“क्यों है तिरुपति तिरुमला मंदिर सुर्खियों में? जानिए इसके पीछे की कहानी”
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Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!चर्चा में क्यों है? तिरुपति तिरुमला देवस्थानम मंदिर

तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर एक प्राचीन सिद्ध मंदिर है जो भारत में आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले के तिरुमला में स्थित है यह मंदिर भगवान विष्णु के एक रूप भगवान वेंकटेश्वर है .
उन्हें इसलिए जाना जाता है कि मानव जाति के लिए कलयुग की परीक्षा और परेशानियों को दूर करने के लिए हमारी पृथ्वी पर प्रकट हुए इसलिए इस स्थान का नाम कलयुग वेंकुठ के नाम से भी जानते है .
और इस मंदिर के देवता को हम कलयुग का प्रत्यक्ष देवम भी कहते हैं और इस मंदिर को हम अन्य नाम से भी जानते हैं जैसे की तिरुमला मंदिर, तिरुपति मंदिर और तिरुपति बालाजी मंदिर जैसे और कई अन्य नाम से भी जानते हैं
“तिरुपति तिरुमला देवस्थानम: आस्था, रहस्य और चर्चा का अनोखा संगम”
और इनको वेंकटेश्वर के नाम से भी जानते हैं जैसे श्रीनिवास, बालाजी, गोविंदा, और इनको तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम ( TTD ) के द्वारा चलाया जाता है और जो पहले से आँध्रप्रदेश सरकार के हित में है.
तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम के मंदिर की नियुक्ति आंध्र प्रदेश सरकार के द्वारा होती है तिरुपति तिरुमला बालाजी मन्दिर कि कुछ खास बाते
तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर का इतिहास जाने?
इस मंदिर का इतिहास ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर 9वीं शताब्दी में प्रारंभ हुआ
• यह मंदिर ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1843 में इस मंदिर का प्रशासन हजारी राम जी के हाथों में सौपा |
• तिरुमला तिरुपति देवस्थानम को 1933 में इस मंदिर का गठन हुआ|
• मद्रास हिंदू धार्मिक और धर्म अर्थ बंदोबस्त अधिनियम 1951 के तहत ( TTD )अधिनियम को हटा दिया गया|
• तिरुमला तिरुपति देवस्थानम अधिनियम के तहत 1979 में एक समिति में निहित किया|
• तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर का प्रबंध ( TTD ) करता है |
तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर के आश्चर्यजनक तथ्य ?
“क्या खास है तिरुपति तिरुमला में, जो इसे बना रहा है चर्चा का विषय?”
• ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर के मुख्य द्वार के इस मंदिर के मुख्य द्वार के दाहिनी और बाल रूप मैं बालाजी की थोड़ी से रक्त आया और इसी रक्त को देखते हुए उसे समय से बालाजी की ठोड़ी पर चंदन लगाने की प्रथा शुरू की गई |
• और इस मंदिर में भगवान बालाजी के सर पर रेशमी बाल रहते हैं और उनमें गुस्सा नहीं आती वह हमेशा ताजा रहते हैं |
• तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर से 23 किमी दूर एक गाँव है ऐसा माना जाता है कि उस गाँव में बाहरी मनुष्य का आना मना है और वहा के लोग नियम से रहते है और उस गाँव से लाये गए फूल भगवान तिरुपति वेंकटेश्वर को चढ़ाये जाते है |
* भगवान बाला जी को रोज निचे धोती और ऊपर सुन्दर वस्त्र से सजाया जाता है |
तिरुमला तिरुपति देवस्थानम: क्या है इसकी चर्चा का कारण?”
इस मंदिर में ऐसा माना जाता है कि भगवान बालाजी कि पीठ को जितनी बार साफ करोंगे वह उतनी बार गीली हो जायगी |और उस पर अपना कान लगाने से समुन्द्र घोस की आवाज सुनाई देती है |
• इस मंदिर के गर्भगृह में जलने वाले दिए कभी बुझते नहीं और ऐसा माना गया की वे हजारों साल से जल रहे और वहा पर किसी को पता भी नहीं लगा |
तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर का प्रमुख उत्सव
तिरुपति वेंकटेश्वर का सबसे प्रमुख त्यौहार ब्रह्मोत्सवम माना गया है जिसे हम खुशी का त्यौहार भी मानते है यह त्यौहार नौ दिनों तक चलता है और ऐसा माना गया है कि यह त्यौहार साल में एक बार तब मनाया जाता है जब सूर्य का आगमन कन्या राशि में होता है अर्थात ( सितम्बर अक्टूबर में ) और इसके साथ ही मनाये जाने वाले अन्य त्यौहार है – वसंतोत्सव, तपोत्सव, पवित्रोत्सव, अधिकामासम आदि।
तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर कि सेवाएं कुछ इस प्रकार है
(TTD ) तीर्थ यात्रियों के लिए आंध्रप्रदेश सरकार ने तिरुपति एवं तिरुमला के लिए बस की सेवाएं है और खाने के लिए भोजन फ्री और रहने के लिए घर भी प्रदान कराती है ( TTD ) देश भर के प्रमुख शहरो में अपना टिकट केंद्र को चलाता है.
और इनके अन्य केंद्र भी चलते है यह विभिन्न विवाह मंडप, डिग्री कॉलेज, कनिष्ठ कॉलेज और उच्च विद्यालयों को चलाता है। 1993 में टीटीडी द्वारा स्थापित श्री वेंकटेश्वर सेंट्रल लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर को भी चलाते है
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