मिजोरम बना भारत का पहला 100% साक्षर राज्य – जानिए कैसे एक छोटे राज्य ने रच दिया शिक्षा में इतिहास!

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मिजोरम ने रचा नया कीर्तिमान – भारत का पहला पूर्ण साक्षर राज्य बनने की असली कहानी!

भूमिका: साक्षरता की ओर बढ़ता भारत और मिज़ोरम की विशेष उड़ान

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जब 20 मई 2025 को मिज़ोरम के मुख्यमंत्री पु लालदुहोमा ने एक जनसभा में मिज़ोरम को भारत का पहला पूर्ण साक्षर राज्य घोषित किया, तो यह केवल एक सरकारी घोषणा नहीं थी — यह एक सामाजिक क्रांति का औपचारिक समापन था, जिसमें भाषा, संस्कृति, परंपरा और शिक्षा का एक अद्भुत संगम दिखाई दिया।

जहां एक ओर भारत के कई राज्य अभी भी पूर्ण साक्षरता से कोसों दूर हैं, वहीं मिज़ोरम ने न केवल इस लक्ष्य को प्राप्त किया, बल्कि यह साबित कर दिया कि जब सरकार, समाज और नागरिक एक साथ प्रयास करें, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।

शब्दों से पहले शिक्षा: मिज़ोरम की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि और सीखने की भूख

प्रारंभिक युग और मिशनरियों की भूमिका

19वीं सदी के उत्तरार्ध तक मिज़ोरम में न कोई लिखित भाषा थी और न ही कोई औपचारिक शिक्षा प्रणाली। लेकिन जब वेल्श मिशनरियों ने मिज़ो भाषा के लिए रोमन लिपि आधारित वर्णमाला विकसित की और 1894 में पहला स्कूल खोला, तो यह मिज़ोरम के भविष्य को आकार देने वाला पहला कदम था।

इन स्कूलों में न केवल धार्मिक शिक्षा दी जाती थी, बल्कि व्याकरण, गणित और नैतिकता की शिक्षा भी दी जाती थी। यह शिक्षा मिज़ो समुदाय के लिए आत्म-सम्मान और सामाजिक उन्नति का माध्यम बन गई।

स्वतंत्रता के बाद का युग: शिक्षा नीति और मिज़ोरम का दृष्टिकोण

राज्य बनने के बाद नई दिशा

1987 में मिज़ोरम को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला, और इसके बाद राज्य सरकार ने शिक्षा को प्राथमिकता दी। मिज़ोरम के नेताओं और समाज ने समझा कि असमानता, गरीबी और बेरोज़गारी जैसे सामाजिक संकटों से लड़ने के लिए शिक्षा ही सबसे सशक्त हथियार है।

मुख्य नीतिगत पहलें:

गाँव-गाँव स्कूलों की स्थापना

शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम

महिला साक्षरता पर विशेष ध्यान

बाल शिक्षा को प्राथमिकता

‘ULLAS’ अभियान: आजीवन सीखने की शक्ति

क्या है ULLAS?

‘ULLAS’ अर्थात Understanding Lifelong Learning for All in Society — एक ऐसा राष्ट्रीय अभियान है जिसका उद्देश्य प्रत्येक नागरिक को आजीवन शिक्षा के लिए प्रेरित करना है। इस कार्यक्रम ने मिज़ोरम में उन वयस्कों तक भी शिक्षा पहुँचाई, जो कभी स्कूल नहीं गए थे।

ULLAS और मिज़ोरम में क्रांति

ULLAS के अंतर्गत:

मोबाइल शिक्षा वैन चलाई गईं

स्वयंसेवकों द्वारा बुज़ुर्गों को पढ़ाया गया

स्थानीय चर्च, NGO और पंचायतों ने भी भागीदारी की

यह एक जन आंदोलन बन गया, जिसमें बच्चों, नौजवानों, महिलाओं और बुज़ुर्गों — सभी ने हिस्सा लिया।

हर हाथ में कलम: सामुदायिक सहभागिता की शक्ति

‘Each One Teach One’ की सफलता

मिज़ोरम ने 1990 के दशक में ‘Each One Teach One’ कार्यक्रम को जन-आंदोलन बना दिया। इसका लक्ष्य था — हर साक्षर व्यक्ति एक अशिक्षित को पढ़ाना शुरू करे।

चर्चों और समाज का योगदान

मिज़ोरम में चर्च केवल धार्मिक संस्थाएं नहीं हैं, वे सामाजिक सुधार के केंद्र भी हैं। इन्हीं चर्चों ने शिक्षा अभियानों को गांव-गांव तक पहुंचाया और नियमित साक्षरता कक्षाएं शुरू कीं।

सांख्यिकी में उपलब्धि: पूर्ण साक्षरता का अर्थ क्या है?

2025 के आंकड़े

कुल साक्षरता दर: 98.02%

पुरुष साक्षरता: 99.0%

महिला साक्षरता: 97.0%

6-14 आयु वर्ग में स्कूल नामांकन: लगभग 100%

ड्रॉपआउट दर: लगभग शून्य

क्या है ‘पूर्ण साक्षरता’?

भारतीय संदर्भ में ‘पूर्ण साक्षरता’ का अर्थ है:

हर व्यक्ति पढ़ने, लिखने और सामान्य गणितीय कार्य करने में सक्षम हो

तकनीकी एवं डिजिटल साक्षरता को भी बढ़ावा दिया जाए

वयस्क साक्षरता और महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता दी जाए

मिजोरम बना भारत का पहला 100% साक्षर राज्य – जानिए कैसे एक छोटे राज्य ने रच दिया शिक्षा में इतिहास!
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भौगोलिक और प्रशासनिक चुनौतियाँ: और उनका समाधान

चुनौतियाँ:

Lawngtlai, Lunglei, Mamit जैसे जिलों में दुर्गम पहाड़ी इलाकों के कारण स्कूलों की पहुँच कठिन

जनजातीय समुदायों में कुछ विरोधाभास और प्रारंभिक अनिच्छा

सीमावर्ती क्षेत्रों में शिक्षक की कमी

समाधान:

डिजिटल शिक्षा वैन और पोर्टेबल स्कूल किट्स का उपयोग

स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें शिक्षक बनाया गया

चर्च और स्वयंसेवकों की मदद से शिक्षा को लोकप्रिय बनाया गया

महिलाओं की भागीदारी: साक्षरता और सशक्तिकरण

शिक्षा ने बदली तस्वीर

मिज़ोरम की महिलाएं आज:

स्कूलों में शिक्षक

स्थानीय प्रशासनिक इकाइयों में सदस्य

स्व-सहायता समूहों की नेता

शिक्षा ने उन्हें केवल पढ़ना-लिखना नहीं सिखाया, बल्कि उन्हें समाज में आत्मनिर्भर, निर्णायक और नेतृत्वकर्ता भी बनाया।

शिक्षा और रोजगार: मिज़ोरम का आर्थिक परिवर्तन

साक्षरता से मिज़ोरम में:

सरकारी नौकरियों में अधिक भागीदारी

स्टार्टअप और उद्यमिता में वृद्धि

श्रमिक पलायन में गिरावट

हाई-स्कूल और कॉलेज स्तर पर छात्रों का नामांकन तेजी से बढ़ा

शेष भारत के लिए प्रेरणा: मिज़ोरम मॉडल का अनुकरण

मिज़ोरम का मॉडल अन्य राज्यों के लिए एक प्रेरक उदाहरण बन गया है:

उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान जैसे राज्यों के शिक्षा अधिकारियों ने इस मॉडल का अध्ययन शुरू किया है

केंद्र सरकार ने मिज़ोरम के शिक्षकों और प्रशासन को सम्मानित करने की योजना बनाई है

भविष्य की राह: पूर्ण साक्षरता से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की ओर

क्या पूर्ण साक्षरता ही अंतिम लक्ष्य है?

नहीं। मिजोरम अब जिस दौर में प्रवेश कर चुका है, उसे “Post-Literacy Phase” कहा जाता है। इसका अर्थ है – अब केवल पढ़ना-लिखना ही नहीं, बल्कि समझदारी से सोचने, विश्लेषण करने और तकनीक के साथ शिक्षा को जोड़ने का युग आ गया है।

गुणवत्ता बनाम मात्रा

साक्षरता दर अब 100% हो गई है, लेकिन अब सरकार और समाज को यह सुनिश्चित करना है कि:

शिक्षा अर्थपूर्ण और प्रासंगिक हो

बच्चों में सृजनात्मकता, आलोचनात्मक सोच और नेतृत्व क्षमता का विकास हो

NEP 2020 के सिद्धांतों के अनुसार बहुभाषिक, कौशल-आधारित और डिजिटल रूप से सक्षम शिक्षा दी जाए

डिजिटल साक्षरता: अब हर हाथ में ज्ञान

मिजोरम अब आगे बढ़ रहा है एक नई दिशा में – डिजिटल साक्षरता। इसमें शामिल हैं:

हर ग्राम पंचायत में डिजिटल साक्षरता केंद्र

बुज़ुर्गों के लिए स्मार्टफोन उपयोग प्रशिक्षण

विद्यालयों में coding, AI और robotics की शुरुआती शिक्षा

यह भविष्य की पीढ़ी को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करेगा।

उच्च शिक्षा में अवसर और विसंगतियाँ

कठिनाइयाँ:

उच्च शिक्षा के लिए छात्रों को अक्सर मिजोरम से बाहर जाना पड़ता है

मेडिकल, इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट संस्थानों की संख्या सीमित है

शोध और नवाचार में कमी

समाधान की दिशा:

सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ मिज़ोरम को शोध केंद्र के रूप में विकसित करना

स्थानीय छात्रों के लिए स्कॉलरशिप और फ़ेलोशिप योजनाएं

स्टार्टअप कल्चर को शिक्षा से जोड़ना

रोल मॉडल टीचर्स: शिक्षा आंदोलन के नायक

मिजोरम की इस सफलता के पीछे कई शिक्षकों का व्यक्तिगत समर्पण है। उदाहरण के तौर पर:

रहिमा देवी, जिन्होंने स्वयं स्कूल छोड़ चुकी महिलाओं के लिए मुफ्त में साक्षरता अभियान चलाया

एल. लालबियाकुमा, जिन्होंने पहाड़ी गांवों में साइकिल से जाकर साक्षरता कक्षाएं लीं

इन जैसे हजारों शिक्षकों ने अपने निजी जीवन को सेवा में लगा दिया — यह साबित करता है कि एक व्यक्ति भी परिवर्तन का वाहक बन सकता है।

राष्ट्रीय नीति में योगदान: मिजोरम का केस स्टडी के रूप में उभार

भारत सरकार और नीति आयोग अब मिजोरम के मॉडल को “Replicable Best Practice” के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। यह सुझाव दिए जा रहे हैं कि:

मिजोरम के सामुदायिक-सहभागिता मॉडल को अन्य राज्यों में लागू किया जाए

ULLAS और “Each One Teach One” कार्यक्रमों की स्थानीय भाषा में अनुकूलन किया जाए

राज्यों को विशेष केंद्र सहायता दी जाए जो मिज़ोरम की तरह लक्ष्य प्राप्त करें

नई शिक्षा नीति (NEP 2020) और मिजोरम की संरेखण

NEP के प्रमुख बिंदु जो मिज़ोरम में लागू हो चुके हैं:

मातृभाषा में शिक्षा

समावेशी शिक्षा

शिक्षक प्रशिक्षण

वयस्क शिक्षा

डिजिटल लर्निंग

मिज़ोरम वास्तव में NEP के आदर्श राज्य के रूप में उभरा है।

सामाजिक परिणाम: शिक्षा से समाज में बदलाव

शिक्षा ने मिजोरम में कई बड़े सामाजिक परिवर्तन लाए हैं:

बाल विवाह और घरेलू हिंसा में गिरावट

महिला सशक्तिकरण में वृद्धि

स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जागरूकता

प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा की समझ

शिक्षा ने लोगों को अधिकारों, कर्तव्यों और सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति जागरूक किया है।

भारत के अन्य राज्यों के लिए सीख

अगर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों को मिजोरम से सीखना है, तो उन्हें:

शिक्षा को सिर्फ सरकारी कार्यक्रम न मानकर जन-आंदोलन बनाना होगा

स्थानीय संस्थाओं, समुदायों और धार्मिक संगठनों को शामिल करना होगा

वयस्क शिक्षा और महिला साक्षरता पर विशेष ध्यान देना होगा

शिक्षा और संस्कृति: मिज़ोरम का अनोखा समन्वय

मिज़ोरम की शिक्षा प्रणाली की एक खास बात है – शिक्षा और सांस्कृतिक मूल्यों का गहरा संबंध। यहाँ शिक्षा केवल नौकरी पाने का माध्यम नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी और नैतिकता का हिस्सा है।

स्कूलों में बच्चों को सामूहिक श्रम, अनुशासन, साफ-सफाई और पर्यावरण संरक्षण सिखाया जाता है।

स्थानीय त्योहारों और पारंपरिक गीतों के माध्यम से सामुदायिक मूल्यों को बढ़ावा दिया जाता है।

“Tlawmngaihna” – एक मिज़ो दर्शन, जिसका अर्थ है “दूसरों की मदद करने की भावना” – इसे स्कूलों में बचपन से सिखाया जाता है।

यह मूल्य-आधारित शिक्षा ही मिज़ोरम की असली शक्ति है।

‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ में मिजोरम की भूमिका

मिजोरम ने दिखा दिया है कि:

एक छोटा राज्य भी राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व कर सकता है

भाषा, भूगोल या संसाधनों की कमी, प्रतिबद्धता की जगह नहीं ले सकती

यह राज्य भारत को सिखा सकता है कि कैसे जन सहयोग, प्रेरणादायक नेतृत्व, और सांस्कृतिक शक्ति से शिक्षा का क्रांति लाई जा सकती है

‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना तब ही पूर्ण होगी जब हर राज्य मिज़ोरम से कुछ सीखे और साझा करे।

UNESCO जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से मान्यता की संभावना

मिजोरम की सफलता अब सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहनी चाहिए।
इस राज्य को UNESCO जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों से:

Model of Community-Led Literacy State” की मान्यता मिल सकती है

यहां के शिक्षक Global Literacy Ambassador बनाए जा सकते हैं

मिजोरम को एक Study Exchange Hub के रूप में विकसित किया जा सकता है

मिजोरम बना भारत का पहला 100% साक्षर राज्य – जानिए कैसे एक छोटे राज्य ने रच दिया शिक्षा में इतिहास!
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भावनात्मक दृष्टिकोण: यह केवल उपलब्धि नहीं, एक आंदोलन है

इस ऐतिहासिक उपलब्धि को केवल आँकड़ों की जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। यह है:

उन माओं की आंखों का सपना, जिन्होंने अपनी बेटियों को स्कूल भेजा

उन वृद्धों की आशा, जिन्होंने बुज़ुर्ग होने के बावजूद A B C सीखा

उन शिक्षकों की तपस्या, जिन्होंने पैसे नहीं, परिवर्तन के लिए काम किया

उन बच्चों की हिम्मत, जिन्होंने कठिनाइयों के बावजूद किताबें नहीं छोड़ी

यह आंदोलन दिल से निकला था — और दिल तक पहुँचा है।

मिजोरम पूर्ण साक्षर राज्य: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

Q1. मिजोरम को पूर्ण साक्षर राज्य किसने घोषित किया और कब?

उत्तर:  मिजोरम को पूर्ण साक्षर राज्य के रूप में 20 मई 2025 को मिजोरम के मुख्यमंत्री पु लालदुहोमा ने घोषित किया।

Q2. भारत का पहला पूर्ण साक्षर राज्य कौन बना है?

उत्तर:  मिजोरम भारत का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसे आधिकारिक रूप से 100% साक्षरता प्राप्त हुई है।

Q3. मिजोरम की साक्षरता दर कितनी है?

उत्तर:  मिजोरम की साक्षरता दर 100% हो चुकी है, जो भारत में अब तक की सबसे ऊँची साक्षरता दर है।

Q4. इस साक्षरता अभियान को चलाने में किन-किन संस्थाओं का योगदान रहा?

उत्तर:  मिजोरम सरकार

शिक्षा विभाग

स्वयंसेवी संगठन

चर्च संस्थाएं

स्थानीय निकाय

यूनिसेफ जैसे अंतरराष्ट्रीय सहयोगी

Q5. मिजोरम में साक्षरता अभियान की शुरुआत कब हुई थी?

उत्तर:  मिजोरम में साक्षरता अभियान की नींव 1980 के दशक में ही रख दी गई थी, लेकिन इसे गति मिली राष्ट्रीय साक्षरता मिशन (1988) और बाद में NEP 2020 के तहत।

Q6. मिजोरम की साक्षरता सफलता में कौन-से प्रमुख कारक रहे?

उत्तर:  समुदाय आधारित शिक्षा मॉडल

चर्च और गांव परिषदों की भागीदारी

डिजिटल और मोबाईल शिक्षा

मातृभाषा में शिक्षा का उपयोग

बालिकाओं की शिक्षा पर जोर

वृद्धजन और वयस्क शिक्षा अभियानों की सफलता

Q7. मिजोरम की तुलना अन्य राज्यों से कैसे की जा सकती है?

उत्तर:  जहाँ मिजोरम ने 100% साक्षरता प्राप्त की, वहीं अन्य उच्च साक्षरता वाले राज्य जैसे केरल और त्रिपुरा की दरें 90–96% के आसपास हैं।
लेकिन मिजोरम पहला राज्य है जिसे सरकार द्वारा औपचारिक रूप से पूर्ण साक्षर राज्य घोषित किया गया है।

Q8. ‘Tlawmngaihna’ शब्द का क्या अर्थ है और इसका क्या महत्व है?

उत्तर:  ‘Tlawmngaihna’ मिजो संस्कृति का मूल विचार है, जिसका अर्थ है – दूसरों की मदद करने की भावना। यह शिक्षा के माध्यम से हर व्यक्ति में आत्मसात कराया गया, जिससे सामुदायिक विकास को बल मिला।

Q9. क्या यह उपलब्धि सिर्फ स्कूल शिक्षा तक सीमित है?

उत्तर:  नहीं, यह उपलब्धि वयस्क शिक्षा, डिजिटल साक्षरता, ग्रामीण महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों की साक्षरता को भी शामिल करती है। इस अभियान का दायरा पूरे समाज को समेटे हुए है।

Q10. क्या मिजोरम की यह उपलब्धि अंतरराष्ट्रीय मान्यता के योग्य है?

उत्तर:  हाँ, यह उपलब्धि UNESCO जैसी संस्थाओं द्वारा “Model Literacy State” के रूप में मान्यता प्राप्त कर सकती है।

Q11. मिजोरम की इस उपलब्धि से देश के अन्य राज्यों को क्या सीख मिलती है?

उत्तर:  जन भागीदारी ही किसी भी अभियान की आत्मा है

मातृभाषा और संस्कृति का उपयोग शिक्षा में बेहद प्रभावी हो सकता है

संसाधनों की कमी, यदि इच्छा शक्ति हो तो, बाधा नहीं बनती

शिक्षा केवल आंकड़ों का विषय नहीं, एक सामाजिक आंदोलन है

Q12. क्या मिजोरम की यह घोषणा स्थायी है या जाँच के अधीन है?

उत्तर:  यह घोषणा राज्य सरकार द्वारा प्रमाणित सर्वेक्षण और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की सहमति के साथ की गई है। अतः यह वैध और मान्यता प्राप्त है।

Q13. मिजोरम के इस मॉडल को पूरे भारत में कैसे लागू किया जा सकता है?

उत्तर:  सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों को जोड़कर

स्थानीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा देकर

शिक्षकों को प्रेरणा आधारित नेतृत्व में प्रशिक्षण देकर

डिजिटल उपकरणों का व्यापक उपयोग क

Q14. क्या मिजोरम में शिक्षा केवल अंग्रेजी या हिंदी में होती है?

उत्तर:  नहीं, मिजोरम में मिज़ो भाषा (मातृभाषा) को प्राथमिक स्तर पर शिक्षा में प्रमुखता दी जाती है। इसके साथ अंग्रेज़ी और हिंदी भी पढ़ाई जाती है।

Q15. भविष्य में मिजोरम की शिक्षा नीति का क्या लक्ष्य है?

उत्तर:

गुणवत्ता आधारित शिक्षा

उच्च शिक्षा में नवाचार

डिजिटल समावेशन

रोजगारोन्मुख शिक्षा

अंतरराष्ट्रीय सहयोग

निष्कर्ष: मिजोरम की पूर्ण साक्षरता – एक प्रेरणादायक मिसाल

मिजोरम का भारत का पहला पूर्ण साक्षर राज्य बनना न केवल राज्य के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। यह उपलब्धि दर्शाती है कि जब सरकार, समाज, शैक्षिक संस्थान, और समुदाय मिलकर कार्य करते हैं, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं रहता।

मिजोरम ने यह साबित कर दिया है कि संसाधनों की कमी भी बाधा नहीं बन सकती यदि इच्छाशक्ति, योजना, और समर्पण मजबूत हो।

राज्य की यह सफलता न केवल सांख्यिकीय साक्षरता में है, बल्कि जीवन मूल्यों, सामाजिक भागीदारी, और मानवीय संवेदनाओं के आधार पर सशक्त समाज निर्माण का भी प्रतीक है।

Tlawmngaihna” जैसे सांस्कृतिक मूल्यों को शिक्षा में आत्मसात कर मिजोरम ने यह सिद्ध किया कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं, बल्कि समाज की आत्मा है।

अब यह समय है कि अन्य राज्य मिजोरम से सीख लें और अपनी-अपनी सामाजिक-सांस्कृतिक परिस्थितियों के अनुसार साक्षरता अभियानों को जन आंदोलन का रूप दें।

यदि मिजोरम कर सकता है – तो भारत के अन्य राज्य भी कर सकते हैं।

“शिक्षा जब संस्कृति और संकल्प के साथ जुड़ती है, तो वह क्रांति का रूप ले लेती है – मिजोरम इसका जीवंत उदाहरण है।”


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Sanjeev

Hello! Welcome To About me My name is Sanjeev Kumar Sanya. I have completed my BCA and MCA degrees in education. My keen interest in technology and the digital world inspired me to start this website, “Aajvani.com.”

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