जेम्स वेब टेलीस्कोप

ब्लैक होल की अनोखी खोज: जेम्स वेब टेलीस्कोप और चंद्रा वेधशाला का बड़ा खुलासा

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जेम्स वेब टेलीस्कोप: नासा के जेम्स वेब टेलीस्कोप ने किया सुपरमैसिव ब्लैक होल के रहस्यों का पर्दाफाश

परिचय- हाल में नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप और चंद्रा एक्स-रे वेधशाला के संयुक्त अथक प्रयास से खगोलविदो ने अब तक का सबसे दूर स्थित ब्लैक होल खोजा है .

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यह ब्लैक होल ब्रह्मांड में एक नई उपलब्धियां क़ायम कर सकता है यह खोज पूरे ब्रह्मांड में सुपरमैसिव ब्लैक होल के निर्माण और विकास को समझने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं.

जेम्स वेब टेलीस्कोप
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ब्लैक होल UHZ1 के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी

खोजा गया यह ब्लैक होल UHZ1 नामक आकाशगंगा में स्थित है जिसकी दूरी पृथ्वी से लगभग 13.2 अरब प्रकाश वर्ष हैं. खोज की दुनिया में यह वह समय था जब ब्रह्मांड अपनी वर्तमान आयु का मात्र 3% था

वहीं अगर बिग बैंग सिद्धांत की बात करें तो यह बिग बैंग के लगभग 470 मिलियन वर्ष बाद था. चंद्रा एक्स-रे वेधशाला ने इस ब्लैक होल के चारों ओर एक अत्यधिक गर्म गैस से उत्सर्जित एक्स-रे विकिरण का पता लगाया है

इस ब्लैक होल के चारों ओर गर्म गैसों का इतना अधिक मात्रा में उत्सर्जित होना सुपरमैसिव ब्लैक होल की पहचान को इंगित करता है. Read more..

ब्लैक होल की पहचान

ब्लैक होल एक ऐसे खगोलीय पिंड होते हैं जिनका गुरुत्वाकर्षण इतना ज्यादा प्रबल होता है की प्रकाश भी उनसे पर नहीं जा सकता.

खोजे गए नवीनतम ब्लैक होल UHZ1 की मुख्य विशेषताएं

* इस ब्लैक होल का द्रव्यमान 10 से 100 मिलियन सौर द्रव्यमान के बीच है.

* यह ब्लैक होल UHZ1 नामक आकाशगंगा के चारों ओर के कुल तारों के द्रव्यमान के बराबर है.

* यह ब्लैक होल वर्तमान ब्रह्मांड में पाए जाने वाले ब्लैक होल से काफी अलग है जहां आम तौर पर ब्लैक होल का द्रव्यमान उनकी आकाशगंगा के कुल द्रव्यमान का केवल 0.1% होता हैं.

खोज में उपयोग की गई नई तकनीक

1. जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप-
* जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप मुख्य रूप से इंफ्रारेड किरणों में काम करता है और ब्रह्मांड की शुरुआती संरचनाओ को देखने में सक्षम होता है.

* जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप ने ब्लैक होल UHZ1 की मेजबान आकाशगंगा का गहन अध्ययन किया है. अध्ययन में पाया गया कि ब्लैक होल के चारों ओर अत्यधिक गर्म गैसों से उत्सर्जित एक्स-रे विकिरण का भंडार है.

जेम्स वेब टेलीस्कोप
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2. चंद्रा एक्स-रे वेधशाला
* चंद्रा एक्स-रे वेधशाला ने ब्लैक होल से उत्सर्जित एक्स-रे विकिरण का अध्ययन किया.

* अपने अध्ययन में चंद्रा एक्स-रे वेधशाला ने बताया कि यह एक्स-रे विकिरण तब उत्पन्न होते हैं जब ब्लैक होल अपने आसपास की गैसों को निगलता है जिससे वह और ज्यादा गर्म हो जाती है.

सुपरमेसिव ब्लैक होल के निर्माण के सिद्धांत

1.गैसों का पतन होना:
•इस सिद्धांत से पता चलता है कि जब विशाल गैस के बादल अचानक पतन करते हैं तो एक बड़ा ब्लैक हॉल बनने का कारण बनता है.

* इस प्रक्रिया के दौरान तारों के निर्माण की प्रक्रिया रुक जाती हैऔर गैस सीधा ब्लैक हॉल में परिवर्तित हो जाती हैं.

2.तारकीय पतन : यह प्रक्रिया तब होती हैं ज़ब एक विशाल तारा अपने जीवन के अंत में सुपरनोवा के रूप में विस्फोट करता है और उसका कोर एक ब्लैक होल में बदल जाता है.

3. आकाशगंगाओ का विलय: शुरुआती ब्रह्मांड में आकाशगंगाओं के विलय से ब्लैक होल के चारों ओर गर्म गैसों की आपूर्ति बढ़ जाती है जिससे बड़े होते जाते हैं.

यह खोज भविष्य के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

1. प्रारंभिक ब्रह्मांड की संरचना:
•यह खोज हमें यह समझने में मदद करती है कि बिग बैंग के तुरंत बाद सुपर मैसिव ब्लैक होल का निर्माण कैसे हुआ और वे इतने कम समय में विस्तृत आकर के कैसे हो गए.

* यह ब्रह्मांड के पहले तारे और आकाशगंगा यह निर्माण के सिद्धांतों को समझने में मदद करती है. Click here

2. आकाशगंगा ब्लैक होल का संबंध
* ब्लैक होल और उनकी मेजबान आकाशगंगा की बीच संबंधों का पता चलता है.
•इस खोज से यह पता चलता है कि प्रारंभिक ब्रह्मांड में आकाशगंगाओं और उनके ब्लैक होल का द्रव्यमान समान हो सकता है.


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Sanjeev

Hello! Welcome To About me My name is Sanjeev Kumar Sanya. I have completed my BCA and MCA degrees in education. My keen interest in technology and the digital world inspired me to start this website, “Aajvani.com.”

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