POCSO मामले में दिल्ली हाई कोर्ट का बड़ा फैसला : शारीरिक संबंध का मतलब यौन उत्पीड़न नहीं
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TogglePOCSO मामले में दिल्ली हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, हाल में दिल्ली हाई कोर्ट ने शारीरिक संबंध का मतलब नहीं उत्पीड़न नहीं कहकर POCSO मामले के आरोपी को बरी किया |
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!पोक्सो एक्ट मामले में दिल्ली हाईकोर्ट नहीं है क्या है की नाबालिक ने स्पष्ट रूप से यह नहीं कहा कि उनके साथ यौन उत्पीड़न हुआ था तथा मामले को लेकर कोई पुख्ता सबूत भी नहीं मिल पाए हैं.
जिससे कि मामले को खारिज करते हुए यह कहा है कि इस मामले में कोई विवाद कारण नहीं हो सकता जिस कारण आरोपी को रिहा किया गया | और जाने

क्या है पोक्सो ( POCSO ) मामला ?
POCSO मामला एक प्रकार का एक्ट होता है अर्थात प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट होता है जो की बच्चों के खिलाफ हो रहे यौन शोषण अथवा होने वाले यौन शोषण के खिलाफ अपराध बनता है |
* Note : पोक्सो एक्ट का कानून 18 साल से कम उम्र के लड़के और लड़के दोनों पर लागू होता है |
• पोक्सो एक्ट के तहत किए गए अपराध अति गंभीर श्रेणी के अंतर्गत आते हैं जिसके अंतर्गत कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है अगर यौन अपराध ज्यादा ही गंभीर हो जाता है इस मामले में मौत की सजा का भी प्रावधान किया गया है |
पोक्सो एक्ट से जुड़ी कुछ खास बातें
• इस मामले में सबसे पहले पुलिस पीड़िता की मेडिकल जांच कराती है.
* POCSO को एक्ट के तहत मामला दर्ज करने के लिए पीड़िता को सबसे पहले पुलिस के पास शिकायत तो दर्ज करनी होती है.
• इसके बाद पीड़िता और गवाहों को कोर्ट में गवाही देने के लिए बुलाया जाता है.
• पुलिस इस मामले की गंभीरता से जांच करती है तथा सबूत को इकट्ठा करती है.
Note : पोक्सो अधिनियम बच्चों के साथ हो रहे यौन शोषण के अपराधों से बचाने का प्रावधान है यह कानून ने सिर्फ बच्चों के लिए है बल्कि बालिकाओं के साथ भी हो रहे शोषण अपराधों से सुरक्षा देने का भी प्रावधान है.
* पोक्सो एक्ट के तहत सजा से संबंधित कुछ प्रावधान
* पोक्सो एक्ट में कितनी सजा का प्रावधान हो सकता है?
उत्तर : इसके अंतर्गत पोक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत अपराध गंभीर पेनिट्रेटिव यौन हमले के मामले मे कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान है तथा यह सजा 20 साल की सजा और इसमें उम्र कैद और फांसी की सजा का भी प्रावधान हो सकता है.
Note : पोक्सो कानून के तहत अगर किसी अपराधी को उम्र कैद की सजा हो जाती है तो अपराधी को जिंदा रहने तक जेल में रहना होगा |
• पोक्सो एक्ट के मामले में गिरफ्तारी कब होती है ?
उत्तर : इसके अंतर्गत पोक्सो एक्ट की धारा 7 और 8 के अंतर्गत इस बात का प्रावधान किया गया है कि अगर बच्चों के गुप्तांग में चोट पहुंचाई जाती है तो 18 साल से कम किसी भी मासूम के साथ अगर अत्याचार होता है.
तो वह पोक्सो एक्ट के तहत आएगा |
Note: इस मामले के तहत अगर पीड़िता के द्वारा मामला पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज कराया जाता है तो इस कानून के लगने पर तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान है | Click Here
• पोक्सो एक्ट के अंतर्गत कितने दिन में जमानत हो सकती है?
उत्तर : इस मामले के अंतर्गत आरोपी को कुछ शर्तों का सामना करना पड़ता है जिससे कि दो हफ्ते में 2 दिन जमानत का प्रावधान है.
• क्या पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामले को वापस लिया जा सकता है?
उत्तर : नहीं, अगर पोक्सो एक्ट के तहत कोई मामला दर्ज हो जाता है तो इस मामले को वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं है क्योंकि इसमें यह गैर समझौता योग्य अपराध है.
हां अगर दोनों पक्ष समझौते पर आ जाए तो उच्च न्यायालय से इस मामले को रद्द करने का प्रयास किया जा सकता है.
• क्या पोक्सो एक्ट के मामले में किसी व्यक्ति को जमानत मिल सकती है ?
उत्तर : पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामले में किसी भी जमानत का प्रावधान नहीं है जिसके अंतर्गत दोषी को कड़ी से कड़ी सजा दिए जाने का प्रावधान है.
इसके अंतर्गत अगर कोई भी व्यक्ति अपराध की श्रेणी में आ जाता है तो उस पर न्यूनतम 3 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है.
• पोक्सो एक्ट में कितना पैसा मिलता है ?
उत्तर : इस मामले में पोक्सो अधिनियम की धारा 33 ( 8 ) के अंतर्गत विशेष अदालत के द्वारा 1,00,000 रुपए देने का प्रावधान किया.
• पोक्सो एक्ट के तहत अपना बयान बदलने पर कौन सी धारा लगती है?
उत्तर : इस मामले के तहत अगर किसी पीड़ित ने अपने बयान को बदल लिया है तो इसका मतलब यह नहीं है कि कैसे खत्म हो जाएगा कोर्ट इन सभी मामलों पर विचार करेगी जिसमें उसे पीड़ित का बयान भी शामिल होगा.
धारा 376 किससे संबंधित है.?
उत्तर : धारा 376 बलात्कार से संबंधित है.
• पोक्सो एक्ट के तहत कौन-कौन सी धाराएं लग सकती है?
उत्तर : इस मामले के तहत पोक्सो कानून की धारा 7 के अंतर्गत स्पर्श करना एक अलग अपराध की श्रेणी में आता है तथा मौजूदा मामले में व्यक्ति को 2020 में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 जो की बलात्कार से संबंधित है .
पोक्सो अधिनियम की धारा 6 जोगी गंभीर यौन उत्पीड़न से संबंधित है के लिए अपराधी को दोषी ठहराया जा सकता है.
• किसी भी अपराधी को धारा 376 के तहत कैसे जमानत मिलती है?
उत्तर : धारा 376 के अंतर्गत किए गए अपराध गैर जमानती की श्रेणी में आते हैं जिसका अर्थ है इसके अंतर्गत किए गए अपराधों के लिए कोई जमानत का प्रावधान नहीं है/
इनसे संबंधित मामलों में न्यायाधीश अपराधी को तभी जमानत दे सकता है तो उसे पर लगे अपराधों की परिस्थितियों उचित हो |
• पोक्सो नियमों के अंतर्गत नियम 4 क्या है?
उत्तर : पोक्सो नियमो के अंतर्गत नियम 4 (4) पेश किए जाने पर CWC को तीन दिनों के भीतर यानी निर्धारित करना होता है कि क्या बच्चे को परिवार या साझा घर की हिरासत से निकलकर बाल ग्रह या आश्रय गृह में रखा जाना चाहिए.
• लड़कियों को परेशान करने पर कौन सी धारा लगती है?
उत्तर : आईपीसी की धारा 354 के अंतर्गत या प्रावधान किया गया है कि अगर किसी महिला को सार्वजनिक स्थानों जैसे कि बस, रेलगाड़ी, सड़क आदि पर परेशान किया जाता है .
यह छेड़खानी की जाती है या अभद्र व्यवहार किया जाता है या कोई अभद्र टिप्पणी की जाती है तो उसे शिकायत दर्ज करने का अधिकार है.
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