राजीव गाँधी राष्ट्रीय उद्यान: कर्नाटक का हरा-भरा जंगल और बाघों का सुरक्षित घर
परिचय
राजीव गाँधी राष्ट्रीय उद्यान, जिसे आमतौर पर नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान (Nagarhole National Park) के नाम से भी जाना जाता है, भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान है। यह उद्यान पश्चिमी घाट और दक्कन पठार के बीच फैली हुई हरी-भरी घाटियों, घने जंगलों और नदियों से घिरा है।
यह उद्यान भारतीय वन्यजीव संरक्षण की एक सजीव मिसाल है, जहाँ बाघ, हाथी, गौर, तेंदुआ, भालू और सैकड़ों दुर्लभ पक्षियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
इस पार्क को 1989 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला और बाद में यह नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व का हिस्सा बना।
भौगोलिक स्थिति
स्थान
यह उद्यान कर्नाटक के कोडागु और मैसूर ज़िले में फैला है।
इसका विस्तार लगभग 643 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में है।
यह पश्चिम में कूर्ग (Coorg) और पूर्व में मैसूर से घिरा हुआ है।
पहुँच मार्ग
मैसूर से दूरी – लगभग 90 किलोमीटर
बैंगलोर से दूरी – लगभग 220 किलोमीटर
निकटतम हवाई अड्डा – मैसूर और बैंगलोर
निकटतम रेलवे स्टेशन – मैसूर

इतिहास और स्थापना
1955 – इसे वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया।
1974 – इसका विस्तार बढ़ाया गया।
1989 – इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला।
1999 – इसे प्रोजेक्ट टाइगर रिज़र्व में शामिल किया गया।
इसका नामकरण भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के नाम पर किया गया ताकि उनकी याद में वन्यजीव संरक्षण की भावना को प्रोत्साहन दिया जा सके।
जलवायु और प्राकृतिक स्वरूप
गर्मी – मार्च से जून (तापमान 20°C से 35°C तक)
बरसात – जुलाई से सितंबर (भारी वर्षा, हरे-भरे जंगल)
सर्दी – अक्टूबर से फरवरी (तापमान 14°C से 30°C तक)
यहाँ की भूमि मुख्यतः लाल मिट्टी और जलोढ़ मिट्टी की है। उद्यान में कई छोटी-बड़ी नदियाँ बहती हैं, जिनमें लक्ष्मणतीर्था नदी और काबिनी नदी प्रमुख हैं।
वनस्पति (Flora)
राजीव गाँधी राष्ट्रीय उद्यान में शुष्क पर्णपाती और आर्द्र पर्णपाती दोनों प्रकार के वन पाए जाते हैं।
प्रमुख वृक्ष
सागौन (Teak)
शीशम (Rosewood)
साल (Sal)
बाँस
सैंडलवुड (चंदन)
विशेष पौधे
औषधीय पौधे (आयुर्वेदिक महत्व के)
फलदार वृक्ष
झाड़ियाँ और घासभूमि
जीव-जंतु (Fauna)
राजीव गाँधी राष्ट्रीय उद्यान की सबसे बड़ी पहचान इसके वन्यजीव हैं।
स्तनधारी
बाघ (Royal Bengal Tiger)
एशियाई हाथी
गौर (भारतीय बाइसन)
तेंदुआ
स्लॉथ भालू
हिरण (चितल, सांभर)
पक्षी
किंगफिशर
हॉर्नबिल
मोर
हेरॉन
वुडपेकर
सरीसृप और उभयचर
अजगर और कोबरा
मगरमच्छ
मॉनिटर लिज़र्ड
कछुए और मेढ़क
प्रमुख आकर्षण
1. सफारी
जीप सफारी और बस सफारी उपलब्ध है।
सुबह और शाम के समय सफारी सबसे लोकप्रिय होती है।
बाघ और हाथियों को देखने का मुख्य आकर्षण।
2. काबिनी नदी
यहाँ की काबिनी नदी अपने खूबसूरत दृश्य और हाथियों के झुंड के लिए प्रसिद्ध है।
3. बर्ड वॉचिंग
यह उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग है।
4. फोटोग्राफी
वाइल्डलाइफ़ और लैंडस्केप फोटोग्राफ़र्स के लिए यह बेहतरीन स्थान है।
संरक्षण और चुनौतियाँ
चुनौतियाँ
शिकार और अवैध लकड़ी कटाई
मानव-वन्यजीव संघर्ष
पर्यावरण प्रदूषण
संरक्षण उपाय
प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलीफेंट के अंतर्गत सुरक्षा
स्थानीय जनजातियों की सहभागिता
इको-टूरिज़्म को बढ़ावा
पर्यटन गाइड
जाने का सही समय
अक्टूबर से मई सबसे उपयुक्त है।
मानसून (जुलाई-सितंबर) में सफारी बंद रहती है।
समय और शुल्क
एंट्री टाइमिंग: सुबह 6:00 से 9:00 बजे और शाम 3:00 से 6:00 बजे
प्रवेश शुल्क: भारतीय नागरिकों और विदेशी पर्यटकों के लिए अलग-अलग शुल्क निर्धारित है।
ठहरने की सुविधा
जंगल लॉजेस
रिसॉर्ट्स
होम-स्टे (कूर्ग और काबिनी क्षेत्र में)
निकटवर्ती आकर्षण
कूर्ग – कॉफी प्लांटेशन और पहाड़ियाँ
बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान
मैसूर पैलेस
इरुप्पु झरना
स्थानीय संस्कृति और समाज पर प्रभाव
राजीव गाँधी राष्ट्रीय उद्यान केवल प्रकृति का घर ही नहीं है, बल्कि यह स्थानीय समाज और संस्कृति को भी प्रभावित करता है।
कूर्ग की जनजातियाँ (Kodava community) यहाँ रहती हैं।
उनकी आजीविका का बड़ा हिस्सा इको-टूरिज़्म और कृषि से जुड़ा है।
पारंपरिक लोककथाएँ और त्योहार इस उद्यान के आस-पास की संस्कृति को जीवंत बनाते हैं।

राजीव गाँधी राष्ट्रीय उद्यान – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. राजीव गाँधी राष्ट्रीय उद्यान कहाँ स्थित है?
यह कर्नाटक राज्य के कोडागु (Coorg) और मैसूर जिलों में स्थित है।
2. राजीव गाँधी राष्ट्रीय उद्यान को और किस नाम से जाना जाता है?
इसे नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान (Nagarhole National Park) भी कहा जाता है।
3. इस उद्यान का क्षेत्रफल कितना है?
इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 643 वर्ग किलोमीटर है।
4. इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा कब मिला?
1989 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्रदान किया गया।
5. क्या यह उद्यान प्रोजेक्ट टाइगर का हिस्सा है?
हाँ, इसे 1999 में प्रोजेक्ट टाइगर रिज़र्व में शामिल किया गया था।
6. यहाँ कौन-कौन से प्रमुख जानवर पाए जाते हैं?
बाघ, एशियाई हाथी, तेंदुआ, गौर (भारतीय बाइसन), स्लॉथ भालू, चीतल और सांभर।
7. यहाँ कौन से पक्षी देखने को मिलते हैं?
हॉर्नबिल, किंगफिशर, मोर, हेरॉन और वुडपेकर प्रमुख पक्षी हैं।
8. उद्यान घूमने का सबसे अच्छा समय कब है?
अक्टूबर से मई तक का समय सबसे उपयुक्त है। मानसून में सफारी बंद रहती है।
9. राजीव गाँधी राष्ट्रीय उद्यान तक पहुँचने का सबसे नज़दीकी शहर कौन-सा है?
मैसूर शहर उद्यान से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर है।
10. उद्यान तक पहुँचने के लिए कौन से साधन उपलब्ध हैं?
हवाई मार्ग से मैसूर या बैंगलोर, रेल मार्ग से मैसूर और सड़क मार्ग से बस/कार द्वारा पहुँचा जा सकता है।
11. सफारी के क्या विकल्प उपलब्ध हैं?
यहाँ जीप सफारी और बस सफारी उपलब्ध हैं, जो सुबह और शाम में आयोजित की जाती हैं।
12. क्या यहाँ ठहरने की सुविधा है?
हाँ, यहाँ जंगल लॉजेस, रिसॉर्ट्स और होम-स्टे की व्यवस्था है।
13. क्या विदेशी पर्यटक भी यहाँ आ सकते हैं?
जी हाँ, यह राष्ट्रीय उद्यान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है और विदेशी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है।
14. यहाँ की प्रमुख नदियाँ कौन सी हैं?
काबिनी नदी और लक्ष्मणतीर्था नदी यहाँ बहती हैं।
15. राजीव गाँधी राष्ट्रीय उद्यान क्यों महत्वपूर्ण है?
यह उद्यान भारत की जैव विविधता को संरक्षित करने, पर्यावरण संतुलन बनाए रखने और वन्यजीव पर्यटन को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाता है।
निष्कर्ष – राजीव गाँधी राष्ट्रीय उद्यान
राजीव गाँधी राष्ट्रीय उद्यान, जिसे नागरहोले राष्ट्रीय उद्यान के नाम से भी जाना जाता है, भारत की जैव विविधता और प्राकृतिक धरोहर का एक अनमोल खजाना है। यह केवल एक पर्यटन स्थल ही नहीं, बल्कि वन्यजीव संरक्षण, पारिस्थितिक संतुलन और स्थानीय समाज के विकास का महत्वपूर्ण केंद्र भी है।
यहाँ के घने जंगल, बहती नदियाँ, हाथियों के झुंड, बाघों की दहाड़ और पक्षियों की चहचहाहट प्रकृति के असली स्वरूप का अनुभव कराते हैं।
इसके साथ ही यह उद्यान प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलीफेंट जैसी योजनाओं का हिस्सा बनकर भारत की संरक्षण नीतियों को भी सशक्त करता है।
पर्यटकों के लिए यह जगह साहसिक सफारी, बर्ड वॉचिंग, फोटोग्राफी और प्रकृति अवलोकन का अद्भुत अनुभव प्रदान करती है। वहीं स्थानीय लोगों के लिए यह रोज़गार और सांस्कृतिक पहचान का एक आधार है।
इसीलिए, राजीव गाँधी राष्ट्रीय उद्यान केवल कर्नाटक ही नहीं, बल्कि पूरे भारत की पर्यावरणीय और सांस्कृतिक धरोहर है।
हमें मिलकर इसकी रक्षा करनी होगी ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस प्राकृतिक स्वर्ग का आनंद ले सकें।
