रथ यात्रा 2025: तिथि, महत्व और 13 लाख श्रद्धालुओं की आस्था!
प्रस्तावना: क्यों विशेष है रथयात्रा 2025?
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Toggleहर साल ओडिशा के पुरी नगर में होने वाली श्री जगन्नाथ रथयात्रा विश्वभर के करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए एक अत्यंत पवित्र और भव्य आयोजन होता है।
रथ यात्रा 2025 और भी विशेष बन गई है, क्योंकि इस वर्ष लगभग 13 लाख से अधिक श्रद्धालु इस उत्सव में प्रत्यक्ष रूप से भाग ले रहे हैं। यह न केवल धार्मिक परंपरा है, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना का भी प्रतीक है।
रथ यात्रा 2025 का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व
जगन्नाथ कौन हैं?
भगवान जगन्नाथ को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है, जो विशेष रूप से कृष्ण रूप में पूजे जाते हैं। उनके साथ रथयात्रा में सम्मिलित होते हैं – उनके भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा।
क्यों होती है रथयात्रा?
यह मान्यता है कि भगवान साल में एक बार स्वयं नगर भ्रमण करते हैं ताकि वे उन भक्तों को दर्शन दे सकें जो मंदिर के गर्भगृह तक नहीं पहुँच पाते।
पौराणिक कथा
कहा जाता है कि यह परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है। कृष्ण की लीला भूमि द्वारका से लेकर पुरी तक की कड़ियाँ इस यात्रा से जुड़ी हैं।
रथ यात्रा 2025 की प्रमुख तिथियाँ और कार्यक्रम
कार्यक्रम दिनांक विशेषता
रथयात्रा प्रारंभ 27 जून 2025 जगन्नाथ जी की नगर यात्रा की शुरुआत
हेरा पंचमी 1 जुलाई 2025 देवी लक्ष्मी का क्रोधित होकर रथ में तोड़फोड़
बहुड़ा यात्रा 4 जुलाई 2025 वापसी यात्रा
सुनाबेशा 5 जुलाई 2025 भगवान का स्वर्णाभूषण धारण
नीलाद्री विजय 6 जुलाई 2025 पुनः मंदिर में प्रवेश
रथ यात्रा 2025 का निर्माण की रहस्यमयी प्रक्रिया
रथ की बनावट
भगवान जगन्नाथ का रथ – नंदीघोष: 16 पहिए, पीला-लाल छत।
बलभद्र का रथ – तालध्वज: 14 पहिए, नीला-लाल छत।
सुभद्रा का रथ – दर्पदलन: 12 पहिए, काले-लाल छत।
कैसे बनते हैं ये रथ?
रथ हर वर्ष नये बनते हैं। निर्माण की प्रक्रिया अक्षय तृतीया से प्रारंभ होती है। इसमें केवल विशेष नीम के पवित्र वृक्ष का प्रयोग होता है। लगभग 1400 से अधिक कारीगर दिन-रात मेहनत करते हैं।
रथयात्रा का आध्यात्मिक महत्व
यह यात्रा केवल भक्ति नहीं, एक आत्मचिंतन यात्रा भी होती है।
भगवान को नगर भ्रमण कराकर यह संदेश दिया जाता है कि ईश्वर केवल मंदिरों में सीमित नहीं हैं।
रथ खींचने वाले भक्तों के लिए यह मोक्ष समान पुण्य का कार्य माना जाता है।
13 लाख भक्तों के लिए व्यवस्थाएँ: प्रशासन की बड़ी चुनौती
सुरक्षा व्यवस्था
10,000 से अधिक सुरक्षाकर्मी
500+ CCTV कैमरे
AI बेस्ड कंट्रोल रूम
ड्रोन निगरानी
बम डिटेक्शन यूनिट

ट्रैफिक और परिवहन
विशेष ट्रेनें और बसें
यात्री सहायता केंद्र
मेडिकल मोबाइल यूनिट
स्वास्थ्य और स्वच्छता
मुफ्त स्वास्थ्य शिविर
पीने के पानी के टैंकर
सेनिटेशन अभियान
प्रमुख रस्में और परंपराएँ
पहंडी यात्रा
भक्तों द्वारा भगवान को कंधों पर उठाकर रथ तक लाना।
छेरा पंहरा
पुरी के गजपति राजा द्वारा रथ की सफाई — दर्शाता है कि राजा भी ईश्वर का सेवक होता है।
हेरा पंचमी
देवी लक्ष्मी का रथ तक जाकर भगवान जगन्नाथ से नाराज़गी दिखाना।
सुनाबेशा
भगवान का स्वर्ण वस्त्रों में अलंकरण — हजारों भक्तों के सामने।
रथयात्रा का सामाजिक प्रभाव
हजारों अस्थायी रोज़गार उत्पन्न होते हैं।
लोककलाओं को बढ़ावा मिलता है (पट्टचित्र, गोटीपुआ नृत्य)।
देश-विदेश से पर्यटक पुरी आते हैं, जिससे पर्यटन में जबरदस्त वृद्धि होती है।
श्रद्धालुओं की व्यक्तिगत कहानियाँ: मानव स्पर्श
एक बुज़ुर्ग महिला 83 वर्ष की आयु में पहली बार रथ खींचने पहुँचीं।
एक दृष्टिहीन भक्त ने कहा – “मैं नहीं देख सकता, पर मैंने भगवान को अनुभव किया।”
कई श्रद्धालु अपना जीवन इसी यात्रा के नाम कर देते हैं।
भारत के अन्य शहरों में रथयात्रा
कोलकाता (ISKCON) – लाखों लोग, 15 दिन की भव्य यात्रा।
रांची – पूजा, कीर्तन, महिला शृंगार उत्सव।
वाराणसी – अस्सी घाट पर विशाल आयोजन।
यात्रा से जुड़े उपयोगी सुझाव (For Pilgrims)
पहुँचने का सही समय: रथयात्रा से 1–2 दिन पूर्व।
ठहरने का स्थान: भुवनेश्वर या कटक।
सावधानियाँ: भारी भीड़ में मोबाइल, जेवर सुरक्षित रखें।
पारंपरिक पहनावा: श्वेत/केसरिया वस्त्र
रथयात्रा में ISKCON की भूमिका और वैश्विक प्रसार
ISKCON (International Society for Krishna Consciousness) ने रथयात्रा को भारत से बाहर पूरी दुनिया में पहुंचाया है।
आज यह उत्सव लंदन, न्यूयॉर्क, मॉरीशस, मलेशिया, रूस, अफ्रीका, फ्रांस तक फैला है।
अंतरराष्ट्रीय रथयात्रा की विशेषताएँ:
सभी धर्मों के लोगों को आमंत्रित किया जाता है।
कीर्तन, भजन, वेदिक फूड फेस्ट, फ्री भगवद्गीता वितरण।
सांस्कृतिक झाँकियाँ, कृष्ण लीला नाटक, नृत्य इत्यादि।
> मानव एकता का संदेश: रथयात्रा भारत की एक ऐसी परंपरा है जिसने वैश्विक मंच पर धर्म, संस्कृति और सेवा को जोड़ दिया है।
रथयात्रा से जुड़ी अनसुनी और दिलचस्प बातें
तथ्य विवरण
पहला लिखित उल्लेख 12वीं सदी में
रथ में बैठने का अधिकार केवल पुजारी और सेवादार
रथ का वजन लगभग 60 टन से अधिक
रस्सी की लंबाई 220 फीट
रथ की रस्सियाँ “शंखचूड़ा” नामक विशेष नारियल फाइबर से बनी
भगवान की आंखें क्यों बड़ी होती हैं? दिव्य दृष्टि का प्रतीक
देवी लक्ष्मी क्यों नाराज होती हैं? क्योंकि भगवान उन्हें बिना बताए बहन के साथ यात्रा पर चले जाते हैं
भक्तों के लिए रथयात्रा का आध्यात्मिक मूल्य
रथ खींचना = कर्म योग
यह दिखाता है कि हम सब भगवान के कार्य में सहभागी हो सकते हैं।
पैदल चलकर दर्शन करना = तपस्या
कई भक्त 1000+ किमी पैदल चलकर आते हैं।
श्रद्धा से भक्ति = आत्मा का शुद्धिकरण
यहाँ कोई जात-पात नहीं, केवल ‘भक्ति’ मान्य है।
पर्यटक गाइड: रथयात्रा यात्रा की प्लानिंग कैसे करें?
कैसे पहुँचें पुरी:
हवाई मार्ग: निकटतम एयरपोर्ट – भुवनेश्वर (60 किमी)
रेल मार्ग: पुरी रेलवे स्टेशन (पूरे भारत से कनेक्टेड)
सड़क मार्ग: ओडिशा के सभी प्रमुख शहरों से नियमित बसें
कहाँ ठहरें:
धर्मशालाएँ (₹300–₹1000)
होटल (₹1000–₹5000)
Govt. टूरिस्ट लॉज (ऑनलाइन बुकिंग)
क्या-क्या घूमें:
पुरी बीच
कोणार्क सूर्य मंदिर
चिल्का झील
रघुराजपुर कला ग्राम
साक्षी गोपाल मंदिर
रथयात्रा और मानसिक स्वास्थ्य
आश्चर्य की बात यह है कि रथयात्रा जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों का मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है।
क्या कहती हैं रिसर्च?
भजन और कीर्तन तनाव कम करते हैं।
भीड़ में शामिल होकर व्यक्ति को समूह ऊर्जा का अनुभव होता है।
दान देने, सेवा करने और परोपकार से डोपामिन रिलीज होता है, जिससे खुशी और आत्म-संतोष मिलता है।
महिलाएं और रथ यात्रा: भूमिका और भागीदारी
रथ यात्रा में महिलाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है:
देवी लक्ष्मी की हेरा पंचमी की रस्म महिला चेतना का प्रतीक है।
रथों को खींचने में अब महिलाओं को भी अनुमति मिलने लगी है।
कई महिला स्वयंसेवक यात्रा के संचालन, प्रसाद वितरण, स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवा में जुड़ी रहती हैं।
आस्था के इस महापर्व में महिला सशक्तिकरण भी मुखर है।
मीडिया कवरेज और डिजिटल युग की रथयात्रा
2025 की रथ यात्रा पूरी तरह से डिजिटल लाइव कवरेज के साथ हो रही है:
यूट्यूब लाइव स्ट्रीमिंग (24×7)
सोशल मीडिया पर Reels/Shorts/Clips
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा सुरक्षा व्यवस्था
मोबाइल ऐप्स द्वारा स्थान, दर्शन स्लॉट और प्रसाद बुकिंग
“जहाँ आँखें न पहुँचें, वहाँ अब तकनीक भगवान के दर्शन करा रही है।”

निष्कर्ष: रथयात्रा 2025 — भारत की आत्मा का उत्सव
रथयात्रा 2025 न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारत की आध्यात्मिक चेतना, सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक समरसता का जीवंत प्रमाण है।
पुरी में 13 लाख से अधिक श्रद्धालुओं की उपस्थिति यह दर्शाती है कि ईश्वर के प्रति श्रद्धा और प्रेम की कोई सीमा नहीं होती।
इस रथयात्रा में हमने देखा:
कैसे भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा नगर भ्रमण कर भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।
कैसे गजपति राजा द्वारा रथ की सफाई ‘छेरा पंहरा’ यह सिखाती है कि सेवा ही सच्चा राजधर्म है।
कैसे AI कैमरे, ड्रोन और मेडिकल सुविधाएँ इस प्राचीन परंपरा को आधुनिक युग से जोड़ती हैं।
कैसे यह उत्सव लाखों लोगों को रोजगार, संस्कृति को मंच, और विश्व को भारत की आत्मा दिखाता है।
यह यात्रा भक्ति का उत्सव भी है और जीवन का पाठ भी।
रथ खींचते हुए जब कोई साधारण व्यक्ति ईश्वर के समीप होता है, तब वह केवल रस्सी नहीं खींच रहा होता, वह स्वयं अपने भीतर की अंधकार को दूर कर रहा होता है।
यह उत्सव हमें याद दिलाता है —
> कि ईश्वर मंदिरों में नहीं, हमारे कर्म और सेवा में भी हैं।
कि धर्म केवल पूजा नहीं, सामाजिक कर्तव्य भी है।
और यह कि भारत की आत्मा आज भी जीवित है — रथयात्रा जैसी परंपराओं में।
रथयात्रा 2025 – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: रथयात्रा 2025 कब मनाई जा रही है?
उत्तर: रथयात्रा 2025 की शुरुआत 27 जून (शुक्रवार) को हो रही है। यह यात्रा पुरी (ओडिशा) में अशाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि को प्रारंभ होती है।
प्रश्न 2: रथ यात्रा में कौन-कौन से देवता सम्मिलित होते हैं?
उत्तर: भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा इस यात्रा में अपने-अपने रथों पर विराजमान होकर नगर भ्रमण करते हैं।
प्रश्न 3: रथ यात्रा कहाँ से शुरू होकर कहाँ जाती है?
उत्तर: यात्रा श्री जगन्नाथ मंदिर, पुरी से शुरू होती है और लगभग 3 किलोमीटर दूर स्थित गुंडीचा मंदिर तक जाती है। 9 दिन बाद वापसी यात्रा (बहुड़ा यात्रा) होती है।
प्रश्न 4: रथ कैसे बनाए जाते हैं और कौन उन्हें बनाता है?
उत्तर: रथ हर साल नए बनाए जाते हैं। ये पवित्र नीम (दारु ब्राह्मण) के पेड़ों से बनाए जाते हैं और इन्हें बनाने का कार्य पुरी के पारंपरिक कारीगर (विश्वकर्मा समाज) द्वारा किया जाता है।
प्रश्न 5: क्या कोई भी व्यक्ति रथ खींच सकता है?
उत्तर: हाँ, कोई भी भक्त रथ की रस्सियाँ खींच सकता है। इसे अत्यंत पुण्यदायी कार्य माना जाता है। लेकिन सुरक्षा व्यवस्था के तहत सीमित संख्या में लोगों को एक समय में अनुमति दी जाती है।
प्रश्न 6: रथ यात्रा कितने दिन चलती है?
उत्तर: यह यात्रा कुल 9 से 12 दिन चलती है। इसमें प्रमुख तिथियाँ हैं – रथयात्रा, हेरा पंचमी, बहुड़ा यात्रा, सुनाबेशा और नीलाद्री विजय।
प्रश्न 7: रथों का नाम और पहचान क्या है?
देवता रथ का नाम रंग पहियों की संख्या
जगन्नाथ नंदीघोष लाल-पीला 16
बलभद्र तालध्वज नीला-लाल 14
सुभद्रा दर्पदलन काला-लाल 12
प्रश्न 8: रथ यात्रा में कौन सी प्रमुख रस्में होती हैं?
उत्तर: पहंडी यात्रा, छेरा पंहरा, हेरा पंचमी, सुनाबेशा, बहुड़ा यात्रा आदि प्रमुख रस्में हैं। गजपति राजा द्वारा रथ की सफाई (छेरा पंहरा) सबसे प्रसिद्ध रस्म है।
प्रश्न 9: रथ यात्रा का सीधा प्रसारण कहाँ देख सकते हैं?
उत्तर: DD National, Jagannath TV, YouTube चैनलों (ISKCON, NTV आदि) और कई ओडिशा के न्यूज पोर्टल्स पर लाइव टेलीकास्ट होता है।
प्रश्न 10: क्या रथ यात्रा केवल पुरी में होती है?
उत्तर: नहीं, रथ यात्रा भारत के कई शहरों जैसे कोलकाता (ISKCON), रांची, वाराणसी, अहमदाबाद, मुंबई, भुवनेश्वर और अंतरराष्ट्रीय शहरों जैसे लंदन, न्यूयॉर्क, मॉरीशस आदि में भी मनाई जाती है।
प्रश्न 11: क्या महिलाएँ भी रथ खींच सकती हैं?
उत्तर: हाँ, अब कई स्थानों पर महिलाएँ भी श्रद्धा से रथ खींचती हैं और अन्य सेवाओं में सक्रिय भागीदारी निभाती हैं।
प्रश्न 12: क्या रथ यात्रा देखने के लिए टिकट की आवश्यकता होती है?
उत्तर: नहीं, यह सार्वजनिक आयोजन है। लेकिन VIP या विशेष दर्शन पास की व्यवस्था होती है, जो सीमित संख्या में उपलब्ध रहते हैं।
प्रश्न 13: क्या भक्तों को प्रसाद मिलता है?
उत्तर: हाँ, रथ यात्रा के दौरान भगवान को अर्पित ‘महाप्रसाद’ का वितरण होता है। पुरी का महाप्रसाद दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
प्रश्न 14: रथ यात्रा में क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?
भारी भीड़ में बच्चे और बुज़ुर्गों का विशेष ध्यान रखें।
मोबाइल, पर्स और पहचान पत्र सुरक्षित रखें।
पुलिस/प्रशासन की गाइडलाइन का पालन करें।
मेडिकल सुविधा का पता रखें।
प्रश्न 15: रथ यात्रा से हमें क्या सीख मिलती है?
उत्तर:
सेवा का महत्व (राजा भी झाड़ू लगाते हैं)
ईश्वर सभी के लिए समान हैं
लोक सेवा और आध्यात्मिकता का संगम
धर्म का असली अर्थ – भक्ति, परोपकार और आत्मसंयम
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