धारा 498A (IPC)

धारा 498A (IPC) : 3 दिनों में टूटी शादी, 19 साल का मुकदमा, जेल और अब सुप्रीम कोर्ट का 3 लाख मुआवजे का आदेश: दहेज लोभ की हैरान करने वाली कहानी

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 धारा 498A (IPC): दहेज के लालच में तोड़ी शादी,19 साल तक मुकदमा चलने के बाद सुप्रीम कोर्ट का आया अहम फैसला

परिचय- यह मामला एक शादी से जुड़ा हुआ है जो दहेज के लालच के कारण मात्र तीन दिनों में ही टूट गई थी. शादी के बाद दूल्हे और उसके परिवार ने दुल्हन से सोने के आभूषणों और अन्य कीमती सामान की मांग की. जब दुल्हन एवं उसके परिवार के सदस्य उनकी मांग को पूरा करने में असमर्थ हुए तो दुल्हन को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया.

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इस घटना का समय: यह घटना करीब 19 साल पहले हुई थी यह घटना पूरे समाज में दहेज प्रथा के कड़वे सच को उजागर करती है.

पीड़िता की प्रतिक्रिया: दहेज प्रताड़ना से परेशान पीड़िता ने महिला होने के नाते उसने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498A के तहत दहेज उत्पीड़न को लेकर मामला दर्ज कराया.

धारा 498A (IPC)
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धारा 498A (IPC)

19 वर्षों तक चली कानूनी लड़ाई

यह मामला 19 वर्षों तक विभिन्न अदालतो में चला इस दौरान इस मामले में बहुत ज्यादा फेरबदल हुआ जैसे:

1. आरोपी को मिली सजा- शुरुआती दौर में ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को 3 महीने जेल की सजा सुनाई.

2. अपील पर देरी- आरोपी ने अपने बचाव के लिए ऊपरी अदालतो में इसके खिलाफ अपील की लेकिन कोई सुनवाई नहीं होने कारण यह मामला काफी लंबा खिंच गया.

3. महिला का जीवन- मुकदमे के दौरान महिला ने दूसरा विवाह कर लिया और विदेश में सेटल्ड हो गई.

भारत के सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

इस मामले की 19 साल की लंबी लड़ाई के बाद भारत के सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को दहेज उत्पीड़न का दोषी ठहराया जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को पीड़िता को ₹3 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया. Read more…

भारत के न्यायालय का दृष्टिकोण

* इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने यह माना है कि दहेज प्रथा से महिलाओं को बहुत नुकसान होता है.
* दहेज से पीड़ित महिला को आर्थिक और मानसिक आघात का मुआवजा मिलना चाहिए.
* सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि यह फैसला समाज में दहेज प्रथा के खिलाफ एक कड़ा संदेश देगा.

धारा 498A (IPC)

इस मामले से जुड़े कुछ कानूनी पहल

* धारा 498A (IPC)- महिलाओं के खिलाफ दहेज उत्पीड़न से बचाने के लिए एक विशेष प्रावधान
* महिला संरक्षण कानून- यह महत्वपूर्ण घटना महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और उनके सशक्तिकरण की आवश्यकता को रेखांकित करती है.

दहेज प्रथा का व्यापक प्रभाव

1. रिश्तों पर पड़ते प्रभाव- आजकल दहेज प्रथा को लेकर इतनी मांग चल रही है कि आए दिन रिश्ते टूटते रहते हैं.
2. सामाजिक प्रभाव- दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों समाज में महिलाओं के साथ भेदभाव को बढ़ावा देती है.
3. आर्थिक प्रभाव- दहेज प्रथा की मांग दुल्हन के परिवारों को वित्तीय संकट में डालती है.

धारा 498A (IPC)
धारा 498A (IPC)

समाज के लिए सबक और उपाय

* जागरूकता बढ़ाना- समाज में दहेज प्रथा के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाना बहुत आवश्यक होता है जिससे कि समाज के लोगों में दहेज प्रथा की कुरीतियों पैदा ना हो सके तथा एक सुव्यवस्थित समाज का निर्माण हो सके.
* कठोर कानून- दहेज विरोधी कानूनो को सख्ती के साथ लागू करना चाहिए. जिस देश पर था जैसी पूरी तरह समझ में पैदा ना हो सके और इन पर पूरी तरह से अंकुश लगाया जा सके.

* शिक्षा और सशक्तिकरण- महिलाओं को सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर बनाना जिससे एक सुव्यवस्थित समाज का निर्माण हो सके. बढ़ती दहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए महिलाओं को शिक्षा के माध्यम से सशक्त बनाना चाहिए. Click here

निष्कर्ष- यह महत्वपूर्ण घटना न केवल न्यायिक व्यवस्था को रेखांकित करती है बल्कि यह आज के समाज को यह भी संदेश देती है कि दहेज प्रथा के खिलाफ लड़ाई में हर व्यक्ति की भागीदारी जरूरी है. दहेज प्रथा को पूर्णता समाप्त करना केवल कानून का कार्य नहीं है बल्कि इसे समाज में एक सांस्कृतिक बदलाव के रूप में अपनाना होगा.

सुप्रीम कोर्ट का यह अहम फैसला समाज में इस कुरीति के खिलाफ एक सख्त संदेश देने का कार्य करेगा जिस समाज में दहेज प्रथा जैसी कुरीतियां न पनपे और एक सुव्यवस्थित समाज का निर्माण हो सके.


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Sanjeev

Hello! Welcome To About me My name is Sanjeev Kumar Sanya. I have completed my BCA and MCA degrees in education. My keen interest in technology and the digital world inspired me to start this website, “Aajvani.com.”

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