(T. B) उन्मूलन

टीबी मुक्त भारत: “गणतंत्र दिवस का नया संदेश: क्या हम टीबी मुक्त भारत की ओर बढ़ रहे हैं?”

Facebook
WhatsApp
LinkedIn
Reddit
X

टीबी मुक्त भारत: “इस गणतंत्र दिवस पर जानें, कैसे पा सकते हैं टीबी से सच्ची आज़ादी!”

परिचय- भारत जैसे लोकतंत्रवादी देश में गणतंत्र दिवस का पर्व राष्ट्रीय एकता और स्वतंत्रता का प्रतीक है जैसे गणतंत्र दिवस ने भारत देश के लिए एक नये युग की शुरुआत की थी |

वैसे ही हमें इस गणतंत्र दिवस पर तपेदिक (T. B) के खिलाफ एक नई लड़ाई शुरू करने की प्रेरणा लेनी चाहिए. तपेदिक (T. B) एक गंभीर संक्रामक रोग है जो हमारे समाज के स्वास्थ्य के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है.

हालांकि भारत सरकार द्वारा तपेदिक (T. B) के उन्मूलन के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं जिनका मुख्य उद्देश्य साल 2025 तक भारत को पूरी तरह से टीबी मुक्त बनाना है.

टीबी उन्मूलन
टीबी उन्मूलन

तपेदिक (T. B) की वर्तमान स्थिति पर एक नजर

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के द्वारा 2024 में जारी की गई ग्लोबल टीबी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2015 से लेकर साल 2023 तक टीबी के मामलों में 17.7% की कमी आयी हैं, जो वैश्विक औसत से लगभग 8.3% से दोगुनी है.

. इसके अलावा भारत में टीबी से होने वाली मृत्यु दर में भी 21.4% की गिरावट दर्ज की गई है. ये सभी आंकड़े इस बात को प्रदर्शित करते हैं कि भारत टीबी उन्मूलन की दिशा में तेजी से प्रगति कर रहा है. Read more…

टीवी के उन्मूलन हेतु सरकारी पहल और कार्यक्रम

भारत सरकार के द्वारा टीबी के उन्मूलन के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए गए हैं जैसे:

1. 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा के द्वारा 7 दिसंबर 2024 को हरियाणा के पंचकूला से इस अभियान की शुरुआत की गई.

यह अभियान भारत के 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 347 जिलों में लागू किया गया है. इस अभियान का मुख्य उद्देश्य टीबी मामलों का शीघ्रता से पता लगाना और इसके निदान में तेजी लाना और उपचार के लिए किए गए परिणामों में सुधार करना.

2.नि -क्षय पोषण योजना: भारत सरकार के द्वारा टीबी रोगियों के लिए पोषण सहायता को मौजूदा ₹500 प्रति माह से बढ़ाकर ₹1000 प्रति माह कर दिया गया है.

इसके अतिरिक्त कम वजन वाले रोगियों के लिए भी पूरकता से पूर्ण ऊर्जा युक्त पोषण प्रदान किया जा रहा है. नि -क्षय पोषण योजना के तहत अब तक 1.13 करोड़ लाभार्थियों को 3,202 करोड रुपए की राशि वितरित की जा चुकी है.

3. प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान: भारत सरकार के द्वारा इस अभियान की शुरुआत 9 दिसंबर 2022 को की गई थी.

इस अभियान का उद्देश्य टीबी रोगियों के उपचार परिणामो में सुधार करने के लिए रोगी को अतिरिक्त सहायता प्रदान करना तथा साल 2025 तक टीबी को भारत से पूर्णतया समाप्त करने की प्रतिबद्धता को पूरा करना है.

4.इस अभियान के तहत नि –क्षय मित्र नामक पहल के माध्यम से टीबी रोगियों को अतिरिक्त सहायता प्रदान करके पोषण और व्यावसायिक सहायता सुनिश्चित की जा सकती है.

(T. B)  उन्मूलन
(T. B) उन्मूलन
बच्चों में टीबी उन्मूलन के लिए विशेष पहल

भारत में बच्चों में के लिए सर जॉन्स हिप्किंस यूनिवर्सिटी ने भारत सरकार के साथ मिलकर इस संक्रामक रोग के खिलाफ एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया है.

यह पहल मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश में एक सफल प्रोजेक्ट पर आधारित है जिसने रेजिडेंशियल स्कूलों में टीबी के मामलों में 87% की कमी दर्ज कराई है.

इस पहल के हिमाचल प्रदेश में सफल होने के बाद इस पहल को भारत के विभिन्न राज्यों में भी लागू किया जा रहा है जैसे: महाराष्ट्र,उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के क्षेत्रो में लागू किया जा रहा है.

भारत सरकार के द्वारा चलाई गई इस पहल का उद्देश्य स्कूलो तथा विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों में बढ़ते मामलों को रोकना, निदान करना और एक सुनिश्चित इलाज की व्यवस्था करना हैं.

चुनौतियां और आगे का मार्ग

हालांकि बीते सालों में टीबी उन्मूलन की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है लेकिन अभी भी वर्तमान समय में कई चुनौतियां बनी हुई है, जैसे:

1. मामलो की शीघ्र पहचान: ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में टीबी के मामलों का समय पर पता लगाना एक चुनौती हैं.

2.उपचार में निरंतरता लाना: कई मरीज ऐसे होते हैं जो बीच में ही अपना उपचार छोड़ देते हैं जिससे दवा प्रतिरोधी  के मामले को बढ़ा सकते हैं.

3. सामाजिक कलंक: सामाजिक कलंक के कारण कई लोग उपचार के लिए आगे नहीं बढ़ पाए जिससे यह एक सामाजिक कलंक के रूप में उभरता है. Click here

इन सभी चुनौतियों से निपटने के लिए भारत सरकार के साथ-साथ समाज के प्रत्येक सदस्य को अपना अपना सहयोग देना चाहिए और इसके उन्मूलन के लिए आगे बढ़ना चाहिए ताकि यह वैश्विक महामारी वैश्विक स्तर पर अपना विकराल रूप न धारण कर सके.

समाज के लोगों को अपनी भागीदारी बनाने की सख्त आवश्यकता है जिसके लिए उन्हें सामाजिक जागरूकता बढ़ानी होगी और नियमित स्वास्थ्य की जांच को प्रोत्साहित करना होगा |

जिससे रोगियों को सामाजिक और भावनात्मक दृष्टिकोण मिल सके और समाज आगे सही दिशा में प्रगति कर सके.

Trending now

Index