्पैरो’ अभियान
इस अभियान के तहत लोगों को अपने घरों में Sparrow के लिए सुरक्षित जगह बनाने के लिए प्रेरित किया जाता है।
4. वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972
इस अधिनियम के तहत पक्षियों के शिकार और अवैध व्यापार पर प्रतिबंध लगाया गया है।
गौरैया संरक्षण: सिर्फ एक दिवस नहीं, एक आंदोलन
Sparrow दिवस केवल एक दिन तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे एक निरंतर चलने वाला अभियान बनाना होगा। सिर्फ एक दिन चर्चा कर लेना काफी नहीं है, बल्कि हमें अपनी जीवनशैली में ऐसे बदलाव लाने होंगे जो Sparrow और अन्य पक्षियों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार कर सकें। यह जरूरी है कि हम इसे “Save Sparrow Movement” के रूप में अपनाएं और लगातार प्रयास करें।
Sparrow संरक्षण के लिए बड़े स्तर पर क्या किया जा सकता है?
1. स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम
बच्चों और युवाओं को Sparrow संरक्षण के प्रति जागरूक बनाना बहुत जरूरी है। स्कूलों और कॉलेजों में “गौरैया बचाओ अभियान” चलाया जा सकता है, जिसमें छात्र-छात्राओं को घोंसले बनाने, पानी रखने और बगीचे विकसित करने की ट्रेनिंग दी जाए।
2. सामुदायिक भागीदारी और नागरिक पहल
Sparrow संरक्षण केवल सरकारी प्रयासों से संभव नहीं है। समुदायों और स्थानीय संगठनों को आगे आकर अपने क्षेत्रों में Sparrow के अनुकूल वातावरण तैयार करना होगा। इसके लिए:
सोसाइटी और कॉलोनियों में नेस्टिंग बॉक्स लगाए जाएं।
बच्चों को Sparrow बचाने के लिए प्रेरित किया जाए।
स्थानीय पंचायतें और नगरपालिकाएं इस अभियान को अपनाएं।
3. सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों की पहल
सरकार और एनजीओ को चाहिए कि वे बड़े स्तर पर ऐसे कार्यक्रम शुरू करें जो लोगों को Sparrow के प्रति संवेदनशील बनाएं। कुछ सुझाव:
Sparrow संरक्षण के लिए विशेष योजना बनाना।
Sparrow संरक्षण पर पुरस्कार और प्रोत्साहन योजनाएं शुरू करना।
सार्वजनिक स्थानों, रेलवे स्टेशनों और पार्कों में Sparrow के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करना।

4. सोशल मीडिया और डिजिटल जागरूकता अभियान
आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया एक बड़ा माध्यम बन सकता है। यदि हम गौरैया संरक्षण के संदेश को सही तरीके से फैलाएं, तो लाखों लोग इससे जुड़ सकते हैं। इसके लिए—
#SaveSparrow, #GauraiyaBachao जैसे अभियान शुरू किए जाएं।
फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर जागरूकता वीडियो बनाए जाएं।
गौरैया के संरक्षण पर ऑनलाइन पिटीशन चलाई जाएं।
5. गौरैया के लिए ‘ग्रीन कॉरिडोर’ विकसित करना
शहरों में कुछ ऐसे क्षेत्रों को विकसित किया जाए, जहां प्राकृतिक रूप से गौरैया को सुरक्षित आवास मिल सके। इसमें पेड़-पौधे, छोटे तालाब और घास के मैदान शामिल किए जाएं। यह Urban Biodiversity Parks की तर्ज पर किया जा सकता है।
क्या हम अभी भी गौरैया को बचा सकते हैं?
हां, बिल्कुल! अभी भी देर नहीं हुई है, अगर हम आज से ही गौरैया बचाने के लिए कदम उठाएं। गौरैया की घटती संख्या हमें एक गंभीर चेतावनी दे रही है कि हमारी प्रकृति संकट में है। अगर हमने समय रहते इस छोटे पक्षी के संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया, तो यह पूरी पारिस्थितिकी के लिए हानिकारक होगा।
गौरैया बचाने के लिए एक संकल्प लें
- अपने घर की बालकनी, छत या खिड़की पर नेस्ट बॉक्स लगाएं।
- गर्मियों में छतों और बगीचों में पानी के बर्तन रखें।
- कीटनाशकों और जहरीले रसायनों का कम से कम उपयोग करें।
- घरों और बगीचों में घने पेड़-पौधे लगाएं।
- सोशल मीडिया पर गौरैया संरक्षण की मुहिम में शामिल हों।
निष्कर्ष: गौरैया बचाओ, पर्यावरण बचाओ
गौरैया केवल एक पक्षी नहीं है, यह हमारे संस्कृति, पर्यावरण और जैव विविधता का प्रतीक है। जब यह नन्हीं चिड़िया हमारे घरों और आंगनों में चहचहाती थी, तो हमें जीवन की सादगी और सुंदरता का एहसास होता था।
अब जब यह धीरे-धीरे विलुप्ति की ओर बढ़ रही है, तो हमें समझना होगा कि हमारी गलतियों और लापरवाही की कीमत प्रकृति चुका रही है।
इसलिए, आज ही से अपने आसपास गौरैया के लिए कुछ करें। अगर हर व्यक्ति एक छोटा-सा प्रयास करे, तो हम इन नन्हीं चिड़ियों की वापसी सुनिश्चित कर सकते हैं। आइए, इस गौरैया दिवस पर एक वादा करें—हम इन्हें बचाने के लिए पूरी कोशिश करेंगे!
“अगर गौरैया बची रहेगी, तो हमारा पर्यावरण भी बचा रहेगा!”
आइए, इस विश्व गौरैया दिवस पर एक संकल्प लें—हम इन नन्हीं चिड़ियों को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे, ताकि हमारे आंगन फिर से उनकी चहचहाहट से गूंज उठें!
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