6 फरवरी 2025: राष्ट्रपति शी जिनपिंग किस वजह से बने चर्चा का केंद्र?
6 फरवरी 2025 को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग कई महत्वपूर्ण कारणों से चर्चा में हैं, जिनमें महत्वपूर्ण कारण ताइवान के साथ बढ़ता तनाव, अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों में उतार-चढ़ाव, रूस के साथ मजबूत होते संबंध और चीन की आंतरिक आर्थिक चुनौतियाँ शामिल हैं।
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Toggleविषय-सूची
1. ताइवान के साथ बढ़ता तनाव
2. अमेरिका-चीन व्यापारिक संबंध
3. रूस-चीन संबंधों की मजबूती
4. चीन की आंतरिक आर्थिक चुनौतियाँ
5. निष्कर्ष
1. ताइवान के साथ बढ़ता तनाव
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नए साल के अवसर पर 2025 के अपने संदेश में ताइवान के साथ पुन: एकीकरण की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। इस संदेश में उन्होंने कहा हैं कि, “ताइवान जलडमरूमध्य के दोनों किनारों पर रहने वाले हम चीनी एक ही परिवार के सदस्य हैं। कोई भी हमारे बीच इस नातेदारी के बंधन को कभी भी खत्म नहीं कर सकता है।”
चीन ताइवान को अपना एक अभिन्न हिस्सा मानता है और “एक चीन” नीति के तहत वह इसे मुख्य भूमि के साथ मिलाने की कोशिश करता रहा है।
हाल के वर्षों में, शी जिनपिंग ने ताइवान के साथ एकीकरण के प्रयासों को तेज किया है, जिसमें उसकी सैन्य और कूटनीतिक पहल शामिल हैं। इसको लेकर चीन की सेना ने ताइवान के आसपास युद्धाभ्यास बढ़ा दिए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच के क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है। Read more…

2. अमेरिका-चीन व्यापारिक संबंध
डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही, अमेरिका-चीन व्यापारिक संबंधों में नई चुनौतियाँ उत्पन्न हो रही हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में चीनी आयात पर भारी शुल्क लगाए थे और दूसरे कार्यकाल में भी सख्त नीतियाँ अपनाने की धमकी दी है।
अमेरिका की इस धमकी से चीन की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ा है, विशेष रूप से निर्यात और तकनीकी कंपनियों पर इसका प्रभाव देखने को मिला हैं.
शी जिनपिंग ने अपने नए साल के संदेश में कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था में काफ़ी सुधार हुआ है और यह प्रगति के पथ पर है। उन्होंने अपने संदेश मे कहा कि साल 2024 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 130 ट्रिलियन युआन (लगभग 18.08 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) के आंकड़े को पार करने की उम्मीद है।
हालांकि, अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा चीनी आयात पर लगाए गए भारी शुल्को के कारण चीन को अपने ई-वाहनों के निर्यात में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिस कारण चीन की परिवहन प्रणाली बाधित हुई हैं.
3. रूस-चीन संबंधों की मजबूती
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के तुरंत बाद, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बातचीत की।
इस कॉन्फ्रेंस मे दोनों नेताओं ने साल 2025 में चीन-रूस संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का संकल्प भी लिया। शी जिनपिंग ने कहा कि चीन रूस के साथ रणनीतिक समन्वय बढ़ाने, एक-दूसरे का समर्थन करने और अपने वैध हितों की रक्षा करने के लिए तैयार है।
रुसी राष्ट्रपति वलादिमीर पुतिन ने भी ताइवान के मुद्दे पर चीन के लिए रूस के समर्थन को दोहराया और “ताइवान स्वतंत्रता” के किसी भी रूप का विरोध किया हैं, इसमें दोनों नेताओं ने वैश्विक शांति और स्थिरता में योगदान देने के लिए बहुपक्षीय मामलों में सहयोग को मजबूत करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

4. चीन की आंतरिक आर्थिक चुनौतियाँ
वैश्विक कोविड-19 महामारी के बाद, चीन की अर्थव्यवस्था में बहुत मंदी देखी गई है, जिससे रियल एस्टेट क्षेत्र में भारी गिरावट और बेरोजगारी में वृद्धि हुई है।
शी जिनपिंग ने अपने नए साल के संदेश में कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था में कई सुधार देखे गये है और अब यह अर्थव्यवस्था प्रगति के पथ पर है। उन्होंने अनाज उत्पादन में वृद्धि और जीडीपी में वृद्धि की उम्मीद जताई हैं.
हालांकि, अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा चीनी आयात पर लगाए गए भारी शुल्क के कारण चीन को अपने ई-वाहनों के निर्यात में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन की सख्त नीतियों के कारण भी चीन की तकनीकी कंपनियों पर भी दबाव बढ़ा है। Click here
निष्कर्ष
6 फरवरी 2025 को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ताइवान के साथ बढ़ते तनाव, अमेरिका के साथ व्यापारिक चुनौतियों, रूस के साथ मजबूत होते संबंधों और आंतरिक आर्थिक मुद्दों के कारण चर्चा में हैं।
इन सभी कारकों का चीन की आंतरिक और बाहरी नीतियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा है, और आने वाले समय में इन मुद्दों पर शी जिनपिंग की नीतियाँ और कदम वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेंगे।