भुजंगासन: फेफड़ों को मजबूत करने का चमत्कारी योगासन, जानें इसके अद्भुत फायदे!

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भुजंगासन से फेफड़ों की ताकत बढ़ाएं: जानें सही तरीका और अद्भुत फायदे!

योग हजारों वर्षों से हमारे शरीर और मन को स्वस्थ रखने का एक महत्वपूर्ण साधन रहा है। खासकर जब बात फेफड़ों को मजबूत और श्वसन तंत्र को बेहतर बनाने की हो, तो भुजंगासन (Cobra Pose) को विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है। यह आसन फेफड़ों को स्वस्थ रखने, श्वास नलियों को खोलने और शरीर को ऊर्जावान बनाए रखने में सहायक है।

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यहाँ हम भुजंगासन के महत्व, इसे करने की विधि, लाभ, सावधानियाँ और इसे नियमित रूप से करने से होने वाले संपूर्ण शारीरिक व मानसिक प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

भुजंगासन क्या है?

भुजंगासन संस्कृत शब्द “भुजंग” (जिसका अर्थ है “सर्प”) और “आसन” (जिसका अर्थ है “मुद्रा” या “स्थिति”) से मिलकर बना है। इस आसन को करने पर शरीर की आकृति फन उठाए हुए नाग के समान दिखाई देती है, इसलिए इसे “Cobra Pose” भी कहा जाता है।

यह योगासन हठयोग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे सूर्य नमस्कार के सातवें चरण के रूप में भी शामिल किया जाता है। यह आसन विशेष रूप से फेफड़ों को मजबूत करने, रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाने और मानसिक शांति प्रदान करने में सहायक है।

 भुजंगासन करने की सही विधि

(1) प्रारंभिक स्थिति:

  1. सबसे पहले समतल एवं शांत जगह पर योग मैट बिछाकर पेट के बल लेट जाएँ।
  2. अपने पैरों को सीधा रखें और पंजों को पीछे की ओर फैलाएँ।
  3. हथेलियों को कंधों के पास ज़मीन पर रखें और कोहनियों को शरीर के करीब रखें।

(2) आसन करने की प्रक्रिया:

  1. गहरी श्वास लें और धीरे-धीरे सिर को ऊपर उठाएँ।
  2. गर्दन को पीछे की ओर मोड़ें और छाती को ऊपर उठाते हुए कमर से पीछे झुकें।
  3. अपने हाथों से हल्का दबाव देते हुए कोहनियों को सीधा करें लेकिन कंधों को कानों से दूर रखें।
  4. अपनी नज़र ऊपर की ओर रखें और गहरी सांस लेते रहें।
  5. इस स्थिति में 15-30 सेकंड तक रहें (आरंभ में 10 सेकंड से शुरू करें)।
  6. अब धीरे-धीरे श्वास छोड़ते हुए प्रारंभिक स्थिति में वापस आएँ।

(3) दोहराव:

इस आसन को 3-5 बार दोहराएँ।

धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाकर इसे 1 मिनट तक बनाए रखना फायदेमंद होता है।

 भुजंगासन करने के अद्भुत लाभ

(1) फेफड़ों को स्वस्थ रखता है

यह आसन फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है और श्वसन नलियों को साफ करता है।

अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सांस संबंधी अन्य समस्याओं में राहत देता है।

यह श्वसन प्रणाली को मजबूत कर ऑक्सीजन का संचार बेहतर बनाता है।

(2) रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है

इस आसन के अभ्यास से स्पाइन (रीढ़ की हड्डी) मजबूत और लचीली बनती है।

कमर दर्द और स्लिप डिस्क जैसी समस्याओं में राहत मिलती है।

(3) तनाव और चिंता को कम करता है

यह आसन मानसिक शांति प्रदान करता है और तनाव को कम करता है।

डिप्रेशन और एंग्जायटी में फायदेमंद होता है।

(4) पाचन क्रिया को सुधारता है

पेट की मांसपेशियों पर दबाव डालकर हाजमा सुधारता है और कब्ज से राहत दिलाता है।

पेट की चर्बी कम करने में सहायक होता है।

(5) थायरॉयड ग्रंथि को सक्रिय करता है

यह आसन थायरॉयड ग्रंथि को उत्तेजित करता है, जिससे हार्मोन संतुलित रहते हैं।

(6) किडनी और लिवर के लिए लाभकारी

यह किडनी और लिवर को डिटॉक्स करने में मदद करता है।

शरीर में रक्त संचार को बेहतर बनाता है और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है।

 किन लोगों को भुजंगासन करने से बचना चाहिए?

हालांकि यह आसन बेहद फायदेमंद है, लेकिन कुछ लोगों को इसे करने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए।

(1) पीठ दर्द या हर्निया के मरीज

अगर किसी को गंभीर पीठ दर्द, स्लिप डिस्क, स्पॉन्डिलाइटिस या हर्निया की समस्या है, तो उन्हें यह आसन करने से बचना चाहिए।

(2) गर्भवती महिलाएँ

गर्भवती महिलाओं को इस आसन से बचना चाहिए क्योंकि यह पेट की मांसपेशियों पर अधिक दबाव डालता है।

(3) पेट की सर्जरी के बाद

जिन लोगों की हाल ही में पेट की सर्जरी हुई है, उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए।

(4) हृदय रोगी

जो लोग गंभीर हृदय रोग या हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं, वे इसे डॉक्टर की सलाह के बिना न करें।

भुजंगासन के साथ अन्य उपयोगी योगासन

अगर आप अपने फेफड़ों और पूरे शरीर को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो भुजंगासन के साथ ये योगासन भी कर सकते हैं:

(1) प्राणायाम (अनुलोम-विलोम और कपालभाति)

फेफड़ों को मजबूत करने और ऑक्सीजन स्तर को बढ़ाने में मदद करता है।

(2) धनुरासन (Bow Pose)

यह फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने और शरीर को लचीला बनाने में सहायक है।

(3) उज्जायी प्राणायाम

अस्थमा और अन्य श्वसन समस्याओं में राहत प्रदान करता है।

भुजंगासन: फेफड़ों को मजबूत करने का चमत्कारी योगासन, जानें इसके अद्भुत फायदे!
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भुजंगासन को दिनचर्या में शामिल करने के टिप्स

1. सुबह खाली पेट करें: यह आसन सुबह के समय खाली पेट करने से अधिक प्रभावी होता है।

2. धीरे-धीरे अभ्यास करें: शुरुआती दिनों में अधिक झुकने से बचें और धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएँ।

3. सांसों पर ध्यान दें: अभ्यास के दौरान गहरी सांसें लें, इससे श्वसन प्रणाली मजबूत होगी।

4. अन्य योगासनों के साथ करें: सूर्य नमस्कार और अन्य योगासनों के साथ इसे करना अधिक लाभदायक होगा।

5. योग शिक्षक की सलाह लें: अगर आप पहली बार कर रहे हैं, तो किसी विशेषज्ञ की देखरेख में करें।

 भुजंगासन के अभ्यास के दौरान सामान्य गलतियाँ और उनसे बचाव

जब कोई नया व्यक्ति भुजंगासन करना शुरू करता है, तो अक्सर कुछ सामान्य गलतियाँ करता है, जो इस आसन के लाभों को कम कर सकती हैं या चोट का कारण बन सकती हैं। आइए, इन गलतियों और उनसे बचने के तरीकों पर चर्चा करें।

(1) बहुत अधिक झुकना

कई लोग तेजी से अधिक झुकने की कोशिश करते हैं, जिससे पीठ पर अधिक दबाव पड़ सकता है और कमर में दर्द हो सकता है।

समाधान: धीरे-धीरे अभ्यास करें और शरीर की प्राकृतिक लचीलता के अनुसार झुकें।

(2) कोहनियों को सीधा करना

कुछ लोग अपने हाथों पर अत्यधिक दबाव डालकर कोहनियों को पूरी तरह सीधा कर देते हैं, जिससे रीढ़ की हड्डी पर अधिक भार पड़ सकता है।

समाधान: कोहनियों को हल्का मोड़ा हुआ रखें और शरीर के स्वाभाविक झुकाव पर ध्यान दें।

(3) गर्दन को ज़्यादा पीछे झुकाना

अगर गर्दन को अत्यधिक पीछे झुका दिया जाए, तो इससे सर्वाइकल स्पाइन पर अनावश्यक दबाव पड़ सकता है।

समाधान: गर्दन को सहज रूप से पीछे ले जाएँ, लेकिन उसमें तनाव न डालें।

(4) सांस रोककर रखना

कई लोग आसन करते समय श्वास को रोक लेते हैं, जिससे शरीर को पूरा ऑक्सीजन नहीं मिलता।

समाधान: गहरी और नियंत्रित श्वास लेते रहें ताकि फेफड़ों को पूरा लाभ मिल सके।

(5) पेट को ज़मीन से ऊपर उठाना

यह गलती आमतौर पर शुरुआती अभ्यासकर्ताओं से होती है, जिससे सही मुद्रा नहीं बन पाती।

समाधान: पेट को ज़मीन के संपर्क में रखें और केवल छाती को ऊपर उठाएँ।

भुजंगासन का वैज्ञानिक आधार

योग केवल आध्यात्मिक साधना नहीं है, बल्कि इसके पीछे ठोस वैज्ञानिक तर्क भी हैं। भुजंगासन को करने से शरीर में विभिन्न शारीरिक और मानसिक प्रभाव उत्पन्न होते हैं।

(1) फेफड़ों की कार्यक्षमता में वृद्धि

जब हम भुजंगासन करते हैं, तो हमारी छाती फैलती है, जिससे फेफड़ों में अधिक ऑक्सीजन भरती है।

यह फेफड़ों की लोच (elasticity) को बढ़ाता है, जिससे सांस लेना आसान हो जाता है।

(2) रक्त संचार को बेहतर बनाता है

यह आसन हृदय से रक्त संचार को तेज करता है, जिससे शरीर के विभिन्न अंगों को अधिक ऑक्सीजन और पोषण मिलता है।

(3) सहानुभूति (Sympathetic) और परानुकंपी (Parasympathetic) तंत्रिका तंत्र का संतुलन

यह आसन शरीर में तनाव हार्मोन (Cortisol) को नियंत्रित करता है और मस्तिष्क में एंडोर्फिन हार्मोन को सक्रिय करता है, जिससे व्यक्ति को शांति और सुकून महसूस होता है।

(4) पाचन क्रिया में सुधार

पेट की मांसपेशियों पर हल्का दबाव पड़ता है, जिससे आंतों का संकुचन और प्रसार बेहतर होता है, और कब्ज जैसी समस्याएँ दूर होती हैं।

भुजंगासन और श्वसन रोगों पर इसके प्रभाव

फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए यह आसन अत्यधिक लाभदायक है। विशेष रूप से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और एलर्जी के कारण होने वाले सांस के रोगों में यह काफी प्रभावी पाया गया है।

(1) अस्थमा रोगियों के लिए फायदेमंद

यह श्वसन मार्ग को खोलने में मदद करता है और फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है।

अस्थमा के मरीज अगर नियमित रूप से इसका अभ्यास करें, तो उनके दौरे (asthma attacks) की संभावना कम हो सकती है।

(2) ब्रोंकाइटिस में राहत

ब्रोंकाइटिस में फेफड़ों में सूजन आ जाती है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है।

भुजंगासन करने से ब्रोंकियल ट्यूब्स (Bronchial Tubes) खुलती हैं, जिससे सांस लेना आसान होता है।

(3) फेफड़ों की ऑक्सीजन क्षमता में वृद्धि

जब हम इस आसन के दौरान गहरी सांस लेते हैं, तो यह फेफड़ों में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाता है और उन्हें मजबूत बनाता है।

भुजंगासन और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

(1) वात दोष को संतुलित करता है

आयुर्वेद के अनुसार, यह आसन शरीर में वात दोष को संतुलित करने में सहायक है, जिससे जोड़ों का दर्द और शरीर में कठोरता कम होती है।

(2) पाचन तंत्र को सुधारता है

यह पाचन अग्नि (digestive fire) को बढ़ाता है, जिससे भोजन जल्दी पचता है और अम्लता (acidity) की समस्या दूर होती है।

(3) मानसिक शांति प्रदान करता है

यह आसन स्ट्रेस (तनाव) को कम करता है और मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

बच्चों और बुजुर्गों के लिए भुजंगासन का महत्व

(1) बच्चों के लिए लाभ

यह आसन बच्चों में एकाग्रता और मानसिक स्थिरता बढ़ाता है।

बच्चों के इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और शारीरिक विकास में मदद करता है।

(2) बुजुर्गों के लिए लाभ

यह बुजुर्गों में पीठ दर्द, सांस की तकलीफ और हड्डियों की कमजोरी को दूर करने में मदद करता है।

हल्की गति से करने पर यह रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाए रखता है और जोड़ों के दर्द को कम करता है।

भुजंगासन को कब और कैसे करना चाहिए?

(1) सही समय

भुजंगासन करने का सबसे अच्छा समय सुबह खाली पेट होता है।

अगर आप शाम को करना चाहते हैं, तो भोजन के कम से कम 3 घंटे बाद करें।

(2) सही वातावरण

शांत और खुली जगह चुनें, जहाँ अच्छा वेंटिलेशन हो और प्राकृतिक हवा मिल सके।

अगर संभव हो तो बाहर (खुले पार्क में) करें, ताकि अधिक ऑक्सीजन मिल सके।

(3) अभ्यास की अवधि

शुरुआत में इसे 15-30 सेकंड तक करें, फिर धीरे-धीरे इसे 1 मिनट तक बढ़ाएँ।

इसे रोज़ाना 3-5 बार दोहराने से अधिकतम लाभ मिलेगा।

भुजंगासन: फेफड़ों को मजबूत करने का चमत्कारी योगासन, जानें इसके अद्भुत फायदे!
भुजंगासन: फेफड़ों को मजबूत करने का चमत्कारी योगासन, जानें इसके अद्भुत फायदे!

 भुजंगासन के साथ अन्य सहायक योगासन

अगर आप अपने फेफड़ों को और अधिक मजबूत बनाना चाहते हैं, तो भुजंगासन के साथ कुछ अन्य योगासनों को भी अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं। ये योगासन भी फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाने और शरीर को अधिक ऊर्जावान बनाने में मदद करते हैं।

(1) प्राणायाम (अनुलोम-विलोम और कपालभाति)

अनुलोम-विलोम नाड़ी शुद्धि करता है और फेफड़ों की ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता को बढ़ाता है।

कपालभाति फेफड़ों से अवांछित तत्वों को बाहर निकालता है और सांस की नलियों को साफ करता है।

कैसे करें:

सीधा बैठें और आँखें बंद करें।

दाएँ नथुने को बंद करके बाएँ नथुने से गहरी सांस लें और फिर दाएँ नथुने से छोड़ें।

इसे 5-10 मिनट तक करें।

(2) धनुरासन (Bow Pose)

यह भुजंगासन की तरह ही रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है और फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है।

यह छाती को फैलाने और अधिक ऑक्सीजन लेने में मदद करता है।

कैसे करें:

पेट के बल लेट जाएँ, घुटनों को मोड़ें और टखनों को पकड़ें।

शरीर को ऊपर उठाएँ और 20-30 सेकंड तक इसी स्थिति में रहें।

(3) वज्रासन (Vajrasana)

यह आसन पाचन में सुधार करता है और फेफड़ों के लिए ऑक्सीजन प्रवाह को बढ़ाने में मदद करता है।

यह तनाव को कम करता है और फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार लाता है।

कैसे करें:

घुटनों को मोड़कर बैठें और एड़ियों को नितंबों के नीचे रखें।

कमर सीधी रखें और लंबी गहरी सांस लें।

भुजंगासन के लिए सही आहार

योग का अधिकतम लाभ तभी मिलता है जब सही खानपान को भी ध्यान में रखा जाए। यदि आप फेफड़ों को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो आपको कुछ विशेष खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए।

(1) फेफड़ों के लिए फायदेमंद खाद्य पदार्थ

हल्दी: इसमें कर्क्यूमिन (Curcumin) होता है, जो फेफड़ों की सूजन को कम करता है।

 अदरक: यह बलगम को साफ करने और फेफड़ों को खोलने में मदद करता है।

 लहसुन: यह शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में सहायक होता है।

 शहद: यह गले और श्वसन नलियों को साफ करता है।

 नींबू और संतरा: ये फेफड़ों को साफ रखते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं।

 हरी सब्जियाँ (पालक, मेथी, ब्रोकोली): इनमें एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो फेफड़ों को स्वस्थ रखते हैं।

(2) किन चीजों से बचना चाहिए?

ज्यादा तला-भुना खाना – यह फेफड़ों में सूजन पैदा कर सकता है।

अत्यधिक मीठा और प्रोसेस्ड फूड – यह शरीर में बलगम बढ़ा सकता है।

धूम्रपान और शराब – ये फेफड़ों को बहुत अधिक नुकसान पहुँचाते हैं।

भुजंगासन को नियमित रूप से करने के लिए सुझाव

यदि आप इस आसन को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहते हैं, तो आपको कुछ महत्वपूर्ण सुझावों का पालन करना चाहिए:

(1) एक समय तय करें

सुबह जल्दी या शाम को एक निश्चित समय पर इसे करें, ताकि यह आपकी आदत बन सके।

(2) धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएँ

शुरुआत में 30 सेकंड करें और फिर धीरे-धीरे इसे 1 मिनट तक बढ़ाएँ।

(3) नियमितता बनाए रखें

इसे सप्ताह में कम से कम 5-6 दिन करें, तभी आपको इसके पूरे लाभ मिलेंगे।

(4) संयम और धैर्य रखें

शुरुआत में ज्यादा झुकने की कोशिश न करें, बल्कि धीरे-धीरे अपने शरीर को लचीला बनाएं।

(5) सही तरीके से करें

अगर आपको कोई समस्या होती है, तो किसी योग प्रशिक्षक की मदद लें।

भुजंगासन से जुड़े कुछ सवाल और उनके जवाब

(1) क्या भुजंगासन हर कोई कर सकता है?

हाँ, लेकिन जिन लोगों को कमर दर्द, हर्निया या रीढ़ की गंभीर समस्या हो, वे इसे डॉक्टर की सलाह के बाद ही करें।

(2) भुजंगासन कितनी देर तक करना चाहिए?

शुरुआत में 20-30 सेकंड करें, फिर धीरे-धीरे इसे 1 मिनट तक बढ़ाएँ।

(3) क्या भुजंगासन वजन कम करने में मदद करता है?

हाँ, यह पेट की चर्बी कम करने में मदद करता है, लेकिन इसके साथ संतुलित आहार और अन्य व्यायाम भी ज़रूरी हैं।

(4) क्या भुजंगासन गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित है?

नहीं, गर्भवती महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे पेट पर दबाव पड़ता है।

(5) क्या भुजंगासन करने से पीठ दर्द ठीक होता है?

हाँ, यह मांसपेशियों को मजबूत करता है और पीठ दर्द में आराम दिलाता है, लेकिन गंभीर समस्या हो तो डॉक्टर से सलाह लें।

निष्कर्ष: भुजंगासन को अपनाएँ और स्वस्थ जीवन जिएँ

भुजंगासन एक प्रभावी योगासन है जो फेफड़ों की कार्यक्षमता, श्वसन नलियों की मजबूती, रीढ़ की लचीलेपन और मानसिक शांति को बढ़ाने में मदद करता है। यदि आप इसे नियमित रूप से अभ्यास करते हैं, तो यह न केवल आपकी सांस से जुड़ी समस्याओं को दूर करेगा, बल्कि आपको तनाव मुक्त और ऊर्जावान जीवन प्रदान करेगा।

अगर आप अपने शरीर को स्वस्थ और फेफड़ों को मजबूत बनाना चाहते हैं, तो भुजंगासन को अपनी दिनचर्या में शामिल करें और बेहतर स्वास्थ्य की ओर कदम बढ़ाएँ!


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Sanjeev

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