मुथामिझ सेल्वी का साहसिक सफर: दुनिया की 7 सबसे ऊंची चोटियाँ फतह करने वाली पहली तमिल महिला!
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Toggleजब ज़िंदगी हमें चुनौती देती है, तब कुछ लोग घबरा जाते हैं और कुछ इतिहास रच देते हैं। तमिलनाडु की मुथामिझ सेल्वी ने ऐसा ही एक इतिहास रच दिया है। उन्होंने Denali की कठिन चढ़ाई पूरी करते हुए, बिना तम्बू के 16 घंटे बर्फ में बिताए, और इसी के साथ वे दुनिया के सातों महाद्वीपों की सबसे ऊँची चोटियों (Seven Summits) को फतह करने वाली तमिलनाडु की पहली महिला बन गईं।
उनकी ये यात्रा केवल पर्वतारोहण की नहीं, बल्कि आत्म-विश्वास, साहस और नारी शक्ति की मिसाल है। आज इस ब्लॉग में हम जानेंगे उनके बचपन से लेकर Denali की चोटी तक के संघर्ष, उनकी ट्रेनिंग, चुनौतियाँ, और वे प्रेरणाएँ जो हर युवा के लिए एक मिशाल बन सकती हैं।

मुथामिझ सेल्वी कौन हैं? – एक सामान्य जीवन से असाधारण सफर
मुथामिझ सेल्वी का जन्म तमिलनाडु के एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता एक मध्यमवर्गीय जीवन जीते थे लेकिन उन्होंने कभी बेटी के सपनों को छोटा नहीं समझा।
पढ़ाई के दौरान ही मुथामिझ को पहाड़ों से प्रेम हो गया था। स्कूल ट्रिप के दौरान जब उन्होंने पहली बार पहाड़ों को छुआ, तो मानो दिल में कुछ जाग गया हो।
उनका कोई पर्वतारोहण बैकग्राउंड नहीं था, ना कोई पहाड़ों का अनुभव। लेकिन उनका सपना बड़ा था – दुनिया की सबसे ऊँची चोटियों पर भारत का तिरंगा लहराना। उन्होंने खुद ही खुद को प्रशिक्षित किया, गूगल, यूट्यूब और पर्वतारोहण संस्थानों से सीखा।
सात महाद्वीपों की सात चोटियाँ – Seven Summits की यात्रा
मुथामिझ सेल्वी ने जिन सात चोटियों पर फतह हासिल की, वे पर्वतारोहण की दुनिया में सबसे प्रतिष्ठित मानी जाती हैं। हर एक चोटी अपने आप में एक महासंग्राम है।
महाद्वीप पर्वत का नाम ऊँचाई वर्ष
एशिया माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) 8,848 मीटर
अफ्रीका माउंट किलीमंजारो (Kilimanjaro) 5,895 मीटर
दक्षिण अमेरिका एकोंकागुआ (Aconcagua) 6,961 मीटर
उत्तर अमेरिका डेनाली (Denali) 6,190 मीटर
यूरोप माउंट एल्ब्रस (Elbrus) 5,642 मीटर
अंटार्कटिका विन्सन मासिफ (Vinson Massif) 4,892 मीटर
ऑस्ट्रेलिया कोसियस्को (Kosciuszko) 2,228 मीटर
इन सभी चोटियों को चढ़ने में उन्हें लगभग 5 वर्षों का समय लगा और हर एक चढ़ाई के पीछे एक अलग ही संघर्ष था।
डेनाली – सबसे कठिन चोटी और 16 घंटे का बर्फीला संघर्ष
Denali, अमेरिका की सबसे ऊँची चोटी, को पर्वतारोहियों के लिए दुनिया की सबसे कठिन चोटियों में गिना जाता है। मुथामिझ सेल्वी के लिए यह सिर्फ एक चोटी नहीं थी – यह परीक्षा थी उनकी सहनशीलता, साहस और मानसिक ताकत की।
उन्होंने कहा:
“मैंने 16 घंटे बर्फ के बीच, बिना किसी तंबू के, सिर्फ एक स्लीपिंग बैग में बिताए। तापमान -35 डिग्री सेल्सियस था, और मुझे नहीं पता था सुबह ज़िंदा रहूँगी या नहीं।”
यह अनुभव उन्हें भीतर तक झकझोर गया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 20 किलो का बैकपैक और 50 किलो का स्लेज लेकर वो चढ़ती गईं। Denali की बर्फीली हवाओं, ऑक्सीजन की कमी, और भारी शरीर के बावजूद, उन्होंने भारत का तिरंगा 6,190 मीटर की ऊँचाई पर लहराया।
चुनौतियाँ और तैयारी – मुथामिझ की तपस्या जैसे प्रयास
शारीरिक तैयारी: हर कदम एक इम्तिहान
पर्वतारोहण केवल मन से नहीं होता, इसके लिए शरीर को भी पहाड़ जैसा मजबूत बनाना पड़ता है। मुथामिझ ने हर दिन खुद को फिट रखने के लिए एक सख्त रूटीन अपनाया:
सुबह 5 बजे दौड़ – 10 से 15 किलोमीटर रोज़ाना
सीढ़ियों की ट्रेनिंग – बड़े-बड़े स्टेडियम की सीढ़ियों पर बैकपैक के साथ अभ्यास
जिम व कार्डियो – ताकत और स्टेमिना बढ़ाने की विशेष ट्रेनिंग
ऊँचाई पर ट्रेनिंग – ऑक्सीजन की कमी के साथ शरीर की सहनशीलता बढ़ाना
उनका फिटनेस मंत्र था – “पर्वत की ऊँचाई से पहले अपनी ताकत की ऊँचाई छूना।”
मानसिक तैयारी: डर को हराने का अभ्यास
शरीर को तो ट्रेन किया जा सकता है, लेकिन मानसिक ताकत Denali जैसी चोटियों पर असली हथियार होती है।
उन्होंने मेडिटेशन को अपनी दिनचर्या में शामिल किया
दबाव में निर्णय लेना सीखा – जैसे खराब मौसम में रुकना या लौटना
अकेलेपन, अंधेरे और मृत्यु के डर को उन्होंने खुद से बातचीत करके हराया
उनका कहना था:
“मैंने खुद से कहा – या तो डर को जीत लो, या डर तुम्हें खत्म कर देगा।”
तकनीकी तैयारी: प्रोफेशनल पर्वतारोही जैसा अभ्यास
मुथामिझ सेल्वी ने न केवल फिटनेस बल्कि पर्वतारोहण के तकनीकी पहलुओं में भी खुद को एक्सपर्ट बनाया:
Ice axe, crampons, rope fixing, crevasse rescue जैसी तकनीक सीखी
हिमस्खलन और ग्लेशियर से बचाव की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग ली
स्लीज खींचने, तम्बू लगाना, खाना बनाना – सब अकेले सीखा
Himalayan Mountaineering Institute (HMI) से पर्वतारोहण कोर्स किया
प्रेरणा का स्रोत – एक स्वप्न जो हर रात उनके साथ था
पारिवारिक समर्थन
हालाँकि उनका परिवार आर्थिक रूप से बेहद सशक्त नहीं था, फिर भी उनकी माँ ने कहा:
“बेटी, तुझ पर भरोसा है, तू Everest क्या, आसमान भी छू सकती है।”
उनके पिता ने खेत बेचकर एक एक्सपीडिशन की फीस दी।
महिला सशक्तिकरण की असली पहचान
जब समाज कहता था कि “पर्वतारोहण लड़कियों का काम नहीं”, तब मुथामिझ मुस्कुराती थीं और कहती थीं:
“अगर शरीर मेरा है, तो इसके फैसले भी मेरे हैं।”
उनकी यात्रा हर उस लड़की को प्रेरित करती है, जो बंद कमरों में बड़े सपने देखती है।
समाज में प्रभाव – प्रेरणा का फैलता प्रकाश
स्थानीय समर्थन और सम्मान
तमिलनाडु सरकार, राष्ट्रीय महिला आयोग, और विभिन्न NGOs ने उन्हें सम्मानित किया
उन्होंने कई युवाओं के लिए पर्वतारोहण वर्कशॉप आयोजित कीं
मीडिया ने उन्हें “Mountain Queen of Tamil Nadu” की उपाधि दी
सोशल मीडिया और युवा प्रेरणा
मुथामिझ सेल्वी की हर चढ़ाई सोशल मीडिया पर एक मुहिम बन गई:
इंस्टाग्राम पर #SelviOnSummits ट्रेंड हुआ
यूट्यूब पर उनके डेनाली वीडियो ने लाखों व्यूज़ बटोरे
स्कूलों और कॉलेजों में उन्हें बुलाकर छात्र-छात्राओं को प्रेरित किया गया
भविष्य की योजना – Explorer’s Grand Slam की ओर
Seven Summits के बाद मुथामिझ का अगला लक्ष्य है Explorer’s Grand Slam, जिसमें शामिल हैं:
साउथ पोल (South Pole) स्की एक्सपेडिशन
नॉर्थ पोल (North Pole) स्की ट्रेक
यदि वह यह हासिल करती हैं, तो वे भारत की पहली महिला होंगी जिन्होंने यह मुकाम छुआ।
एक लड़की जो बर्फ में जली, पर कभी पिघली नहीं
मुथामिझ सेल्वी की कहानी केवल शारीरिक ताकत की नहीं, बल्कि मानसिक इच्छाशक्ति, नारी सामर्थ्य और आत्मविश्वास की कहानी है।
जब उन्होंने -35°C की बर्फ में बिना तम्बू के 16 घंटे बिताए, तो वह केवल एक पर्वतारोहण नहीं कर रही थीं – वह हर उस लड़की के लिए रास्ता बना रही थीं, जो समाज की दीवारों में बंद हैं।
आज जब वे हर मंच पर बोलती हैं, तो उनकी आवाज़ में केवल जीत नहीं होती, उसमें वह दर्द होता है जो उन्होंने पहाड़ों की गोद में सहा – और वही उन्हें लाखों युवाओं की प्रेरणा बनाता है।
“जब आप ज़िंदगी से प्यार करते हैं, तो आप हर चोटी पर चढ़ सकते हैं – चाहे वह हिम से ढकी हो या हालात से।” – मुथामिझ सेल्वी

निष्कर्ष – जहाँ हौसला हो, वहाँ हर चोटी छोटी लगती है
मुथामिझ सेल्वी की कहानी एक ऐसी यात्रा है जो बर्फ में शुरू होकर दिलों तक पहुँचती है। एक सामान्य तमिलनाडु की लड़की, जिसने सीमित संसाधनों, समाजिक रूढ़ियों और भयानक मौसमों के बावजूद, दुनिया के सातों महाद्वीपों की सबसे ऊँची चोटियों को फतह किया – यह केवल पर्वतारोहण नहीं, बल्कि मनुष्य की असीम संभावनाओं की विजय है।
बिना तम्बू के 16 घंटे -35°C में बिताना शायद किसी के लिए पागलपन लगे, लेकिन यह दिखाता है कि इंसान की आत्मशक्ति और दृढ़ संकल्प पहाड़ों से भी ऊँचे हो सकते हैं।
मुथामिझ की यह यात्रा हमें सिखाती है कि:
सपनों का आकार आपकी परिस्थितियों से बड़ा होना चाहिए।
लड़की होना कोई सीमा नहीं, एक ताकत है।
अगर आप खुद पर विश्वास करते हैं, तो हर चोटी आपकी है।
उनका जीवन हर उस व्यक्ति को प्रेरणा देता है जो डर, असुरक्षा या सामाजिक बंदिशों में जी रहा है। वो कहती हैं:
“अगर मैं कर सकती हूँ, तो आप भी कर सकते हैं। पर्वत के उस पार सिर्फ बर्फ नहीं है, आपकी जीत है।“
FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
मुथामिझ सेल्वी कौन हैं?
उत्तर:
मुथामिझ सेल्वी तमिलनाडु की एक प्रेरणादायक पर्वतारोही हैं, जिन्होंने सातों महाद्वीपों की सबसे ऊँची चोटियों (Seven Summits) को फतह किया है। वे तमिलनाडु की पहली महिला हैं जिन्होंने यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है।
Seven Summits क्या हैं?
उत्तर:
Seven Summits का अर्थ है सात महाद्वीपों की सात सबसे ऊँची चोटियाँ। ये हैं:
- माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) – एशिया
- एकोंकागुआ (Aconcagua) – दक्षिण अमेरिका
- डेनाली (Denali) – उत्तर अमेरिका
- माउंट किलीमंजारो (Kilimanjaro) – अफ्रीका
- एल्ब्रस (Elbrus) – यूरोप
- विन्सन मासिफ (Vinson Massif) – अंटार्कटिका
- कोसियस्को (Kosciuszko) – ऑस्ट्रेलिया
Denali की चढ़ाई इतनी कठिन क्यों मानी जाती है?
उत्तर:
Denali, उत्तरी अमेरिका की सबसे ऊँची चोटी है और यहां का मौसम अत्यंत ठंडा, अस्थिर और खतरनाक होता है। यहाँ कोई पोर्टर या ऑक्सीजन सपोर्ट नहीं मिलता, और पर्वतारोही को 50 किलो तक का सामान खुद खींचना पड़ता है। मुथामिझ ने इसी चढ़ाई के दौरान 16 घंटे -35°C में बिना तम्बू के बिताए।
मुथामिझ सेल्वी ने पर्वतारोहण की शुरुआत कैसे की?
उत्तर:
मुथामिझ सेल्वी ने एक साधारण स्कूल ट्रिप से ट्रेकिंग की शुरुआत की और फिर खुद को प्रशिक्षित किया। उन्होंने Himalayan Mountaineering Institute (HMI) से पर्वतारोहण का कोर्स किया और फिर धीरे-धीरे सातों चोटियों पर चढ़ाई की।
Explorer’s Grand Slam क्या है, और क्या मुथामिझ सेल्वी इसे पूरा करेंगी?
उत्तर:
Explorer’s Grand Slam एक पर्वतारोहण उपलब्धि है, जिसमें Seven Summits के अलावा North Pole और South Pole पर स्की ट्रेक शामिल है। मुथामिझ सेल्वी अब इस लक्ष्य को प्राप्त करने की योजना बना रही हैं।
क्या आम लोग भी पर्वतारोहण कर सकते हैं?
उत्तर:
हाँ, कोई भी स्वस्थ व्यक्ति पर्वतारोहण की शुरुआत कर सकता है। आपको शुरुआत छोटे ट्रेक से करनी चाहिए, फिर प्रशिक्षण लेना, फिटनेस बनाना और अनुभव बढ़ाना चाहिए।
महिलाओं के लिए पर्वतारोहण कितना सुरक्षित है?
उत्तर:
आज के समय में महिलाएं पर्वतारोहण में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। सही गाइड, टीम, ट्रेनिंग और सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ यह पूरी तरह सुरक्षित हो सकता है। मुथामिझ सेल्वी इसकी जीवंत मिसाल हैं।
मुथामिझ सेल्वी की इस सफलता का क्या सामाजिक प्रभाव हुआ?
उत्तर:
उनकी उपलब्धि ने विशेषकर महिलाओं और युवाओं को आत्म-प्रेरणा दी है। सरकार और मीडिया ने भी उन्हें सम्मानित किया, और मुथामिझ सेल्वी अब कई मोटिवेशनल प्रोग्राम और पर्वतारोहण वर्कशॉप चला रही हैं।
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