रायसीना डायलॉग 2025: दुनिया की सबसे बड़ी चर्चाओं का मंच!
रायसीना डायलॉग भारत का प्रमुख बहुपक्षीय सम्मेलन है, जो वैश्विक भू-राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करता है। 2025 में इस सम्मेलन का 10वां संस्करण 17 मार्च से आयोजित होने जा रहा है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इस वर्ष सम्मेलन में न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन मुख्य अतिथि होंगे और वे उद्घाटन सत्र में मुख्य भाषण देंगे। यह सम्मेलन विभिन्न देशों के नेताओं, नीति निर्माताओं, उद्योगपतियों, शिक्षाविदों और रणनीतिक विशेषज्ञों को एक साथ लाकर वैश्विक चुनौतियों का समाधान खोजने पर केंद्रित होगा।
Table of the Post Contents
Toggle1. रायसीना डायलॉग 2025 का परिचय और महत्व
रायसीना डायलॉग की शुरुआत
रायसीना डायलॉग की शुरुआत 2016 में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) के सहयोग से हुई थी। इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर नीति-निर्माण में भारत की भूमिका को मजबूत करना और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर बहुपक्षीय चर्चा को बढ़ावा देना था।
इस सम्मेलन का महत्व
यह भारत का सबसे बड़ा भू-राजनीतिक और भू-अर्थशास्त्रीय मंच बन चुका है।
सम्मेलन में दुनियाभर के नेता, नीति निर्माता, विशेषज्ञ और उद्योगपति भाग लेते हैं।
यह वैश्विक चुनौतियों जैसे जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, आतंकवाद और विकासशील देशों की नीतियों पर केंद्रित रहता है।
भारत के लिए यह मंच अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को मजबूत करने और वैश्विक नीतियों में सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर प्रदान करता है।
2. रायसीना डायलॉग 2025 की विशेषताएँ
थीम (Theme) और मुख्य विषय
इस वर्ष रायसीना डायलॉग की थीम “A Decade of Dialogue: Navigating Global Uncertainty” हो सकती है, जो इस मंच की 10 साल की यात्रा और वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच समाधान खोजने पर केंद्रित होगी।

रायसीना डायलॉग: संभावित चर्चाएँ निम्नलिखित विषयों पर होंगी:
1. वैश्विक सुरक्षा और सैन्य रणनीति – रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति, भारत-प्रशांत क्षेत्र की चुनौतियाँ।
2. आर्थिक विकास और आपूर्ति श्रृंखला – वैश्विक मंदी, डिजिटल अर्थव्यवस्था, ब्रिक्स और G20 की भूमिका।
3. तकनीकी प्रगति और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) – AI और क्वांटम कंप्यूटिंग का प्रभाव, डेटा सुरक्षा और साइबर खतरों से निपटने की रणनीति।
4. जलवायु परिवर्तन और सतत विकास – कार्बन उत्सर्जन नियंत्रण, हरित ऊर्जा और जलवायु वित्त।
5. वैश्विक शासन और बहुपक्षीय सहयोग – संयुक्त राष्ट्र, विश्व व्यापार संगठन (WTO) और अन्य वैश्विक संस्थाओं की भूमिका।
3. मुख्य अतिथि: क्रिस्टोफर लक्सन की उपस्थिति का महत्व
न्यूजीलैंड और भारत के द्विपक्षीय संबंध
न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन की इस सम्मेलन में उपस्थिति भारत और न्यूजीलैंड के संबंधों को नया आयाम दे सकती है। भारत और न्यूजीलैंड के बीच व्यापार, शिक्षा, कृषि और रक्षा सहयोग पर पहले से ही चर्चा चल रही है।
क्या होगी उनकी मुख्य बातें?
संभावना है कि क्रिस्टोफर लक्सन अपने भाषण में निम्नलिखित बिंदुओं को शामिल कर सकते हैं:
भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता
व्यापार और निवेश में सहयोग
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त रणनीति
न्यूजीलैंड के उच्च शिक्षा क्षेत्र में भारतीय छात्रों के लिए अवसर
उनका यह दौरा दोनों देशों के संबंधों को गहरा करने और नए व्यापारिक समझौतों की संभावनाओं को भी जन्म दे सकता है।
4. रायसीना डायलॉग 2025: भाग लेने वाले देश और प्रतिनिधि
कौन-कौन होंगे शामिल?
इस वर्ष के सम्मेलन में 125+ देशों के प्रतिनिधि भाग लेंगे, जिनमें शामिल होंगे:
विश्व के विभिन्न राष्ट्राध्यक्ष और प्रधानमंत्री
विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री
अंतरराष्ट्रीय संगठनों (UN, WTO, IMF, WHO) के प्रमुख
वैश्विक कंपनियों के CEO और टेक्नोलॉजी लीडर्स
रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ और शिक्षाविद
5. भारत के लिए इस सम्मेलन का महत्व
भारत की वैश्विक कूटनीतिक स्थिति को मजबूत करना
रायसीना डायलॉग भारत को एक महत्वपूर्ण वैश्विक शक्ति के रूप में प्रस्तुत करता है और अंतरराष्ट्रीय मामलों में इसकी भूमिका को और मजबूत करता है।
‘वसुधैव कुटुंबकम’ की नीति का विस्तार
भारत के ‘वसुधैव कुटुंबकम’ (संपूर्ण विश्व एक परिवार) के दृष्टिकोण को यह सम्मेलन और सशक्त करता है, जिससे संपूर्ण विश्व को जोड़ने की भारत की नीति को बल मिलता है।
रक्षा और सुरक्षा रणनीति में सहयोग
भारत अपनी इंडो-पैसिफिक रणनीति को मजबूती देने के लिए इस सम्मेलन का उपयोग कर सकता है।
विभिन्न देशों के साथ रक्षा साझेदारी और आतंकवाद-निरोधक उपायों पर चर्चा संभव है।
6. रायसीना डायलॉग 2025 से निकलने वाले संभावित निष्कर्ष
रायसीना डायलॉग से निम्नलिखित प्रमुख निष्कर्ष निकल सकते हैं:
- भारत और अन्य देशों के बीच नए समझौतों की घोषणा।
वैश्विक सुरक्षा और व्यापार पर नई रणनीतियों का निर्माण।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और जलवायु परिवर्तन पर नई अंतरराष्ट्रीय साझेदारियाँ।
इंडो-पैसिफिक में भारत की भूमिका को और अधिक सशक्त करने की योजनाएँ।
रायसीना डायलॉग 2025 से जुड़े टॉप 10 प्रश्न और उनके विस्तृत उत्तर
1. रायसीना डायलॉग क्या है और इसकी शुरुआत कब हुई?
उत्तर: रायसीना डायलॉग भारत सरकार के विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) द्वारा आयोजित एक प्रमुख बहुपक्षीय सम्मेलन है। इसकी शुरुआत 2016 में हुई थी और यह वैश्विक भू-राजनीति और भू-अर्थशास्त्र से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करता है। इसमें विश्व के प्रमुख नेता, नीति निर्माता, रक्षा विशेषज्ञ, उद्योगपति और शिक्षाविद भाग लेते हैं।
2. रायसीना डायलॉग 2025 कब और कहाँ आयोजित होगा?
उत्तर: रायसीना डायलॉग 2025 का 10वां संस्करण 17 मार्च से नई दिल्ली में आयोजित होगा। यह कार्यक्रम तीन दिनों तक चलेगा, जिसमें विभिन्न देशों के नेता और विशेषज्ञ वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे।
3. रायसीना डायलॉग 2025 की थीम क्या होगी?
उत्तर: रायसीना डायलॉग 2025 की थीम हो सकती है “A Decade of Dialogue: Navigating Global Uncertainty”। इस विषय के तहत वैश्विक सुरक्षा, आर्थिक अस्थिरता, तकनीकी विकास, जलवायु परिवर्तन और बहुपक्षीय सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।
4. रायसीना डायलॉग 2025 के मुख्य अतिथि कौन होंगे?
उत्तर: रायसीना डायलॉग 2025 के मुख्य अतिथि न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन होंगे। वे उद्घाटन सत्र में मुख्य भाषण देंगे और भारत-न्यूजीलैंड संबंधों, वैश्विक व्यापार और जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों पर चर्चा करेंगे।

5. रायसीना डायलॉग में किन देशों के प्रतिनिधि भाग लेंगे?
उत्तर: रायसीना डायलॉग 2025 में 125 से अधिक देशों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। इनमें शामिल होंगे:
राष्ट्राध्यक्ष और प्रधानमंत्री
विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री
संयुक्त राष्ट्र (UN), विश्व व्यापार संगठन (WTO), अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और WHO जैसे संगठनों के प्रमुख
वैश्विक कंपनियों के CEO और टेक्नोलॉजी विशेषज्ञ
रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ और शिक्षाविद
6. भारत के लिए रायसीना डायलॉग का क्या महत्व है?
उत्तर: रायसीना डायलॉग भारत के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है:
- भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करता है।
‘वसुधैव कुटुंबकम’ की नीति को बढ़ावा देता है।
भारत की इंडो-पैसिफिक रणनीति को सशक्त बनाता है।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार, सुरक्षा और तकनीकी सहयोग के नए अवसर खोलता है।
7. रायसीना डायलॉग में किन प्रमुख विषयों पर चर्चा होगी?
उत्तर: रायसीना डायलॉग 2025 में निम्नलिखित विषयों पर चर्चा होगी:
- वैश्विक सुरक्षा और सैन्य रणनीति (रूस-यूक्रेन युद्ध, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र)
आर्थिक विकास और व्यापार (वैश्विक मंदी, डिजिटल अर्थव्यवस्था)
तकनीकी प्रगति (कृत्रिम बुद्धिमत्ता, साइबर सुरक्षा)
जलवायु परिवर्तन (हरित ऊर्जा, कार्बन उत्सर्जन)
वैश्विक शासन और बहुपक्षीय सहयोग (UN, WTO, BRICS की भूमिका)
8. क्या रायसीना डायलॉग भारत की विदेश नीति को प्रभावित करता है?
उत्तर: हाँ, रायसीना डायलॉग भारत की विदेश नीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस मंच के माध्यम से भारत:
अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है।
नए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौते करता है।
वैश्विक मंचों पर अपनी कूटनीतिक स्थिति को मजबूत करता है।
रक्षा और सुरक्षा नीतियों को नए सिरे से तय करता है।
9. रायसीना डायलॉग और G20 में क्या अंतर है?
उत्तर: रायसीना डायलॉग | G20 |
यह भारत द्वारा आयोजित एक बहुपक्षीय सम्मेलन है। | यह 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का समूह है।
इसमें 100+ देशों के प्रतिनिधि भाग लेते हैं। इसमें केवल 20 सदस्य देश होते हैं।
इसका उद्देश्य वैश्विक भू-राजनीति और आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करना है।
इसका उद्देश्य आर्थिक समृद्धि, व्यापार और वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देना है।
वार्षिक रूप से आयोजित होता है। G20 समिट प्रत्येक वर्ष एक अलग सदस्य देश में आयोजित होता है।
10. रायसीना डायलॉग 2025 से क्या प्रमुख निष्कर्ष निकल सकते हैं?
उत्तर: रायसीना डायलॉग 2025 से निम्नलिखित प्रमुख निष्कर्ष निकल सकते हैं:
- भारत-न्यूजीलैंड के बीच नए व्यापार और शिक्षा समझौते।
वैश्विक सुरक्षा और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर नई रणनीतियाँ।
AI और साइबर सुरक्षा को लेकर वैश्विक सहयोग बढ़ेगा।
हरित ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन पर नई साझेदारियाँ।
भारत की वैश्विक कूटनीतिक स्थिति और मजबूत होगी।
निष्कर्ष
रायसीना डायलॉग 2025: रायसीना डायलॉग 2025 न केवल भारत की वैश्विक नेतृत्व क्षमता को प्रदर्शित करेगा, बल्कि यह विश्वभर के नीति निर्माताओं को एक मंच पर लाकर वैश्विक समस्याओं के समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण चर्चा भी करेगा। न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन की उपस्थिति इस सम्मेलन को और भी महत्वपूर्ण बना देती है।
इस मंच के माध्यम से भारत न केवल अपनी विदेश नीति को नई दिशा देगा, बल्कि वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने में एक अग्रणी भूमिका भी निभाएगा।
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