बोडो शांति समझौता: 100% पूरा होने से पहले कौन सी बड़ी चुनौतियाँ बाकी हैं?
असम के बोडो बहुल इलाकों में दशकों से चली आ रही उथल-पुथल और हिंसा के बाद, 2020 में केंद्र सरकार, असम सरकार और बोडो संगठनों के बीच ऐतिहासिक बोडो शांति समझौता हुआ।
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Toggleइस समझौते का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित करना, राजनीतिक स्थिरता लाना और बोडो समुदाय की सांस्कृतिक, भाषाई और आर्थिक मांगों को पूरा करना था।
हाल ही में सरकार ने घोषणा की कि समझौते के 82% प्रावधान सफलतापूर्वक लागू किए जा चुके हैं और शेष 18% प्रावधानों को अगले दो वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य है। यह एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि इससे न केवल असम में शांति बहाल हुई है, बल्कि बोडो समुदाय का प्रशासनिक और विकासात्मक सशक्तिकरण भी हुआ है।
यहाँ पर हम बोडो शांति समझौते की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, प्रमुख प्रावधानों, अब तक की प्रगति और शेष कार्यों और महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर की विस्तार से चर्चा करेंगे।
बोडो आंदोलन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
बोडो समुदाय असम की सबसे बड़ी जनजातीय समूहों में से एक है और राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 6% हिस्सा बनाते हैं। यह समुदाय मुख्य रूप से कोकराझार, बक्सा, चिरांग और उदलगुरी जिलों में केंद्रित है, जिन्हें बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (BTR) के रूप में जाना जाता है।
बोडो लोगों की लंबे समय से एक अलग प्रशासनिक इकाई या स्वतंत्र राज्य की मांग रही है। उनका दावा था कि उनकी भाषा, संस्कृति और आर्थिक विकास को उचित संरक्षण नहीं मिला है। इस मांग ने 1960 के दशक के बाद से कई आंदोलनों और हिंसक संघर्षों को जन्म दिया।
बोडो आंदोलन के प्रमुख चरण
1. 1967 में ABSU (All Bodo Students’ Union) का गठन:
इस संगठन ने बोडो लोगों की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान को बनाए रखने की दिशा में काम किया।
धीरे-धीरे इसने अलग बोडोलैंड राज्य की मांग उठाई।
2. 1987 में उग्रवाद की शुरुआत:
ABSU के नेतृत्व में बोडो उग्रवादियों ने असम सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज किया।
1989 में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (NDFB) का गठन हुआ, जिसने सशस्त्र संघर्ष की राह अपनाई।
3. 1993 में पहला बोडो समझौता:
केंद्र और असम सरकार ने बोडोलैंड ऑटोनॉमस काउंसिल (BAC) का गठन किया।
यह असफल रहा, क्योंकि इसमें बोडो समुदाय की प्रमुख मांगें पूरी नहीं हुईं।
4. 2003 में दूसरा बोडो समझौता:
इस समझौते के तहत बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (BTC) का गठन हुआ।
BTC को संविधान की छठी अनुसूची के तहत स्वायत्तता दी गई, लेकिन फिर भी असंतोष बना रहा।
5. 2020 में ऐतिहासिक बोडो शांति समझौता:
यह समझौता NDFB के सभी गुटों, ABSU, यूनाइटेड बोडो पीपल्स ऑर्गेनाइजेशन (UBPO) और सरकार के बीच हुआ।
इसका उद्देश्य बोडो समस्या का स्थायी समाधान निकालना था।
2020 बोडो शांति समझौते के प्रमुख प्रावधान
2020 के समझौते में बोडो समुदाय की मांगों को ध्यान में रखते हुए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए।
1. बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (BTR) का गठन
बोडोलैंड टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट्स (BTAD) का नाम बदलकर बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (BTR) कर दिया गया।
BTR के अंतर्गत कोकराझार, बक्सा, चिरांग और उदलगुरी जिले आते हैं।
नए क्षेत्रों के समावेश और बहिर्गमन के लिए एक आयोग का गठन किया गया।
2. बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (BTC) की सीटों में वृद्धि
BTC की सीटों को 40 से बढ़ाकर 60 कर दिया गया।
इससे बोडो समुदाय को बेहतर राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिला।
3. आर्थिक पैकेज और विकास योजनाएँ
केंद्र सरकार ने ₹1500 करोड़ के विशेष पैकेज की घोषणा की।
इस फंड का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना और रोजगार सृजन में किया जा रहा है।
4. NDFB कैडरों का पुनर्वास
लगभग 1500 उग्रवादियों ने हथियार डाले और मुख्यधारा में शामिल हुए।
उन्हें पुनर्वास और कौशल विकास की सुविधा दी गई।
5. बोडो भाषा को आधिकारिक भाषा का दर्जा
बोडो भाषा को देवनागरी लिपि में असम की सह-आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया।
बोडो भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए विशेष निदेशालय की स्थापना की गई।
6. बोडो कछारी वेलफेयर काउंसिल का गठन
BTR के बाहर रहने वाले बोडो लोगों के विकास के लिए वेलफेयर काउंसिल बनाई गई।
इससे असम में बोडो समुदाय की समग्र उन्नति सुनिश्चित होगी।
अब तक की प्रगति: 82% प्रावधान पूरे
सरकार के अनुसार, बोडो शांति समझौता के 82% प्रावधानों को सफलतापूर्वक लागू कर दिया गया है।
अब तक हुए प्रमुख कार्य:
1. BTC सीटों की वृद्धि: 60 सीटों पर प्रशासनिक प्रक्रिया शुरू हो गई है।
2. ₹1500 करोड़ पैकेज का कार्यान्वयन: सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य परियोजनाएँ जारी हैं।
3. NDFB कैडरों का पुनर्वास: 1500 से अधिक पूर्व उग्रवादी सरकारी योजनाओं से लाभान्वित हो रहे हैं।
4. बोडो भाषा का आधिकारिक दर्जा: स्कूलों में बोडो भाषा को लागू किया गया है।
शेष कार्य और भविष्य की चुनौतियाँ (अगले दो वर्षों में पूर्ण किए जाने वाले कार्य)
1. नए क्षेत्रों का समावेश
BTR के क्षेत्रीय विस्तार पर फैसला अभी लंबित है।
विभिन्न समुदायों की सहमति के आधार पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
2. पूर्ण आर्थिक विकास
₹1500 करोड़ का संपूर्ण उपयोग अब तक नहीं हुआ है।
सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों में और अधिक निवेश की जरूरत है।
3. राजनीतिक स्थिरता
BTC में सभी समुदायों के प्रतिनिधित्व का संतुलन बनाए रखना जरूरी है।
बोडो और गैर-बोडो समुदायों के बीच विश्वास बहाली महत्वपूर्ण है।
4. शांति और सामाजिक समरसता
कुछ संगठन अभी भी असंतुष्ट हैं और नए आंदोलनों की चेतावनी दे रहे हैं।
सरकार को सभी गुटों को संतुष्ट करने की रणनीति अपनानी होगी।

बोडो शांति समझौते से जुड़े 10 महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके विस्तृत उत्तर
1. बोडो शांति समझौता क्या है?
उत्तर: बोडो शांति समझौता एक ऐतिहासिक समझौता है, जिसे 27 जनवरी 2020 को भारत सरकार, असम सरकार और बोडो संगठनों के बीच किया गया था।
बोडो शांति समझौता का उद्देश्य असम में बोडो समुदाय से जुड़े विवादों और उग्रवाद को समाप्त करना था। बोडो शांति समझौता के तहत बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (BTR) का गठन हुआ, बोडो भाषा को सह-आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया, और बोडो समुदाय के आर्थिक और राजनीतिक विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए।
2. बोडो आंदोलन क्यों शुरू हुआ था?
उत्तर: बोडो आंदोलन की शुरुआत 1960 के दशक में हुई थी, जब बोडो समुदाय ने असम में अपनी पहचान, भाषा और सांस्कृतिक अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए संघर्ष शुरू किया।
बोडो लोगों की मांग थी कि उन्हें एक अलग राज्य ‘बोडोलैंड’ दिया जाए, क्योंकि वे खुद को असमिया संस्कृति से अलग मानते थे। यह आंदोलन धीरे-धीरे उग्रवाद में बदल गया और 1987 में NDFB (National Democratic Front of Bodoland) नामक उग्रवादी संगठन ने हिंसक रास्ता अपना लिया।
3. बोडो शांति समझौते के प्रमुख बिंदु क्या हैं?
उत्तर: बोडो शांति समझौता के तहत कई महत्वपूर्ण बिंदु तय किए गए:
- बोडोलैंड टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट्स (BTAD) का नाम बदलकर BTR किया गया।
बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (BTC) की सीटों को 40 से बढ़ाकर 60 किया गया।
बोडो भाषा को असम की सह-आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया।
केंद्र सरकार ने बोडो समुदाय के विकास के लिए ₹1500 करोड़ का पैकेज दिया।
1500 से अधिक NDFB उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया और उनका पुनर्वास किया गया।
4. बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (BTR) क्या है?
उत्तर: बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (BTR) असम का एक स्वायत्तशासी क्षेत्र है, जो कोकराझार, बक्सा, चिरांग और उदलगुरी जिलों में फैला हुआ है। यह क्षेत्र बोडो समुदाय के प्रशासनिक और सांस्कृतिक अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया था। BTR की देखरेख बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (BTC) द्वारा की जाती है, जो छठी अनुसूची के तहत स्वायत्तता प्राप्त है।
5. बोडो भाषा को आधिकारिक भाषा का दर्जा क्यों दिया गया?
उत्तर: बोडो भाषा असम के बोडो समुदाय की प्रमुख भाषा है और इसे लंबे समय से आधिकारिक मान्यता देने की मांग की जा रही थी। 2020 के बोडो शांति समझौता में यह तय किया गया कि बोडो भाषा को देवनागरी लिपि में असम की सह-आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया जाएगा। इसका उद्देश्य बोडो संस्कृति और भाषा को संरक्षित करना और इसे शिक्षा तथा प्रशासन में अधिक प्रचलित करना था।
6. बोडो समझौते से असम में शांति कैसे आई?
उत्तर: बोडो शांति समझौता के बाद उग्रवादी गुटों ने आत्मसमर्पण किया और सरकार द्वारा पुनर्वास योजनाओं का लाभ उठाया। इसके कारण:
- हिंसक घटनाओं में कमी आई।
बोडो और गैर-बोडो समुदायों के बीच तनाव कम हुआ।
विकास परियोजनाएँ शुरू हुईं, जिससे रोजगार के अवसर बढ़े।
शिक्षा और आधारभूत संरचना में सुधार हुआ।
इस प्रकार, यह बोडो शांति समझौता बोडो समुदाय और सरकार के बीच भरोसे को मजबूत करने में सफल रहा।
7. क्या सभी बोडो गुट इस समझौते से संतुष्ट हैं?
उत्तर: हालांकि बोडो शांति समझौता को व्यापक समर्थन मिला, लेकिन कुछ गुट इससे पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। उदाहरण के लिए, कुछ उग्रवादी संगठन और स्थानीय राजनीतिक दल यह मानते हैं कि उनकी सभी मांगें पूरी नहीं हुईं। इसके अलावा, कुछ गैर-बोडो समुदायों को यह चिंता है कि बोडो समुदाय को अधिक विशेषाधिकार दिए जा रहे हैं।
8. बोडो शांति समझौते के तहत आर्थिक पैकेज का उपयोग कैसे किया जा रहा है?
उत्तर: सरकार ने बोडो क्षेत्र के विकास के लिए ₹1500 करोड़ का विशेष पैकेज घोषित किया। इसका उपयोग निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जा रहा है:
- सड़क, पुल और आधारभूत संरचना निर्माण।
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार।
बोडो भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए संस्थानों की स्थापना।
पूर्व उग्रवादियों के पुनर्वास और रोजगार सृजन।
9. बोडो शांति समझौते के तहत अब तक कितनी प्रगति हुई है?
उत्तर: सरकार के अनुसार, 2020 में हुए बोडो शांति समझौते के 82% प्रावधान पूरे हो चुके हैं। इनमें शामिल हैं:
- BTC की सीटों में वृद्धि।
बोडो भाषा को सह-आधिकारिक भाषा का दर्जा।
1500 से अधिक उग्रवादियों का पुनर्वास।
असम में विकास परियोजनाओं की शुरुआत।
शेष 18% कार्य, जैसे कि BTR के क्षेत्रीय विस्तार और आर्थिक पैकेज के संपूर्ण उपयोग, अगले दो वर्षों में पूरे किए जाने की योजना है।
10. बोडो शांति समझौते का भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर: बोडो शांति समझौता का भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है:
- पूर्वोत्तर में उग्रवाद और हिंसा में भारी कमी आई है।
भारत-बांग्लादेश सीमा पर उग्रवादी गतिविधियाँ घट गई हैं।
स्थानीय पुलिस और प्रशासन की विश्वसनीयता बढ़ी है।
बोडो समुदाय के युवा मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं।
बोडो शांति समझौता ने भारत सरकार की “Act East Policy” को भी मजबूती दी है, क्योंकि पूर्वोत्तर में शांति और स्थिरता से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
निष्कर्ष
2020 बोडो शांति समझौता असम में लंबे समय से चली आ रही बोडो समस्या का अब तक का सबसे प्रभावी समाधान रहा है। 82% प्रावधानों की पूर्ति इस समझौते की सफलता को दर्शाती है। हालांकि, शेष 18% कार्यों को पूरा करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रशासनिक कुशलता की जरूरत होगी।
अगर यह बोडो शांति समझौता पूरी तरह लागू हो जाता है, तो यह असम और पूरे पूर्वोत्तर भारत में शांति और विकास के नए युग की शुरुआत करेगा।
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