भारत में बाघों की वर्तमान स्थिति: संख्या, घनत्व और संरक्षण की चुनौतियाँ!
भारत विश्व में बाघों का सबसे बड़ा घर है। 2022-23 में जारी बाघों की जनगणना के अनुसार, भारत में अनुमानित 3,681 बाघ (सीमा 3167-3925) हैं। यह आंकड़ा बाघों की संख्या में वृद्धि को दर्शाता है, लेकिन इसके साथ ही कुछ गंभीर चिंताएँ भी उभरकर सामने आई हैं। कुछ क्षेत्रों में बाघों की अत्यधिक घनत्व (density) से संघर्ष बढ़ रहा है, जबकि कुछ स्थानों पर उनकी घटती संख्या ने वन्यजीव विशेषज्ञों को सतर्क कर दिया है।
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Toggleइस रिपोर्ट में हम भारत में बाघों की स्थिति, उनके घनत्व से जुड़ी समस्याएँ, संरक्षण प्रयास और आगे की राह पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
भारत में बाघों की जनसंख्या वृद्धि: एक सफलता की कहानी?
भारत में बाघ संरक्षण की शुरुआत 1973 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ (Project Tiger) से हुई थी। उस समय देश में Tigers की संख्या 1,827 थी, जो निरंतर घटती जा रही थी। लेकिन आज यह संख्या 3,681 तक पहुँच चुकी है, जो संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाती है।
हालांकि, यह संख्यात्मक वृद्धि कई समस्याओं को भी जन्म दे रही है:
1. कुछ क्षेत्रों में अधिक घनत्व:
– मध्य भारत और पश्चिमी घाट जैसे इलाकों में बाघों की संख्या बढ़ रही है, जिससे टेरिटोरियल संघर्ष बढ़ रहा है।
– बाघों के लिए सीमित संसाधन उपलब्ध होने के कारण वे आपस में संघर्ष करते हैं और कई बार जंगल छोड़कर मानव बस्तियों में आ जाते हैं।
2. कुछ क्षेत्रों में बाघों की संख्या में गिरावट:
– सुंदरबन, पश्चिमी हिमालय और पूर्वोत्तर भारत में बाघों की संख्या अपेक्षाकृत कम है।
– अवैध शिकार, मानव-वन्यजीव संघर्ष और जलवायु परिवर्तन जैसे कारक यहाँ के बाघों के लिए खतरा बने हुए हैं।
3. वन्यजीव गलियारों (Wildlife Corridors) की कमी:
– Tigers को एक जंगल से दूसरे जंगल में जाने के लिए सुरक्षित गलियारे चाहिए, लेकिन बढ़ते शहरीकरण और सड़क निर्माण ने इन गलियारों को बाधित कर दिया है।
– इससे अलग-अलग जंगलों में रहने वाले बाघों की जेनेटिक विविधता कम हो रही है।
बाघों की घनत्व से जुड़ी प्रमुख समस्याएँ
Tigers की बढ़ती संख्या अच्छी खबर है, लेकिन घनत्व से जुड़ी समस्याएँ चिंता का विषय हैं। घनत्व का मतलब है कि किसी विशेष क्षेत्र में प्रति वर्ग किलोमीटर कितने बाघ रहते हैं।
1. बाघों के बीच आपसी संघर्ष (Territorial Conflict)
बाघ बहुत ही क्षेत्रीय (Territorial) जानवर होते हैं। एक नर बाघ अपने क्षेत्र में अन्य नर बाघों को प्रवेश नहीं करने देता। जब किसी क्षेत्र में Tigers की संख्या बढ़ती है, तो उनके बीच झगड़े होते हैं, जिससे कई बाघ घायल हो जाते हैं या मारे जाते हैं।
2. मानव-बाघ संघर्ष (Human-Wildlife Conflict)
जब जंगलों में Tigers की संख्या बढ़ती है और उनके पास पर्याप्त शिकार नहीं होता, तो वे इंसानी बस्तियों की ओर बढ़ते हैं। इससे कई बार बाघ मवेशियों पर हमला कर देते हैं, जिससे ग्रामीणों और वन्यजीव अधिकारियों के बीच संघर्ष बढ़ जाता है।
3. भोजन की कमी और भुखमरी
यदि किसी क्षेत्र में Tigers की संख्या अधिक हो और वहाँ पर्याप्त शिकार (जैसे चीतल, सांभर, जंगली सुअर आदि) उपलब्ध न हो, तो बाघ भूखे मर सकते हैं।
4. जेनेटिक विविधता की कमी
अगर किसी जंगल में बहुत अधिक बाघ हैं और वे बाहर नहीं जा सकते, तो उनकी प्रजनन प्रक्रिया में समस्याएँ आने लगती हैं। इससे बाघों की जेनेटिक गुणवत्ता प्रभावित होती है और वे कमजोर हो सकते हैं।

कौन-कौन से क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हैं?
1. मध्य भारत (Madhya Pradesh, Maharashtra, Chhattisgarh)
– यह क्षेत्र Tigers की सबसे बड़ी आबादी का घर है।
– मध्य प्रदेश को “बाघों का राज्य” कहा जाता है क्योंकि यहाँ 785 बाघ हैं।
– पेंच, कान्हा, बांधवगढ़ और सतपुड़ा जैसे टाइगर रिजर्व में Tigers की संख्या अधिक हो रही है, जिससे संघर्ष बढ़ रहा है।
2. पश्चिमी घाट (Karnataka, Kerala, Tamil Nadu, Goa)
– यहाँ नागरहोल, बांदीपुर, मुदुमलाई और परंबिकुलम जैसे टाइगर रिजर्व हैं।
– इन इलाकों में भी Tigers की संख्या बढ़ी है, जिससे जंगलों में दबाव बढ़ रहा है।
3. सुंदरबन (West Bengal)
– यहाँ के बाघ दलदली और मैंग्रोव जंगलों में रहते हैं।
– Tigers की संख्या अपेक्षाकृत स्थिर है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्री जलस्तर बढ़ने से उनका प्राकृतिक आवास खतरे में है।
4. उत्तराखंड और हिमालयी क्षेत्र
– जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में भारत के किसी भी अन्य पार्क की तुलना में सबसे ज्यादा बाघ हैं।
– हालाँकि, उत्तराखंड और हिमालय के अन्य हिस्सों में Tigers की आबादी सीमित हो रही है।
बाघों के संरक्षण के लिए उठाए गए कदम
भारत सरकार और विभिन्न वन्यजीव संगठनों ने बाघ संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं:
1. प्रोजेक्ट टाइगर (Project Tiger)
1973 में शुरू हुआ यह कार्यक्रम भारत में Tigers की संख्या बढ़ाने में सबसे अधिक सफल रहा है। आज देश में 53 टाइगर रिजर्व हैं।
2. टाइगर रिजर्व और नेशनल पार्क्स की सुरक्षा
– सरकार ने वन विभाग और बाघ सुरक्षा बलों (Tiger Protection Forces) की संख्या बढ़ाई है।
– कई जगहों पर कैमरा ट्रैपिंग और GPS मॉनिटरिंग से Tigers पर नजर रखी जा रही है।
3. वन्यजीव गलियारों को सुरक्षित करना
– सरकार Tigers के आवागमन के लिए ‘इकोलॉजिकल कॉरिडोर्स’ विकसित कर रही है।
– काजीरंगा और पेंच जैसे क्षेत्रों में ऐसे गलियारे विकसित किए जा रहे हैं।
4. स्थानीय समुदायों की भागीदारी
– ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है कि वे Tigers के प्राकृतिक आवास को नुकसान न पहुँचाएँ।
– सरकार कुछ क्षेत्रों में ‘एको-टूरिज्म’ को बढ़ावा देकर स्थानीय लोगों को रोजगार दे रही है।
भविष्य की राह: बाघों के संरक्षण के लिए क्या करना होगा?
1. संरक्षित क्षेत्रों का विस्तार – नए टाइगर रिजर्व बनाए जाने चाहिए ताकि बाघों को अधिक जगह मिले।
2. वन्यजीव गलियारों की सुरक्षा – Tigers के आवागमन को सुगम बनाने के लिए जंगलों को जोड़ने की जरूरत है।
3. संघर्ष प्रबंधन – बाघ-मानव संघर्ष को कम करने के लिए बेहतर नीतियाँ बनानी होंगी।
4. अवैध शिकार पर कड़ी कार्रवाई – Tigers के अंगों की तस्करी को रोकने के लिए सख्त कानून और निगरानी बढ़ानी होगी।
भारत में Tigers की स्थिति से जुड़े टॉप 10 सर्च किए जाने वाले सवाल और उनके विस्तृत उत्तर
1. भारत में वर्तमान में कितने बाघ हैं?
उत्तर: भारत में 2022-23 की बाघ जनगणना के अनुसार 3,681 बाघ हैं। इस संख्या की न्यूनतम सीमा 3,167 और अधिकतम सीमा 3,925 बताई गई है। यह आंकड़ा भारत के विभिन्न टाइगर रिजर्व और जंगलों में लगाए गए कैमरा ट्रैप, डीएनए सैंपलिंग और अन्य वैज्ञानिक विधियों से प्राप्त किया गया है।
2. भारत में बाघों की संख्या सबसे ज्यादा कहाँ है?
उत्तर: भारत में मध्य प्रदेश को “टाइगर स्टेट” कहा जाता है क्योंकि यहाँ सबसे अधिक 785 बाघ हैं। इसके बाद कर्नाटक (563 बाघ) और उत्तराखंड (560 बाघ) का स्थान आता है।
बाघों की सबसे अधिक संख्या वाले प्रमुख टाइगर रिजर्व हैं:
जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (उत्तराखंड) – 260+ बाघ
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (मध्य प्रदेश) – 140+ बाघ
कान्हा टाइगर रिजर्व (मध्य प्रदेश) – 100+ बाघ
नागरहोल टाइगर रिजर्व (कर्नाटक) – 120+ बाघ
3. भारत में बाघों की संख्या में वृद्धि कैसे हुई?
उत्तर: भारत में 1973 में शुरू किए गए ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के कारण बाघों की संख्या में वृद्धि हुई। इसके तहत:
- बाघों के लिए सुरक्षित जंगलों (टाइगर रिजर्व) का निर्माण किया गया।
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत बाघों का शिकार प्रतिबंधित किया गया।
अवैध शिकार को रोकने के लिए बाघ सुरक्षा बलों (Tiger Protection Force) की तैनाती हुई।
कैमरा ट्रैपिंग और सैटेलाइट मॉनिटरिंग से बाघों की निगरानी बढ़ाई गई।
स्थानीय समुदायों को जागरूक कर उन्हें बाघ संरक्षण में शामिल किया गया।

4. भारत में बाघों के विलुप्त होने का सबसे बड़ा कारण क्या है?
उत्तर: बाघों के विलुप्त होने के मुख्य कारण हैं:
1. अवैध शिकार (Poaching): बाघ की खाल, हड्डियों और अन्य अंगों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी मांग है।
2. वनों की कटाई (Deforestation): जंगलों के काटे जाने से बाघों का प्राकृतिक आवास खत्म हो रहा है।
3. मानव-बाघ संघर्ष: जब बाघ भोजन की तलाश में गाँवों की ओर बढ़ते हैं, तो स्थानीय लोग उन्हें मार देते हैं।
4. जलवायु परिवर्तन: सुंदरबन में समुद्री जलस्तर बढ़ने से वहाँ रहने वाले बाघों का भविष्य खतरे में है।
5. वन्यजीव गलियारों की कमी: जंगलों के बीच कॉरिडोर न होने से बाघों की आवाजाही में बाधा आ रही है।
5. भारत में सबसे बड़ा और सबसे छोटा टाइगर रिजर्व कौन-सा है?
उत्तर: सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व: नागार्जुनसागर-श्रीशैलम टाइगर रिजर्व (आंध्र प्रदेश) – 3,728 वर्ग किमी
सबसे छोटा टाइगर रिजर्व: बोर टाइगर रिजर्व (महाराष्ट्र) – 138.12 वर्ग किमी
6. भारत में बाघ संरक्षण के लिए कौन-कौन से महत्वपूर्ण कानून बनाए गए हैं?
उत्तर: भारत सरकार ने बाघों की रक्षा के लिए कई कड़े कानून बनाए हैं, जैसे:
1. वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 – बाघों के शिकार और व्यापार पर प्रतिबंध।
2. प्रोजेक्ट टाइगर, 1973 – टाइगर रिजर्व की स्थापना और बाघ संरक्षण के उपाय।
3. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA), 2005 – बाघ संरक्षण के लिए विशेष सरकारी निकाय।
4. वन संरक्षण अधिनियम, 1980 – जंगलों की कटाई पर सख्त नियंत्रण।
5. CITES (Convention on International Trade in Endangered Species) – अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाघों के व्यापार पर रोक।
7. भारत में बाघों की संख्या कैसे गिनी जाती है?
उत्तर: भारत में Tigers की गिनती के लिए कई वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है:
1. कैमरा ट्रैपिंग (Camera Trapping): जंगलों में जगह-जगह हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरे लगाए जाते हैं जो बाघों की तस्वीरें लेते हैं।
2. डीएनए सैंपलिंग: Tigers के मल, मूत्र और बालों के डीएनए परीक्षण से उनकी पहचान की जाती है।
3. पगमार्क विश्लेषण: जंगल में Tigers के पंजों के निशान को देखकर उनकी संख्या का अनुमान लगाया जाता है।
4. सैटेलाइट ट्रैकिंग: कुछ Tigers पर रेडियो कॉलर लगाए जाते हैं, जिससे उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जाती है।
8. भारत में बाघों के प्राकृतिक शिकारी कौन-कौन हैं?
उत्तर: बाघ जंगल में शीर्ष शिकारी (Apex Predator) होता है, जिसका कोई प्राकृतिक शत्रु नहीं होता। लेकिन कुछ परिस्थितियों में ये जानवर बाघ के लिए खतरा बन सकते हैं:
1. दूसरे बाघ: Tigers में आपसी संघर्ष से कई बार कमजोर बाघ मारे जाते हैं।
2. भालू: भारतीय भालू कभी-कभी बाघों के साथ झगड़ा कर सकते हैं।
3. हाथी: हाथियों के झुंड से टकराव होने पर बाघों को नुकसान हो सकता है।
4. इंसान: सबसे बड़ा खतरा इंसान से ही है, क्योंकि अवैध शिकार और जंगलों की कटाई बाघों की सबसे बड़ी समस्या है।
9. कौन-कौन से देश बाघ संरक्षण में भारत की मदद कर रहे हैं?
उत्तर: भारत को बाघ संरक्षण में कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और देशों का समर्थन मिलता है:
1. WWF (World Wildlife Fund): बाघ संरक्षण के लिए आर्थिक और तकनीकी मदद।
2. CITES: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर Tigers के अंगों के व्यापार पर प्रतिबंध।
3. Global Tiger Initiative (GTI): Tigers के संरक्षण के लिए भारत और अन्य 12 देशों के बीच सहयोग।
4. UNEP (United Nations Environment Programme): Tigers के आवास और वन संरक्षण में मदद।
5. संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिका के ‘Save the Tiger Fund’ से भारत को मदद मिलती है।
10. भविष्य में बाघों को बचाने के लिए क्या किया जाना चाहिए?
उत्तर: भविष्य में Tigers के संरक्षण के लिए इन कदमों पर ध्यान देना जरूरी है:
- नए टाइगर रिजर्व बनाने होंगे ताकि Tigers को अधिक जगह मिले।
वन्यजीव गलियारों की सुरक्षा से Tigers की आवाजाही आसान होगी।
मानव-बाघ संघर्ष को कम करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाने होंगे।
अवैध शिकार को रोकने के लिए सख्त कानून लागू करने होंगे।
स्थानीय समुदायों को बाघ संरक्षण में शामिल करने के लिए उन्हें आर्थिक लाभ दिए जाने चाहिए।
टेक्नोलॉजी का उपयोग (ड्रोन निगरानी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) से बाघों की सुरक्षा को बढ़ाया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
भारत में Tigers की संख्या बढ़ रही है, लेकिन यह सफलता नई चुनौतियों के साथ आई है। कुछ क्षेत्रों में Tigers की अधिक संख्या से टेरिटोरियल संघर्ष और भोजन की कमी जैसी समस्याएँ पैदा हो रही हैं। Tigers के दीर्घकालिक संरक्षण के लिए सरकार, वन विभाग और स्थानीय समुदायों को मिलकर काम करना होगा। जब तक इन चुनौतियों का समाधान नहीं किया जाता, तब तक बाघ संरक्षण की यह सफलता अधूरी रहेगी।
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