बोंगोसागर 2025: भारत-बांग्लादेश नौसैनिक सहयोग का एक नया अध्याय
बोंगोसागर 2025: भारत और बांग्लादेश के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए ‘बोंगोसागर 2025’ नौसैनिक अभ्यास हाल ही में बंगाल की खाड़ी में आयोजित किया गया। इस संयुक्त सैन्य अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच आपसी समन्वय बढ़ाना, समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखना था।
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Toggleभारतीय नौसेना की ओर से आईएनएस रणवीर और बांग्लादेश की नौसेना की ओर से बीएनएस अबू उबैदा ने इस महत्वपूर्ण अभ्यास में भाग लिया।
इस अभ्यास के तहत सतही गोलीबारी, सामरिक युद्धाभ्यास, संचार अभ्यास, और आपसी तालमेल बढ़ाने के लिए विभिन्न तकनीकी प्रक्रियाओं का अभ्यास किया गया। यह न केवल सैन्य रणनीतियों को विकसित करने का अवसर प्रदान करता है बल्कि दोनों देशों को समुद्र में उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर तैयार करता है।
1. बोंगोसागर 2025 अभ्यास: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और महत्व
बोंगोसागर 2025: भारत और बांग्लादेश दोनों ही राष्ट्र हिंद महासागर क्षेत्र में महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक स्थिति रखते हैं। समुद्री व्यापार, रणनीतिक जलमार्गों और क्षेत्रीय स्थिरता के संदर्भ में बंगाल की खाड़ी का विशेष महत्व है। भारत और बांग्लादेश के बीच पहला ‘बोंगोसागर’ नौसैनिक अभ्यास 2019 में हुआ था और तब से यह दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन गया है।
महत्व के प्रमुख बिंदु:
यह अभ्यास दोनों देशों की नौसेनाओं को साझा समुद्री चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाता है।
यह समुद्री डकैती, अवैध मछली पकड़ने और आतंकवाद जैसे मुद्दों से निपटने के लिए एक सहयोगी रणनीति विकसित करने में मदद करता है।
यह भारत की ‘सागर’ (Security and Growth for All in the Region) पहल के उद्देश्यों को भी साकार करता है।
2. इस वर्ष के बोंगोसागर 2025 अभ्यास में भाग लेने वाले पोत
1. आईएनएस रणवीर (INS Ranveer) – भारतीय नौसेना
आईएनएस रणवीर भारतीय नौसेना का एक प्रमुख विध्वंसक (Destroyer) जहाज है। यह कई प्रकार की मिसाइल प्रणालियों, तोपों और सेंसर से लैस है, जिससे यह समुद्री युद्ध में एक शक्तिशाली भूमिका निभाता है।
2. बीएनएस अबू उबैदा (BNS Abu Ubaidah) – बांग्लादेश नौसेना
बीएनएस अबू उबैदा बांग्लादेश नौसेना का एक आधुनिक युद्धपोत है, जिसे समुद्री गश्त, सुरक्षा अभियानों और युद्धक रणनीतियों के लिए तैयार किया गया है।
दोनों पोतों की भागीदारी इस बात को दर्शाती है कि भारत और बांग्लादेश अपनी नौसेनाओं को अत्याधुनिक तकनीकों से लैस कर रहे हैं और भविष्य में समुद्री सहयोग को और अधिक गहरा बना रहे हैं।
3. बोंगोसागर 2025 में प्रमुख गतिविधियाँ
इस वर्ष के अभ्यास में कई महत्वपूर्ण युद्धाभ्यास और तकनीकी गतिविधियाँ शामिल थीं, जिनका उद्देश्य आपसी समन्वय और युद्धक क्षमता को मजबूत करना था।
(A) सामरिक युद्धाभ्यास (Tactical Maneuvers)
दोनों देशों की नौसेनाओं ने समुद्री युद्ध के विभिन्न परिदृश्यों का अभ्यास किया।
इसमें आक्रामक और रक्षात्मक दोनों प्रकार की रणनीतियाँ शामिल थीं।
नौसैनिक जहाजों के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए जटिल रणनीतिक अभ्यास किए गए।
(B) सतही गोलीबारी (Surface Firing Exercise)
दोनों नौसेनाओं ने लक्ष्य पर सटीक निशाना साधने की क्षमता को परखा।
आईएनएस रणवीर और बीएनएस अबू उबैदा ने अपने तोपखाने का उपयोग करते हुए उच्च स्तरीय फायरिंग ड्रिल्स कीं।
(C) संचार अभ्यास (Communication Drills)
समुद्र में संचार बनाए रखना महत्वपूर्ण होता है।
इस अभ्यास में रेडियो, सिग्नल फ्लैग्स और अन्य नौसैनिक संचार प्रणालियों के माध्यम से आपसी तालमेल की क्षमता का परीक्षण किया गया।
(D) वीबीएसएस ऑपरेशन (Visit, Board, Search, and Seizure – VBSS)
समुद्री डकैती, तस्करी और अवैध गतिविधियों से निपटने के लिए यह अभ्यास किया गया।
इसमें नौसैनिक कमांडो ने एक संदिग्ध जहाज पर चढ़कर तलाशी और नियंत्रण की प्रक्रिया को अंजाम दिया।
(E) लॉजिस्टिक सपोर्ट और पुनःपूर्ति (Replenishment at Sea)
युद्धकालीन परिस्थितियों में समुद्र में ईंधन और आवश्यक आपूर्ति की आपूर्ति का अभ्यास किया गया।
यह तकनीक नौसैनिक जहाजों को लंबे समय तक समुद्र में अभियान चलाने में सक्षम बनाती है।

4. बोंगोसागर 2025 का रणनीतिक महत्व
(A) समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना
बंगाल की खाड़ी में सुरक्षा सुनिश्चित करना भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए आवश्यक है। यह अभ्यास समुद्री डकैती, मानव तस्करी और आतंकवादी खतरों से निपटने में सहायक होगा।
(B) भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ को बढ़ावा
भारत की एक्ट ईस्ट नीति के तहत, दक्षिण एशिया और आसियान देशों के साथ समुद्री सहयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। बोंगोसागर 2025 इस रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
(C) संयुक्त अभियानों की क्षमता में वृद्धि
यह अभ्यास आपदा प्रबंधन, समुद्री कानून प्रवर्तन और मानवीय सहायता अभियानों के लिए संयुक्त प्रयासों की क्षमता को मजबूत करता है।
यह अभ्यास दोनों देशों की नौसेनाओं को एकीकृत नौसैनिक अभियानों के लिए तैयार करता है।
5. बोंगोसागर 2025: भारत-बांग्लादेश नौसैनिक संबंधों की दिशा
(A) सैन्य अभ्यासों में बढ़ता सहयोग
बोंगोसागर के अलावा, भारत और बांग्लादेश ‘समन्वित गश्त’ (Coordinated Patrol – CORPAT) भी करते हैं। यह दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के बढ़ते दायरे को दर्शाता है।
(B) बांग्लादेश के साथ रक्षा संबंधों का विस्तार
भारत बांग्लादेश को सैन्य उपकरण, ट्रेनिंग और रणनीतिक सहयोग प्रदान कर रहा है।
हाल ही में भारत ने बांग्लादेश को नौसेना के लिए महत्वपूर्ण सैन्य हार्डवेयर और प्रशिक्षण सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं।
(C) चीन के बढ़ते प्रभाव का संतुलन
बांग्लादेश का चीन के साथ भी रक्षा सहयोग बढ़ रहा है, लेकिन भारत अपने रणनीतिक रिश्तों को मजबूत करके क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखना चाहता है।
बोंगोसागर 2025: संदर्भ में महत्वपूर्ण 5 प्रमुख बिंदु
भारत-बांग्लादेश नौसेनाओं के बीच हुए बोंगोसागर 2025 अभ्यास ने क्षेत्रीय सुरक्षा और रणनीतिक सहयोग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। यह अभ्यास केवल एक सैन्य गतिविधि नहीं बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण कदम भी है।
बोंगोसागर 2025: क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा में भारत-बांग्लादेश की साझेदारी
(A) हिंद महासागर में सुरक्षा चुनौतियाँ
बंगाल की खाड़ी में समुद्री डकैती, मानव तस्करी, मादक पदार्थों की तस्करी, और अवैध मछली पकड़ने जैसी समस्याएँ बनी रहती हैं।
चीन की बढ़ती नौसैनिक उपस्थिति और क्षेत्रीय जलक्षेत्रों में उसका प्रभाव भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए रणनीतिक चिंता का विषय है।
(B) साझा सुरक्षा रणनीति
बोंगोसागर अभ्यास में समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए संयुक्त गश्त, खुफिया सूचना साझा करना और नौसैनिक क्षमताओं का आदान-प्रदान किया गया।
इस अभ्यास से दोनों देशों की नौसेनाओं को तेजी से प्रतिक्रिया देने, आतंकवाद विरोधी अभियानों को अंजाम देने और समुद्री व्यापार मार्गों की रक्षा करने में मदद मिलेगी।
2. बोंगोसागर 2025: भारत-बांग्लादेश रक्षा सहयोग में बढ़ोतरी
(A) सैन्य अभ्यासों की बढ़ती संख्या
बोंगोसागर के अलावा, भारत और बांग्लादेश समन्वित गश्त (CORPAT) जैसे अभियानों में भी सहयोग कर रहे हैं।
दोनों देशों के बीच सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों, रक्षा उपकरणों की आपूर्ति, और तकनीकी सहयोग में निरंतर वृद्धि हो रही है।
(B) बांग्लादेश को सैन्य सहायता और प्रशिक्षण
भारतीय नौसेना नियमित रूप से बांग्लादेशी नौसैनिक अधिकारियों को प्रशिक्षित कर रही है।
भारत ने हाल ही में बांग्लादेश को गश्ती नौकाएं, रडार सिस्टम और संचार उपकरण प्रदान किए हैं।
(C) सामरिक महत्व
यह सहयोग न केवल द्विपक्षीय स्तर पर फायदेमंद है बल्कि भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ और ‘सागर (SAGAR) पहल’ को भी मजबूती देता है।
इससे बांग्लादेश, चीन के बढ़ते प्रभाव का संतुलन बनाए रखते हुए भारत के साथ अपने रक्षा संबंधों को मजबूत कर सकता है।
3. बोंगोसागर 2025: नौसेनिक युद्धक क्षमता में सुधार
(A) संयुक्त युद्धाभ्यास और सामरिक प्रशिक्षण
इस अभ्यास में सतही गोलीबारी, टारगेट फायरिंग, सामरिक युद्धाभ्यास, समुद्र में पुनःपूर्ति और आपसी संचार के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया।
इन गतिविधियों से दोनों देशों की नौसेनाओं की युद्धक दक्षता में सुधार हुआ है।
(B) विजिट-बोर्ड-सर्च-सीजर (VBSS) ऑपरेशन
इस ऑपरेशन के तहत संदिग्ध जहाजों पर सवार होकर तलाशी लेना, अवैध गतिविधियों को रोकना और समुद्री डकैती जैसी घटनाओं से निपटना शामिल था।
यह प्रशिक्षण आतंकवाद विरोधी अभियानों और समुद्री कानून प्रवर्तन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
(C) संचार और समन्वय अभ्यास
दोनों देशों की नौसेनाओं ने रेडियो संचार, सिग्नल फ्लैग्स और डिजिटल नेटवर्किंग के माध्यम से आपसी समन्वय को बेहतर बनाने पर ध्यान दिया।
इससे किसी भी आपात स्थिति में तेजी से सूचना साझा करने और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होगा।
4. भारत की ‘सागर’ (SAGAR) पहल को बढ़ावा
(A) SAGAR पहल का उद्देश्य
भारत की SAGAR (Security and Growth for All in the Region) पहल का मुख्य उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और विकास सुनिश्चित करना है।
इस पहल के तहत भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ समुद्री सहयोग को मजबूत कर रहा है।
(B) भारत-बांग्लादेश के संबंधों में प्रभाव
बोंगोसागर अभ्यास भारत-बांग्लादेश नौसेनिक साझेदारी को मजबूत बनाते हुए क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देता है।
इससे बंगाल की खाड़ी में सुरक्षित नौवहन, समुद्री व्यापार और रणनीतिक सहयोग को सुनिश्चित किया जा सकता है।
(C) हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की भूमिका
भारत हिंद महासागर में एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभर रहा है और यह अभ्यास इस क्षेत्र में भारत की नेतृत्व क्षमता को मजबूत करता है।
इससे अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और आसियान देशों के साथ रक्षा सहयोग के नए अवसर भी खुल सकते हैं।
5. बोंगोसागर 2025: भविष्य में भारत-बांग्लादेश नौसैनिक संबंधों की दिशा
(A) नियमित संयुक्त अभ्यासों की संभावना
आने वाले वर्षों में बोंगोसागर और अन्य नौसेनिक अभ्यासों की संख्या में वृद्धि हो सकती है।
भारत और बांग्लादेश मिलकर साइबर सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और ड्रोन तकनीक के क्षेत्र में भी सहयोग कर सकते हैं।
(B) रक्षा औद्योगिक सहयोग
भारत अपनी रक्षा उत्पादन क्षमता को बढ़ा रहा है और बांग्लादेश को स्वदेशी रक्षा उत्पादों की आपूर्ति कर सकता है।
इससे बांग्लादेश को कम लागत में अत्याधुनिक सैन्य उपकरण मिल सकेंगे और भारत के रक्षा उद्योग को नया बाजार मिलेगा।
(C) क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान
भारत और बांग्लादेश का बढ़ता नौसेनिक सहयोग मालदीव, श्रीलंका और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकता है।
इससे क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग, आपदा प्रबंधन और समुद्री कानून प्रवर्तन को और मजबूत किया जा सकता है।
(D) चीन के प्रभाव का संतुलन
चीन लगातार बांग्लादेश के साथ रक्षा सहयोग और बुनियादी ढांचे में निवेश कर रहा है।
भारत अपने मजबूत नौसैनिक संबंधों के जरिए बांग्लादेश को रणनीतिक रूप से अपने करीब बनाए रखना चाहता है।
(E) हिंद महासागर में शक्ति संतुलन
इस अभ्यास से भारत-बांग्लादेश की नौसेनाओं को एक विश्वसनीय समुद्री शक्ति के रूप में उभरने में मदद मिलेगी।
इससे हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को नियंत्रित करने में भारत को रणनीतिक बढ़त मिलेगी।
निष्कर्ष
बोंगोसागर 2025 भारत और बांग्लादेश के बीच नौसैनिक सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाने वाला एक महत्वपूर्ण अभ्यास साबित हुआ है। इस अभ्यास ने दोनों देशों की नौसेनाओं को न केवल तकनीकी और सामरिक स्तर पर सशक्त बनाया, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता को भी मजबूत किया।
बोंगोसागर 2025 मुख्य उपलब्धियाँ:
संयुक्त नौसैनिक अभियानों की प्रभावशीलता में सुधार।
समुद्री चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर समन्वय।
भारत की ‘सागर’ पहल और ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ को समर्थन।
क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बढ़ावा।
यह स्पष्ट है कि आने वाले वर्षों में भारत और बांग्लादेश का नौसैनिक सहयोग और अधिक मजबूत होगा, जिससे न केवल द्विपक्षीय संबंधों को लाभ होगा, बल्कि पूरे हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और शांति स्थापित होगी।
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