पेरियार राष्ट्रीय उद्यान – केरल का प्रसिद्ध टाइगर रिजर्व और इको-टूरिज्म हब
परिचय
Table of the Post Contents
Toggleपेरियार राष्ट्रीय उद्यान (Periyar National Park) भारत के केरल राज्य में स्थित एक प्रमुख वन्यजीव अभयारण्य है। यह अपनी अद्वितीय जैव विविधता, हाथियों के झुंड, बाघों की उपस्थिति और खूबसूरत पेरियार झील के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।
यह उद्यान न केवल प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग है, बल्कि इको-टूरिज्म और संरक्षण का बेहतरीन उदाहरण भी है।
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास
स्थापना : 1895 में मद्रास प्रेसीडेंसी के दौरान इसका प्रारंभ हुआ।
वन्यजीव आरक्षित क्षेत्र : 1934 में इसे वन्यजीव अभयारण्य का दर्जा मिला।
राष्ट्रीय उद्यान : 1982 में इसे आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
टाइगर रिजर्व : 1978 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के तहत यह क्षेत्र पेरियार टाइगर रिजर्व बना।
भौगोलिक स्थिति और विस्तार
स्थान : केरल के इडुक्की और पठानमथिट्टा ज़िलों में फैला।
क्षेत्रफल : लगभग 925 वर्ग किलोमीटर।
ऊँचाई : 900 मीटर से 2010 मीटर तक समुद्र तल से ऊँचाई।
मुख्य स्थल : पेरियार झील (Periyar Lake) – कृत्रिम रूप से 1895 में बनी, आज उद्यान का हृदय है।
जलवायु और मौसम
ग्रीष्म ऋतु (मार्च-जून) : 21°C से 36°C
वर्षा ऋतु (जून-सितंबर) : भारी मानसून वर्षा
शीत ऋतु (अक्टूबर-फरवरी) : 15°C से 25°C, घूमने का सर्वोत्तम समय
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान की जैव विविधता
(A) वनस्पति
उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन
अर्ध-सदाबहार वन
पर्णपाती वन
शोल वन (ऊँचाई वाले क्षेत्र में पाए जाने वाले)
औषधीय पौधों की प्रचुरता
(B) जीव-जंतु
1. स्तनधारी
एशियाई हाथी
बंगाल टाइगर
भारतीय बाइसन (गौर)
तेंदुआ
सुअर हिरण
स्लॉथ भालू
2. पक्षी
ग्रेट हॉर्नबिल
मालाबार ट्रोगन
किंगफिशर
वुडपेकर्स
ईगल्स
3. सरीसृप और उभयचर
किंग कोबरा
पाइथन
मगरमच्छ
मेढ़क और दुर्लभ उभयचर
4. मछलियाँ और कीट
पेरियार झील में कई ताजे पानी की मछलियाँ
रंग-बिरंगी तितलियाँ
पेरियार झील : उद्यान का हृदय
1895 में मुल्लपेरियार डैम के निर्माण से बनी।
26 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई।
नौका विहार (Boat Ride) के माध्यम से वन्यजीव देखने का प्रमुख साधन।
पर्यटन गतिविधियाँ
बोटिंग इन पेरियार लेक
जंगल सफारी
बाँस राफ्टिंग
नेचर वॉक
बर्ड वॉचिंग
बाघ व हाथी ट्रैकिंग प्रोग्राम
कैंपिंग और इको-टूरिज्म
पहुँच (How to Reach)
हवाई मार्ग : कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (190 किमी)
रेल मार्ग : कोट्टायम रेलवे स्टेशन (114 किमी)
सड़क मार्ग : थेक्कडी कस्बे से सीधा कनेक्शन
पेरियार टाइगर रिजर्व
1978 में स्थापना : प्रोजेक्ट टाइगर के तहत।
क्षेत्रफल : 777 वर्ग किलोमीटर।
विशेषता : यहाँ बंगाल टाइगर की स्थायी आबादी है।
पेरियार हाथी रिजर्व
एशियाई हाथियों का सबसे सुरक्षित घर।
बड़ी संख्या में झुंडों का प्राकृतिक आवास।
स्थानीय संस्कृति और जनजातियाँ
मन्नन जनजाति और पल्लीयान जनजाति यहाँ निवास करती हैं।
ये लोग जंगल संसाधनों पर निर्भर रहते हैं।
आज पर्यटन में इनकी भागीदारी बढ़ाई जा रही है।
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान का महत्व
पारिस्थितिक महत्व : जैव विविधता संरक्षण।
आर्थिक महत्व : पर्यटन से आय।
सामाजिक महत्व : स्थानीय जनजातियों को रोज़गार।
पेरियार में इको-टूरिज्म पहल
पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन गतिविधियाँ।
WWF और राज्य सरकार की संयुक्त योजनाएँ।
गाइडेड टूर और जनजातीय सहयोग।
घूमने का सर्वोत्तम समय
अक्टूबर से फरवरी : सबसे उपयुक्त।
गर्मियों में भी हाथी देखने का अवसर।
मानसून में प्राकृतिक सौंदर्य चरम पर लेकिन सफारी गतिविधियाँ सीमित।
ठहरने की व्यवस्था
सरकारी गेस्ट हाउस
वन विभाग के लॉज
प्राइवेट रिसॉर्ट और होटल
हाउसबोट और ट्रीहाउस अनुभव
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान से जुड़े तथ्य
यह केरल का सबसे प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान है।
हाथियों का सबसे बड़ा प्राकृतिक आवास।
यहाँ बाँस राफ्टिंग की सुविधा केवल पर्यावरण संतुलन हेतु सीमित संख्या में दी जाती है।
पेरियार उद्यान से संबंधित समस्याएँ
शिकार और अवैध कटाई
पर्यावरण प्रदूषण
पर्यटन का दबाव
मानव-वन्यजीव संघर्ष
संरक्षण उपाय
प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलीफेंट
इको-टूरिज्म
WWF और राज्य सरकार की साझेदारी
स्थानीय जनजातियों की सहभागिता
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान से जुड़े महत्वपूर्ण FAQs
Q1. पेरियार राष्ट्रीय उद्यान कहाँ स्थित है?
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान भारत के केरल राज्य में इडुक्की और पठानमथिट्टा जिलों में स्थित है। यह पश्चिमी घाट की पर्वतमालाओं में फैला हुआ है।
Q2. पेरियार राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना कब हुई थी?
इस उद्यान को 1934 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था। 1982 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला और 1978 में इसे टाइगर रिजर्व घोषित किया गया।
Q3. पेरियार राष्ट्रीय उद्यान किसके लिए प्रसिद्ध है?
यह उद्यान मुख्य रूप से एशियाई हाथियों के झुंड, बंगाल टाइगर और पेरियार झील में नौका विहार (Boating) के लिए प्रसिद्ध है।
Q4. पेरियार राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल कितना है?
यह उद्यान लगभग 925 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
Q5. पेरियार राष्ट्रीय उद्यान घूमने का सबसे अच्छा समय कौन-सा है?
अक्टूबर से फरवरी के बीच यहाँ घूमना सबसे अच्छा रहता है क्योंकि इस समय मौसम सुहावना होता है। गर्मियों में भी हाथियों को आसानी से देखा जा सकता है।
Q6. पेरियार झील क्या है?
पेरियार झील एक कृत्रिम झील है जो 1895 में मुल्लपेरियार डैम के निर्माण से बनी थी। यह झील लगभग 26 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है और यहाँ नौका विहार से वन्यजीव देखे जाते हैं।
Q7. पेरियार राष्ट्रीय उद्यान तक कैसे पहुँचा जा सकता है?
हवाई मार्ग : कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (190 किमी)
रेल मार्ग : कोट्टायम रेलवे स्टेशन (114 किमी)
सड़क मार्ग : थेक्कडी कस्बा पास में है और सड़क से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
Q8. पेरियार राष्ट्रीय उद्यान में कौन-कौन से जानवर पाए जाते हैं?
यहाँ एशियाई हाथी, बंगाल टाइगर, गौर, तेंदुआ, भालू, हिरण, जंगली सुअर, किंग कोबरा, मगरमच्छ, हॉर्नबिल और अनेक प्रकार की मछलियाँ व तितलियाँ पाई जाती हैं।
Q9. पेरियार राष्ट्रीय उद्यान की देखभाल कौन करता है?
इस उद्यान का प्रबंधन केरल वन विभाग करता है। साथ ही WWF और अन्य संस्थाएँ भी संरक्षण में मदद करती हैं।
Q10. क्या पेरियार राष्ट्रीय उद्यान में सफारी उपलब्ध है?
हाँ, यहाँ जंगल सफारी, बाँस राफ्टिंग, बोटिंग, नेचर वॉक और बर्ड वॉचिंग जैसी इको-टूरिज्म गतिविधियाँ उपलब्ध हैं।
निष्कर्ष : पेरियार राष्ट्रीय उद्यान का महत्व और भविष्य
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान केवल एक वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र नहीं है, बल्कि यह भारत की प्राकृतिक धरोहर और पारिस्थितिक संतुलन का अद्भुत प्रतीक है।
यह उद्यान हमें बताता है कि किस तरह से प्रकृति, मनुष्य और वन्यजीव एक-दूसरे के साथ सह-अस्तित्व में रह सकते हैं।
1. पारिस्थितिक दृष्टि से महत्व
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान में पाई जाने वाली जैव विविधता इसे भारत के सबसे समृद्ध इको-सिस्टम में शामिल करती है।
यहाँ पाए जाने वाले हाथियों और बाघों की स्थायी आबादी न केवल वन्यजीव प्रेमियों के लिए आकर्षण है बल्कि वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों के लिए शोध का विषय भी है।
2. पर्यटन और स्थानीय विकास
पेरियार झील में नौका विहार, जंगल सफारी और बर्ड वॉचिंग जैसी गतिविधियाँ लाखों पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। इससे न केवल केरल के पर्यटन को मजबूती मिलती है, बल्कि स्थानीय जनजातियों और ग्रामीणों को रोजगार भी प्राप्त होता है।
3. संरक्षण की आवश्यकता
भले ही यह उद्यान आज एक सुरक्षित क्षेत्र है, लेकिन मानव-वन्यजीव संघर्ष, अवैध कटाई, शिकार और पर्यटन का दबाव इसके भविष्य के लिए चुनौती बने हुए हैं।
यदि इन समस्याओं पर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया तो यहाँ की जैव विविधता पर खतरा मंडरा सकता है।
4. सरकार और समाज की भूमिका
केरल सरकार, वन विभाग और WWF जैसी संस्थाएँ लगातार संरक्षण कार्यक्रम चला रही हैं। साथ ही इको-टूरिज्म को बढ़ावा देकर पर्यावरण और पर्यटन के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की जा रही है।
मगर यह तभी सफल होगा जब स्थानीय समुदाय, पर्यटक और सरकार सामूहिक जिम्मेदारी निभाएँ।
5. भविष्य की दिशा
पेरियार राष्ट्रीय उद्यान आने वाली पीढ़ियों के लिए एक जीवित प्राकृतिक प्रयोगशाला है। यदि हम इसे सही तरीके से संरक्षित रखें, तो यह न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकता है कि कैसे प्रकृति और विकास साथ-साथ चल सकते हैं।