भारत अब पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन में तीसरे स्थान पर – कैसे बदली देश की ऊर्जा तस्वीर!
भूमिका (Introduction)
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Toggleजलवायु परिवर्तन, ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास जैसे मुद्दों ने वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा की आवश्यकता को रेखांकित किया है। आज, भारत अब पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन में तीसरे स्थान पर पहुँच गया है, जो न केवल तकनीकी उपलब्धि है बल्कि भारत की दूरदर्शिता और नीतिगत प्रतिबद्धता का प्रमाण भी है।

यह सफलता अचानक नहीं आई — यह मजबूत नीतियों, राज्य स्तर पर योजनाओं के कुशल कार्यान्वयन, और जनता की सहभागिता से बनी है। अब भारत वैश्विक ऊर्जा मानचित्र पर मजबूती से उभरा है।
भारत अब पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन में तीसरे स्थान पर: क्या है इसका महत्व?
जब हम कहते हैं कि भारत अब पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन में तीसरे स्थान पर पहुँच चुका है, तो यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि एक परिवर्तन की शुरुआत है। भारत ने जर्मनी को पछाड़ते हुए यह स्थान प्राप्त किया, और अब केवल चीन और अमेरिका ही उससे आगे हैं।
इस उपलब्धि से यह स्पष्ट होता है कि भारत अब केवल विकासशील नहीं, बल्कि “ऊर्जा नेतृत्वकर्ता” बनने की दिशा में अग्रसर है।
आँकड़े जो बदलते भारत की तस्वीर पेश करते हैं
ऊर्जा स्रोत स्थापित क्षमता (2024 तक)
सौर ऊर्जा 92 गीगावॉट
पवन ऊर्जा 48 गीगावॉट
कुल RE 209+ गीगावॉट
इन आँकड़ों के साथ, भारत अब पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन में तीसरे स्थान पर आ चुका है, और 2030 तक 500 GW का लक्ष्य भी निश्चित किया गया है।
नीतियों की भूमिका: सफलता के मूल स्तंभ
1. राष्ट्रीय सौर मिशन
2010 में शुरू हुआ यह मिशन अब भारत की ऊर्जा क्रांति की रीढ़ बन गया है। इसका उद्देश्य 2030 तक 280 GW सौर ऊर्जा उत्पादन करना है।
2. पीएम कुसुम योजना
किसानों को सौर पंप मुहैया करवाकर आत्मनिर्भर बनाना। इससे न केवल ऊर्जा सुरक्षा मिली, बल्कि खेती की लागत भी कम हुई।
3. रिन्यूएबल एनर्जी थर्म्स
भारत की ग्रीन हाइड्रोजन नीति, ऑफशोर विंड पॉलिसी और बैटरी स्टोरेज पॉलिसी ने पवन और सौर उत्पादन को नई दिशा दी है।
इन योजनाओं ने सुनिश्चित किया कि भारत अब पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन में तीसरे स्थान पर मजबूती से स्थापित हो।
राज्य-स्तरीय क्रांति
● राजस्थान
Bhadla Solar Park ने भारत को अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर ला खड़ा किया। यहाँ का उत्पादन 2245 मेगावॉट तक पहुँच गया है।
● गुजरात
Khavda Renewable Park दुनिया का सबसे बड़ा नवीकरणीय पार्क बनने की ओर है।
● कर्नाटक
Pavagada Solar Park, जहाँ 13,000 एकड़ भूमि पर 2050 मेगावॉट क्षमता स्थापित की गई है।
इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि भारत अब पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन में तीसरे स्थान पर पहुँचने में राज्यों की भी अहम भूमिका रही है।
चुनौतियाँ जिनसे पार पाया गया
- ग्रिड कनेक्टिविटी की कमी
- कोयले पर निर्भरता
- प्राइवेट निवेश की अनिच्छा
- रिफंड डिले और सब्सिडी अटकना
इसके बावजूद भारत ने रास्ते निकाले और यह साबित किया कि भारत अब पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन में तीसरे स्थान पर केवल आकस्मिक रूप से नहीं, बल्कि रणनीति से पहुँचा है।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
ग्रामीण क्षेत्रों में 30 लाख से अधिक रोजगार
किसानों की आमदनी में 20% तक वृद्धि
2024 में 386 अरब रुपये का निवेश
महिलाओं को रोजगार के नए अवसर
इन सकारात्मक प्रभावों ने न केवल भारत को आर्थिक रूप से सबल बनाया, बल्कि यह सिद्ध कर दिया कि भारत अब पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन में तीसरे स्थान पर आने से सामाजिक परिवर्तन भी सम्भव है।
भविष्य की राह: 2030 और उसके बाद
भारत का लक्ष्य 2030 तक कुल ऊर्जा का 50% नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करना है। इसके लिए निम्न योजनाएं सक्रिय हैं:
राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन
PLI स्कीम्स
Rooftop Solar Yojana 2024
Offshore Wind Project (Tamil Nadu & Gujarat)
ये योजनाएं यह सुनिश्चित करेंगी कि भारत अब पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन में तीसरे स्थान पर ही नहीं रुके, बल्कि पहले पायदान की ओर बढ़े।
क्या आप इस क्रांति का हिस्सा हैं?
- अपने घर या स्कूल पर rooftop solar लगवाएं
- EV (Electric Vehicle) अपनाएं
- बच्चों को स्वच्छ ऊर्जा के विषय में बताएं
- स्थानीय पंचायत में RE प्रस्ताव रखें
आपकी छोटी सी भागीदारी भी भारत की इस ऐतिहासिक यात्रा को और मज़बूत बना सकती है।
भारत की सफलता के पीछे छिपी तकनीकी रणनीतियाँ
आज जब हम कहते हैं कि भारत अब पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन में तीसरे स्थान पर है, तो यह केवल राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिणाम नहीं बल्कि तकनीकी दक्षता और नवाचार की उपज भी है।
प्रमुख तकनीकी कदम:
1. स्मार्ट ग्रिड नेटवर्क –रिन्यूएबल ऊर्जा को कुशलता से ग्रिड में जोड़ने की तकनीक।
2. बैटरी स्टोरेज सिस्टम – सौर और पवन ऊर्जा को स्टोर करने के लिए ऊर्जा भंडारण प्रणाली का विकास।
3. हाइब्रिड मॉडल – सौर + पवन संयोजन से 24×7 सप्लाई सुनिश्चित की जाती है।
4. ऑटोमैटेड सोलर ट्रैकर – जो सूरज की दिशा के साथ सोलर पैनल घुमाते हैं।
5. डिजिटल मॉनिटरिंग – ऐप्स और सेंसर से पूरे नेटवर्क को मॉनिटर करना आसान हो गया है।
इन तकनीकों ने सिद्ध कर दिया कि भारत अब न केवल उपभोक्ता है, बल्कि नवीकरणीय ऊर्जा नवाचारों का उत्पादक भी बन चुका है।

वैश्विक दृष्टिकोण से भारत की भूमिका
अब जब भारत अब पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन में तीसरे स्थान पर है, तो उसकी वैश्विक छवि भी परिवर्तित हो गई है। भारत अब विकसित देशों के लिए न केवल एक उदाहरण है, बल्कि ऊर्जा साझेदार भी बन चुका है।
भारत की वैश्विक साझेदारियाँ:
ISA (International Solar Alliance) – भारत और फ्रांस की संयुक्त पहल।
COP28 में भारत की भूमिका – जलवायु परिवर्तन पर भारत का ठोस रोडमैप।
G20 Summit 2023 – भारत ने “One Sun, One World, One Grid” प्रस्ताव रखा।
इन पहलों से यह स्पष्ट होता है कि अब भारत केवल अपने लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए स्वच्छ ऊर्जा का समाधान खोज रहा है।
भारत की पॉलिसी मॉडल से दुनिया क्या सीख सकती है?
भारत की स्वच्छ ऊर्जा नीति एक केस स्टडी बन चुकी है। जब भारत अब पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन में तीसरे स्थान पर पहुँचा, तो कई देशों ने उसकी योजनाओं को अपनाना शुरू कर दिया।
सीखने योग्य बातें:
लाभार्थी-केंद्रित योजनाएं – किसान, महिला, ग्रामीण हित में।
पब्लिक-प्राइवेट भागीदारी – नीति और निवेश का तालमेल।
भूमि उपयोग की कुशलता – खाली या बंजर ज़मीन का उपयोग।
विनिर्माण में आत्मनिर्भरता – ‘मेक इन इंडिया’ के अंतर्गत सोलर पैनल्स और इनवर्टर निर्माण।
भारत अब वैश्विक ऊर्जा डिप्लोमेसी में एक प्रमुख नाम बन चुका है।
भारत की अगली बड़ी छलांग
आगामी योजनाएं:
1. ऊर्जा निर्यातक बनना – SAARC देशों को सौर ऊर्जा निर्यात करने की योजना।
2. सौर रूफटॉप क्रांति – शहरी घरों की छतें अब मिनी पावरहाउस बनेंगी।
3. Green Hydrogen Valley – सौर ऊर्जा से हाइड्रोजन उत्पादन।
4. ऊर्जा भंडारण नीति 2025 – उन्नत बैटरी बैंक, ग्रिड सुरक्षा।
5. फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट्स – बांधों और झीलों पर सोलर इंस्टॉलेशन।
इन पहलों से भारत अब न केवल तीसरे स्थान पर स्थिर रहेगा, बल्कि आने वाले वर्षों में पहला स्थान पाने की दौड़ में भी शामिल हो जाएगा।
लोगों की राय और सामुदायिक अनुभव
आम नागरिकों की बातें:
“हमारे गांव में अब सोलर लाइट है, बिजली का बिल भी कम आया है।”
“खेत में सौर पंप से सिंचाई आसान हो गई, डीज़ल की ज़रूरत नहीं।”
“PM-KUSUM से मुझे एक नई आमदनी का स्रोत मिला।”
इन वास्तविक अनुभवों ने भारत के ग्रामीण और शहरी जीवन को सकारात्मक रूप से बदल दिया है, और यह साबित कर दिया है कि भारत अब पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन में तीसरे स्थान पर क्यों और कैसे पहुँचा।
निष्कर्ष:
आज हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि भारत अब पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन में तीसरे स्थान पर पहुँच चुका है। यह केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि भारत की दूरदर्शी नीति, तकनीकी नवाचार, और जनभागीदारी की जीत है। जिस देश की ऊर्जा ज़रूरतें कभी केवल कोयले पर निर्भर थीं, वह अब स्वच्छ, सतत और सस्ती ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया के शीर्ष तीन देशों में शामिल हो चुका है।
यह सफर आसान नहीं था — रास्ते में वित्तीय चुनौतियाँ, तकनीकी बाधाएं और ग्रिड कनेक्टिविटी की समस्याएं थीं। लेकिन भारत ने इन सभी को पार करते हुए यह सिद्ध कर दिया कि जब सरकार, उद्योग और जनता मिलकर काम करें, तो असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।
अब आवश्यकता इस बात की है कि हम यहीं न रुकें। हमारी अगली मंज़िल “पहले स्थान” की ओर होनी चाहिए। इसके लिए:
हमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में Rooftop Solar को बढ़ावा देना होगा।
स्कूल, कॉलेज, पंचायत भवनों को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाना होगा।
युवाओं को ग्रीन जॉब्स और ग्रीन टेक्नोलॉजी की दिशा में प्रशिक्षित करना होगा।
और सबसे महत्वपूर्ण – हर नागरिक को इस आंदोलन का हिस्सा बनना होगा।
क्योंकि जब हर भारतीय यह समझेगा कि भारत अब पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन में तीसरे स्थान पर है — और उसे आगे ले जाना उसकी भी जिम्मेदारी है — तभी सच्चे अर्थों में यह ऊर्जा क्रांति सफल होगी।
स्वच्छ ऊर्जा, सुरक्षित भविष्य — यही है भारत की अगली पहचान।
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