भारतीय संस्कृति एवं उसका महत्व
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भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन और समृद्ध संस्कृतियों में से एक है, जो हजारों वर्षों से चली आ रही है। इस संस्कृति की विविधता, सहिष्णुता, आध्यात्मिकता और समन्वय का प्रतीक है।
भारत में विकसित हुई भारत की प्राचीन सांस्कृतिक परंपराएँ वेदों, उपनिषदों, पुराणों, महाकाव्यों, भक्ति और सूफी आंदोलनों, लोक परंपराओं, और आधुनिक समाज सुधार आंदोलनों के माध्यम से निखर कर दुनिया के समक्ष प्रस्तुत हुई हैं।
यहाँ पर हम भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं, उसकी विशेषताओं, वैश्विक प्रभाव, चुनौतियों और इसके संरक्षण के उपायों पर विस्तार पूर्वक चर्चा कर रहे हैं. यहाँ पर जो भी जानकारी उपलब्ध कराई जा रही हैं |

वह आपको भारत की प्राचीन संस्कृति को समझने में एक अच्छी समझ विकसित करेगी.
1. भारतीय संस्कृति की परिभाषा
संस्कृति किसी भी समाज की जीवनशैली, मूल्यों, परंपराओं, कला, साहित्य, संगीत, नृत्य, भाषाओं, धार्मिक मान्यताओं, विज्ञान और तकनीक का समग्र रूप होती है,
जो वहाँ की प्राचीन परम्परा को बचाकर दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करती हैं. भारतीय संस्कृति की विशेषता इसकी बहुलता, समन्वय और सहिष्णुता में निहित है.
भारतीय संस्कृति की समझ विकसित करने के लिए हम निम्नलिखित दिए गये प्रमुख तत्वों का सहारा ले सकते है:
* आध्यात्मिकता और धर्म
* कला और साहित्य
* संगीत और नृत्य
* भाषाएँ और लिपियाँ
•पर्व और त्योहार
•खान-पान और वेशभूषा
2. भारतीय संस्कृति का ऐतिहासिक विकास
भारतीय संस्कृति का प्राचीन इतिहास हजारों सालों पुराना है और इसकी अच्छी समझ विकसित करने के लिए इसको कई चरणों में विभाजित किया गया है:
(i) प्राचीन भारत (सिंधु घाटी से वैदिक काल तक)
सिंधु घाटी सभ्यता (2500-1500 ईसा पूर्व) में समृद्ध शहरी संस्कृति, कला और व्यापार की झलक देखने को मिलती है.
वैदिक काल (1500-600 ईसा पूर्व) में प्राचीन वेदों की रचना हुई, जो भारतीय दर्शन, धर्म और समाज व्यवस्था की नींव बनकर दुनिया के सामने आये.
(ii) महाजनपद से गुप्त काल तक (600 ईसा पूर्व – 500 ईस्वी)
इस दौरान भारत में धर्म में फैली कुरीतियाँ अपनी चरम सीमा पर थी इन कुरीतियों के निपटने के लिए यहाँ पर बौद्ध और जैन धर्म का उदय हुआ, जिसने भारतीय समाज को प्रभावित किया.
मौर्य और गुप्त साम्राज्य ने कला, वास्तुकला और साहित्य को बढ़ावा दिया.
(iii) मध्यकालीन भारत (700-1700 ईस्वी)
इस दौरान यहाँ पर भक्ति आंदोलन और सूफी परंपराओं ने धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा दिया।
वहीं दूसरी ओर भारत में इस समय मुगल काल में कला, संगीत, और वास्तुकला के स्वर्ण युग का उदय हुआ.
(iv) आधुनिक भारत (1750 ईस्वी से वर्तमान तक)
ज़ब हमारे देश में ब्रिटिश शासन का दौर चल रहा था वहीं दूसरी ओर भारतीय समाज में पश्चिमी प्रभाव बढ़ा।
स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रवाद ने संस्कृति को नया आयाम दिया। Read more…
3. भारतीय संस्कृति के प्रमुख तत्व
(i) धर्म और आध्यात्मिकता
•हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख धर्मों की उत्पत्ति भारत में हुई।
* इस्लाम, ईसाई धर्म, पारसी और यहूदी धर्म के अनुयायी भी सदियों से यहाँ रहते आए हैं।
* भारतीय संस्कृति में हमेशा धर्म सहिष्णुता और सर्वधर्म समभाव की भावना देखी जाती है।
(ii) भाषा और साहित्य
•भारत में 22 आधिकारिक भाषाएँ और 1600 से अधिक बोलियाँ बोली जाती हैं।
•यहाँ पर बोली जाने वाली कई भाषाओ को शास्त्रीय एवं साहित्यिक भाषा का दर्जा प्राप्त है. इन भाषाओ में संस्कृत, तमिल, हिंदी, बंगाली, उर्दू, मराठी आदि प्रमुख साहित्यिक भाषाएँ हैं।
* वेद, उपनिषद, महाकाव्य (रामायण, महाभारत), कालिदास की रचनाएँ, संत साहित्य आदि भारतीय साहित्य की अमूल्य धरोहर रही हैं।
(iii) कला और संगीत
•यहाँ के प्राचीनतम भरतनाट्यम, कथक, कुचिपुड़ी, ओडिसी, मणिपुरी, मोहिनीअट्टम जैसे शास्त्रीय नृत्य प्रसिद्ध हैं।
•हिंदुस्तानी और कर्नाटिक संगीत की समृद्ध परंपरा है. प्राचीन भारत में संगीत परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए हिंदुस्तानी और कर्नाटक संगीत की शुरुआत की गयी थी.
•अजंता-एलोरा की गुफाएँ, खजुराहो और कोणार्क मंदिर भारतीय वास्तुकला की उत्कृष्ट कृतियाँ हैं।
(iv) खान-पान और वेशभूषा
•भारतीय भोजन अपनी विविधता और मसालों के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।
•उत्तर भारत में पाया जाने वाला पराठा, दक्षिण में डोसा, पश्चिम में ढोकला, पूर्व में मोमोज सबसे लोकप्रिय हैं।
•पारंपरिक परिधान में साड़ी, धोती, कुर्ता, और विभिन्न क्षेत्रीय पोशाकें शामिल हैं।
(v) पर्व और त्योहार
•भारत में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध और जैन धर्मों के त्योहार मनाए जाते हैं।
•दिवाली, होली, ईद, क्रिसमस, गुरुपर्व, पोंगल, बिहू, लोहड़ी आदि सांस्कृतिक एकता का प्रतीक हैं।
4. भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ
(i) विविधता में एकता
भारत में भिन्न-भिन्न जाति, धर्म, भाषा, परंपराओं के लोग रहते हैं, लेकिन सभी भारतीय संस्कृति की एक धारा में जुड़े हुए हैं।
(ii) सहिष्णुता और समन्वय
भारत में अलग-अलग विचारधाराओं और धर्मों को स्थान मिला है, जिससे सांस्कृतिक सहिष्णुता की भावना विकसित हुई है।
(iii) पारिवारिक मूल्य और सामाजिक संरचना
संयुक्त परिवार प्रणाली, बड़ों का सम्मान, विवाह संस्था आदि भारतीय समाज के आधारभूत तत्व हैं।
(iv) आध्यात्मिकता और धर्मनिरपेक्षता
धर्म और आध्यात्मिकता भारतीय संस्कृति के मूल में हैं, लेकिन भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है।
5. भारतीय संस्कृति का वैश्विक प्रभाव
(i) योग और ध्यान
योग की उत्पति भारत से हुई है और आज पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
(ii) भारतीय भोजन और मसाले
भारतीय व्यंजन पूरी दुनिया में लोकप्रिय हैं, खासकर करी, दाल, और तंदूरी व्यंजन।
(iii) बॉलीवुड और भारतीय संगीत
भारतीय फिल्में और संगीत पूरी दुनिया में देखे और सुने जाते हैं।

6. भारतीय संस्कृति के समक्ष चुनौतियाँ
(i) पश्चिमीकरण और वैश्वीकरण
आधुनिक जीवनशैली और पश्चिमी प्रभाव के कारण पारंपरिक मूल्यों का क्षरण हो रहा है।
(ii) भाषाई और सांस्कृतिक विविधता का संकट
बढ़ते शहरीकरण के कारण कई स्थानीय भाषाएँ और लोक कलाएँ विलुप्त होने के कगार पर हैं।
(iii) सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण
बढ़ रहे जलवायु परिवर्तन से ऐतिहासिक धरोहरों की उचित देखभाल नहीं होने के कारण उनका क्षरण हो रहा है। Click here…
7. भारतीय संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन
(i) पारंपरिक मूल्यों को बनाए रखना
परिवार और समाज में भारतीय मूल्यों को बढ़ावा देना आवश्यक है।
(ii) कला और साहित्य को प्रोत्साहित करना
लोक कला, नृत्य, संगीत और साहित्य को बढ़ावा देने के लिए सरकारी योजनाएँ चलाई जानी चाहिए।
(iii) भाषा संरक्षण
क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियों को बढ़ावा देना आवश्यक है।
(iv) ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा
सरकार और जनता को मिलकर ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण में योगदान देना चाहिए।
निष्कर्ष
भारतीय संस्कृति केवल एक परंपरा ही नहीं हैं, बल्कि एक विकसित जीवनशैली है। यह विविधता, सहिष्णुता, आध्यात्मिकता और समन्वय का अद्भुत संगम है।
वर्तमान चुनौतियों के बावजूद, यदि हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और संवर्धित करें, तो भारतीय संस्कृति आने वाले समय में भी वैश्विक पटल पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखेगी।