विनायक दामोदर सावरकर जिन्हें वी. डी. सावरकर के नाम से भी जाना जाता हैं, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी क्रांतिकारी, राष्ट्रवादी विचारक और लेखक थे। सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को महाराष्ट्र के नासिक जिले में हुआ था | सावरकर बचपन से ही असाधारण बुद्धिमान और तेजस्वी थे , उन्होंने ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ नामक पुस्तक लिखी
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Toggleविनायक दामोदर सावरकर: वीर योद्धा या विवादों का केंद्र?
विनायक दामोदर सावरकर जिन्हें वी. डी. सावरकर के नाम से भी जाना जाता हैं, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी क्रांतिकारी, राष्ट्रवादी विचारक और लेखक थे। वे हिंदुत्व की विचारधारा के प्रमुख अग्रणी प्रवर्तक माने जाते हैं।
उनका पूरा जीवन संघर्ष, साहस, और राष्ट्रवाद की भावना से परिपूर्ण था। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र क्रांति की वकालत की और भारत की स्वतंत्रता के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
(क) जन्म और परिवार
* विनायक दामोदर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को महाराष्ट्र के नासिक जिले के भगूर गाँव में हुआ था।
* उनके पिता दामोदर पंत सावरकर और माता राधाबाई सावरकर एक प्रतिष्ठित परिवार से थे।
* उनका परिवार राष्ट्रवादी विचारों से प्रभावित था, जिससे उनकी क्रांतिकारी सोच का बीजारोपण हुआ। Read more…

(ख) शिक्षा और राष्ट्रवादी झुकाव
* सावरकर बचपन से ही असाधारण बुद्धिमान और तेजस्वी थे।
* उन्होंने फर्ग्युसन कॉलेज, पुणे (महाराष्ट्र ) से स्नातक की पढ़ाई की, जहाँ वे लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के विचारों से अत्यधिक प्रभावित हुए।
* 1906 में, वे श्यामजी कृष्ण वर्मा की मदद से इंग्लैंड गए और ग्रेज़ इन लॉ कॉलेज में कानून की पढ़ाई शुरू की।
* इंग्लैंड में रहते हुए, उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को संगठित करने का कार्य किया।
क्रांतिकारी गतिविधियाँ और ब्रिटिश सरकार से संघर्ष
(क) अभिनव भारत संगठन की स्थापना
* 1904 में, वी. डी. सावरकर ने ‘मित्र मेला’ नामक एक संगठन बनाया, जिसे 1906 में ‘अभिनव भारत’ के रूप में विस्तारित किया गया। यह एक क्रांतकारी संगठन था |
* इस संगठन का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र क्रांति करना था।
* वे मानते थे कि सिर्फ अहिंसा से स्वतंत्रता नहीं मिलेगी, बल्कि सशस्त्र क्रांति आवश्यक है।
(ख) लंदन में क्रांतिकारी गतिविधियाँ
* इंग्लैंड में रहकर सावरकर ने भारतीय युवाओं को संगठित किया और ‘फ्री इंडिया सोसाइटी’ नामक एक संगठन की स्थापना की।
* उन्होंने ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ नामक पुस्तक लिखी, जिसमें उन्होंने 1857 की क्रांति को ‘प्रथम स्वतंत्रता संग्राम’ के रूप में प्रस्तुत किया।
* आगे चलकर इस पुस्तक को ब्रिटिश सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था, क्योंकि इसमें ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह का आह्वान किया गया था।
* उन्होंने मदनलाल ढींगरा और अन्य क्रांतिकारियों को प्रेरित किया, जिन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों की हत्याएँ कीं।
(ग) नासिक षड्यंत्र केस और गिरफ्तारी
* 1909 में, उनके सहयोगी अनंत कान्हेरे ने महाराष्ट्र मे नासिक के ब्रिटिश कलेक्टर ए.एम.टी. जैक्सन की हत्या कर दी।
* इस षड्यंत्र में शामिल होने के कारण वी. डी. सावरकर को 1909 में गिरफ्तार कर लिया गया।
* उन्हें 1910 में भारत लाया गया और ब्रिटिश सरकार ने उन्हें दो आजीवन कारावास (50 वर्ष) की सजा सुनाई।
* इसके बाद उन्हें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की सेल्युलर जेल (काला पानी) भेज दिया गया।
4. अंडमान की सेल्युलर जेल में सजा और संघर्ष
(क) सेल्युलर जेल में अमानवीय यातनाएँ
* अंडमान की सेल्युलर जेल में सावरकर को अमानवीय यातनाएँ दी गईं।
* उन्हें कोल्हू में बैल की तरह जोता गया और नारियल की रस्सियाँ बनाने का काम सौंपा गया।
* ब्रिटिश सरकार का उद्देश्य था कि उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से तोड़ा जाए। जिससे वें क्रांतिकारी संगठन की की आगे की रणनीतियाँ बताने के लिए मजबूर हो जाए |
(ख) जेल में शिक्षा और जागरूकता अभियान
* सावरकर ने जेल में अन्य कैदियों को शिक्षित करना शुरू किया और उनमें देशभक्ति की भावना जगाई।
* उन्होंने जेल की दीवारों पर नाखूनों और कोयले से कविताएँ और देशभक्ति से जुड़ी बातें लिखीं।
(ग) क्षमायाचना और रिहाई
* सावरकर ने ब्रिटिश सरकार को 1911, 1913 और 1919 में क्षमायाचना पत्र लिखे।
* इन याचिकाओं में उन्होंने अपनी रिहाई के लिए अनुरोध किया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि वे समाज की सेवा करना चाहते हैं।
* 1924 में, ब्रिटिश सरकार ने उन्हें शर्तों के साथ रिहा कर दिया, लेकिन उन्हें रत्नागिरी जिले में नजरबंद रखा गया।
हिंदुत्व विचारधारा का विकास
(क) ‘हिंदुत्व’ की परिभाषा
* 1923 में, सावरकर ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘हिंदुत्व: हिंदू कौन है?’ लिखी।
* उन्होंने हिंदुत्व को एक सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान के रूप में प्रस्तुत किया।
* उनके अनुसार, जो भी भारत को अपनी पितृभूमि (Fatherland) और पुण्यभूमि (Holy Land) मानता है, वह हिंदू है।
(ख) हिंदू महासभा का नेतृत्व
* 1937 में, वे हिंदू महासभा के अध्यक्ष बने।
* उन्होंने द्वि-राष्ट्र सिद्धांत का विरोध किया और हिंदुओं को संगठित करने की आवश्यकता बताई।
* उन्होंने मुस्लिम लीग और कांग्रेस की नीतियों की आलोचना की।
स्वतंत्रता संग्राम और विभाजन पर विचार
* सावरकर ने भारत के विभाजन का विरोध किया और एक अखंड भारत की वकालत की।
* उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना में हिंदुओं की भर्ती का समर्थन किया, ताकि वे भविष्य में स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दे सकें।
* वे महात्मा गांधी की अहिंसा नीति के कट्टर आलोचक थे।

महात्मा गांधी की हत्या और सावरकर पर आरोप
* 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी।
* सावरकर पर इस षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप लगा और उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया।
* लेकिन सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया गया।
* इसके बाद उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया। Click here
अंतिम जीवन और निधन
* अपने अंतिम दिनों में, सावरकर ने ‘आत्मार्पण’ (स्वैच्छिक मृत्यु) का निर्णय लिया।
* उन्होंने भोजन और पानी त्याग दिया और 26 फरवरी 1966 को उनका निधन हो गया।
विरासत और विवाद
(क) योगदान
* सावरकर ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारी भूमिका निभाई।
* उन्होंने हिंदुत्व की विचारधारा को मजबूत करने की दिशा मे अथाह प्रयास किया |।
वे भारतीय सेना और राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के समर्थक थे।
(ख) विवाद
* आज भी उनकी ब्रिटिश सरकार को दी गई क्षमायाचना याचिकाओं के कारण उनकी आलोचना की जाती है।
* गांधीजी की हत्या में नाम आने से उनकी छवि पर धब्बा लगा।
* उनकी हिंदुत्व विचारधारा को लेकर आज भी राजनीतिक बहस होती रहती है।
निष्कर्ष
विनायक दामोदर सावरकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक अद्वितीय क्रांतिकारी और विचारक थे। उनके जीवन में संघर्ष, बलिदान, और राष्ट्रवाद की भावना थी। उनकी विचारधारा आज भी भारतीय राजनीति में एक प्रमुख विषय बनी हुई है।
आलोचना और समर्थन के बीच, उनकी राष्ट्रभक्ति और बलिदान को नकारा नहीं जा सकता।
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