ज्वालामुखी क्यों फटते हैं? कारण, प्रकार और प्रभाव की पूरी जानकारी!

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ज्वालामुखी फटने का राज़: कारण, प्रकार और असर!

ज्वालामुखी क्या है?

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ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह पर वह स्थान होता है जहाँ से मैग्मा (गर्म पिघली चट्टान), गैसें, राख और लावा बाहर निकलते हैं। यह उस समय होता है जब धरती के भीतर अत्यधिक ताप और दाब जमा हो जाता है।

पृथ्वी की आंतरिक संरचना:

1. क्रस्ट (Crust) – धरती की सबसे ऊपरी पतली परत

2. मैंटल (Mantle) – यह भाग गरम और पिघला हुआ होता है, जहाँ से मैग्मा बनता है

3. कोर (Core) – सबसे अंदर, अत्यधिक ताप और दाब वाला भाग

ज्वालामुखी विस्फोट के पीछे मुख्य कारण

1. प्लेट टेक्टोनिक्स (Plate Tectonics)

धरती की सतह पर विशाल प्लेट्स (tectonic plates) होती हैं, जो निरंतर गति में रहती हैं। जब ये प्लेट्स टकराती हैं, अलग होती हैं या एक-दूसरे के नीचे सरकती हैं, तो नीचे से मैग्मा बाहर आने लगता है।

टकराने वाली प्लेटें (Convergent Boundaries):

जब एक प्लेट दूसरी के नीचे जाती है (subduction), तो मैग्मा बनता है।

ये जगहें अत्यधिक सक्रिय ज्वालामुखी क्षेत्र होती हैं।

अलग होती प्लेटें (Divergent Boundaries):

जैसे मिड-ओशियन रिज में प्लेटें अलग होती हैं और नीचे से लावा बाहर आता है।

हॉटस्पॉट (Hotspots):

कुछ जगहें प्लेट के बीचोंबीच भी गर्म रहती हैं, जैसे हवाई द्वीप समूह।

मैग्मा में गैस का दबाव

मैग्मा में पाई जाने वाली गैसें (जैसे कि जलवाष्प, CO₂, SO₂) जब बाहर नहीं निकल पातीं, तो दबाव बनता है। यह दबाव अचानक बढ़ने पर विस्फोट का कारण बनता है।

मैग्मा की चिपचिपाहट (Viscosity)

कम चिपचिपा मैग्मा – आसानी से बाहर आता है, जैसे हवाईयन विस्फोट

अधिक चिपचिपा मैग्मा – गैस को फँसा देता है, जिससे धमाका होता है

जल का संपर्क (Water Contact)

जब मैग्मा जल (जैसे समुद्र या भूजल) से टकराता है, तो भाप बनती है और इससे भयंकर विस्फोट हो सकता है। यह प्रक्रिया “फ्रियाटिक” या “हाइड्रोमैग्मैटिक” विस्फोट कहलाती है।

ज्वालामुखी फटने की प्रक्रिया (How Volcanoes Erupt)

1. मैग्मा का निर्माण – मैंटल में ऊष्मा और दाब से चट्टानें पिघलती हैं।

2. मैग्मा का चढ़ाव – हल्का होने के कारण मैग्मा ऊपर की ओर बढ़ता है।

3. मैग्मा चेंबर का निर्माण – पृथ्वी की सतह के नीचे एक “मैग्मा चैंबर” बनता है।

4. दबाव का निर्माण – गैसें और लावा चैंबर में इकट्ठा होकर दबाव बनाते हैं।

5. विस्फोट – जब दबाव अत्यधिक हो जाता है, तो मैग्मा सतह को फाड़ देता है।

ज्वालामुखी के प्रकार (Volcano Types)

1. शील्ड वोल्केनो – चौड़े और समतल, जैसे हवाई

2. कॉन वोल्केनो (Stratovolcano) – खड़ी और खतरनाक, जैसे माउंट फूजी

3. कैलडेरा वोल्केनो – बड़े गड्ढों के रूप में, अक्सर सुपरवोल्केनो

4. समुद्री ज्वालामुखी – समुद्र के नीचे

ज्वालामुखी के प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव:

उपजाऊ मिट्टी – लावा के विघटन से नई उपजाऊ मिट्टी

खनिज संसाधन – सल्फर, तांबा, सोना, आदि मिलते हैं

पर्यटन – हवाई और आइसलैंड जैसे स्थान पर्यटन स्थल बनते हैं

भूतापीय ऊर्जा – ज्वालामुखीय क्षेत्रों में बिजली उत्पन्न होती है

नकारात्मक प्रभाव:

जानमाल की हानि (जैसे पोंपेई)

पर्यावरणीय संकट (ग्लोबल टेंपरेचर गिरना)

वायु प्रदूषण (SO₂, राख)

भूकंप और सुनामी (जैसे क्राकातोआ विस्फोट)

हाल के प्रमुख ज्वालामुखी विस्फोट (Latest Volcanic Eruptions – 2024-25)

ज्वालामुखी क्यों फटते हैं? कारण, प्रकार और प्रभाव की पूरी जानकारी!
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ज्वालामुखी स्थान वर्ष विशेषताएं

माउंट एटना इटली 2024 राख और लावा का संयोजन

तोंगा दक्षिणी प्रशांत 2022-23 पानी के नीचे, सुनामी उत्पन्न की

किलाउआ हवाई 2024 शांत लेकिन सतत लावा प्रवाह

माउंट एटना इटली जून 2025 राख, धुआँ और लावा का संयोजन

ज्वालामुखी विस्फोट के प्रकार (Types of Volcanic Eruption)

हवाईयन विस्फोट (Hawaiian Eruption)

यह कैसा विस्फोट होता है?

हवाईयन विस्फोट सबसे शांत और निरंतर प्रवाह वाले ज्वालामुखी विस्फोटों में से एक होता है। इसमें बेसाल्टिक लावा, जो कि बहुत पतला (low viscosity) होता है, लगातार और धीमी गति से बाहर निकलता है। इसमें न ही बहुत ज़्यादा धमाका होता है, न ही भारी मात्रा में राख निकलती है।

वैज्ञानिक कारण:

बेसाल्टिक मैग्मा में सिलिका की मात्रा कम होती है।

इससे उसमें चिपचिपाहट बहुत कम होती है।

गैसें आसानी से बाहर निकल जाती हैं, जिससे दबाव नहीं बनता और विस्फोट शांतिपूर्ण रहता है।

विशेषता:

लावा ‘फाउंटेन’ की तरह निकलता है — जैसे फव्वारा।

लावा की धाराएँ कई किलोमीटर तक फैल सकती हैं।

इससे बनते हैं ‘शील्ड वोल्केनो’ (ढाल के आकार के ज्वालामुखी)।

उदाहरण:

Kilauea Volcano, Hawaii (विश्व का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी)

स्ट्रोम्बोलियन विस्फोट (Strombolian Eruption)

यह कैसा विस्फोट होता है?

यह विस्फोट मध्यम तीव्रता का होता है, जिसमें लावा के गोले और गैस के फव्वारे समय-समय पर बाहर निकलते हैं। इसमें विस्फोट थोड़े-थोड़े समय के अंतराल पर होता है, जो लगातार हो सकते हैं।

वैज्ञानिक कारण:

मैग्मा में गैसें बुलबुलों के रूप में बनती हैं।

जब गैस का दबाव बढ़ता है, तो वह सतह तक आकर फटता है।

यह विस्फोट गैस के कारण होता है, न कि लावे की चिपचिपाहट के कारण।

विशेषता:

लावा हवा में उछलता है लेकिन बहुत दूर नहीं जाता।

यह ‘बर्स्टिंग’ की तरह होता है — जैसे गुब्बारे के फूटने से आवाज़ हो।

राख और गैसें सीमित होती हैं।

उदाहरण:

Stromboli Volcano, इटली (इस पर आधारित ही नाम पड़ा)

वल्केनियन विस्फोट (Vulcanian Eruption)

यह कैसा विस्फोट होता है?

वल्केनियन विस्फोट कहीं अधिक उग्र होते हैं। इसमें गैसें, राख, और मैग्मा एक साथ विस्फोट के रूप में तेज़ी से निकलते हैं। यह विस्फोट आवाज के साथ अचानक होता है और भारी राख उत्पन्न करता है।

वैज्ञानिक कारण:

इसमें मैग्मा अधिक चिपचिपा होता है, जिससे गैसें फंस जाती हैं।

धीरे-धीरे गैसों का दबाव बढ़ता है और अचानक एक बड़ा विस्फोट होता है।

विशेषता:

Rocks और राख का बड़ा गुबार।

बहुत तेज़ ध्वनि उत्पन्न होती है, जैसे किसी बम का विस्फोट।

लावा कम निकलता है, परंतु राख और धूल बहुत ज्यादा होती है।

उदाहरण:

Mount Vulcano, इटली

प्लिनियन विस्फोट (Plinian Eruption)

यह कैसा विस्फोट होता है?

प्लिनियन विस्फोट सबसे भयानक और विनाशकारी विस्फोटों में से एक होता है। इसमें गैस, राख और चट्टानों का बड़ा स्तंभ (column) कई किलोमीटर तक आकाश में उठता है। यह विस्फोट सुपर विस्फोट के रूप में जाना जाता है।

वैज्ञानिक कारण:

अत्यधिक चिपचिपा और गैस-समृद्ध मैग्मा।

गैसें बाहर नहीं निकल पातीं और बहुत दबाव बनने पर अचानक विशाल विस्फोट होता है।

विशेषता:

40–50 किमी तक राख और गैस का गुबार।

लावा बहुत कम, लेकिन ‘पायरोक्लास्टिक फ्लो’ (जलती राख की नदी) घातक होती है।

पर्यावरण और जलवायु पर भारी असर डालता है।

उदाहरण:

Mount Vesuvius (79 AD में Pompeii शहर को मिटा दिया था)

Mount Pinatubo, फिलीपींस (1991)

सर्ट्सियन विस्फोट (Surtseyan Eruption)

यह कैसा विस्फोट होता है?

जब ज्वालामुखी समुद्र के अंदर या पानी के नीचे फटता है, तब यह विस्फोट होता है। इसमें मैग्मा और जल का संपर्क होता है, जिससे भाप बनती है और वह विस्फोट करती है।

वैज्ञानिक कारण:

मैग्मा जब ठंडे समुद्री जल से टकराता है, तो भाप बनती है।

भाप का दबाव तेजी से बढ़ता है और विस्फोट होता है।

विशेषता:

राख के गुबार और समुद्री जल की धुंध एक साथ होती है।

अक्सर इससे नई द्वीप बनते हैं।

उदाहरण:

Surtsey Island, Iceland (1963 में बना नया द्वीप)

हाइड्रोमैग्मैटिक या फ्रियाटिक विस्फोट (Phreatomagmatic / Phreatic Eruption)

यह कैसा विस्फोट होता है?

इस विस्फोट में केवल भाप (Steam) और गर्म गैसें शामिल होती हैं। यह तब होता है जब मैग्मा सीधे पानी से टकराता है, लेकिन लावा बाहर नहीं निकलता।

ज्वालामुखी क्यों फटते हैं? कारण, प्रकार और प्रभाव की पूरी जानकारी!
ज्वालामुखी क्यों फटते हैं? कारण, प्रकार और प्रभाव की पूरी जानकारी!

वैज्ञानिक कारण:

भूमिगत जल या झील का पानी जब मैग्मा से मिलता है तो अचानक भाप बनती है।

पानी की तेजी से भाप में परिवर्तन से विस्फोट होता है।

विशेषता:

बिना लावा के भी विस्फोट हो सकता है।

केवल गर्म गैसें, भाप और राख बाहर आती है।

अप्रत्याशित होता है और जानलेवा हो सकता है।

उदाहरण:

Mount Ontake, Japan (2014 में बिना पूर्व चेतावनी फटा, 63 की मौत)

क्या ज्वालामुखी की भविष्यवाणी संभव है?

पूरी तरह नहीं, लेकिन वैज्ञानिक संकेतों से अनुमान लगाया जा सकता है:

भूकंपीय गतिविधि (Seismic waves)

गैस उत्सर्जन में वृद्धि (SO₂ और CO₂)

धरातलीय परिवर्तन (Inflation)

तापमान में वृद्धि (Infrared imagery)

NASA और अन्य स्पेस एजेंसियाँ अब सैटेलाइट से मॉनिटर कर रही हैं।

भारत में ज्वालामुखी

भारत में सक्रिय ज्वालामुखी बहुत कम हैं, लेकिन कुछ उल्लेखनीय हैं:

1. बैरन द्वीप, अंडमान – भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी

2. नारकोंडम, अंडमान – निष्क्रिय पर संभावनाशील

3. दमन डायट्रेम, गुजरात – प्राचीन

ज्वालामुखी और जलवायु परिवर्तन का संबंध

ज्वालामुखी का वातावरण पर प्रभाव

जब कोई बड़ा ज्वालामुखी फटता है, तो वह हजारों टन सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂), कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂), राख और धूल को वायुमंडल में छोड़ता है। इससे दो प्रमुख प्रभाव होते हैं:

1. ग्लोबल कूलिंग (Global Cooling)

सल्फर युक्त गैसें वातावरण में जाकर सूरज की किरणों को परावर्तित करती हैं।

इससे धरती की सतह पर तापमान घटता है।

उदाहरण: 1991 में Mount Pinatubo के विस्फोट के बाद वैश्विक तापमान लगभग 0.5°C तक गिर गया।

2. ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming)

लंबे समय तक अगर CO₂ अधिक मात्रा में निकले, तो यह ग्रीनहाउस गैस के रूप में काम करता है और गर्मी बढ़ाता है।

पौराणिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण

भारत और विश्व की सभ्यताओं में ज्वालामुखी

1. रोमन सभ्यता और माउंट वेसुवियस

79 ई. में पोंपेई नगर इस ज्वालामुखी के कारण नष्ट हो गया। आज यह एक ऐतिहासिक स्थल है।

2. हिंदू मान्यताओं में ज्वालामुखी

भारत में सक्रिय ज्वालामुखी बहुत कम हैं, परंतु ‘ज्वालामुखी’ शब्द का प्रयोग देवी ज्वाला (जैसे हिमाचल प्रदेश की ज्वालामुखी देवी) के लिए रूपक रूप में हुआ है।

3. जापानी संस्कृति

माउंट फूजी को पवित्र पर्वत माना जाता है और यह ज्वालामुखी है।

ज्वालामुखी विस्फोट से बचाव और प्रबंधन

तैयारियां:

विज्ञान और तकनीक से निगरानी: सैटेलाइट्स, सिस्मोमीटर, थर्मल स्कैनिंग

स्थानीय प्रशिक्षण: खतरे की स्थिति में लोगों को सुरक्षित निकालना

जोन मैपिंग: खतरे के क्षेत्रों को चिन्हित करना

आपदा चेतावनी प्रणाली: SMS, सायरन, और मोबाइल अलर्ट

निर्माण तकनीक:

मजबूत संरचनाएँ राख और भूकंप से सुरक्षित होनी चाहिए।

नदी-घाटियों में बसे क्षेत्रों को खाली करवाना चाहिए।

सुपरवोल्केनो – पृथ्वी पर सबसे बड़ी शक्ति

सुपरवोल्केनो क्या होता है?

सुपरवोल्केनो वह ज्वालामुखी होता है जो एक साथ 1000 घन किमी से अधिक मैग्मा को विस्फोटित कर सकता है। ये दुनिया की सबसे विनाशकारी घटनाओं में शामिल हैं।

उदाहरण:

Yellowstone Caldera (USA) – लगभग 640,000 वर्षों से निष्क्रिय, परंतु सक्रिय निगरानी में है

Lake Toba (Indonesia) – 74,000 साल पहले इसका विस्फोट मानव प्रजाति के अस्तित्व के लिए खतरा बन गया था

दुनिया में प्रसिद्ध ज्वालामुखी स्थल (Tourism and Research)

  1. Mount Fuji (Japan)

  2. Mount Vesuvius (Italy)

  3. Mauna Loa (Hawaii)

  4. Eyjafjallajökull (Iceland)

  5. Mount Etna (Italy)

  6. Barren Island (India)

ये स्थान शोध और पर्यटन दोनों के लिए प्रसिद्ध हैं। भारत सरकार ने Barren Island पर रिसर्च स्टेशन की भी योजना बनाई है।

निष्कर्ष: ज्वालामुखी – विनाश में भी सृजन की शक्ति

ज्वालामुखी विस्फोट केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं है, बल्कि यह पृथ्वी की आंतरिक ऊर्जा और भूगर्भीय परिवर्तन का एक जीता-जागता प्रमाण है। यह प्रकृति की उन शक्तियों में से एक है जो विनाश के साथ-साथ नवसृजन भी करती हैं।

जब ज्वालामुखी फटता है, तो वह सिर्फ राख और लावा नहीं फैलाता, बल्कि नई ज़मीन, खनिज संपदा और उपजाऊ मिट्टी भी बनाता है।

इसके पीछे की वैज्ञानिक प्रक्रिया – प्लेट टेक्टोनिक्स, मैग्मा संचयन, और गैसीय दबाव – हमें पृथ्वी के गहरे रहस्यों से अवगत कराती है।

चाहे वह इंडोनेशिया का क्राकाटोआ हो या अमेरिका का येलोस्टोन सुपरवोल्केनो – हर ज्वालामुखी एक चेतावनी है कि हम प्रकृति के सामने कितने छोटे हैं।

इसलिए ज़रूरत है:

ज्वालामुखियों के बारे में सही जानकारी और वैज्ञानिक समझ को अपनाने की।

आपदा प्रबंधन, पूर्व चेतावनी तंत्र और स्थानीय जागरूकता को मज़बूत करने की।

साथ ही साथ, पृथ्वी की इन अनोखी घटनाओं को पर्यटन, शोध, और शिक्षा के अवसर में बदलने की।

प्रकृति से डरें नहीं, सीखें। क्योंकि यही ज्ञान हमें भविष्य की अनिश्चितताओं के लिए तैयार करता है।


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Sanjeev

Hello! Welcome To About me My name is Sanjeev Kumar Sanya. I have completed my BCA and MCA degrees in education. My keen interest in technology and the digital world inspired me to start this website, “Aajvani.com.”

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