ड्रैगन फ्रूट की खेती उत्तर प्रदेश में क्यों बन रही है किसानों की पहली पसंद?
प्रस्तावना: बदलते कृषि परिदृश्य की नई पहचान
Table of the Post Contents
Toggleउत्तर प्रदेश, जो सदियों से पारंपरिक खेती के लिए जाना जाता रहा है, अब नए प्रयोगों के साथ कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव की ओर अग्रसर है। इसी कड़ी में “ड्रैगन फ्रूट” की खेती राज्य में एक नई आशा की किरण बनकर उभर रही है। सरकार के सहयोग, वैज्ञानिक अनुसंधान और किसानों के आत्मविश्वास ने इस फल को उत्तर प्रदेश की उभरती पहचान बना दिया है।

ड्रैगन फ्रूट क्या है? (What is Dragon Fruit?)
ड्रैगन फ्रूट, जिसे हिंदी में ‘कमलम’ भी कहा जाता है, एक विदेशी फल है जो मुख्य रूप से दक्षिण अमेरिका का मूल निवासी है। यह कैक्टस प्रजाति का फल होता है, जो गर्म और शुष्क जलवायु में आसानी से उगाया जा सकता है।
मुख्य प्रकार:
व्हाइट पल्प के साथ पिंक स्किन
रेड पल्प के साथ पिंक स्किन
येलो स्किन के साथ व्हाइट पल्प
उत्तर प्रदेश में इसकी खेती क्यों?
उत्तर प्रदेश की जलवायु में बदलाव और मानसून पर निर्भरता की समस्या के चलते किसान वैकल्पिक फसलों की ओर बढ़ रहे हैं। ड्रैगन फ्रूट एक ऐसा विकल्प बनकर उभरा है जिसे कम पानी, कम लागत और कम देखरेख में भी अच्छी उपज मिलती है।
राज्य सरकार की भूमिका और योजनाएं
“कमलम मिशन” की शुरुआत
उत्तर प्रदेश सरकार ने ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएं लागू की हैं। किसानों को प्रशिक्षण, बीज वितरण, और सब्सिडी के माध्यम से प्रोत्साहित किया जा रहा है।
सब्सिडी और वित्तीय सहायता
₹50,000 प्रति एकड़ तक सब्सिडी
ड्रिप इरिगेशन और बाउंड्री वायरिंग पर अनुदान
बागवानी विभाग द्वारा मुफ्त तकनीकी सहायता
कहां-कहां हो रही है खेती?
उत्तर प्रदेश में ड्रैगन फ्रूट की खेती मुख्य रूप से निम्न जिलों में तेजी से फैल रही है:
बाराबंकी
लखनऊ
प्रयागराज
चित्रकूट
अमेठी
प्रतापगढ़
सोनभद्र
किसानों की जुबानी: सफलता की कहानियां
रामकिशोर यादव, चित्रकूट
“पारंपरिक खेती में घाटा हो रहा था। जब ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की तो 1 एकड़ में ₹6 लाख का मुनाफा हुआ।”
आरती देवी, प्रतापगढ़
“सरकार की ट्रेनिंग और सब्सिडी से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा। अब मैं और भी किसानों को प्रेरित कर रही हूं।”
खेती की वैज्ञानिक विधि
भूमि चयन
अच्छी जल निकासी वाली रेतीली-दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त।
pH 6 से 7.5 के बीच आदर्श।
सिंचाई व्यवस्था
ड्रिप इरिगेशन सबसे प्रभावी
सप्ताह में 2 बार सिंचाई
सपोर्ट सिस्टम
सीमेंट/लौहे के खंभे लगाकर बेल को सहारा देना आवश्यक
प्रकाश और तापमान
सीधी धूप में अच्छा विकास
20°C से 35°C तापमान सर्वोत्तम
लागत और मुनाफा: गणित की बात
खर्च का प्रकार | अनुमानित खर्च (1 एकड़) |
---|---|
भूमि तैयारी | ₹20,000 |
पौधरोपण सामग्री | ₹60,000 |
खंभे व तार | ₹40,000 |
सिंचाई प्रणाली | ₹30,000 |
देखरेख और मजदूरी | ₹25,000 |
कुल | ₹1,75,000 |
उत्पादन और आय
प्रति पौधा: 10-15 किलो फल
1 एकड़ में लगभग 2000 पौधे
औसत उत्पादन: 20-25 टन
बाज़ार मूल्य: ₹100-150 प्रति किलो
कुल आय: ₹20-30 लाख प्रति एकड़ सालाना
विपणन और निर्यात के अवसर
ड्रैगन फ्रूट की मांग शहरी क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रही है। इसके अतिरिक्त इसे:
सुपरमार्केट
जूस कंपनियों
दवा कंपनियों
एक्सपोर्ट हाउस में बेचा जा सकता है।
भारत से UAE, यूरोप और थाईलैंड को भी ड्रैगन फ्रूट निर्यात किया जा रहा है।
स्वास्थ्य लाभ: मांग क्यों बढ़ रही है?
ड्रैगन फ्रूट एक सुपरफूड के रूप में जाना जाने लगा है। इसमें निम्नलिखित गुण होते हैं:
एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर
इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है
डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है
स्किन और बालों के लिए लाभदायक
पर्यावरणीय फायदे
कम पानी की आवश्यकता
जैविक खेती संभव
मिट्टी की उर्वरता को नुकसान नहीं
जलवायु अनुकूलन में सहायक
चुनौतियाँ और समाधान
मुख्य समस्याएं:
शुरुआती लागत अधिक
पौधों की उपलब्धता सीमित
तकनीकी जानकारी की कमी
समाधान:
नर्सरी सेटअप को बढ़ावा
किसान प्रशिक्षण कार्यशालाएं
सरकारी मोबाइल एप द्वारा मार्गदर्शन
भविष्य की संभावनाएं
उत्तर प्रदेश में ड्रैगन फ्रूट खेती का भविष्य उज्जवल है। यदि सरकार और किसान दोनों इस दिशा में समर्पित रहें, तो अगले 5 वर्षों में यह फल:
गन्ने और गेहूं के विकल्प के रूप में उभरेगा
राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा
कृषि पर्यटन को बढ़ावा देगा
तकनीकी पहल और अनुसंधान संस्थानों की भूमिका
ड्रैगन फ्रूट की खेती को वैज्ञानिक और टिकाऊ बनाने के लिए कई कृषि संस्थानों और कृषि विज्ञान केंद्र (KVKs) ने भी विशेष रिसर्च और सहायता प्रदान की है।
सक्रिय संस्थान:
ICAR (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) द्वारा अनुमोदित नई प्रजातियाँ
कृषि विश्वविद्यालय, कानपुर व फैज़ाबाद द्वारा उन्नत रोपण तकनीकों का विकास
KVK के माध्यम से प्रशिक्षण और फ़ील्ड विज़िट्स
ये संस्थान उन्नत बीज, जैविक खाद, रोग नियंत्रण, और बेहतर उत्पादन के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
स्वरोज़गार और ग्रामीण रोजगार की नई संभावनाएं
ड्रैगन फ्रूट की खेती ने न सिर्फ किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है, बल्कि इससे जुड़े अन्य क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर बढ़े हैं:
संभावित क्षेत्र:
पौधशाला (नर्सरी) व्यवसाय
स्थानीय मंडी वितरण
ड्रैगन फ्रूट से बने उत्पाद जैसे जैम, स्किन जेल, जूस निर्माण
प्रोसेसिंग यूनिट्स
युवाओं और महिला समूहों के लिए सुनहरा मौका
महिला स्वयं सहायता समूह (SHGs) ड्रैगन फ्रूट जैली, आइसक्रीम टॉपिंग्स और फेस मास्क जैसे प्रोडक्ट बना रही हैं, जिससे घरेलू उद्योग को नया जीवन मिल रहा है।

सरकार द्वारा संचालित प्रशिक्षण सुविधाएँ
कहां मिल रहा प्रशिक्षण?
कृषि विज्ञान केंद्रों में मुफ्त ट्रेनिंग शिविर
राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB) की कार्यशालाएं
YouTube चैनल और किसान पोर्टल पर ऑनलाइन ट्रेनिंग
इन माध्यमों से किसानों को ड्रैगन फ्रूट की पहचान, देखभाल, सिंचाई, बाजार जुड़ाव जैसे विषयों पर व्यावहारिक ज्ञान मिलता है।
शुरुआती किसानों के लिए मार्गदर्शिका: कैसे करें शुरुआत?
स्टेप-बाय-स्टेप Process:
भूमि का चयन करें – पानी निकासी की व्यवस्था ज़रूरी
सरकारी योजना की जानकारी लें – नजदीकी कृषि विभाग या KVK से संपर्क करें
प्रमाणित पौधों की खरीद करें
ड्रिप इरिगेशन लगवाएं
बेल सपोर्ट स्ट्रक्चर तैयार करें
तकनीकी सहायता और ट्रेनिंग लें
पहली फसल के बाद बाज़ार से संपर्क बनाएँ
डिजिटल इंडिया से जुड़ती खेती
डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से किसान अब:
अपने उत्पाद को ऑनलाइन बेच सकते हैं (E-NAM)
मार्केट रेट जान सकते हैं
सरकारी योजनाओं में सीधे आवेदन कर सकते हैं
खेती के नए तरीकों के वीडियो देख सकते हैं
यह “डिजिटली सशक्त किसान” की परिकल्पना को साकार कर रहा है।
आयुर्वेदिक और कॉस्मेटिक उपयोग: ड्रैगन फ्रूट की नई दिशा
ड्रैगन फ्रूट का उपयोग अब केवल फल के रूप में ही नहीं, बल्कि औषधीय और कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में भी बढ़ रहा है।
उपयोग के क्षेत्र:
एंटी-एजिंग क्रीम
नेचुरल फेस मास्क
आयुर्वेदिक टॉनिक
हर्बल सिरप
इन उत्पादों की बढ़ती मांग ड्रैगन फ्रूट की कीमत और लोकप्रियता में निरंतर वृद्धि कर रही है।
उत्तर प्रदेश का मॉडल बनता ‘कमलम क्लस्टर‘
प्रदेश सरकार ड्रैगन फ्रूट उत्पादन को संगठित करने हेतु “कमलम क्लस्टर” की योजना पर कार्य कर रही है, जिसमें एक जिले या ब्लॉक के कई किसान मिलकर उत्पादन, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग का संयुक्त मॉडल अपनाएंगे।
इससे:
मूल्यवर्धन (Value Addition) संभव होगा
निर्यात में सहूलियत होगी
ब्रांडिंग में मदद मिलेगी
ड्रैगन फ्रूट बनाम पारंपरिक फसलें: तुलनात्मक विश्लेषण
विशेषता | गेंहूं | गन्ना | ड्रैगन फ्रूट |
---|---|---|---|
लागत | मध्यम | अधिक | मध्यम |
जल की आवश्यकता | अधिक | अत्यधिक | कम |
उत्पादन समय | 4 माह | 10-12 माह | पूरे वर्ष |
लाभ | सीमित | मध्यम | अत्यधिक |
मौसम जोखिम | अधिक | अधिक | कम |
मीडिया में ड्रैगन फ्रूट की चर्चा
ड्रैगन फ्रूट की खेती पर केंद्र और राज्य सरकारों के कई विज्ञापन, रिपोर्ट, और टीवी कार्यक्रम प्रसारित हुए हैं। ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “कमलम” शब्द का उल्लेख करते हुए इसे देश की कृषि क्रांति का प्रतीक बताया।
छात्र और नवोन्मेषी युवा: कैसे बन सकते हैं ड्रैगन फ्रूट उद्यमी?
कृषि क्षेत्र में इनोवेशन को बढ़ावा देने वाले युवाओं को ड्रैगन फ्रूट के माध्यम से:
“Start-up India” योजना में रजिस्ट्रेशन का मौका
खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय से मदद
अटल इनोवेशन मिशन का लाभ
निष्कर्ष: ग्रामीण समृद्धि की ओर एक फलता-फूलता कदम
उत्तर प्रदेश में ड्रैगन फ्रूट की खेती केवल एक वैकल्पिक कृषि प्रयोग नहीं रह गई है, बल्कि यह अब किसानों की आय बढ़ाने, जल-संरक्षण को बढ़ावा देने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नया आयाम देने वाली रणनीति बन चुकी है। सरकार की नीतिगत सहायता, वैज्ञानिक अनुसंधान और किसानों की मेहनत ने मिलकर इसे एक “लाभदायक और भविष्य उन्मुख” फसल बना दिया है।
जहाँ पारंपरिक खेती में अधिक लागत और जोखिम थे, वहीं ड्रैगन फ्रूट:
कम पानी में पनपता है,
पूरे वर्ष फल देता है,
जैविक तरीके से उगाया जा सकता है,
और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचने की क्षमता रखता है।
साथ ही यह फसल महिलाओं, युवाओं और उद्यमियों के लिए भी स्वरोजगार के नए रास्ते खोल रही है।
अगर यही गति और सहयोग बना रहा, तो आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश ड्रैगन फ्रूट उत्पादन और निर्यात में देश का अगुवा राज्य बन सकता है। यह खेती अब एक आंदोलन का रूप ले रही है—”कमलम से कमाई की क्रांति”।
“खेती की एक नई कहानी, समृद्धि की पुरानी निशानी – कमलम खेती उत्तर प्रदेश की नई पहचान बन रही है।”
- FAQs: ड्रैगन फ्रूट की खेती से जुड़े सामान्य प्रश्न1. उत्तर प्रदेश में ड्रैगन फ्रूट की खेती कब से शुरू हुई?
उत्तर: उत्तर प्रदेश में ड्रैगन फ्रूट की खेती वर्ष 2019-20 के आसपास शुरू हुई और 2022 के बाद से राज्य सरकार के सहयोग से यह तेज़ी से फैल रही है।
2. क्या ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए सरकारी सब्सिडी मिलती है?
उत्तर: हां, उत्तर प्रदेश सरकार बागवानी विभाग के माध्यम से ड्रैगन फ्रूट की खेती पर ₹50,000 तक की सब्सिडी प्रदान करती है, जिसमें पौधरोपण, सिंचाई और संरचना (सपोर्ट सिस्टम) शामिल हैं।
3. ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए किस प्रकार की मिट्टी उपयुक्त है?
उत्तर: रेतीली-दोमट (sandy-loam) मिट्टी, जिसमें जल निकासी अच्छी हो, ड्रैगन फ्रूट के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी का pH स्तर 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
4. ड्रैगन फ्रूट की पहली फसल कितने समय में मिलती है?
उत्तर: रोपण के लगभग 12 से 15 महीनों के भीतर पहली फसल प्राप्त होती है। इसके बाद पौधा लगातार 20 साल तक फल दे सकता है।
5. एक एकड़ में कितने पौधे लगाए जा सकते हैं और कितनी कमाई होती है?
उत्तर: एक एकड़ में लगभग 2000 पौधे लगाए जा सकते हैं। औसत उत्पादन 20-25 टन होता है, जिससे सालाना ₹20-30 लाख की आमदनी संभव है, अगर बाजार मूल्य ₹100-150/kg हो।
6. क्या यह खेती छोटे किसानों के लिए भी फायदेमंद है?
उत्तर: बिल्कुल, छोटे किसान 0.5 एकड़ जैसे छोटे भूखंड पर भी इसकी शुरुआत कर सकते हैं और सरकारी सहायता, प्रशिक्षण और स्थानीय मार्केट से अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं।
7. ड्रैगन फ्रूट के पौधे कहां से खरीदें?
उत्तर: प्रमाणित पौधे कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB) द्वारा मान्यता प्राप्त नर्सरी या स्थानीय सरकारी बागवानी विभाग से खरीदे जा सकते हैं।
8. क्या ड्रैगन फ्रूट को जैविक तरीके से उगाया जा सकता है?
उत्तर: हां, ड्रैगन फ्रूट में कीट और रोग कम होते हैं, जिससे इसे जैविक खाद व जैविक तरीकों से आसानी से उगाया जा सकता है।
9. ड्रैगन फ्रूट की खेती में मुख्य चुनौतियाँ क्या हैं?
उत्तर: शुरुआती लागत, पौधों की सीमित उपलब्धता, बेल सपोर्ट स्ट्रक्चर की व्यवस्था, और तकनीकी जानकारी की कमी प्रमुख चुनौतियाँ हैं। लेकिन सरकार और कृषि संस्थानों से मार्गदर्शन लेकर इन्हें दूर किया जा सकता है।
10. ड्रैगन फ्रूट की फसल को कहां और कैसे बेचा जा सकता है?
उत्तर: किसान स्थानीय मंडी, सुपरमार्केट, फल प्रसंस्करण इकाइयों, और B2B प्लेटफॉर्म जैसे E-NAM, Amazon Business, आदि के माध्यम से सीधे व्यापारियों को बेच सकते हैं। कुछ किसान निर्यात के लिए भी रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं।
Related
Discover more from Aajvani
Subscribe to get the latest posts sent to your email.