मोक्ष मार्ग धर्म: धर्मआत्मा की अंतिम यात्रा!
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Toggleपरिचय – मोक्ष प्राप्ति भारतीय दर्शन का एक प्रमुख लक्ष्य है, जिसे आध्यात्मिक मुक्ति के रूप में जाना जाता है। यह जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त करने की प्रक्रिया है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख धर्मों में मोक्ष को जीवन का परम उद्देश्य माना गया है। मोक्ष प्राप्ति के लिए विभिन्न धर्मों ने अलग-अलग मार्ग सुझाए हैं, जिनमें कर्म योग, ज्ञान योग, भक्ति योग, और राज योग जैसे मार्ग प्रमुख हैं।

आईये हम सब साथ मिलकर मोक्ष मार्ग को विस्तार से समझने प्रयास करते हैं और यह जानने का प्रयास करते हैं कि धर्म इसमें क्या भूमिका निभाता है।
मोक्ष और धर्म क्या हैं और क्यों जरूरी हैं मोक्ष को समझने के लिए हम कुछ बिन्दुओ पर विस्तार से चर्चा करते हैं और समझने का प्रयास करते हैं. जैसे :
1. मोक्ष का अर्थ और परिभाषा
2. मोक्ष की अवधारणा विभिन्न धर्मों में
• हिंदू धर्म में मोक्ष क्या हैं?
• जैन धर्म में मोक्ष क्या हैं?
• बौद्ध धर्म में निर्वाण क्या हैं?
• सिख धर्म में मोक्ष क्या हैं?
3. मोक्ष प्राप्ति के मार्ग
• ज्ञान मार्ग
• कर्म मार्ग
• भक्ति मार्ग
• राज योग मार्ग
4. धर्म और मोक्ष का संबंध
5. मोक्ष प्राप्ति में आने वाली बाधाएँ
6. मोक्ष का आधुनिक परिप्रेक्ष्य
7. निष्कर्ष
1. मोक्ष का अर्थ और परिभाषा
संस्कृत भाषा में “मोक्ष” शब्द का अर्थ होता है “मुक्ति” या “स्वतंत्रता”। यह जन्म-मरण के चक्र (संसार) से स्थायी रूप से मुक्त होने की अवस्था को प्रदर्शित करता है।
हिंदू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, मोक्ष प्राप्त करने वाला व्यक्ति संसार के सुख-दुःख से परे होकर दिव्य आनंद को प्राप्त करता है. मोक्ष के चार प्रमुख लक्षण होते हैं. जो इस प्रकार निम्नलिखित हैं : Read more..
मोक्ष के चार प्रमुख लक्षण
1. आध्यात्मिक मुक्ति – ज़ब आत्मा का परमात्मा से मिलन होता हैं उसे ही आध्यात्मिक मुक्ति कहते हैं.
2. पुनर्जन्म का अंत – ज़ब मनुष्य जन्म और मृत्यु के चक्र से बाहर चला जाता हैं तो उसे पुनर्जन्म का अंत होना कहते हैं.
3. दुःखों का अंत – ज़ब मनुष्य को जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती हैं तो कहा जाता हैं कि दुःखों का अंत हो गया हैं.
4. पूर्ण शांति – ज़ब मनुष्य एक दिव्य, शांतिपूर्ण अवस्था की प्राप्ति करता हैं तो कहा जाता हैं पूर्ण शांति मिल गयी हैं.
2. मोक्ष की अवधारणा विभिन्न धर्मों में अलग अलग हैं जैसे :
(i) हिंदू धर्म में मोक्ष
हिंदू धर्म में मोक्ष को चार पुरुषार्थों (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) में से एक माना गया है। चारों वेदों, उपनिषदों, भगवद गीता और ब्रह्मसूत्र में मोक्ष की विस्तृत व्याख्या की गई है.
मोक्ष के चार मार्ग
1. ज्ञान योग – आत्मा और ब्रह्म की वास्तविक पहचान।
2. भक्ति योग – भगवान की पूर्ण श्रद्धा और प्रेम से भक्ति.
3. कर्म योग – निस्वार्थ भाव से कर्म करना.
4. राज योग – ध्यान और समाधि द्वारा आत्म-ज्ञान की प्राप्त करना.
मोक्ष मार्ग धर्म
(ii) जैन धर्म में मोक्ष
• जैन धर्म में मोक्ष को आत्मा की सर्वोच्च अवस्था माना जाता है, जहाँ कर्मों का पूर्णतः विनाश हो जाता है.
• तीर्थंकरों की शिक्षाओं के अनुसार, मोक्ष प्राप्ति के लिए सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह और अचौर्य का पालन करना आवश्यक होता है.
• “केवल्य” के द्वारा ज्ञान प्राप्त कर लेने पर आत्मा मोक्ष को प्राप्त कर लेती है.
(iii) बौद्ध धर्म में निर्वाण (मोक्ष)
• बौद्ध धर्म में मोक्ष को “निर्वाण” कहा जाता है, जिसका अर्थ है पूर्णतः “इच्छाओं और दुखों से मुक्ति”.
• बौद्ध धर्म मे निर्वाण प्राप्त करने के लिए अष्टांगिक मार्ग का पालन करना आवश्यक है.
* बौद्ध धर्म मे ध्यान, संयम और अहिंसा निर्वाण प्राप्ति में सहायक होती हैं.
(iv) सिख धर्म में मोक्ष
• सिख धर्म में मोक्ष को “सच्चा मिलाप” कहा गया है, जिसका अर्थ है ईश्वर के साथ एकरूपता.
•गुरुबाणी के अनुसार, मोक्ष प्राप्ति के लिए “नाम सिमरन (भगवान के नाम का जप)” बहुत आवश्यक है.
•सिख धर्म मे लोभ, मोह, अहंकार और वासनाओं का त्याग करना बहुत आवश्यक है.

मोक्ष मार्ग धर्म
3. मोक्ष प्राप्ति के मार्ग
(i) ज्ञान मार्ग
•यह मार्ग वेदांत और उपनिषदों पर आधारित है, जहाँ आत्मा के वास्तविक स्वरूप का ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक होता है।
•ज्ञान मार्ग के द्वारा आत्मा और ब्रह्म की एकता का बोध होता हैं.
•अविद्या (अज्ञान) का नाश करने के लिए मनुष्य को नित्य अध्ययन और मनन आवश्यक है।
(ii) कर्म मार्ग
•भगवद गीता में कर्म योग का बहुत महत्व बताया है.
•मनुष्य को निस्वार्थ भाव से कर्म करना और फल की चिंता न करना लक्ष्य ही मोक्ष की ओर ले जाता है.
•अच्छे कर्मों के फलस्वरूप ही व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त कर सकता है.
(iii) भक्ति मार्ग
•मनुष्य को भगवान की प्रेम और श्रद्धा से भक्ति करने पर मोक्ष प्राप्त हो जाता है।
•भक्ति मार्ग समस्त प्राणी जीवन के लिए खुला है, चाहे कोई भी जाति, लिंग या वर्ग का हो.
उदाहरण – मीरा बाई, तुलसीदास, सूरदास जैसे भक्तों ने इसी मार्ग को अपनाया हैं और मोक्ष को प्राप्त किया हैं.
(iv) राज योग मार्ग
•योगसूत्रों में राजयोग का उल्लेख है, जिसमें ध्यान, संयम और समाधि के माध्यम से मोक्ष प्राप्त किया जाता है.
•मानसिक और शारीरिक अनुशासन को अपनाने से आत्मा का शुद्धिकरण किया जाता है.
•समाधि की अवस्था में मनुष्य आत्मा और परमात्मा के एकत्व को अनुभव करता है.
मोक्ष मार्ग धर्म
4. धर्म और मोक्ष का संबंध
•धर्म मनुष्य जीवन का मार्गदर्शन करता है और उसको एक नई दिशा प्रदान करता हैं, जबकि मोक्ष अंतिम लक्ष्य है.
•धर्म का पालन किए बिना मनुष्य को मोक्ष प्राप्त करना असंभव है.
•धार्मिक ग्रंथों में मोक्ष प्राप्त करने के लिए नैतिक आचरण, अहिंसा, सत्य, दया और प्रेम का पालन अनिवार्य बताया गया है.
•मोक्ष प्राप्त करने के लिए धर्म में बताई गई सभी क्रियाओं का अभ्यास करना आवश्यक होता है. Click here..
5. मोक्ष प्राप्ति में बाधाएँ
1. अविद्या (अज्ञान) – आत्मा और परमात्मा के बारे में ज्ञान की कमी होना ही मनुष्य को मोक्ष प्राप्ति मे बाधा उत्पन्न करता हैं.
2. मोह (अत्यधिक आसक्ति) – मनुष्य का सांसारिक चीजों से जुड़ाव होना.
3. अहंकार – अपने को सबसे श्रेष्ठ मानना.
4. अधर्म (अनैतिक आचरण) – अधार्मिक कार्यों में संलिप्तता बनी रहना.
5. कामनाएँ – संसार से भौतिक सुखों की लालसा रखना.
6. मोक्ष का आधुनिक परिप्रेक्ष्य
•आज के समय में मोक्ष को केवल आध्यात्मिक मुक्ति ही नहीं, बल्कि मानसिक शांति, तनावमुक्त जीवन और आत्म-साक्षात्कार के रूप में भी देखा जाता है.
•ध्यान और योग के माध्यम से लोग शांति और आंतरिक आनंद की प्राप्ति कर सकते हैं.
•समाज सेवा और नैतिक जीवन जीने को भी मोक्ष प्राप्ति का एक साधन माना जाता है.
मोक्ष मार्ग धर्म
7. निष्कर्ष
मोक्ष भारतीय संस्कृति और धर्म का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह केवल आध्यात्मिक मुक्ति ही नहीं, बल्कि जीवन की पूर्णता का प्रतीक भी है। मोक्ष प्राप्ति के लिए धर्म का पालन, सत्कर्म, सत्य और अहिंसा जैसे गुणों को अपनाना आवश्यक है।
आधुनिक दृष्टिकोण में मोक्ष को मानसिक शांति, आत्म-ज्ञान और अहंकार के त्याग के रूप में देखा जा सकता है.
•हमे अपने जीवन को अंधकार से प्रकाश की और ले जाने का प्रयास करना चाहिए जिसके लिए हमे निम्नलिखित श्लोक का निरंतर जाप करना चाहिए.
“असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृतं गमय”
(हे प्रभु! हमें असत्य से सत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर, और मृत्यु से अमरत्व की ओर ले चलो।)
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