मणिपुर में राष्ट्रपति शासन:

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन: बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद क्यों लागू किया गया?

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मणिपुर में राष्ट्रपति शासन: भाजपा, कांग्रेस और जनता की क्या है प्रतिक्रिया?

हाल ही में मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। यह निर्णय राज्य में जारी जातीय हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता के मद्देनजर लिया गया है।

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हम मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने के कारणों और इसके प्रभावों और राज्य की वर्तमान स्थिति पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह का इस्तीफा

मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह, ये मेइती समुदाय से हैं और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य हैं, ने विपक्ष और अपने सहयोगियों के दबाव के बाद इन्होने होने पद से इस्तीफा दे दिया। Read more…

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन:
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन: बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद क्यों लागू किया गया?

मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह, उनकी सरकार पर हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहने के आरोप लगे थे। इनके इस्तीफे के बाद, राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने उन्हें तब तक इस पद पर बने रहने का अनुरोध किया जब तक इस पद की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की जाती।

राष्ट्रपति शासन की घोषणा

मणिपुर मे मुख्यमंत्री के इस्तीफे और नए नेता के चयन में देरी के कारण और इसी के साथ राज्य में संवैधानिक संकट भी उत्पन्न हो गया। और भारत संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत, यदि राज्य सरकार अपने संविधान के सभी प्रावधानों के अनुसार ही कार्य करने में असमर्थ होती है, तो इसीलिए राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।

तथा इस स्थिति में, राज्यपाल की रिपोर्ट और अन्य सूचनाओं के आधार पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करने का निर्णय लिया।

राष्ट्रपति शासन के प्रभाव

मणिपुर मे राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद, राज्य की प्रशासनिक शक्तियाँ केंद्र सरकार को हस्तांतरित हो जाती हैं।और राज्यपाल, ये अब केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करेंगे, राज्य के प्रशासन का संचालन करेंगे।

इस दौरान, राज्य विधानसभा या तो निलंबित रहती है या भंग कर दी जाती है, और विधानमंडल की शक्तियाँ संसद द्वारा संचालित की जाती हैं।

राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया

मणिपुर मे मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद, भाजपा ने नए नेता के चयन के लिए कई बैठकें हुई, लेकिन ये भी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी।

और इस बीच, विपक्षी दलों ने सरकार की आलोचना की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मणिपुर का दौरा करने का आग्रह किया। और इसी के साथ कांग्रेस ने भी राज्य विधानसभा में एक अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा की थी।

भाजपा (BJP) का रुख:

* भाजपा को उम्मीद थी कि वे बहुमत साबित कर लेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

* पार्टी में नेतृत्व को लेकर अंदरूनी मतभेद सामने आए हैं।

* अब भाजपा केंद्र सरकार के माध्यम से राष्ट्रपति शासन के तहत राज्य को नियंत्रित करेगी।

कांग्रेस (Congress) और विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया:

* कांग्रेस ने भाजपा सरकार की विफलता का आरोप लगाया और नए चुनाव की मांग की।

* विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की।

मणिपुर की जनता पर प्रभाव:

* राज्य की जनता राष्ट्रपति शासन से स्थिरता और शांति की उम्मीद कर रही है।

* लेकिन, अगर जल्द चुनाव नहीं कराए गए तो राजनीतिक अस्थिरता बनी रह सकती है।

वर्तमान स्थिति और आगे का मार्ग

राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद, मणिपुर राज्य में शांति और स्थिरता बहाल करने के प्रयास जारी हैं। केंद्र सरकार ने राज्यपाल के माध्यम से प्रशासनिक कार्यों का संचालन शुरू कर दिया है।

भाजपा नए नेता के चयन के लिए प्रयास कर रही है, जबकि विपक्षी दल राज्य में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की बहाली की मांग कर रहे हैं। और आने वाले दिनों में, मणिपुर की राजनीतिक स्थिति में और बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन का यह निर्णय राज्य की जटिल सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों को दर्शाता है। आशा है कि केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति जल्द ही बहाल होगी।

मणिपुर में जातीय हिंसा की पृष्ठभूमि

मणिपुर में मई 2023 से मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष जारी है। इस हिंसा में अब तक कम से कम 250 लोगों की मृत्यु हो चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।

इस संघर्ष की शुरुआत उस समय हुई जब एक अदालत ने सुझाव दिया कि आर्थिक लाभ और नौकरी में आरक्षण, जो वर्तमान में कुकी समुदाय को प्रदान किए जाते हैं, मेइती समुदाय को भी दिए जाएं।

इस निर्णय ने दोनों समुदायों के बीच तनाव को बढ़ा दिया, जिसके परिणामस्वरूप व्यापक हिंसा हुई।

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन:
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन: बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद क्यों लागू किया गया?

इस हिंसा के मुख्य कारण:

1. आरक्षण विवाद: मेइती समुदाय, जो राज्य की लगभग 53% आबादी है, और अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा चाहता था, जिससे कुकी और नागा समुदाय नाराज थे।

2. अवैध घुसपैठ और भूमि विवाद: कुकी समुदाय पर म्यांमार से अवैध घुसपैठ और अवैध कब्जे का आरोप लगाया गया।

3. नशीली दवाओं के खिलाफ अभियान: सरकार ने कई कुकी गांवों को भी नष्ट कर दिया, जिससे ये समुदाय सरकार से नाराज हो गया।

हिंसा के गंभीर परिणाम:

* 250 से ज्यादा लोग मारे गए।

* 60,000 से ज्यादा लोग अपने घर छोड़कर राहत शिविरों में रहने को मजबूर हुए।

* मणिपुर में सभी इंटरनेट और संचार सेवाओं को कई महीनों तक निलंबित कर दिया गया।

हिंसा के कारण मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की सरकार पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने में असफल होने के आरोप लगे।

निष्कर्ष

मणिपुर में लगभग एक साल से जारी जातीय संघर्ष के कारण राज्य में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ गई थी। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद भाजपा के अंदर नेतृत्व को लेकर विवाद हुआ, जिससे सरकार बनाने में देरी हुई। Click here

इसके परिणामस्वरूप, केंद्र सरकार को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ा।

अब सवाल यह है कि क्या भाजपा नया मुख्यमंत्री चुन पाएगी या राज्य में जल्द ही चुनाव कराए जाएंगे?

संभावनाएं:

* अगर भाजपा जल्द नया नेता चुन लेती है, तो राष्ट्रपति शासन हट सकता है।

* अगर भाजपा बहुमत साबित नहीं कर पाई, तो मणिपुर में नए चुनाव कराए जाएंगे।

* अगर हिंसा जारी रही, तो केंद्र सरकार सख्त कदम उठा सकती है।

Note :- मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने का सबसे बड़ा उद्देश्य राज्य में शांति और स्थिरता स्थापित करना है। अब यह देखना होगा कि आने वाले महीनों में हालात कैसे बदलते हैं।


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Sanjeev

Hello! Welcome To About me My name is Sanjeev Kumar Sanya. I have completed my BCA and MCA degrees in education. My keen interest in technology and the digital world inspired me to start this website, “Aajvani.com.”

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