यमुना नदी: गंगा की प्रमुख सहायक नदी
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Toggleभारत की यमुना नदी एक महत्वपूर्ण नदी है और ये गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी मानी जाती है। यह नदी सभी ऐतिहासिक, धार्मिक और आर्थिक महत्व रखती है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!भारत के लाखों लोगों की जीवनरेखा होने के बावजूद, प्रदूषण की वजह से आज यमुना नदी गंभीर समस्या से जूझ रही है।
आइए विस्तार से जानते हैं यमुना नदी के उद्गम, मार्ग, सहायक नदियाँ, धार्मिक महत्व, प्रदूषण की समस्या और सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में जाने | Read more…

यमुना नदी का उद्गम और प्रवाह मार्ग
भारत मे यमुना नदी की उत्पत्ति उत्तराखंड के यमुनोत्री ग्लेशियर से हुई है , ये बंदरपूंछ पर्वत श्रृंखला में स्थित है।
यहाँ से निकलने के बाद यमुना नदी उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से होकर बहती है और अंत में प्रयागराज (इलाहाबाद) में गंगा नदी से मिलती है।
यमुना नदी किन-किन राज्यों से होकर गुजरती है?
यमुना नदी लगभग 1,376 किलोमीटर की यात्रा तय करती है और निम्नलिखित राज्यों से होकर गुजरती है जाने.
1. उत्तराखंड – यमुनोत्री में उद्गम
2. हिमाचल प्रदेश – कुछ भागों में प्रवाह
3. हरियाणा –यमुनानगर, पानीपत, सोनीपत मे
4. दिल्ली – राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में जल आपूर्ति का प्रमुख स्रोत है.
5. उत्तर प्रदेश – मथुरा, आगरा, इटावा, प्रयागराज
6. मध्य प्रदेश – चंबल और बेतवा नदियाँ भी इसमें मिलती हैं.
यमुना की प्रमुख सहायक नदियाँ
यमुना नदी की कई सहायक नदियाँ हैं, जो इसके जल स्तर को बढ़ाने में मदद करती हैं। इनमें प्रमुख नदियाँ निम्नलिखित हैं |
टोंस नदी – यह नदी यमुना की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
हिंडन नदी – ये नदी सहारनपुर से निकलकर ओर दिल्ली-एनसीआर में यमुना से मिल जाती है।
चंबल नदी – ये नदी राजस्थान और मध्य प्रदेश से बहकर यमुना में मिलती है।
बेतवा नदी – ये नदी मध्य प्रदेश से निकलकर हमीरपुर (उत्तर प्रदेश) में यमुना में मिल जाती है।
केन नदी – ये नदी बुंदेलखंड क्षेत्र में जल आपूर्ति का मुख्य स्रोत।
यमुना का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
यमुना नदी को हिंदू धर्म में देवी के रूप में पूजा जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यमुना सूर्य देव की पुत्री और यमराज की बहन हैं, इसलिए इसे यमी भी कहा जाता है।
* यम द्वितीया (भाई दूज) के दिन यमुना नदी में स्नान करना भी शुभ माना जाता है।
* मथुरा और वृंदावन यमुना के तट पर स्थित हैं, जो भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़े हुए हैं।
प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का मिलन होता है, जो एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।ओर इसी स्थल पर अब महाकुम्भ का आयोजन हुआ है |
यमुना नदी का प्रदूषण: एक गंभीर समस्या
आज यमुना नदी प्रदूषण का शिकार हो चुकी है, विशेष रूप से दिल्ली और इसके आगे के क्षेत्रों में यमुना नदी प्रदूषण का शिकार बनी हुई है । इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं
प्रदूषण के मुख्य कारण
1. औद्योगिक कचरा – इसमें फैक्ट्रियों और कारखानों से निकलने वाला रसायन युक्त पानी सीधे नदी में जाता है।
2. घरेलू गंदा पानी – दिल्ली के 22 किलोमीटर के दायरे में 80% प्रदूषण यमुना नदी मे यहीं से जाता है।
3. असंतुलित जल प्रवाह –इस नदी से अधिक सिंचाई और जल निकासी के कारण यमुना में पानी की मात्रा बहुत कम हो गई है।
4. अपशिष्ट और प्लास्टिक कचरा – दुनिया भर मे हो रहे धार्मिक और सामाजिक आयोजनों में मूर्तियों व फूलों का विसर्जन नदी को अधिक गंदा करते है। Click here

यमुना की सफाई के लिए सरकार के प्रयास
यमुना नदी की सफाई के लिए भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारें बहुत सी योजनाएँ चला रही हैं
यमुना एक्शन प्लान (YAP)
* 1993 में शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट जापान सरकार की सहायता से चलाया गया।
* इसका उद्देश्य यमुना नदी में बहने वाले कचरे को रोकना था।
नमामि गंगे योजना
* केंद्र सरकार द्वारा 2014 में गंगा और उसकी सहायक नदियों की सफाई के लिए शुरू की गई योजनाए |
इसमें यमुना की सफाई को भी प्रमुखता दी गई।
दिल्ली सरकार की योजनाएँ
दिल्ली में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट भी बनाए गये है |
यमुना के किनारे अवैध रूप से निर्माण को हटाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है।
भविष्य में यमुना को स्वच्छ बनाने के लिए क्या किया जा सकता है?
1. सख्त पर्यावरण कानून लागू करना – फैक्ट्रियों से निकलने वाले कचरे पर कड़ी से कड़ी निगरानी रखी जाए।
2. नदी में अपशिष्ट पदार्थ डालने पर जुर्माना – जो भी यमुना नदी में कचरा या प्लास्टिक फेंकें तो उसे दंडित किया जाएगा |
3. नदी के किनारों पर वृक्षारोपण – नदी कें किनारे पर पेड़ो से हरियाली बढ़ने से जल संरक्षण बेहतर होगा।
4. सार्वजनिक जागरूकता अभियान – हमें लोगों को नदी की स्वच्छता को बनाए रखने के लिए सभी को जागरूक करना होगा।
निष्कर्ष
गंगा की यमुना सबसे महत्वपूर्ण सहायक नदी है और साथ ही करोड़ों लोगों के जीवन से जुड़ी हुई है। यह न केवल जल आपूर्ति और सिंचाई का प्रमुख स्रोत है, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है।
लेकिन बढ़ते प्रदूषण और जल की कमी के कारण यह संकट में है। सरकार द्वारा किए जा रहे बार बार प्रयासों के साथ-साथ आम जनता को भी यमुना की स्वच्छता में योगदान देना होगा।
यदि समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाली पीढ़ियों को इस नदी का हमें इसका स्वच्छ स्वरूप देखना मुश्किल हो सकता है।
इसलिए, हमें सभी को मिलकर यह संकल्प लेना चाहिए कि यमुना को प्रदूषित होने से बचाये और इसे फिर से स्वच्छ और निर्मल बनाएँगे।
धन्यवाद..
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