India Elected to UN ECOSOC 2026-28: क्या है इसका वैश्विक महत्व?
भूमिका
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Toggle6 जून 2025 को, भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। भारत को 2026-2028 की अवधि के लिए संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक परिषद (Economic and Social Council – ECOSOC) में सदस्य चुना गया।
इस बात की जानकारी भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने स्वयं साझा की। यह केवल एक चुनाव नहीं, बल्कि भारत की कूटनीतिक, सामाजिक और विकासात्मक दृष्टिकोणों की वैश्विक मान्यता है।
ECOSOC क्या है? (United Nations Economic and Social Council)
ECOSOC, संयुक्त राष्ट्र (UN) का एक प्रमुख अंग है जिसकी स्थापना 1945 में हुई थी। इसका कार्य वैश्विक आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और मानवाधिकार से जुड़ी नीतियों पर चर्चा, समन्वय और सिफारिश करना है।
ECOSOC के प्रमुख कार्य:
सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) पर निगरानी और समीक्षा
अंतरराष्ट्रीय आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर सलाह और सिफारिशें
मानवाधिकार, लिंग समानता, शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबी उन्मूलन जैसे क्षेत्रों में नीति निर्माण
गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को परामर्शदाता दर्जा प्रदान करना
भारत को क्यों चुना गया?
1. मजबूत कूटनीतिक छवि
भारत ने कोविड-19 काल में ‘वैश्विक वैक्सीन आपूर्तिकर्ता’ बनकर अपने मानवीय दृष्टिकोण को सिद्ध किया था।
2. विकासशील देशों की आवाज़
भारत लंबे समय से वैश्विक दक्षिण (Global South) की आवाज़ बनकर उभरा है, जो उसे ECOSOC जैसे मंच पर विशेष दर्जा दिलाता है।
3. सतत विकास का समर्थन
भारत ने जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ ऊर्जा, और सतत शहरीकरण जैसे विषयों में वैश्विक पहल का नेतृत्व किया है।
4. पारदर्शी लोकतंत्र और बहुलवाद
संयुक्त राष्ट्र ऐसे देशों को प्रोत्साहित करता है जो लोकतंत्र, बहुलवाद और मानव अधिकारों के पक्षधर हैं – भारत का संविधान और शासन प्रणाली इसकी मिसाल हैं।
चुनाव कैसे हुआ?
संयुक्त राष्ट्र महासभा में ECOSOC के लिए चुनाव होता है, जिसमें कुल 54 सदस्य होते हैं। भारत को इस चुनाव में भारी समर्थन मिला, जो दर्शाता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत की भूमिका को लेकर आश्वस्त है।
भारत की भूमिका ECOSOC में
1. नीति निर्धारण
भारत अब आर्थिक, सामाजिक, और पर्यावरणीय नीतियों के निर्माण में सलाह और सहयोग प्रदान करेगा।
2. वैश्विक प्रतिनिधित्व
भारत उन मुद्दों को उठाएगा जो विकासशील देशों, विशेषकर एशिया और अफ्रीका के लिए महत्वपूर्ण हैं।
3. सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में योगदान
भारत SDG 2030 के लक्ष्यों की दिशा में सहयोग करेगा, जैसे – गरीबी उन्मूलन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, जलवायु कार्रवाई, लैंगिक समानता, आदि।
भारत की ऐतिहासिक भूमिका ECOSOC में
भारत इससे पहले भी कई बार ECOSOC का सदस्य रह चुका है और उसने निम्नलिखित क्षेत्रों में योगदान दिया है:
महिलाओं की स्थिति पर आयोग (CSW) में अध्यक्षता
यूएनडीपी (UNDP) की गवर्निंग काउंसिल में भागीदारी
गरीबी उन्मूलन के लिए रणनीतिक प्रस्ताव
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ
भारत के चुनाव पर कई देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने शुभकामनाएं दी हैं। विश्व समुदाय को उम्मीद है कि भारत एक संतुलित, समावेशी और व्यवहारिक दृष्टिकोण ECOSOC में लेकर आएगा।
भारत की प्राथमिकताएँ ECOSOC में (2026-2028)
1. जलवायु परिवर्तन और ग्रीन एनर्जी
भारत की प्राथमिकता होगी – नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना और वैश्विक तापमान वृद्धि को रोकना।
2. महिला सशक्तिकरण
महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देना, विशेषकर STEM क्षेत्रों में।
3. डिजिटल समावेशन
डिजिटल तकनीकों के माध्यम से स्वास्थ्य, शिक्षा और सेवाओं तक पहुंच को सरल बनाना।
4. वैश्विक स्वास्थ्य
सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाने और भविष्य की महामारियों से निपटने हेतु वैश्विक सहयोग।

क्या बदलेगा भारत के लिए?
1. वैश्विक प्रभाव में वृद्धि
ECOSOC की सदस्यता भारत को विकासशील और विकसित देशों के बीच एक पुल बनने का अवसर देगी।
2. रणनीतिक सहयोग
भारत को अपने आर्थिक व सामाजिक कार्यक्रमों के लिए वैश्विक संसाधनों और साझेदारियों तक बेहतर पहुंच मिलेगी।
3. मानवीय दृष्टिकोण की प्रस्तुति
भारत अपने मानव कल्याण केंद्रित दृष्टिकोण को वैश्विक स्तर पर स्थापित कर पाएगा।
भारत की ECOSOC में सदस्यता: वैश्विक विकास में नेतृत्व की भूमिका
भारत को ECOSOC में सदस्यता केवल प्रतिनिधित्व का अवसर नहीं देती, बल्कि यह जिम्मेदारी देती है कि वह दुनिया को एक बेहतर, समावेशी और टिकाऊ भविष्य की ओर ले जाए।
आइए अब विस्तार से समझते हैं कि भारत कैसे इस जिम्मेदारी को निभा सकता है और किन क्षेत्रों में उसकी भूमिका निर्णायक साबित हो सकती है।
सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals) और भारत
भारत की SDG 2030 रणनीति
भारत ने 2030 तक सतत विकास लक्ष्य (SDGs) प्राप्त करने के लिए एक व्यापक रणनीति अपनाई है, जिसमें नीति आयोग प्रमुख भूमिका निभा रहा है।
प्रमुख SDG क्षेत्रों में भारत की स्थिति:
गरीबी उन्मूलन (SDG 1): भारत ने उज्ज्वला योजना, जनधन योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी पहल की हैं।
भूखमरी की समाप्ति (SDG 2): भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से करोड़ों लोगों को राशन दिया जा रहा है।
स्वास्थ्य और कल्याण (SDG 3): आयुष्मान भारत योजना और कोविड-19 वैक्सीनेशन अभियान इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (SDG 4): नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) भारत के दृष्टिकोण को दर्शाती है।
भारत ECOSOC के मंच पर इन पहलों को साझा कर अन्य देशों के लिए मॉडल बन सकता है।
वैश्विक दक्षिण (Global South) की आवाज
ECOSOC जैसे मंचों पर भारत “वैश्विक दक्षिण” यानी विकासशील देशों के लिए एक प्रभावशाली प्रतिनिधि बन चुका है।
भारत की विशेष भूमिका:
एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देशों को संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से सहयोग, संसाधन और तकनीक दिलवाने में सहायता।
जलवायु न्याय की पैरवी: भारत चाहता है कि विकसित देश अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारी निभाएं और विकासशील देशों को जलवायु वित्त और तकनीक उपलब्ध कराएं।
“LiFE Mission” (Lifestyle for Environment) को वैश्विक आंदोलन बनाना।
भारत और संयुक्त राष्ट्र: दशकों का सहयोग
ऐतिहासिक रूप से भारत की भूमिका
1950-60s: शांति स्थापना मिशनों में अग्रणी भूमिका
1974: परमाणु निरस्त्रीकरण की वैश्विक मांग
1990s: संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में अधिकतम योगदानकर्ता
2020s: डिजिटल पब्लिक गुड्स (Aadhaar, CoWIN) को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करना
भारत की यूएन में मांग
यूएनएससी स्थायी सदस्यता: भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने की मांग कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र सुधार: भारत मानता है कि वर्तमान वैश्विक संरचना 21वीं सदी की ज़रूरतों को पूरा नहीं कर रही है।
युवाओं और नवाचार के लिए अवसर
ECOSOC का मंच भारत को युवाओं और स्टार्टअप्स के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने में मदद करेगा। भारत की “Digital India”, “Start-Up India”, और “Atmanirbhar Bharat” पहलें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग के नए द्वार खोलेंगी।
भारत के स्टार्टअप क्या कर सकते हैं?
स्वच्छ ऊर्जा के इनोवेशन
ई-हेल्थ और ई-एजुकेशन समाधानों का निर्यात
सस्ती तकनीकों के माध्यम से वैश्विक दक्षिण की सहायता
वैश्विक चुनौतियाँ और भारत की रणनीति ECOSOC में
1. जलवायु परिवर्तन
भारत ने “राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन”, “सौर ऊर्जा” और “LiFE अभियान” के ज़रिए वैश्विक नेतृत्व दर्शाया है।
2. लैंगिक समानता
ECOSOC के मंच पर भारत महिला सशक्तिकरण की दिशा में अपनी योजनाएँ जैसे “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” को साझा करेगा।
3. स्वास्थ्य संकट
कोविड-19 के बाद, भारत विश्व को वैक्सीन, दवा और डिजिटल हेल्थ प्लेटफॉर्म (CoWIN) के माध्यम से सहायता कर चुका है।
ECOSOC सदस्यता: भारत की दूरदृष्टि
क्या कहता है यह चुनाव?
- भारत एक सशक्त लोकतंत्र और विश्वसनीय सहयोगी के रूप में उभरा है।
भारत की विदेश नीति मानवीय मूल्यों और वैश्विक न्याय पर आधारित है।
भारत अब केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि समाधान प्रदाता के रूप में जाना जाता है।
भारत का वैश्विक दृष्टिकोण: वसुधैव कुटुंबकम से लेकर वैश्विक नेतृत्व तक
भारतीय दर्शन में “वसुधैव कुटुंबकम” केवल एक आदर्श वाक्य नहीं, बल्कि हमारी नीति और कूटनीति का आधार है। भारत जब ECOSOC जैसे मंचों पर भाग लेता है, तो वह केवल अपने हितों की नहीं बल्कि पूरी मानवता के हितों की बात करता है।
वैश्विक साझेदारी की भारत की नीति
भारत की विदेश नीति आज चार प्रमुख स्तंभों पर टिकी है:
1. मानव कल्याण – सभी देशों के नागरिकों के लिए जीवन स्तर में सुधार
2. जलवायु न्याय – वैश्विक पर्यावरण संतुलन हेतु न्यायपूर्ण समाधान
3. प्रौद्योगिकी साझेदारी – टेक्नोलॉजी का लाभ सभी को मिले
4. सांस्कृतिक कूटनीति – योग, आयुर्वेद और भारतीय जीवनशैली का प्रचार
ECOSOC में भारत की रणनीतिक प्राथमिकताएं: गहराई से विश्लेषण
1. वैश्विक आर्थिक असमानता को दूर करना
भारत की भूमिका:
विकासशील देशों को तकनीकी सहयोग देना
सस्ती ऊर्जा, चिकित्सा और शिक्षा में मदद करना
अफ्रीका, दक्षिण एशिया और लैटिन अमेरिका के देशों के साथ समन्वय

2. जलवायु और पर्यावरणीय न्याय
भारत की पहलें:
LiFE Movement (Lifestyle for Environment)
International Solar Alliance
Mission LiFE Pledge
भारत ऐसे समाधानों की वकालत करेगा जो विकासशील देशों के हितों की रक्षा करते हुए पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखें।
3. डिजिटल विभाजन को खत्म करना
भारत का दृष्टिकोण:
डिजिटल पब्लिक गुड्स जैसे UPI, CoWIN, DigiLocker को दुनिया के साथ साझा करना
वैश्विक डिजिटल सहयोग मंचों की स्थापना
भारत द्वारा प्रस्तुत मॉडल: दुनिया के लिए प्रेरणा
भारत ने कई ऐसे मॉडलों को विकसित किया है जो वैश्विक दक्षिण के देशों के लिए अनुकरणीय बन सकते हैं:
भारत का मॉडल वैश्विक अनुप्रयोग
CoWIN Platform कोविड वैक्सीनेशन प्रबंधन प्रणाली – अन्य देश भी अपना सकते हैं
UPI Payments सस्ता, तेज और सुरक्षित डिजिटल लेन-देन
Aadhaar पहचान आधारित सेवाओं तक पहुंच
Ayushman Bharat सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा मॉडल
Swachh Bharat स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य का मॉडल
ECOSOC में भारत के लिए अवसर और चुनौतियाँ
अवसर:
बहुपक्षीय सहयोग को सशक्त करना
विकासशील देशों के लिए वैश्विक नीति निर्माण में मार्गदर्शक बनना
वैश्विक संस्थानों में नेतृत्व स्थापित करना
चुनौतियाँ:
विकसित देशों के साथ हितों का टकराव
आर्थिक असमानता और तकनीकी प्रभुत्व की खाई
जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई और आर्थिक विकास के बीच संतुलन
भारत को इन सभी चुनौतियों का समाधान व्यवहारिक, न्यायपूर्ण और संतुलित दृष्टिकोण से करना होगा।
ECOSOC के ज़रिए भारत का वैश्विक विकास में योगदान
भारत ECOSOC के ज़रिए निम्नलिखित क्षेत्रों में अपना वैश्विक योगदान बढ़ा सकता है:
- विकासशील देशों के लिए सशक्त आवाज बनना
साझा समस्याओं का वैश्विक समाधान सुझाना
समावेशी, सतत और समान विकास की वकालत करना
ग्लोबल साउथ और ग्लोबल नॉर्थ के बीच संवाद को बढ़ाना
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत की विश्वसनीयता
भारत की विदेश नीति का केंद्र रहा है – “रणनीतिक स्वायत्तता”। न तो पूरी तरह पश्चिम के साथ और न ही किसी विशेष ध्रुव के पक्ष में। यही नीति भारत को ECOSOC जैसे मंचों पर संतुलन स्थापित करने की सामर्थ्य देती है।
भारत ने समय-समय पर:
रूस-यूक्रेन युद्ध पर संतुलन बनाया
इज़रायल-गाज़ा संघर्ष पर मानवीय रुख दिखाया
चीन के मामलों में अपने संप्रभु हितों की रक्षा की
युवा पीढ़ी और शिक्षा के लिए भारत की नीति
भारत ECOSOC के ज़रिए ऐसे प्रयास करेगा जिससे युवा वैश्विक मंच पर भागीदारी कर सकें:
वैश्विक छात्र आदान-प्रदान कार्यक्रम
डिजिटल स्किल्स ट्रेनिंग
जलवायु शिक्षा
संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएँ
ECOSOC की भारत में सदस्यता का संभावित प्रभाव
घरेलू स्तर पर:
भारत की वैश्विक छवि सशक्त होगी
नई आर्थिक और सामाजिक योजनाओं में वैश्विक सहयोग मिलेगा
निवेश और तकनीक में तेजी आएगी
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर:
भारत संयुक्त राष्ट्र में अपनी स्थिति और मजबूत करेगा
UNSC स्थायी सदस्यता के लिए भारत का दावा और मजबूत होगा
भारत वैश्विक बहसों में निर्णायक आवाज बनकर उभरेगा
निष्कर्ष: भारत का ECOSOC में प्रवेश – एक युगांतकारी मोड़
भारत को ECOSOC में चुना जाना केवल एक चुनाव नहीं, विश्वास का प्रतीक है। यह संकेत है कि आज भारत को वैश्विक मंचों पर केवल सुना ही नहीं जा रहा, बल्कि उसे दिशा दिखाने वाले देशों में गिना जा रहा है।
यह सदस्यता भारत को 2026 से 2028 तक का अवसर देती है:
नीतिगत नेतृत्व करने का
समावेशी विकास की मिसाल पेश करने का
बहुपक्षीय सहयोग को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का
“भारत की यह जीत एक कदम नहीं, बल्कि एक युगांतकारी मोड़ है, जहाँ से वैश्विक नेतृत्व का नया अध्याय शुरू होता है।”
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